Soya Chunks नाम भले ही आपको थोड़ा अटपटा लगा हो लेकिन सच्चाई यह है की हम यहाँ पर उनकी बात कर रहे हैं जिनको खाकर कुछ शाकाहारी लोग भी मीट का स्वाद ले लेते हैं । जी हाँ हम बात कर रहे हैं लगभग सभी भारतीयों की पसंद सोयाबीन बड़ी की। चूँकि इसकी प्रकृति एवं स्वाद मांस जैसा होता है इसलिए इसे वेजिटेबल मीट भी कहा जाता है। कहने का आशय यह है की आम तौर पर Soya chunks को वेजीटेरियन मीट के नाम से जाना जाता है वह इसलिए क्योंकि इसके मूलभूत गुण मीट के समान ही होते हैं । चूँकि इनमे प्रोटीन की मात्रा उच्च पायी जाती है इसलिए इनका इस्तेमाल प्रोटीन की कमी की पूर्ति के लिए भी किया जाता रहा है । जहाँ तक सोयाबीन की बात है भारत में सोयाबीन का उपयोग विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थो जैसे बच्चों के अनाज तैयार करने, मवेशियों का खाना बनाने इत्यादि के लिए भी किया जाता है। हालांकि इन उत्पादों के अलावा सोयाबीन से तेल निकालने एवं दूध निकालने की प्रक्रिया को भी औद्योगिक स्तर पर बखूबी अंजाम दिया जाता रहा है। कहने का अभिप्राय यह है की सोयाबीन से न सिर्फ Soya Chunks बनाये जाते हैं, बल्कि इस एक उत्पाद को अनेकों औद्यौगिक उपयोग में इस्तेमाल में लाया जाता है ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Soya chunks manufacturing business

Soya Chunks Manufacturing Business क्या है 

Soya Chunks की यदि हम बात करें तो यह ठीक वैसा ही होता है जैसा वास्तविक मांस होता है प्रोटीन के मामले में मीट एवं सोयाबीन बड़ी में समान गुण मौजूद होते हैं । सोयाबीन बड़ी को पानी में भिगाने के बाद वह मीट जैसा ही चबाने का एहसास दिलाती है। इसके अलावा सोयाबीन बड़ी कोलेस्ट्रॉल से मुक्त होते हैं अर्थात इनमे कोलेस्ट्रॉल नहीं पाया जाता है यही कारण है की इनका उपयोग माँस के विकल्प के रूप में भी बहुतायत तौर पर किया जाता है। इन Soya Chunks का इस्तेमाल घरों के साथ साथ रेस्टोरेंट, होटल, ढाबों, अन्य भोजनालयों में भी विभिन्न खाद्य पदार्थों को तैयार करने में किया जाता है। इन्हीं सब आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर जब किसी उद्यमी द्वारा अपनी कमाई करने के लिए व्यवसायिक तौर पर सोयाबीन बड़ी बनाने का काम किया जाता है। तो उसके द्वारा किया जाने वाला यह काम Soya Chunks Manufacturing Business कहलाता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

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औद्योगिक परिदृश्य एवं रुझान:

Education Loan Kya hai & kyu or kaise Apply kre in (Hindi & English)जहाँ तक सोयाबीन बड़ी के उद्योग में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल की बात है तो इन्हें सोया आटा से तैयार किया जाता है। और सोया आटा का निर्माण जैविक एवं अजैविक दोनों तरीके से उत्पादित सोयाबीन के दानों से किया जाता है। लेकिन जहाँ तक वर्तमान औद्यौगिक परिदृश्य एवं रुझान की बात है तो लोगों में स्वास्थ्य के प्रति बढती जागरूकता एवं चिंताओं के कारण लोग जैविक सोयाबीन आटे से बनी Soya Chunks को खाना पसंद करते हैं। क्योंकि अजैविक के मुकाबले जैविक सोयाबीन का आटा स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है। भारत में सोयाबीन के आटे के बाज़ार को इसकी उत्पादन प्रक्रिया के आधार पर विभाजित किया जा सकता है । इसमें प्रमुख रूप से सामान्य सोयाबीन आटा, डी-हुलड हिप्रो सोयाबीन आटा, डिफैटेड सोया आटा टोस्ट, और डी-फैट सोया फ्लेक्स टोस्टेड इत्यादि बाजार में उपलब्ध हैं। सामान्य सोयाबीन आटे में डी-हूल्ड सोयाबीन आटे की तुलना में कम प्रोटीन सामग्री होती है, आम तौर पर इसमें लगभग 45-46% कच्ची प्रोटीन सामग्री होती है। सोयाबीन खाद्य को इसके अलग अलग औद्यागिक क्षेत्रों जैसे खाद्य, पेय, आहार एवं स्वास्थ्य के आधार पर विभाजित किया जा सकता है। खाद्य उद्योग में सोयाबीन के आटे का इस्तेमाल Soya Chunks या सोयाबीन की बड़ी बनाने में किया जाता है।

सोया बड़ी के लिए संभावित बाजार: 

When do we need to File Income Tax Return in Hindiजैसा की हम सबको विदित है वर्तमान में Soya Chunks का इस्तेमाल न सिर्फ घरों में बल्कि रेस्टोरेंट, होटल, ढाबों एवं अन्य भोजनालयों में अनेकों खाद्य पदार्थ को तैयार करने में किया जाता है। इसलिए भारतवर्ष के लगभग हर हिस्से में इसकी बिकने की असीम संभावनाएं हैं। जहाँ तक भारत में सोयाबीन की पैदावार की बात है तो मध्य प्रदेश के पश्चिमी एवं मध्य भागों में सोयाबीन एक प्रमुख फसल है इसलिए यहाँ Soya Chunks Manufacturing Business के लिए कच्चे माल की प्रचुर उपलब्धता है। इस तरह का यह प्लांट मध्य प्रदेश में या इसके आस पास स्थापित करने से उद्यमी द्वारा कच्चे माल के परिवहन में आने वाली लागत से बचा जा सकता है। Soya Chunks की बिक्री की संभावना इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि इन्हें ग्रेविज़, करी, पुलाव एवं बिरयानी इत्यादि तैयार करने के उपयोग में भी लाया जाता है और इसे माँस एवं सब्जी किसी के साथ मिलाकर भी तैयार किया जा सकता है ।

आवश्यक लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन:

How to open a Cosmetic business in India Soya Chunks Manufacturing Business के लिए उद्यमी को निम्नलिखित लाइसेंस एवं पंजीकरण की आवश्यकता हो सकती है।

  • स्थानीय प्राधिकरण से अनुमति की आवश्यकता हो सकती है।
  • फैक्ट्री लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है।
  • राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यालय से संपर्क करने की आवश्यकता हो सकती है।
  • एफएसएसआई लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है ।  
  • जीएसटी रजिस्ट्रेशन यानिकी टैक्स रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता हो सकती है।
  • उद्यमी चाहे तो अपने व्यापार को उद्योग आधार में भी पंजीकृत करा सकता है ।

Soya Chunks manufacturing के लिए आवश्यक कच्चा माल मशीनरी एवं उपकरण:

Soya Chunks का निर्माण करने के लिए उद्यमी को कच्चे माल के तौर पर वसा से मुक्त सोयाबीन आटे (Defatted Soya flour) की आवश्यकता होती है । इसके अलावा पैकिंग के लिए, आंतरिक लाइनर (खाद्य ग्रेड) वाले एचडीपीई बैग और थोक में परिवहन के लिए उन बैग को पैक करने के लिए, कार्डबोर्ड बक्सों  की आवश्यकता हो सकती है। जहाँ तक मशीनरी एवं उपकरणों का सवाल है उनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  • स्क्रू मिक्सर
  • फ्लोर सिफ्टर
  • extruder
  • वाटर डोसिंग सिस्टम
  • हॉट एयर ड्रायर
  • ग्रेडर
  • फिलिंग, सीलिंग आयर पैकिंग मशीन
  • भार मापक यंत्र

निर्माण प्रक्रिया (Manufacturing Process of Soya Chunks)

Soya Chunks निर्माण प्रक्रिया में सर्वप्रथम उच्च प्रोटीन युक्त सामग्री वसा मुक्त सोयाबीन आटे को पानी के साथ एक extruder में extrude किया जाता है या साधारण शब्दों में कह सकते हैं की सोयाबीन आटे को पानी में गूंथा जाता है । उसके बाद Extruder से 17-18% नमी के साथ छोटी छोटी गोल गोल गेंदे जैसा उत्पाद प्राप्त किया जा सकता है। उसके बाद इन उत्पादित गोल गोल गेंदों या Soya Chunks को कन्वेयर बेल्ट की मदद से ड्रायर तक पहुंचा दिया जाता है जहाँ ये 100 से 105° सेंटीग्रेड पर 20 से 25 मिनट तक सुखाये जाते हैं। यहाँ पर अर्थात ड्रायर में इनमें 8%  तक नमी कम हो जाती है उसके बाद इन्हें कन्वेयर बेल्ट की मदद से ग्रेडिंग के ग्रेडर की ओर अग्रसित किया जाता है। जहाँ पर साइज़ के हिसाब से अलग अलग Soya Chunks को अलग अलग कर दिया जाता है। उसके बाद इन्हें मार्केट में बेचकर कमाई करने के लिए पैक कर दिया जाता है।

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