How to Start Aloe Vera Farming, एलोवेरा की बढ़ती मांग को देखते हुए इसका व्यवसाय करना काफ़ी लाभदायक सिद्ध हो सकता है. एलोवेरा का व्यापार आप दो तरह से कर सकते है, एक इसकी खेती करके और दूसरी इसके जूस या पावडर के लिए मशीन लगाकर. एलोवेरा का उपयोग हर्बल, कॉस्मेटिक उत्पाद, जूस और दवा कंपनियों इत्यादि में होता है, इसके उत्पादन में खर्च कम होने के साथ ही लाभ मार्जिन ज्यादा है. एलोवेरा अपने चमत्कारी गुण की वजह से दुनियाभर में बहुत लोकप्रिय है. इसमें विटामिन और खनिज भरपूर होते है, इसके साथ ही इसमें एंटीबायोटिक और एंटीफंगल जैसे गुण मौजूद होते है.   

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Aloe Vera

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

एलोवरा का खेती के रूप में व्यवसाय और प्रमुख प्रजातियाँ (Aloe Vera Farming Business Plan )

एलोवेरा की कई प्रजातियां पाई जाती है जिसमे सबसे ज्यादा मशहुर है चैन्सिस, लित्तोराल्लिस, एलो अब्यस्सिनिका. भारत में इसकी मिलने वाली उच्च उत्पादक प्रजातियां है- आईईसी 111271, एएएल1, आईईसी 111269.        

इसकी खेती करना बहुत आसान है. एक हेक्टेयर भूमि पर 40 से 50 टन तक पैदावार हो सकती है. इसकी खेती के लिए वर्षा और नम क्षेत्र की आवश्यकता होती है. शुष्क क्षेत्र में भी इसकी खेती की जा सकती है. इसकी खेती के लिए थोड़ी ऊँची जमीन ज्यादा बेहतर है जिससे पानी का ठहराव न हो सके, अन्यथा पौधे को क्षति पहुँच सकती है. 1 हेक्टेयर भूमि पर इसकी खेती के लिए पहले खेत की जुताई करके उसमें 10 टन गोबर की खाद, 150 किलो ग्राम फास्फोरस, 33 किलोग्राम पोटाश और 120 किलोग्राम यूरिया मिलाकर छिडकाव कर, फिर दुबारा से खेत की जुताई के मिट्टी को पौधा रोपण के लिए तैयार कर लिया जाता है.

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पौधा रोपण के लिए क्यारियों को बना कर एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच 50 सेंटीमीटर की दूरी रखते हुए पौधों को रोपा जाता है. पौधों को लगाने का सबसे बेहतर समय फ़रवरी-मार्च और जून-जुलाई का महिना है, वैसे इसकी खेती साल भर भी हो सकती है. 1 हेक्टेयर भूमि में लगभग 10,000 तक पौधों को रोपा जा सकता है, पौधों को रोपने के बाद हल्के पानी से सिंचाई करें. एलोवेरा के पौधों को एक बार लगाकर इसकी फसल को तीन वर्ष तक काटा जा सकता है. पौधा लगने के बाद 8 से 10 महीने में यह कटाई के लिए तैयार हो जाता है. पहले वर्ष में उत्पादन लगभग 50 टन, दुसरे वर्ष में इसके उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाती है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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एलोवेरा की खेती के व्यवसाय में लगने वाली लागत (Aloe Vera Farming Cost)What is the Difference between CT Scan & MRI सीटी स्कैन and एमआरआई में क्या अंतर है

एलोवेरा के व्यावसाय में होने वाली सामग्रियों पर खर्च निम्नवत है- 

  • 27500 रुपये प्लांट का खर्च,
  • गोबर के खाद, केमिकल और पौधों की सिचाई में लगने वाला खर्च 8750 रूपये,
  • उत्पादों की पैकिजिंग और श्रम का खर्च 14,500 रूपये लग सकता है. 

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एलोवेरा की खेती के व्यावसाय में आप लगभग 60,000 रूपये तक का निवेश कर 5 से 6 लाख रूपये तक का मुनाफ़ा कमा सकते है. कम लागत में हैण्ड वाश सोप का बिज़नस भी शुरू कर सकते है.

एलोवेरा जैल या जूस के रूप में व्यावसाय (Aloe Vera Gel Business)Property Dealer kaise bane and Real Estate Business kaise kam karta hai प्रॉपर्टी डीलर कैसे बनें रियल एस्टेट कारोबार

कटाई के बाद इसके अंदर मौजूद गूदा को निकाल कर इसे मिक्सी से मिला लें और आवश्यकतानुसार पानी भी मिला लें, इससे आप एलोवेरा का जूस या जैल के रूप में भी अपना व्यावसाय शुरू कर सकते है. एलोवेरा के एक पौधे की पत्तीयों के बण्डल से लगभग 400 मिली लीटर तक गूदा निकल सकता है. अगर आप खुद से खेती करते हुए एलोवेरा जूस या जैल का व्यवसाय करते है, तो इससे आपकी आमदनी ज्यादा होगी, अन्यथा आप ऐसे स्थान पर व्यवसाय की शुरुआत करें जहाँ से आप आसानी से कच्चे माल को प्राप्त कर सके.

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एलोवेरा जैल या जूस व्यावसाय को करने के लिए स्थान की आवश्यकता (Aloe Vera Gel BusinessRequired Place 

इस व्यावसाय की शुरुआत जहाँ बिजली का कनेक्शन आसानी से उपलब्ध हो, जल की आपूर्ति हो साथ ही श्रम और परिवहन की उपलब्धता हो, वैसे स्थान पर इस व्यावसाय के लिए जूस या जैल बनाने वाली मशीनों को लगाया जा सकता है. पूरी तरह से इस व्यापार के सेटअप के लिए 1000 वर्ग फीट के कवर क्षेत्र की आवश्यकता पड़ सकती है. बिना ज्यादा स्थान के पेपर प्लेट बनाने का काम भी शुरू किया जा सकता है.

एलोवेरा जैल या जूस को निकालने वाले सयंत्र (Aloe Vera Gel Making Machine)

मूल रूप से दो तरह के सयंत्र इसके लिए बाजार में उपलब्ध है एक पूरी तरह से स्वचालित और दूसरी अर्ध स्वचालित. इसे आप ऑनलाइन माध्यम से https://www.indiamart.com/  वेबसाइट से खरीद सकते हैं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

एलोवेरा जैल या जूस के व्यावसाय के लिए लाइसेंस और क़ानूनी दस्तावेज़ (Aloe Vera Gel BusinessLicense)

लाइसेंस प्राप्ति की क़ानूनी प्रक्रिया व्यवसाय के स्थान पर निर्भर करती है, हर स्थान का अपना एक क़ानूनी नियम होता है, सामान्यतः कंपनी का रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस राज्य के सरकारी प्राधिकरण द्वारा प्राप्त किया जाता है. अगर आप कॉस्मेटिक उत्पादों के लिए फैक्ट्री स्थापित करते है, तो आपको इसके लिए विशेष लाइसेंस प्राप्त करना होगा.

  • सबसे पहले प्रबंधन पैटर्न के अनुसार अर्थात आप किस तरह का व्यवसाय करने जा रहे है उसका रजिस्ट्रेशन करें.
  • एमएसएमई उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन करें. 
  • प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एनओसी में आवेदन करें.  
  • इसके अलावा आपके पास पैन कार्ड के साथ वर्तमान बैंक अकाउंट भी होना चाहिए.                                 

एलोवेरा जैल या जूस के व्यवसाय में लगने वाली लागत (Aloe Vera Gel Business Cost)

एलोवेरा जूस के व्यवसाय के लिए सरकार 90 फीसदी तक का ऋण देती है साथ ही इस ऋण पर 3 साल तक कोई ब्याज नहीं लेती है. इसके अलावा इस पर 25 फीसदी तक सब्सिडी भी सरकार के द्वारा मुहैया कराई जाती है.

एलोवेरा जैल या जूस के व्यवसाय से लाभ (Aloe Vera Gel Business Profit)

एलोवेरा के जूस के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में लगभग 6 से 7 लाख तक का निवेश करना पड़ सकता है, मशीन के माध्यम से आप 150 लीटर तक जूस निकाल सकते है, 1 लीटर जूस बनाने में 40 रूपये तक का खर्च आता है इस जूस को अगर आप बाजार में बेचे तो 150 रूपये तक इसका मूल्य मिल सकता है और इस निवेश को करने के बाद आप जूस बेचकर 20 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते है

” एलोवेरा की खेती से किसान ने साल भर में कमाए करोड़ों रुपए… एलोवेरा (घृत कुमारी) की खेती मतलब कमाई पक्की। एलोवेरा के पौधों से किसान ने इतने कमाएं, पौधा यहां ले.. एलोवेरा की बिक्री के लिए संपर्क करें.. ” ऐसी ख़बरें अक्सर सोशल साइट्स और व्हॉट्सऐप ग्रुप पर वायरल होती रहती हैं। ऐसा नहीं है कि एलोवेरा से किसान कमाई नहीं कर रहे हैं लेकिन इस खेती के लिए कुछ जानकारियां होना जरूरी हैं, वर्ना फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। सही भूमि का चयन, पानी और नमी वाली जगह ये बातें आपको एलोवेरा की खेती के दौरान ध्यान में रखनी होंगी। गांव कनेक्शन जब एलोवेरा से संबंधित कोई ख़बर प्रकाशित करता है सैकड़ों किसान फोन और मैसेज कर उस बारे में जानकारी मांगते हैं, क्योंकि लोगों तक सही जानकारी नहीं पहुंच पाती है। पिछले कुछ वर्षों में एलोवेरा के प्रोडक्ट की संख्या तेजी से बढ़ी है। कॉस्मेटिक, ब्यूटी प्रोडक्ट्स से लेकर खाने-पीने के हर्बल प्रोडक्ट और अब तो टेक्सटाइल इंडस्ट्री में इसकी मांग बढ़ी है। देेखिए एलोवेरा प्रोसेसिंग ट्रेनिंग का पूरा वीडियो ऊपर देखिए केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) में प्रमुख वैज्ञानिक सुदीप टंडन ने गांव कनेक्शन को बताया, एलोवेरा जिसे घृत कुमारी कहा जाता है इसके बहुत फायदे हैं। जिस तरह से एलोवेरा की मांग बढ़ती जा रही है ये किसानों के लिए बहुत फायदे का सौदा है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

इसकी खेती कर और इसके प्रोडक्ट बनाकर दोनों तरह से अच्छी कमाई की जा सकती है। लेकिन इसके लिए थोड़ी सवाधानियां बरतनी होंगी। किसानों को चाहिए कि वो कंपनियों से कंट्रैक्ट कर खेती करें और कोशिश करें की पत्तियों की जगह इसका पल्प बेंचे।’ बरसात और ठंड के मौसम में एलोवेरा के खेती में ज़्यादा पानी के आवश्यकता नहीं होती। अगर मौसम गर्मी का है तो पंद्रह दिन में एक बार पानी जरूर दें। एलोवेरा की 1 एकड़ खेती से आसानी से 5 से 7 लाख रुपए कमाए जा सकते हैं। अभी बाबा रामदेव की पतंजलि सहित कई कंपनियां एलोवेरा खरीद रही हैं। एलोवेरा पर अभी तक किसी ख़ास रोग का प्रभाव सामने नहीं आया है। एलोवेरा का पौधा। ये भी पढ़ें- सतावर , एलोवेरा , तुलसी और मेंथा खरीदने वाली कम्पनियों और कारोबारियों के नाम और नंबर सुदीप टंडन ने न सिर्फ इसकी पूरी प्रक्रिया गांव कनेक्शन के साथ साझा की बल्कि ऐसे किसानों से भी मिलवाया जो इसकी खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं। करीब 25 वर्षों से गुजरात के राजकोट में एलोवेरा और दूसरी औषधीय फसलों की खेती कर रहे हरसुख भाई पटेल (60 वर्ष ) बताते हैं, ” एलोवेरा की एक एकड़ खेती से आसानी से 5- 7 लाख रुपए कमाए जा सकते हैं। वर्ष 2002 में गुजरात में इसकी बड़े पैमाने पर खेती हुई लेकिन खरीदार नहीं मिले। इसके बाद मैंने रिलायंस कंपनी से करार किया। ” एलोवेरा को वैज्ञानिक करिश्माई पौधा बताते हैं। पिछले कुछ वर्षों में इसकी डिमांड तेजी से बढ़ी है। गूगल के सर्च में एलोवेरा का बाजार भाव, एलोवेरा की कीमत, घृतकुमारी के फायदे जैसे शब्द लगातार ट्रेंड करते रहते हैं। यह भी पढ़ें : सूट-बूट पहनकर टाई लगाकर खेती करता है ये किसान इंजीनियरिंग के बाद कई वर्षों तक आईटी क्षेत्र की बड़ी कंपनी में काम कर चुकीं बेंगलुरु की रहने वाली आंचल जिंदल ने गांव कनेकशन से बात करते हुए बताया ऐलोवेरा जादुई पौधा है। इसके कारोबार में बहुत संभावनाएं हैं, क्योंकि आजकल हर चीज़ में इसका उपयोग हो रहा है। अब मैं यूपी के बरेली में शिफ्ट हो गई हूं, मैंने एलोवेरा का मार्केट भी सर्च किया है और कोशिश कर रही हूं कि एलोवेरा का उद्योग लगाऊं। ” जिसमें पल्प और जूस निकाला जाएगा। सीमैप में एलोवेरा की तैयार होती पौध। फोटो- शुभम कौल आंचल की तरह ही महाराष्ट्र के विदर्भ के रहने वाले आदर्श पाल अंतरिक्ष विज्ञान में पढ़ाई कर चुके हैं लेकिन आजकल वो खेती में फायदे का सौदा देख रहे हैं। वो बताते हैं, पैर जमीन पर होने चाहिए, मेरे पास खेती नहीं है इसलिए किसानों के साथ कांट्रैक्ट फार्मिंग (समझौता पर खेत लेकर खेती) करता हूं। पंतजलि के प्रोडक्ट की लोकप्रियता के बाद संभावनाएं अब और बढ़ गई हैं। यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में पहली बार की गई ड्रैगेन फ्रूट की खेती, 120-200 रुपये में बिकता है एक फल सीमैप में दी जाती है ट्रेनिंग अगर आप एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहते हैं तो केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) कुछ-कुछ महीनों पर ट्रेनिंग करता है। इसका रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होता है और निर्धारित फीस के बाद ये ट्रेनिंग ली जा सकती है। (ऊपर वीडियो देखिए) इंजीनियरिंग और एमबीए करने वाला युवा नौकरी की बजाए कर रहे खेती, लगा रहे यूनिट ग्रेटर नोएडा में गलगोटिया इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर मदन कुमार शर्मा (35 वर्ष) ने पतंजलि से करार कर 4 एकड़ खेत में अपने गांव में (अलीगढ़ जिला) एलोवरा का प्लांटेशन कराया है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

वो अब प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहते हैं। मदन बताते हैं, अभी तक मेरे घर में धान, गेहूं, आलू की फसलें उगाई जाती थीं, मुझे लगा कुछ नया और ज्यादा मुनाफे वाला करना चाहिए तो राजस्थान से पौध मंगाकर मैंने ये एलोवेरा की खेती शुरू की। यह भी पढ़ें : इन उपायों को अपनाकर किसान कम कर सकते हैं खेती की लागत ऐसी ही एक युवा आंचल के पास खेत तो नहीं है लेकिन वो इंडस्ट्री लगाना चाहती हैं, देश में अब लोगों का रुझान खेती की तरफ बढ़ रहा है, प्रधानमंत्री भी खेती पर जोर दे रहे हैं, अब हमें भी इस पर कुछ करना चाहिए।” वो कहती हैं। एलोवेरा का बाजार भाव और कीमत सीधे मांग पर निर्भर करती है। लेकिन जानकार किसी कंपनी से एग्रीमेंट के बाद ही खेती करने की सलाह देते हैं। एलोवेरा की खेती की बड़ी बातें हेल्थकेयर, कॉस्मेटिक और टेक्सटाइल में भी एलोवेरा का इस्तेमाल हर्बल दवा बनाने वाली कंपनियों में होता है सबसे ज्यादा इस्तेमाल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद पतंजलि, डाबर, बैद्यनाथ, रिलायंस कई बड़ी कंपनियां हैं बड़ी ग्राहक किसानों से सीधे भी पल्प और पत्तियां खरीदती हैं कंपनियां पल्प निकालने या सीधे प्रोडक्ट बनाने की लगा सकते हैं प्रोसेसिंग यूनिट पल्प निकालकर बेचने पर 4 से 5 गुना ज्यादा मुनाफा होता है देश के कई राज्यों में हो रही है एलोवेरा की खेती एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सीमैप में दी जाती है ट्रेनिंग अपने जिले में FCCI से लाइसेंस लेकर शुरु कर सकते हैं अपना रोजगार सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान भी देता है ट्रेनिंग एक एकड़ में करीब 16 हजार पौधे लगते हैं। (जानकारों के मुताबिक) एलोवेरा के जूस की मांग बढ़ने से घृत कुमारी का जूस निकालने की छोटी मशीनें डिमांड में हैं।

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