What is Firewall in Hindi? फ़ायरवॉल क्या है?कम्प्यूटिंग में, फ़ायरवॉल एक नेटवर्क सिक्युरिटी सिस्‍टम है जो पूर्वनिर्धारित सिक्युरिटी नियमों के आधार पर इनकमिंग और आउटगोइंग नेटवर्क ट्रैफ़िक को मॉनिटर करता है और कंट्रोल करता है।फ़ायरवॉल आमतौर पर एक विश्वसनीय इंटरनल नेटवर्क और अविश्वसनीय एक्‍सटर्नल नेटवर्क के बीच एक बैरियर एस्टैब्लिश करता है, जैसे कि इंटरनेट।फ़ायरवॉल का मुख्य उद्देश्य कम सुरक्षित एरिया से एक सुरक्षित एरिया को अलग करना और दोनो के बीच कम्‍यूनिकेशन को कंट्रोल करना है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

फ़ायरवॉल एक मशीन से पूरे नेटवर्क तक किसी भी चीज़ के इनबाउंड और आउटबाउंड कम्‍यूनिकेशन को कंट्राल भी करता है।

फ़ायरवॉल हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर या दोनों का कॉम्बिनेशन हो सकता है।

फ़ायरवॉल का उपयोग अक्सर अनधिकृत इंटरनेट यूजर्स को इंटरनेट से कनेक्‍ट प्राइवेट नेटवर्क के एक्‍सेस को रोकने के लिए किया जाता है। सभी डेटा जो फ़ायरवॉल के माध्यम से इंट्रानेट पास में एंट्री करते हैं या बाहर जाते हैं, उसके प्रत्येक पैकेट को चेक किया जाता है और जो सिक्‍युरिटी क्राइटेरिया को पूरा नहीं करते उन्‍हे ब्‍लॉक किया जाता हैं।

आम तौर पर, फ़ायरवॉल को बाहर की दुनिया से अनधिकृत इंटरैक्टिव लॉगिन से बचाने के लिए कॉन्फ़िगर किया जाता है। यह आपके नेटवर्क के मशीनों में प्रवेश करने से हैकर्स को रोकने में मदद करता है। अधिक सोफिस्टिकेटेड फ़ायरवॉल, बाहर से अंदर आने वाली ट्रैफिक को ब्‍लॉक कर देते हैं, लेकिन अंदर के यूजर को बाहर की तरफ से और अधिक आसानी से कम्‍युनिकेशन करने की अनुमति देता है।

 

 

 

फ़ायरवॉल क्या है Firewall in Hindi में

 

 

 

 

Advantages of Firewalls in Hindi:

फ़ायरवॉल के फायदे:

1) ट्रैफिक को मॉनिटर करता हैं:

फ़ायरवॉल आपके कंप्यूटर नेटवर्क में प्रवेश कर रहे सभी ट्रैफ़िक पर नज़र रखता है। एक दो-तरफा फ़ायरवॉल डबल ड्यूटी करता है और नेटवर्क से बाहर जाने वाली ट्रैफ़िक पर भी नज़र रखता है।

नेटवर्क पर इनफॉर्मेशन पैकेट में भेजी जाती है। इन पैकेट को फ़ायरवॉल चेक करता हैं और यह तय करता हैं, कि कहीं इसमें संभावित खतरनाक कुछ तो नहीं है।

 

2) ट्रोजन्स को ब्लॉक करता हैं:

फ़ायरवॉल ट्रोजन हॉर्स को ब्लॉक करने में सहायता करता है। इन प्रकार के घुसपैठिए आपके कंप्यूटर कि फ़ाइलों के साथ चिपक जाते हैं, और फिर जब आप वह फाइल भेजते हैं, तो वे डेस्टिनेशन पर और अधिक नुकसान करते हैं।

ट्रोजन विशेष रूप से खतरनाक होते हैं क्योंकि वे चुपचाप ट्रांसमिट होते हैं। जब तक अजीब बातें आपके कंप्यूटर पर नहीं हो जाती हैं तब तक आप उनकी उपस्थिति से अनजान होते हैं।

फ़ायरवॉल उन्हें रोक सकता है, इससे पहले कि वे आपके कंप्यूटर को इन्फेक्ट करें।

 

3) हैकर्स रोकता है:

फ़ायरवॉल होने से हैकर्स आपके नेटवर्क से बाहर रहते है। फ़ायरवॉल सिक्‍युरिटी के बिना, हैकर आपके कंप्यूटर को आसानी से हैक कर सकता है या वायरस फैला सकता हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

4) अनधिकृत रिमोट एक्सेस से सुरक्षा करता है

आपके कंप्यूटर पर होने वाली सबसे खराब चीजों में से एक है अनधिकृत हैकर्स द्वारा आपके नेटवर्क या पीसी का रिमोट एक्‍सेस। फ़ायरवॉल इन सभी अनधिकृत रिमोट एक्सेस को रोकता हैं।

 

History of Firewalls in Hindi:

फ़ायरवॉल का इतिहास:

फायरफाइटिंग और फायर की रोकथाम लिए किए जाने वाला शब्‍द फ़ायरवॉल को कंप्यूटर सिक्‍युरिटी ने उधार लिया हैं।

 

पहली पीढ़ी: पैकेट फिल्टर

नेटवर्क फायरवॉल के पहले रिपोर्ट किए गए प्रकार को पैकेट फिल्टर कहा जाता है। पैकेट फिल्टर नेटवर्क एड्रेस और पैकेट के पोर्ट को यह निर्धारित करने के लिए चेक किया जाता हैं कि उन्हें अनुमति दि जानी चाहिए, या ड्रॉप या रिजेक्‍ट कीया जाना चाहिए।

फ़ायरवॉल टेक्नोलॉजी पर पहला पेपर 1988 में प्रकाशित हुआ था, जब Digital Equipment Corporation (DEC) के इंजीनियरों ने फिल्टर सिस्‍टम को डेवलप किया जिसे पैकेट फिल्टर फ़ायरवॉल के रूप में जाना गया।

 

 

 

 

 

 

 

यह काफी बेसिक सिस्‍टम थी जिसमें बाद में टेक्निकल इंटरनेट सिक्‍युरिटी के फीचर्स को एड किए गए।

पैकेट फिल्टर, इंटरनेट पर कंप्यूटर के बीच ट्रांसफर हो रहे पैकेट को इन्स्पेक्ट करके कार्य करते हैं। जब कोई पैकेट, पैकेट फिल्टर के नियमों के सेट से मेल नहीं खाता, तो उस पैकेट फ़िल्टर को या तो ड्रॉप किया जाता है या पैकेट को रिजेक्‍ट किया जाता है।

इसके विपरीत, जब कोई पैकेट एक या अधिक प्रोग्राम फ़िल्टर नियमों से मेल खाता है, तो इसे पास करने की अनुमति देता है।

पैकेट फ़िल्टर को डिफाइन किए गए एलिमेंट्स में पैकेट सोर्स और डेस्टिनेशन एड्रेस, प्रोटोकॉल और सोर्स और डेस्टिनेशन के पोर्ट शामिल होते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

दूसरी पीढ़ी: “स्टेटफुल” फिल्टर

सन 1989–1990 में एटी एंड टी बेल लेबोरेटरीज के तीन सहयोगियों, डेव प्रेस्तो, जनार्दन शर्मा और क्षितिज निगम ने फायरवॉल की दूसरी पीढ़ी डेवलप की, जिसे सर्किट-लेयर गेटवे कहा जाता हैं।

दूसरी -पीढ़ी के फायरवॉल अपनी पहली पीढ़ी के पूर्वजों कि तरह काम करते हैं लेकिन OSI Model की लेयर 4 (ट्रांसपोर्ट लेयर) तक काम करते हैं।

इसमें पैकेट को तब तक रिटेन किया जाता है, जब तक इसकी स्थिति के बारे में फैसला करने के लिए पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं हो जाती।

स्टेटफेट पैकेट इन्स्पेक्शन के रूप में जाना जाता है, यह उसके माध्यम से गुजरने वाले सभी कनेक्शनों को रिकॉर्ड करता है और निर्धारित करता है कि क्या कोई पैकेट किसी नए कनेक्शन की शुरुआत है, किसी मौजूदा कनेक्शन का एक हिस्सा है या किसी भी कनेक्शन का हिस्सा नहीं है।

हालांकि स्‍टैटिक नियम अभी भी उपयोग किए जाते हैं, इन नियमों में अब कनेक्‍शन टेस्‍ट शामिल किया गया हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

तीसरी पीढ़ी: एप्लीकेशन लेयर

मार्कस रानम, वी जू, और पीटर चर्चियर्ड ने एप्लीकेशन फ़ायरवॉल को डेवलप किया, जिसे Firewall Toolkit (FWTK) के रूप में जाना गया।

जून 1994 में, वी जू ने IP फ़िल्टर और सॉकेट में वृद्धि कर FWTK को एक्‍सटेंड दिया। इसे पहले ट्रांसपेरेंट ऐप्‍लीकेशन फ़ायरवॉल के Gauntlet firewall के कमर्शियल प्रॉडक्‍ट के रूप में रिलिज किया गया। 1995-1998 के दौरान Gauntlet firewall सबसे टॉप के फ़ायरवॉल में से था।

ऐप्‍लीकेशन फ़ायरवॉल के फ़िल्टरिंग का प्रमुख लाभ यह था कि यह कुछ ऐप्‍लीकेशन और प्रोटोकॉल (जैसे कि फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफ़टीपी), डोमेन नेम सिस्टम (डीएनएस), या हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एचटीटीपी)) को “समझ” सकता था।

यह बहुत उपयोगी है क्योंकि यह पता लगा सकता है कि अगर कोई अनचाहा ऐप्‍लीकेशन या सर्विस किसी अनुमति वाले पोर्ट पर प्रोटोकॉल का उपयोग करके फ़ायरवॉल को बायपास करने का प्रयास कर रही है, या यह पता लगा सकता है कि किसी भी हानिकारक तरीके से प्रोटोकॉल का दुरुपयोग किया जा रहा है या नहीं।

 

 

 

 

 

 

 

 

Types of Firewalls in Hindi:

फायरवॉल के प्रकार:

1) Proxy firewall:

प्रॉक्सी फ़ायरवॉल:

Proxy Server या फ़ायरवॉल क्‍या हैं इसके बारें में अधिक जानकारी के लिए पिछला पोस्‍ट देखें।

2) Stateful Inspection Firewall:

अब एक “पारंपरिक” फ़ायरवॉल के रूप में सोचा गया है, Stateful Inspection Firewall स्‍टेट, पोर्ट, और प्रोटोकॉल पर आधारित ट्रैफिक को ब्‍लॉक या अनुमति देता है।

यह कनेक्शन ओपन होने के बाद बंद होने तक सभी एक्टिविटी पर नज़र रखता है। फ़िल्टरिंग निर्णय दोनों एडमिनिस्‍ट्रेटर डिफाइन रुल्‍स और संदर्भ के आधार पर किए जाते हैं, जो पिछले कनेक्शन और उसी कनेक्शन से संबंधित पैकेट से जानकारी का उपयोग करने के लिए रेफर करता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

3) Unified Threat Management (UTM) Firewall:

एक UTM डिवाइस में आम तौर पर Stateful Inspection Firewall को इन्ट्रूश़न प्रिवेंशन और एंटिवायरस से जोड़ता हैं। इसमें अतिरिक्त सर्विसेस और क्‍लाउड मैनेजमेंट भी शामिल हो सकता हैं। UTM का मुख्‍य फोकस सरलता और उपयोग के लिए आसानी पर होता है।

 

4) Next-generation Firewall (NGFW):

यह फायरवॉल सरल पैकेट फिल्टरिंग और स्टेटफुल इंस्पेक्शन से परे डेवलप हुआ है। अधिकांश कंपनियां अगली पीढ़ी के फायरवॉल को इंस्‍टॉल कर रही हैं, ताकि आधुनिक मैलवेयर और एप्लिकेशन-लेयर हमलों को रोका जा सके।

 

 

 

 

 

 

 

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