आज राखी है. आज के दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. उनकी आरती उतारती हैं और अपनी सुरक्षा का वचन लेती हैं. प्रेमी-प्रेमिकाओं, पति-पत्नी आदि के लिए तो साल में कई दिन आते हैं सेलिब्रेट करने के. लेकिन भाई-बहन का एक ही त्योहार है. यही वजह है कि राखी के दिन बहनें अपने भाईयों के लिए व्रत रखती हैं और उनके लिए खूब सारी तैयारियां करती हैं. रंग-बिरंगी राखियों के चुनाव से लेकर घर के सजावट तक वो एक भी कसर नहीं छोड़तीं. राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 11:04 से दोपहर 01:50 तक है.
राखी की थाली एक प्रकार की पूजा थाली भी होती है, जिससे भाई की आरती उतारी जाती है और टीका किया जाता है. राखी की थाली को बहुत शुभ माना जाता है. इसलिए राखी के लिए हमेशा नई थाली का ही प्रयोग करना चाहिए. अगर घर में नई थाली नहीं है तो पुरानी मगर साफ-सुथरी थाली का इस्तेमाल कर सकते हैं.
इस पर्व को मनाते समय कोई भूल-चूक न हो, उसके लिए हमें सावधानी रखनी चाहिए. आइए जानते हैं रक्षा बंधन की पूजा की थाली में हम क्या-क्या सामग्री रखें.
1. भाई को बांधने के लिए राखी .
2. तिलक करने के लिए कुमकुम और अक्षत. ध्यान रहे कि चावल साबुत हो, टूटा हुआ न हो.
3. नारियल
4. मिठाई
5. सिर पर रखने के लिए छोटा सा रुमाल या टोपी भी चलेगा.
6. इसके अलावा भाई को अपनी तरफ से कोई गिफ्ट या उपहार या नगदी देना चाहे तो वो रख सकती हैं.
7. आरती उतारने के लिए दीपक.
8. थोड़ी सी दही. रोली और अक्षत के साथ थोड़ी सी दही भी तिलक के साथ लगाएं.
भाई की कलाई पर Rakhi राखी बाँधने का सिलसिला बहुत पुराना है | Raksha Bandhan रक्षाबंधन का इतिहास सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है | वह भी तब आर्य समाज में सभ्यता की रचना की शुरुवात मात्र हुयी थी | Raksha Bandhan रक्षाबंधन पर्व पर जहा बहनों को भाइयो की कलाई में रक्षा का धागा बाँधने का बेसब्री से इंतजार रहता है वही दूर दराज बसे भाइयोWhat is the Difference between CT Scan & MRI सीटी स्कैन and एमआरआई में क्या अंतर है को भी इसी बात का इंतजार रहता है कि उनकी बहना उन्हें राखी Rakhiभेजे |
उन भाइयो को निराश होने की जरूरत नही है जिनकी अपनी सगी बहन नही है क्योंकि मुहबोली बहनों से Rakhi राखी बाँधने की परम्परा काफी पुरानी है | असल में Raksha Bandhan रक्षा बंधन की परम्परा उन बहनों ने डाली थी जो सगी नही थी | भले ही उन बहनों ने अपने संरक्षण के लिए ही इस पर्व की शुरुवात क्यों ना की हो लेकिन उसकी बदौलत आज भी इस त्यौहार की मान्यता बरकरार है | आइये आज हम आपको रक्षाबंधन से जुड़े पौराणिक रिश्ते की कहानिया आपको बताते है |
01 देवराज इंद्र और शाची की कथाNaturally Whiten Your Teeth at Home दांत साफ करने और दांतों का पीलापन दूर करने के घरेलू उपाय
02 संतोषी माता और भगवान गणेशKaise Chune Best Facial Apni Skin ke liye MAN & WOMAN
03 कृष्ण और द्रौपदी Krishna and DraupadiHow To Plan Foror Feign Education To Your Kids अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए योजना कैसे बनाएं
कहा जाता है कि शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण के हाथ में लगी चोट पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाडकर उन्हें पट्टी बांधी थी | यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था | कृष्ण ने इस उपहार का बदला द्रौपदी की चीरहरण के समय साडी को बढ़ाकर चुकाया था | रक्षा के वचन के रूप में ही इस त्यौहार को मनाया जाता है |
04 देवी लक्ष्मी और राजा बलि Goddess Laxmi and King Bali
एक पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि दैत्यों के राजा बलि भगवान विष्णु के अनन्य भक्त था | भगवान विष्णु राजा बलि से इतने प्रसन्न थे कि कि एक बार वह बैकुंठ धाम छोडकर राजा बलि की साम्राज्य की रक्षा के कार्य में लग गये | माता लक्ष्मी बैकुंठ धाम में अकेली रहे गयी | जब भगवान विष्णु बहुत समय तक वापस बैकुंठ धाम को नही लौटे तब माता लक्ष्मी ने साधारण स्त्री का रूप धारण किया और राजा बलि के यहाँ पहुच गये | वहा माता लक्ष्मी ने अपने आपको निराश्रित महिला बताया जो अपने पति से बिछुड़ गयी है और पति के मिलने तक राजा की शरण में रहना चाहती है | इस प्रकार लक्ष्मी ने बलि के यहाँ आश्रय पा लिया |
तत्पश्चात श्रावण मास की पूर्णिमा को माता लक्ष्मी ने राजा बलि की कलाई पर रक्षा सूत्र बाँधा और राजा बलि से रक्षा का वचन लिया |तब बलि ने माता लक्ष्मी से सारा सच जानना चाहा तो माता लक्ष्मी ने सब बात बलि को सच सच बता दी |राजा बलि ने माता लक्ष्मी की सारी बात सुनकर उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट किया और भगवान विष्णु से माता लक्ष्मी के साथ बैकुंठ धाम लौटने की प्रार्थना की | ऐसा कहा जाता है कि तब से ही रक्षाबंधन के दिन Rakhi राखी बंधवाने के लिए बहन को भाई द्वारा अपने घर आमत्रित करने की प्रथा चल पड़ी है |
05 रानी कर्णावती और हुमायु Rani Karmawati and Humanyu
Rakhi राखी से संबधित राजस्थान अंचल की यह बहुत प्रसिद्ध कहानी है | जब बहादुर शाह जफर ने राजस्थान के चित्तोड़ पर आक्रमण किया तो विधवा रानी कर्णावती ने देखा कि वह स्वयं को तथा अपने राज्य को बहादुर शाह से बचा पाने में सक्षम नही है |तब कर्णावती ने हुमायु को राखी भेजकर अपनी रक्षा की प्रार्थना की | हुमांयू ने उसकी राखी को पूरा सम्मान दिया और पप्रण किया कि वह राखी की लाज रखेगा |अपना प्रण निभाने के लिए हुमायु एक विशाल सेना लेकर तुरंत चित्तोड़ के लिए निकल पड़ा परन्तु जब वह चित्तोड़ पहुचा तब तक बहुत देर हो चुकी थी |
बहादुर शाह चित्तोड़ पर कब्जा कर चूका था | राजस्थान के इतिहास में 8 मार्च 1535 को वह दिन हमेशा घाव के रूप में रिसता है जब रानी कर्णावती ने बहुत सी महिलाओं सहित जौहर किया | तब राखी की लाज रखते हुए हुमायु ने चित्तोड़ का राज कर्णावती के पुत्र विक्रमजीत सिंह को सौंप दिया |रानी कर्णावती और हुमायु की इस राखी की पवित्रता को राजस्थान की मिटटी कभी नही भुला सकेगी | रानी कर्णावती और हुमायु के इस पवित्र रिश्ते और राखी के महत्व को राजस्थान के अनेक कथाकारों और कवियों ने अपनी वाणी देकर अमर कर दिया |
06 रोक्साना और पोरस Roxana and King Porus
कहा जाता है कि सिकन्दर महान की पत्नी रोक्साना ने पति के सबसे बड़े शत्रु पोरस को राखी बांधी थी और उपहार में वचन लिया था कि युद्ध में वह उसके पति को ना मारे | पोरस ने युद्ध में सिकन्दर का मुकाबला किया मगर हाथ में बंधी राखी और बहन को दिए वचन के सम्मान में उसने सिकन्दर को जीवन दान दिया | यह देखकर सिकन्दर को भी उसके सम्मान में झुकना पड़ा था |
तो मित्रो इस प्रकार अज आपने Rakhi राखी के पौराणिक महत्व के बारे में भी जानना जिसके बारे में जानना बहुत जरुरी था | मित्रो आपको हमारा ये लेख पसंद आया तो राखी Rakhi के शुभ अवसर पर अपने विचार प्रकट करना ना भूले |
श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार भद्रा समय में श्रावणी और फाल्गुनी दोनों ही नक्षत्र समय अवधि में राखी बांधने का कार्य करना वर्जित होता है. एक मान्यता के अनुसार श्रावण नक्षत्र में राजा ओर फाल्गुणी नक्षत्र में राखी बांधने से प्रजा का अनिष्ट होता है. यही कारण है कि राखी बांधते समय, समय की शुभता का विशेष रुप से ध्यान रखा जाता है.
इस वर्ष 2019 में रक्षा बंधन का त्यौहार 15 अगस्त, को मनाया जाएगा. पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 14 अगस्त 2019 को 13:46 से आरंभ होगा और 15 अगस्त 17:59 तक व्याप्त रहेगी. 14 अगस्त को भद्रा व्याप्त रहेगी. 15 अगस्त के दिन भद्रा मुक्त समय होने से रक्षाबंधन संपन्न किया जाएगा. यदि भद्रा काल में यह कार्य करना हो तो भद्रा मुख को त्यागकर भद्रा पुच्छ काल में इसे करना चाहिए. 15 अगस्त को रक्षाबंधन अनुष्ठान का समय- 05:59 से 17:59 और शुभ मुहूर्त- 13:44 से 16:22 तक रहेगा.
राखी बांधने की तैयारी कैसे करें?
Preparation for tying Rakhi Thread
इस दिन बहने प्रात: काल में स्नानादि से निवृ्त होकर, कई प्रकार के पकवान बनाती है. इसके बाद पूजा की थाली सजाई जाती है. थाली में राखी के साथ कुमकुम रोली, हल्दी, चावल, दीपक, अगरबती, मिठाई और कुछ पैसे भी रखे जाते है. भाई को बिठाने के लिये उपयुक्त स्थान का चयन किया जाता है.
सर्वप्रथम अपने ईष्ट देव की पूजा की जाती है. भाई को चयनित स्थान पर बिठाया जाता है. इसके बाद कुमकुम हल्दी से भाई का टीका करके चावल का टीका लगाया जाता है. अक्षत सिर पर छिडके जाते है. आरती उतारी जाती है. और भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है. पैसे उसके सिर से उतारकर, गरीबों में बांट दिये जाते है.
रक्षा बंधन पर बहने अपने भाईयों को राखी बांधने के बाद ही भोजन ग्रहण करती है. भारत के अन्य त्यौहारों की तरह इस त्यौहार पर भी उपहार और पकवान अपना विशेष महत्व रखते है. इस पर्व पर भोजन प्राय: दोपहर के बाद ही किया जाता है. इस समय बहने अपने दुर दूर के ससुरालों से लम्बा सफर तय कर, राखी बांधने के लिये अपने मायके अपने भाईयों के पास आती है. इस दिन पुरोहित तथा आचार्य सुबह सुबह अपने यजमानों के घर पहुंचकर उन्हें राखी बांधते है, और बदले में धन वस्त्र, दक्षिणा स्वीकार करते है.
रक्षा बंधन मंत्र
Mantra Of Rakshabandhan
राखी बांधते समय बहनें निम्न मंत्र का उच्चारण करें, इससे भाईयों की आयु में वृ्द्धि होती है.
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: I तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल II
राखी बांधते समय उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करना विशेष शुभ माना जाता है. इस मंत्र में कहा गया है कि जिस रक्षा डोर से महान शक्तिशाली दानव के राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से में तुम्हें बांधती हूं यह डोर तुम्हारी रक्षा करेगी.
रक्षा बंधन पर ध्यान देने योग्य बातें
Things to be kept in mind During Raksha Bandhan
रक्षा बंधन का पर्व जिस व्यक्ति को मनाना है, उसे उस दिन प्रात: काल में स्नान आदि कार्यों से निवृ्त होकर, शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद अपने इष्ट देव की पूजा करने के बाद राखी की भी पूजा करें साथ ही पितृरों को याद करें व अपने बडों का आशिर्वाद ग्रहण करें.
राखी के रुप में किसी रंगीन सूत की डोर को लिया जा सकता है. डोरी रेशम की भी हो सकती है. डोरी में सुवर्ण, केसर, चन्दन, अक्षत और दूर्वा रख कर इसकी पूजा करें, पूजा करते समय जितने भी समय के लिये पूजा की जा रही है, उतने समय में व्यक्ति को अपना ध्यान केवल पूजा में ही लगाना चाहिए.
डोरी की पूजा करने के बाद, अपने भाई को तिलक करते हुए, रोली, कुमकुम से टीका करें, तथा टीका करते हुए अक्षत का प्रयोग करना चाहिए. राखी दांहिने हाथ में बांधी जाती है.
रक्षा बंधन के दिन बनाये जाने वाले पकवान<
Recieps in Rakshabandhan
भारत में कोई भी पर्व बिना पकवानों के सम्पन्न नहीं होता है. प्रत्येक पर्व के लिये कुछ खास पकवान बनाये जाते है. जैसे रक्षा बंधन पर विशेष रुप से घेवर, शकरपारे, नमकपारे आदि बनाये जाते है. श्रावण मास के मुख्य मिष्ठान के रुप में घेवर को प्रयोग किया जाता है.
यह मिष्ठान पूरे उतरी भारत में माह भर खाया जाता है. इसके अतिरिक्त इस दिन एक घुघनी नामक व्यंजन बनाया जाता है, इसे पूरी और दही के साथ खाया जाता है. हलवा, खीर और पूरी भी इस पर्व के प्रसिद्ध पकवान है.
About Raksha Bandhan (Rakhi)
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The bonding between a brother and a sister is simply unique and is beyond description in words. The relationship between siblings is extraordinary and is given importance in every part of the world. However, when it comes to India, the relationship becomes all the more important as there is a festival called “Raksha Bandhan” dedicated for the sibling love.
This is a special Hindu festival which is celebrated in India and countries like Nepal to symbolize the love between a brother and a sister. The occasion of Raksha Bandhan is celebrated on the full moon day of the Hindu luni-solar calendar in the month of Shravana which typically falls in the August month of Gregorian calendar.
Meaning of Raksha Bandhan
The festival is made up of two words, namely “Raksha” and “Bandhan.” As per the Sanskrit terminology, the occasion means “the tie or knot of protection” where “Raksha” stands for the protection and “Bandhan” signifies the verb to tie. Together, the festival symbolizes the eternal love of brother-sister relationship which does not mean just the blood relationships only. It is also celebrated among cousins, sister and sister-in-law (Bhabhi), fraternal aunt (Bua) and nephew (Bhatija) and other such relations.
Importance of Raksha Bandhan among various religions in India
- Hinduism- The festival is mainly celebrated by the Hindus in the northern and western parts of India along with countries like Nepal, Pakistan and Mauritius.
- Jainism- The occasion is also revered by the Jain community where Jain priests give ceremonial threads to the devotees.
- Sikhism- This festival devoted to the brother-sister love is observed by the Sikhs as “Rakhardi” or Rakhari.
Origin of Raksha Bandhan Festival
The festival of Raksha Bandhan is known to have originated centuries before and there are several stories related to the celebration of this special festival. Some of the various accounts related to the Hindu mythology are described below:
- Indra Dev and Sachi- According to the ancient legend of Bhavishya Purana, once there was a fierce battle between Gods and demons. Lord Indra- the principle deity of sky, rains and thunderbolts who was fighting the battle on the side of Gods was having a tough resistance from the powerful demon King, Bali. The war continued for a long time and did not came on a decisive end. Seeing this, Indra’s wife Sachi went to the Lord Vishnu who gave her a holy bracelet made up of cotton thread. Sachi tied the holy thread around the wrist of her husband, Lord Indra who ultimately defeated the demons and recovered the Amaravati. The earlier account of the festival described these holy threads to be amulets which were used by women for prayers and were tied to their husband when they were leaving for a war. Unlike, the present times, those holy threads were not limited to brother-sister relationships.
- King Bali and Goddess Lakshmi- As per an account of Bhagavata Purana and Vishnu Purana, when Lord Vishnu won the three worlds from the demon King Bali, he asked by the demon king to stay beside him in the palace. The Lord accepted the requested and started living with the demon king. However, Goddess Lakshmi, wife of Lord Vishnu wanted to return to his native place of Vaikuntha. So, she tied the rakhi around the wrist of demon king, Bali and made him a brother. On asking about the return gift, Goddess Lakshmi asked Bali to free her husband from the vow and let him return to Vaikuntha. Bali agreed to the request and Lord Vishnu returned to his place with his wife, Goddess Lakshmi.
- Santoshi Maa- It is said that the two sons of Lord Ganesha namely, Shubh and Labh were frustrated that they had no sister. They asked for a sister from their father who finally obliged to their sister on the intervention of saint Narada. This is how Lord Ganesha created Santoshi Maa through the divine flames and the two sons of Lord Ganesha got their sister for the occasion of Raksha Bandhan.
- Krishna and Draupadi- Based on an account of Mahabharat, Draupadi, wife of Pandavas tied a rakhi to Lord Krishna while Kunti tied the rakhi to grandson Abhimanyu before the epic war.
- Yama and the Yamuna- Another legend says that the death God, Yama did not visit his sister Yamuna for a period of 12 years who ultimately became very sad. On the advice of Ganga, Yama went to meet his sister Yamuna who has very happy and performed hospitality of her brother, Yama. This made the Yama delighted who asked Yamuna for a gift. She expressed her desire to see her brother again and again. Hearing this, Yama made his sister, Yamuna immortal so that he could see her again and again. This mythological account forms the basis of festival called “Bhai Dooj” which is also based on the brother-sister relationship.
Reason for the celebration of this festival
The festival of Raksha Bandhan is observed as a symbol of duty between brothers and sisters. The occasion is meant to celebrate any type of brother-sister relationship between men and women who may not be biologically related.
On this day, a sister ties a rakhi around the wrist of her brother in order to pray for his prosperity, health and well-being. The brother in return offers a gifts and promises to protect his sister from any harm and under every circumstance. The festival is also celebrated between brother-sister belonging to distant family members, relatives or cousins.
The festival happy rakhi is celebrated in happy rakhi different forms happy rakhi in different areas and is also known by happy rakhi different names. As per traditions, on this day the sister prepares the Puja Thali with a Diya, Rice, Roli and Rakhis. happy rakhi She worships the Gods, ties Rakhi to happy rakhi her brother and happy rakhi prays for happy rakhi his well-being. In return the happy rakhi brother accepts the happy rakhi love happy rakhi with a promise to protect her sister and happy rakhi gives her a gift. happy rakhi Traditionally, they then share and eat sweets happy rakhi like happy rakhi Kaju Katli, happy rakhi Jalebi, and Burfi. happy rakhi This festival strengthens the bond of love between the sisters and brothers. happy rakhi
The rakhi design festival rakhi design of Raksha Bandhan is celebrated rakhi design on full moon day(Purnima) of rakhi design Shravan Masa. rakhi design As per the scriptures, Raksha bandhan should not be rakhi design celebrated in the Bhadra (inauspicious)time rakhi design of Shravani rakhi design and Phalguni Nakshatra. According to a belief, rakhi design King in rakhi design Shravan Nakshatra and tying of thread(Rakhi) in Phalguni rakhi design Nakshatra, is harmful for the public. Hence, rakhi design while tying Rakhi, it is important to remember the auspiciousness to time rakhi design .
This year Rakshabandhan rakhi design will be celebrated on 15th August . Poornima Tithi will start on 14 August from 13:46 and will continue till, 15 August at 05: 59. 14th rakhi design will also have Bhadra. According to the Shashtras it will be good if you complete the festivities by 15th August. If somehow if you do it in the Bhadra kaal then make sure you do it in the Bhadra Puch , not in the Bhadra mukh. Time for Raksha Bandhan Anusthan 15th August and time 05:59am to 17:59pm afternoon muhurat timing- 13:44 to 16:22.
Preparation for tying of Rakhi(thread)
This day, sisters, after having bath etc. in the morning, prepare variety of dishes. After this, plate used for worshiping is decorated. Together with Rakhi, saffron, turmeric, rice, lamps, insence sticks, sweet and some money is kept in the plate. A suitable place is chosen for brother, to be seated.
First of all, the family God is worshiped. Brother is seated at the selected location. After this, auspicious mark on(Tilak) forehead of brother is made with saffron, turmeric and rice. Akshat(rice used in worship), scattered on head. Aarti is performed. Then, Rakhi is tied on the right wrist of brother. Money is moved around his head (as an act of removing evil eye) and, distributed among the poor.
On the day of Rakhsha Bandhan, sisters have food, only after tying Rakhi to their brother. Like the other festivals of India, on this festival also, gifts and dishes have their particular importance. On this festival, meal is taken after lunch. At this time, rakhi bandhan girls come from their ‘in-laws house’ to their parents home, rakhi bandhan covering long distances, in order to tie Rakhi and meet their brother. This day, the priest and Acharya(spiritual teacher or guru) reach their host(Yajman) home to tie Rakhi, and, in return accept money, clothes.
Mantra of Rakhsha Bandhan
While tying Rakhi, rakhi bandhan sister should rakhi bandhan chant the following rakhi bandhan mantra for the rakhi bandhan longevity of her brother.
While tying of rakhi bandhanthread, rakhi bandhan chanting rakhi bandhan the rakhi bandhan above given mantra is considered auspicious. It says that, rakhi bandhan the protection thread which was used to tie the mighty demon, rakhi bandhan Bali, rakhi bandhan i am tying you the same rakhi bandhan protection thread, this thread will keep you safe.
Points of Consideration on Raksha Bandhan
The person, who wants to celebrate this festival, should take bath early in the morning and wear new clothes. After this, family god should be worship, then, Rakhi is also worship. Remember your ancestors and take the blessing of elders.
A rakhi sawant colored thread rakhi sawant can be taken as a Rakhi. rakhi sawant This thread also rakhi sawant be of silk. Gold, saffron, rakhi sawant sandalwood, rakhi sawantAkshat and grass is kept on the thread, rakhi sawant rakhi sawant and, rakhi sawant worshiped. rakhi sawant While worshiping, the personrakhi sawant should fully rakhi sawant concentrate on rakhi sawant Puja, rakhi sawant for whatever rakhi sawant time, he is rakhi sawant sitting in it.
After worshiping Rakhi(thread), rakhi sawant brother is applied Tika(auspicious mark on forehead)of saffron, Roli and Akshat should be used. Rakhi is tied on the right hand.
Reciepes of Raksha Bandhan
No festival of India is complete without delicious dishes. For every festival some special dishes are prepared. Like, on Raksha Bandhan, Ghewar, Shakarpare, Namakpare etc. are made. Ghewar is used as the main sweet of Shravan Maas.
This sweet is eaten, throughout the month, in northern India. Additionally, a dish called Ghugni is prepared, which is eaten with curd and Puri. Halwa, Kheer and Puri are also, famous food of this festival.