Gout Symptoms and Treatment, एक ऐसा रोग है जो यूरिक एसिड (Uric Acid) के स्तर के बढ़ने के कारण जोड़ों पर अटैक करता है। यदि आपको कोई मेटापॉलिक डिस्ऑर्डर है जैसे- डायबीटिज, मोटापा, ब्लड प्रैशर, किडनी संबंधी बिमारीयां होने पर गाउट होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। गठिया का एक जटिल रूप गाउट (Gout) कहलाता है जो किसी को हो सकता है। यदि आपके शरीर में पानी की कमि हो गई है या किसी प्रकार की सर्जरी हुई है, रोड एक्सीडेंट हुआ है या शरीर में लीपिडस का स्तर ज्यादा बढ़ गया है तब भी गाउट का एक्यूट अटैक आ सकता है। गाउट पैर के अंगूठे को सबसे पहले प्रभावित करता है। साथ ही शरीर में हड्डियों के जोड़ों में काफी दर्द पैदा करता है। गाउट के सेवियर अटैक पर शरीर में दर्द 8 से 10 दिनों तक रहता है। आज के इस लेख में हम गाउट के कारणों, इसके कारण, लक्षण और इसके बचाव के तरीकों के बारे में भी आपको जानकारी देंगे।
मुख्य बिंदु
- होने के क्या कारण हैं ?
- गाउट के मुख्य लक्षण क्या हैं ?
- क्या किडनी के रोग भी गाउट का खतरा बढ़ाते हैं?
- गाउट के विभिन्न प्रकार क्या हैं ?
- गाउट से बचाव के तरीके बताएं ?
- गाउट की समस्या होने पर क्या खाया जा सकता है ?
गाउट होने के क्या कारण हैं ? (What is reason for Gout problem in hindi)
- जब खून में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने लगता है तब जोडों में यूरिक एसिड के क्रिस्टल बनने लगते हैं और हड्डियों के जोड़ों में जमा हो जाते हैं। जिसके कारण जोड़ों में काफी सूजन आ जाती है और मरीज को काफी दर्द तथा तकलीफ महसूस होती है।
- वजन बढ़ने से भी यूरिक एसिड में बढ़ोत्तरी होती है।
- ऐसे खाद्य पदार्थो का सेवन अधिक करना जिनमें प्यूरीन की मात्रा अधिक हो जैसे कोल्ड ड्रिंक आदि।
- खून का कैंसर।
- यदि किडनी की कार्य करने की क्षमता कम हो गई है या किडनी से संबंधित अन्य रोगों से ग्रसित हों।
- शराब या अन्य मादक पदार्थों जैसे बीयर आदि का अधिक सेवन करना।
- वंशागत (inherited tendencies)
- यदि आपकी कीमोथैरिपी चल रही है तब भी शरीर में मृत कोशिकाओं का विकास होता है।
- गाउट हाइपोथायरायडिज्म Hypothyroidism (underactive thyroid) से भी होता है।
- अधिक वसायुक्त पदार्थो का सेवन
गाउट के मुख्य लक्षण क्या हैं ?(What is the main Symptom of Gout in hindi)
गाउट अक्सर सबसे पहले मरीज के पैर के अंगूठे के जोड़ को प्रभावित करता है। इसके अलावा यह शरीर के अन्य जोड़ों जैसे- टखने, घुटने, कोहनी, कलाई और उंगलियों को भी नुक्सान पहुंचाता है। मरीज को शुरू के 4 से 12 घंटों के लिए गंभीर दर्द होता है।
गाउट का अटैक आने पर घंटों के असहनीय दर्द के बाद कुछ दिनों के लिए मरीज को बेचैनी रहती है। साथ ही गाउट से जोड़ों के बहुत प्रभावित होने की आशंका भी रहती है।
गाउट के अटैक से प्रभावित जोड़ों में सूजन के अलावा नाजुक, और लाल हो जाते हैं साथ ही उनमें जलन भी महसूस होती है।
मरीज में यदि गाउट का प्रभाव बढ़ रहा है तो पहले की तरह चलने और जोडों को हिलाने में परेशानी होती है।
क्या किडनी के रोग भी गाउट का खतरा बढ़ाते हैं ?(Does Kidney disease also increase the risk of Gout)
यह पूरी तरह सही है कि किडनी संबंधी रोग गाउट का खतरा बढ़ाते हैं।
किडनी ही शरीर से यूरिक एसिड को बाहर निकालती है। इसके लिए किडनी का पूरी तरह से स्वस्थ होना सबसे जरूरी होता है।
यूरिक एसिड शरीर के व्यर्थ पदार्थ को कहा जाता है जिसे किडनी शरीर से बाहर निकालती है। लेकिन यदि आपकी किडनी सही से काम नहीं कर रही या आपको किडनी से संबंधित कोई रोग है तब किडनी यूरिक एसिड को पूरी तरह से शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती।
इसके अलावा यदि आपके शरीर में यूरिक एसिड भी बहुत ज्यादा बन रहा है तब भी किडनी इसे बाहर नहीं निकाल पाती है। जिससे शरीर में यूरिक एसिड काफी ज्यादा जमा हो जाता है। तब शरीर पर गाउट का खतरनाक और बहुत तीक्षण अटैक होता है।
गाउट के विभिन्न प्रकार क्या हैं ? (What is the different type of Gout)
- अल्पकालीन गाउट (Acute Gout) – अल्पकालीन गाउट, गाउट का एक तीव्र रूप होता है जिससे शरीर के केवल 1 या 2 जोड़ ही अधिक प्रभावित होते हैं। मरीज इन लक्षणों को तभी महसूस कर सकता है जब गाउट अटैक होता है, एक्यूट गाउट जोड़ों को कुछ दिन या एक से दो सप्ताह तक अधिक प्रभावित करता है। इस अवधी के बाद मरीज को थोड़ा सामान्य महसूस होने लगता है।
- दीर्घकालीन गाउट (Chronic Gout) – दीर्घकालीन गाउट की स्थित में गाउट अटैक बार-बार शरीर को प्रभावित करते हैं, इसमें शरीर के कई जोड़ों पर इसका असर देखने को मिलता है। क्रौनिक गाउटी की स्थित में शरीर को कुछ देर के लिए ही दर्द से राहत मिलती है। दीर्घकालीन गाउट से जोड़ों की स्थायी क्षति तक हो जाती है। साथ ही जोड़ों के विकृत होने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।
- अग्रवर्ती गाउट – गाउट का समय पर इलाज नहीं हो पाने की स्थिति में यह काफी बढ़ जाता है और यूरिक क्रिस्टल अधिक मात्रा में शरीर के जोड़ों – हाथ की उंगलियों, पैर की अंगूठों के जोडों में जमा हो जाता है। क्रिस्टल की इस जमी हुई संरचना को टोफी(tophi) कहा जाता है। इस प्रकार का गाउट ज्यादा दर्दनाक नहीं होता है लेकिन जब गाउट का अचानक अटैक होता है तो दर्द काफी असहनीय लगने लगता है।
- कुछ लोगों में गाउट के लक्षण या तो कम दिखाई देते हैं या साल में कुछ ही बार इसके लक्षण शरीर को प्रभावित करते हैं। एसी स्थिति में गाउट को दवाओं से ठीक किया जा सकता है। लेकिन समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इसकी अधिक अनदेखी के कारण इसके गंभीर परिणाम भी देखने को मिलते हैं।
गाउट से बचाव के तरीके बताएं ?(How can we save ourselves from Gout in hindi)
गाउट के इलाज के लिए मुख्यतः डॉक्टर के परामर्श अनुसार ही दवाओं का प्रयोग करना चाहिए। डॉक्टर मरीज की बीमारी की गंभीरता, बीमारी के चरण और स्थति को देखते हुए ही दवाएं देते है।
गाउट अटैक के लक्षण हर मरीज में काफी हद तक समान हो सकते हैं, लेकिन किस मरीज की बीमारी कितनी गंभीर है और कौन से चरण पर है यह विषेशज्ञ ही बता सकते हैं। किसी भी मरीज को कभी भी किसी दूसरे मरीज के इलाज के अनुसार स्वयं से दवाएं नहीं लेनी चाहिए नहीं तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
गाउट के इलाज के लिए जोडों के दर्द मे राहत के लिए मुख्यतः दर्द निवारक दवाएं जैसे (NSAIDs) और कोल्चिसिन का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा गाउट के अटैक को रोकने के लिए एलोप्यूरिनोल (ज़ायलोरिक), फेबक्सोस्टैट जैसी दवाओं का भी इस्तेमाल किया जाता है।
मरीज को दवाओं के इलाज के अलावा डॉक्टर द्वारा बताए निर्देशों के अनुसार जीवनशैली में भी अवश्य बदलाव करने चाहिये। जैसे- मोटोपा कम करना, धूम्रपान न करना, मादक पादर्थों का सेवन न करना आदि।
गाउट के अटैक से जोड़ों में यदि तेज दर्द हो रहा तो या जलन हो रही है तो ठंडे पैक की सिकाई की जा सकती है।
गाउट की समस्या होने पर क्या खाया जा सकता है ?
- पानी का अधिक सेवन करें।
- कम वसा युक्त डेयरी उत्पादों जैसे- दूध, दही और पनीर का सेवन करें।
- अनाज और (स्टार्च) का अधिक उपभोग करें।
- फलों का सेवन करें।
- विटामिन-सी का भरपूरता वाली चीजों जैसे- संतरा, अनानास, स्ट्रॉबेरी, बेल मिर्च, टमाटर और एवोकाडो का सेवन करें।
- डॉक्टर के परामर्श पर कॉफी, चाय या हल्के प्रोटीन वाली चीजों का काफी कम मात्रा में सेवन किया जा सकता है।
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