अपनी पढाई या कोर्स पूरा करने के बाद सबसे बड़ी चुनौती अपने लिए अच्छी नौकरी प्राप्त करने की होती है, जहाँ हम अपने सीखे हुए कौशल का उपयोग भी कर सकें और अपने पैरों पर खड़े भी हो सकें।
आज आप यहाँ जानेंगे कि कैसे आप इंटरनेट की मदद से अपने लिए नौकरी और काम के अवसरों को प्राप्त कर सकते है और अपने करियर को प्रारम्भ कर सकते है।
नौकरी और काम के अवसर खोजने के लिए इंटरनेट का प्रयोग
आजकल काम के अवसरों की कोई कमी नहीं है, बढ़ते बिज़नेस और धंधे के लिए कम्पनियों को नित नए लोगों की आवश्यकता होती है और वे नौकरी के विज्ञापन अख़बारों और ऑनलाइन पोर्टल पर डालते रहते है।
आजकल हो ये रहा है कि नासमझ युवाओं को काम की खोज के लिए भटकना पड़ता है और बढ़ते बिज़नेस वालों को काम करने वालों की खोज में, लेकिन इंटरनेट इन दोनों को जोड़ने का बहुत ही उपयुक्त साधन बन चूका है।
इंटरनेट पर नौकरी के अवसरों की भरमार है, लेकिन इसके लिए आपको भी कुछ कदम उठाने होंगे।
1. रिज्यूमे बनायें :
सबसे पहला और आवश्यक कदम है – अपना रिज्यूमे बनाना
रिज्यूमे क्या होता है?
रिज्यूमे वह डॉक्यूमेंट होता है, जिसमे आप अपनी पढाई, कोर्स, प्रोजेक्ट और अपने अभी तक किये गए कार्यों का विवरण देते हो। इसके अतिरिक्त रिज्यूमे में आप जरुरी व्यक्तिगत जानकारियाँ और संपर्क करने के लिए अपना फ़ोन नंबर और ईमेल इत्यादि भी शामिल करते हो।
कैसे बनायें रिज्यूमे
रिज्यूमे बनाने से पहले आप अपना “कैरियर का उद्देश्य”, शिक्षा से सम्बन्धी डॉक्यूमेंट, अपने कोर्स और पुराने प्रोजेक्ट और कार्य से जुडी जानकारियां एकत्र कर लें, क्यों की रिज्यूमे में लिखने के लिए आपको इनकी आवश्यकता होगी।
इसके बाद आप इनमे से किसी भी वेबसाइट पर जाकर अपना प्रोफेशनल रिज्यूमे तैयार कर सकते है,
रिज्यूमे को कम से कम शब्दों में लिखने का प्रयास करें, जिसमे पढाई, करियर और आपके कौशल से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु स्पष्ट रूप से पढ़ने में आ रहे हो।
अपनी व्यक्तिगत जानकारियां अपने नाम, लिंग, पिता या माता का नाम, वर्तमान पते तक ही सिमित रखें, रिज्यूमे में इससे ज्यादा व्यक्तिगत जानकारियों की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
अपने “करियर ऑब्जेक्टिव” में स्पष्ट करें कि आप किस प्रकार का जॉब खोज करे है और आपके करियर को लेकर क्या प्लान और सपने है।
उसके बाद अपने अब तक के कार्य अनुभव से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु रखें और अपनी भूमिका के बारे में बताएं।
यदि आप फ्रेशर है, तो अपने कॉलेज के प्रोजेक्ट के बारे में विवरण लिख सकते है।
जिस प्रकार के जॉब के लिए आप आवेदन करना चाहते है, उससे जुड़े कार्य विवरण, कौशल, सर्टिफिकेट और कार्य अनुभव को अपने रिज्यूमे में प्राथमिकता दें।
कार्य-विवरण के बाद अपनी शिक्षा से जुडी जानकारियां लिखें। कक्षा १०, कक्षा १२, ग्रेजुएशन, पोस्र ग्रेजुएशन व अन्य कोर्स के लिए स्कुल।संस्था का नाम, बोर्ड, आपके कितने प्रतिशत नंबर आये इत्यादि।
अंत में अपनी जानकारियों को सत्यापित करने वाला डिक्लेरेशन और आपके हस्ताक्षर (या सिर्फ नाम)।
अब जब आपका अच्छा रिज्यूमे बन के तैयार है, आप ऑनलाइन जॉब खोजने और उन जॉब के लिए अप्लाई करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
2. ऑनलाइन जॉब पोर्टल पर प्रोफाइल बना रिज्यूमे अपलोड करें
अब जब आपका रिज्यूमे तैयार है, अगला कदम है, ऑनलाइन जॉब पोर्टल पर अपना प्रोफाइल बनाना और रिज्यूमे अपलोड करना।
इन जॉब पोर्टल पर प्रोफाइल बना अपना रिज्यूमे करें अपलोड:
ऑनलाइन जॉब पोर्टल पर अपलोड करने के आलावा आप जिन कंपनी या ऑफिस में काम करने के इच्छुक है, उनकी वेबसाइट से उसका ईमेल निकाल कर अपना रिज्यूमे उन्हें ईमेल भी कर सकते है।
आप कंपनियों को अपना रिज्यूमे ईमेल करते हुए लिखें कि यदि उन कंपनी में आपके लायक कोई ओपनिंग हो तो आप वहां कार्य करने के लिए इच्छुक है।
इसके अतिरिक अपना रिज्यूमे अपने उन मित्रों और सम्बन्धियों को भी भेजें जिनकी कंपनियों में आपके योग्य कोई कार्य हो सकता है और वे आपका रिज्यूमे उन जॉब के लिए अपनी कंपनी के एच. आर. को फॉरवर्ड कर सकें।
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Fiverr Se Paise Kaise Kamaye
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How to Make Up Tobacco Farming & Manufacturing License in Hindi, आमतौर पर किसानों के लिए नकदी फसलें कम लागत व कम समय में ज्यादा लाभ देने वाली मानी जाती हैं. नकदी फसलों की प्रोसेसिंग व मार्केटिंग के बारे में जानकारी ले कर किसान अच्छा फायदा ले सकते हैं. इन्हीं नकदी फसलों में तंबाकू की खेती खास है. तंबाकू की खेती न केवल कम समय में की जाती है, बल्कि इस के मामले में किसानों को मार्केटिंग के लिए इधरउधर भटकना नहीं पड़ता है. तंबाकू की फसल की कटाई व प्रोसेसिंग के बाद किसान के खेत से ही फसल की बिक्री आसानी से हो जाती है. भारत में तंबाकू की कई किस्में उगाई जाती हैं. किन किस्मों को उगाना है, यह उस के अलगअलग इस्तेमाल पर निर्भर करता है. घाटे की खेती से उबरने के लिए तंबाकू की खेती एक अच्छा तरीका साबित हो सकती है.
तंबाकू की खेती कई तरह की मिट्टियों में की जा सकती है. हलकी दोमट, मध्यम दोमट, मिश्रित लाल व कछारी मिट्टियां इस के लिए ज्यादा मुफीद मानी जाती हैं, लेकिन ऐसी मिट्टियों में तंबाकू की पत्तियां मोटी, खुरदरी व बड़ी हो जाती हैं. ऐसे में इस फसल का इस्तेमाल हुक्का व बीड़ी बनाने के लिए किया जा सकता है. तंबाकू की खेती के लिए हलकी भुरभुरी मिट्टी ज्यादा अच्छी मानी गई है. इस में पैदा किए जाने वाले तंबाकू की गुणवत्ता व स्वाद ज्यादा अच्छा माना जाता?है, जिस का इस्तेमाल सिगार व सिगरेट वगैरह में किया जाता है.Tobacco Farming
खेती की तैयारी : तंबाकू की खेती के लिए सब से पहले नर्सरी डाली जाती है. नर्सरी के लिए हलकी भुरभुरी मिट्टी ज्यादा अच्छी होती है. नर्सरी डालने से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर के मिट्टी भुरभुरी बना लेनी चाहिए. 12 एकड़ खेत में तंबाकू की फसल रोपने के लिए 1 बीघे रकबे में नर्सरी डाली जाती है, जिस के लिए 1 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. नर्सरी में बीज डालने से पहले खेत को समतल कर के पाटा लगा देना चाहिए और सही नमी की अवस्था में रोपे जाने वाले खेत के रकबे के अनुसार नर्सरी में बीज की मात्रा डालनी चाहिए. क्षारीय मिट्टी में तंबाकू की फसल लेने से बचना चाहिए, क्योंकि इस मिट्टी में काली जड़ गलन बीमारी का प्रकोप पाया जाता है. तंबाकू की अलगअलग किस्मों के अनुसार इस की नर्सरी का समय तय किया जाता है. आमतौर पर नर्सरी डालने के लिए अगस्त के आखिरी हफ्ते से नवंबर के दूसरे हफ्ते तक का समय ज्यादा अच्छा माना जाता है. नर्सरी डालने के डेढ़ महीने बाद नर्सरी से तंबाकू के पौधों को उखाड़ कर खेत में रोपाई की जाती है. नवंबर महीने में डाली गई नर्सरी की रोपाई जनवरी के पहले हफ्ते तक की जा सकती है.
तंबाकू की प्रमुख किस्में : खाने वाले तंबाकू की खास किस्मों में पीटी 76, हरी बंडी, कोइनी, सुमित्रा, रंगपुर, ह्यइट वर्ले, भाग्य लक्ष्मी, सोना, गंडक बहार, पीएन 70, एनपी 35, प्रभात, डीजी 3 व डीजी 47 वगैरह प्रमुख मानी गई हैं. वहीं हुक्का, बीड़ी, सिगार व चुरुट के लिए एनपी 220, टाइप 23, टाइप 49, टाइप 238, पटुवा, फरुखाबाद लोकल, मोतीहारी, कलकतिया, पीएन 28, एनपीएस 219, पटियाली, सी 302 लकडा, एनपीएस 2116, चैथन, हरिसन स्पेशल, वर्जिनिया गोल्ड, जैश्री, धनादयी, कनकप्रभा, सीटीआरआई स्पेशल, जीएसएच 3, के 49, जी 6 आनंद 119, लंका 27, डीआर 1, भवानी स्पेशल व ओके 1 वगैरह उम्दा किस्में मानी गई हैं. इन किस्मों को अगस्त से नवंबर तक नर्सरी में डाला जा सकता है.
रोपाई की तैयारी : तंबाकू के पौधों की रोपाई 1 से डेढ़ महीने के भीतर खेत में कर देनी चाहिए. पौधों की रोपाई के लिए खेत में प्रति एकड़ की दर से 4 ट्राली गोबर की खाद, 50 किलोग्राम डीएपी, 25 किलोग्राम पोटाश व 10 किलोग्राम यूरिया का बुरकाव करना चाहिए. इस के बाद इस खाद को मिट्टी में मिला कर अच्छी तरह से जुताई कर के पाटा लगा देना चाहिए. नर्सरी से पौधों को उखाड़ने से 2 दिन पहले खेत की हलकी सिंचाई कर देनी चाहिए. इस के बाद खेत में नमी की सही मात्रा रहते ही लाइन से लाइन व पौध से पौध की दूरी ढाई फुट रख कर रोपाई करनी चाहिए. 1 एकड़ खेत में रोपाई के लिए करीब 10000 तंबाकू के पौधों की जरूरत पड़ती है. रोपाई के करने के बाद हजारे से पौधों को पानी देना चाहिए. ज्यादा रकबे की रोपाई के तुरंत बाद हलकी सिंचाई कर देनी चाहिए.What is SDO Officer ? How To Become SDO Officer एसडीओ अधिकारी क्या है, एसडीओ अधिकारी कैसे बनें
खाद व उर्वरक : रोपाई के 1 महीने बाद 80 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से डेढ़ महीने के अंतर पर व दूसरी व तीसरी बार 20-20 किलोग्राम की मात्रा देनी चाहिए. तंबाकू की गुणवत्ता अच्छी हो, इस के लिए कोशिश करें कि फसल में रासायनिक खादों की जगह वर्मी कंपोस्ट, कंपोस्ट खाद व गोबर की खाद का इस्तेमाल किया जाए.
सिंचाई व खरपतवार : तंबाकू की रोपाई के बाद हर 15 दिनों पर सिंचाई करते रहना चाहिए. फसल कटाई के 15 दिनों पहले खेत की सिंचाई रोक दी जाती है. फसल की अच्छी पैदावार व गुणवत्ता के लिए पहली निराई 10-15 दिनों बाद करनी चाहिए. फसल में घासफूस के नियंत्रण के लिए जरूरत के हिसाब से 3 बार निराई करना जरूरी होता है.
बीमारियां व कीट : तंबाकू की फसल में मोजैक बीमारी का ज्यादा प्रकोप देखा गया है. इस के अलावा शुरुआती अवस्था में आग्र पतन, चित्ती, पडकुंचन रोगों का प्रकोप पाया जाता है. इस के अलावा तंबाकू की सूंड़ी, इल्ली, गिडार, तना छेदक, माहू, कटुआ व दीमक कीटों का प्रकोप देखा गया है. ये सभी कीट व रोग पौधों को पूरी तरह खत्म कर देते हैं. कीटों की रोकथाम के लिए कार्बेनिल 10 फीसदी धूल का छिड़काव फसल में कीट का प्रकोप दिखाने के समय ही कर देना चाहिए. इस के अलावा क्लोर पायरीफास 20 ईसी या प्रोफेनोफास 50 ईसी का छिड़काव करना चाहिए. बीमारी की रोकथाम के लिए कार्बेंडाजिम, मैंकोजेब, थीरम, मेटालेक्जिल, डीनोकेप दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए. तंबाकू की फसल के लिए ज्यादा पाला व ज्यादा बारिश भी नुकसानदेह होती है. ज्यादा पाले व बारिश की दशा में फसल के सूखने व बरबाद होने के आसार बढ़ जाते हैं. ऐसे में ज्यादा बारिश व पाले वाली जगहों पर तंबाकू की खेती करने से बचना चाहिए.Small business ideas Regular Income कैसे बनाएँ business develop kaise kare
फुनगों की तोड़ाई : तंबाकू की फसल में अच्छी गुणवत्ता व पैदावार बढ़ाने के लिए उस के फुनगों की तोड़ाई करना जरूरी होता है. जब फसल 60 दिनों की हो जाए, तो हर 10 दिनों के बाद 3 बार फुनगों की तोड़ाई की जानी चाहिए. यह कोशिश करें कि पौधों में 9 से 10 पत्ते ही आने पाएं.
पौधों की कटाई : खाने वाले तंबाकू की फसल 120 दिनों में, बीड़ी वाले तंबाकू की फसल 140 से 150 दिनों में और सिगार व चुरुट वाले तंबाकू की फसल 90 से 100 दिनों में कटाई के लायक हो जाती है. पौधों की पत्तियां जब हरी हों तभी उन की कटाई कर देनी चाहिए और कटाई के बाद 3 दिनों तक पौधों को खेत में ही छोड़ देना चाहिए. जब पत्तियां पीली पड़ जाएं तो उन को खेत से उठा कर सही जगह पर दोबारा फैला कर सूखने के लिए छोड़ देना चाहिए. इस दौरान खाने वाले तंबाकू की नसों पर चीरा लगाना जरूरी होता है. सूखने के दौरान तंबाकू में नमी व सफेदी जितनी ज्यादा आती है उतना ही अच्छा गुण, रंग, स्वाद व गंध पैदा होती है. ऐसे में तंबाकू की पलटाई समय से करते रहना चाहिए. इस से किसानों को तंबाकू का अच्छा मूल्य मिल जाता?है. घर पर करीब 1 हफ्ते तक सुखाने के बाद पत्तियों में चीरा लगा कर अलगअलग किया जाता है. उस के बाद कुछ दिनों के लिए पत्तियों को पालीथीन से ढक कर सुगंध पैदा करने के लिए छोड़ दिया जाता?है. जब उन मेंअच्छी सुगंध उठने लगती है, तो इस की गठिया बांध कर इस में पानी का छिड़काव कर के छटका जाता है. जब इस में सफेदी आने लगे तो यह मान लिया जाता है कि तंबाकू की गुणवत्ता अच्छी स्थिति में हो गई है.Honey Processing Business How to Make it in Hindi शहद प्रसंस्करण व्यवसाय इसे कैसे बनाएं
मार्केटिंग व लाभ : तंबाकू किसान ओमप्रकाश का कहना है कि ज्यादातर मामलों में खेत में खड़ी फसल ही बिक जाती है, जिसे व्यापारी करीब 25000 रुपए प्रति बीघे की दर से लेते हैं. तंबाकू की 1 एकड़ फसल के लिए करीब 15000 रुपए की लागत आती है, जबकि 1 एकड़ से फसल अच्छी होने की दशा में 4 महीने में करीब 1 लाख रुपए की आमदनी होती है. इस प्रकार लागत मूल्य को निकालने के बाद शुद्ध आमदनी करीब 85 हजार रुपए प्रति एकड़ हो जाती है. भारतीय तंबाकू की ज्यादा मांग बाहरी देशों में होने के कारण अच्छा मूल्य मिलता है. भारत द्वारा उत्पादित तंबाकू अमेरिका, रूस, फ्रांस, अफ्रीका, ब्रिटेन, सिंगापुर, बेल्जियम, हांगकांग, चीन, नीदरलैंड व जापान वगैरह देशों को भेजा जाता है. ऐसे में किसान विदेशी निर्यातक व्यापारियों से संपर्क कर के अपनी उपज का अच्छा दाम पा सकते हैं.Derma Roller Therapy Acne Scars Glowing Skin & Hair loss Use derma roller in Hindi चिकित्सा मुँहासे निशान काले धब्बे चमक त्वचा के बालों का झड़ना रोकने के उपयोग
तंबाकू की खेती से किसान हुआ मालामाल
बस्ती जिले के परशुरामपुर ब्लाक की पश्चिमी सीमा पर स्थित गांव मदनापुर के रामराज वर्मा के परिवार में कुल 25 लोग हैं. 40 साल पहले उन के पास केवल 12 बीघे जमीन थी, जिस पर वे पारंपरिक रूप से धान व गेहूं की फसल ले रहे थे. लेकिन उन्हें इस खेती से कोई खास फायदा नहीं मिल रहा था. ऐसे में वे अपने आसपास के किसानों से व्यावसायिक खेती के बारे में पता करते रहते हैं. एक बार वे किसी काम से गोंडा जिले के नवाबगंज ब्लाक में गए थे. उन्होंने वहां किसानों को तंबाकू की खेती करते देखा. जब उन्होंने वहां के किसानों से तंबाकू की खेती के बारे में जानकारी ली, तब उन्हें पता चला कि तंबाकू की खेती से कम समय में अच्छा फायदा मिल सकता है. ऐसे में घर आ कर उन्होंने परिवार के लोगों से तंबाकू की खेती किए जाने पर बातचीत की. सभी लोगों की रजामंदी के बाद उन्होंने अपने 2 एकड़ खेत में तंबाकू की खेती की शुरुआत की. पहली बार उन्हें कोई खास फायदा नहीं हुआ, लेकिन तंबाकू की तैयार फसल बेचने में किसी तरह की परेशानी नहीं आई.
तंबाकू बाजार ने बढ़ाया जोश : किसान रामराज वर्मा ने तंबाकू की बिक्री को देखते हुए इस की व्यावसायिक व वैज्ञानिक खेती का फैसला ले दिया था. तंबाकू की फसल से उन्हें 2 एकड़ खेत से साल 1974 में करीब 5000 रुपए की आमदनी हुई. उन्होंने तंबाकू की खेती से हुई आमदनी के पैसे से 15 एकड़ खेत लीज पर ले कर तंबाकू की खेती की. इस बार उन्हें करीब 25000 रुपए की आमदनी हुई. वे तंबाकू की गुणवत्ता का विशेष खयाल रखते थे, जिस से तंबाकू व्यापारी उन के घर से तैयार फसल को खरीद कर ले जाते थे. किसान रामराज के परिवार के 25 लोग लगातार तंबाकू की खेती में लगे रहे और करीब 5 सालों में वे किराए की 25 एकड़ जमीन पर तंबाकू की खेती करने लगे थे.
यह किसान रामराज वर्मा की मेहनत का ही फल था कि उन्हें लगातार तंबाकू की खेती से फायदा मिलता रहा. ऐसे में उन्होंने तंबाकू की खेती से कुछ ही सालों में अच्छा फायदा लेना शुरू कर दिया था. फायदे के इस पैसे का इस्तेमाल उन्होंने परिवार के सदस्यों की संख्या को देखते हुए जमीन की खरीदारी में किया और वे हर साल तंबाकू की फसल से होने वाले फायदे के पैसे से कुछ न कुछ जमीन खरीदते रहे. अपनी मेहनत की वजह से वे करीब 40 सालों में 200 बीघे खेत के मालिक बन गए. 2 एकड़ खेत में शुरू की गई तंबाकू की खेती वर्तमान में 15 एकड़ तक पहुंच गई है, जिस से वे अच्छी आमदनी ले रहे हैं.
इस के अलावा उन्होंने खेती व उस से जुड़े रोजगारों में भी परिवार के सदस्यों को जोड़ लिया. तंबाकू की खेती के अलावा वे बागबानी फसलों की तरफ भी मुड़े. आजकल वे 25 बीघे खेत में टिश्यूकल्चर विधि से तैयार की गई केले की जी 9 व रोबेस्टा प्रजाति की खेती कर रहे हैं. केले की खेती से अच्छा फायदा लेने के लिए उन्होंने परिवार के सदस्य ओमप्रकाश को जिम्मेदारी सौंप रखी है. ओमप्रकाश तैयार केले की फसल को नजदीकी मंडी में ले जाते हैं, जिस से बिचौलियों की वजह से नुकसान नहीं होने पाता है.
जैविक खेती के लिए पशुपालन
किसान रामराज वर्मा ने अपने खेतों में बोए गए तंबाकू व बागबानी फसलों में कैमिकलयुक्त खादों व उर्वरकोें के इस्तेमाल में कमी लाने के लिए 16 दुधारू पशुओं को पाल रखा है, जिन से प्राप्त होने वाले मलमूत्र का इस्तेमाल वे गोबर गैस प्लांट में करते हैं और गोबर गैस से प्राप्त अवशिष्ट का प्रयोग जैविक खाद के रूप में करते हैं. किसान रामराज वर्मा ने यह साबित कर दिया है कि अगर व्यावसायिक फसलों की खेती उन्नत तरीके से की जाए तो न केवल वह किसान के लिए फायदेमंद बन सकती है, बल्कि उस से दूसरे लोगों को भी जोड़ा जा सकता है. उन की तंबाकू की खेती से होने वाले लाभ को देखते हुए गांव के तमाम लोगों ने तंबाकू की खेती को अपना कर अपनी माली हालत को मजबूत किया है.
किसान रामराज वर्मा से तंबाकू की खेती के गुर सीखने के लिए दूसरे जिलों के लोग भीउन के खेतों तक चल कर आते हैं. दूसरे जिलों से आए किसानों को रामराज वर्मा न केवल तंबाकू की खेती से जुड़ी तकनीकी जानकारी देते हैं, बल्कि उस की प्रोसेसिंग, गुणवत्ता निर्धारण व मार्केटिंग के बारे में भी बताते हैं.
तंबाकू की रोपाई का आदर्श समय 20 सितंबर से 10 अक्टूबर माना गया है। 6-8 सप्ताह के स्वस्थ बीचडे़ की रोपाई करनी चाहिए। इसके लिए किसानों को तंबाकू की पौधशाला में स्वस्थ बीचडे़ उत्पादन के लिए रैबिंग विधि अपनाना चाहिए। इसमें सूखे खर-पतवार, पत्तिया या पुआल की 15-20 सेमी मोटी परत मिट्टी के उपर बिछाकर उसे जलाया जाता है। फलस्वरूप खर पतवार के बीज एवं मिट्टी में उपस्थित रोग एवं कीडे़ नष्ट हो जाते हैं। बीज गिराने से पूर्व क्यारी में तोड़ी की खल्ली, सिंगल सुपर फास्फेट तथा 10 ग्राम फ्यूराडान दबा अच्छी तरह मिला दे। अच्छे अंकुरण के लिए बुआई के समय क्यारी में नमी का होना भी आवश्यक है। तेज धूप और तेज वर्षा से बीचडे़ को बचाने के लिए टाटी से ढंक दें। अंकुरण बाद उसे हटा लें। क्यारी से घने पौधे हटाए एवं नमी बनाये रखे। छह से आठ सप्ताह के बीज की रोपाई करें। अगस्त के अंतिम सप्ताह में बीचडे़ अवश्य गिरा लें।
खेती की तैयारी
तम्बाकू के बीचड़े की रोपाई से पूर्व खेत को अच्छी तरह जुताई करें, ताकि उसमें ढेले न रहे। खेत में पाटा चला कर समतल कर दें। दस टन प्रति एकड़ कम्पोष्ट या गोबर, खल्ली 1112 किलो, रोपनी पूर्व यूरिया 80 किलो, कैल्सियम 86 किलो, फॉस्फेट 150 किलो, पोटाश 45 किलो प्रति एकड़ जोत में मिला दें।
ये प्रभेद हैं फायदेमंद
आरएयू के तकनीकी सहायक उदय कुमार के अनुसार तम्बाकू की उपज एवं गुणवत्ता के ख्याल से पीटी 76 प्रभेद के लिए 1 मीटर गुणा 90 सेमी तथा वैशाली स्पेशल, सोना, विच्छवी एवं अन्य प्रभेद के लिए 90 सेमी गुणा 75 सेमी की दूरी एवं विनियास उत्तम होता है। अच्छी आमदनी हेतु पीटी 76, वैशाली स्पेशल और लिच्छवि प्रभेदों में अन्य प्रभेदों के अपेक्षा ज्यादा निकोटिन पाया जाता है। जिससे बाजार में अच्छा मूल्य किसानों को मिलता है।
तम्बाकू पौधे की पत्तियों से प्राप्त होता है। यह एक मादक और उत्तेजक पदार्थ है, जो ‘निकोशियाना” (अंग्रेज़ी नाम : Nicotiana) जाति के पौधे की बारीक कटी हुई पत्तियों, जो कि खाने-पीने तथा सूँघने के काम आती हैं, से प्राप्त किया जाता है। किसी अन्य मादक या उत्तेजक पदार्थ की अपेक्षा तम्बाकू का प्रयोग आज सबसे अधिक मात्रा में किया जा रहा है। भारत में तम्बाकू का पौधा पुर्तग़ालियों द्वारा सन 1608 ई. में लाया गया था और तब से इसकी खेती का क्षेत्र भारत के लगभग सभी भागों में फैल गया है। भारत विश्व के उत्पादन का लगभग 7.8 प्रतिशत तम्बाकू उत्पन्न करता है।
उत्पत्ति तथा इतिहास
तम्बाकू की उत्पत्ति कब और कहाँ हुई, इसका ठीक पता नहीं चलता। कहते हैं कि, एक बार पुर्तग़ाल स्थित फ्राँसीसी राजदूत ‘जॉन निकोट’ ने अपनी रानी के पास तम्बाकू का बीज भेजा और तभी से इस पौधे का प्रवेश प्राचीन संसार में हुआ। निकोट के नाम को अमर रखने के लिये तम्बाकू का वानस्पतिक नाम ‘निकोशियाना’ रखा गया। तम्बाकू दक्षिणी अमेरिका का पौधा माना जाता है। इसकी खेती ऐतिहासि काल से हाती चली आ रही है। यद्यपि तम्बाकू अयनवृत्तीय पौधा है, तथापि इसकी सफल खेती अन्य स्थानों में भी होती है, क्योंकि यह अपने को विभिन्न प्रकार की भूमि तथा जलवायु के अनुकूल बना लेता है।
विभिन्न जातियाँ
अब तक संसार में तम्बाकू की 60 विभिन्न जातियाँ मिल चुकी हैं। इनमें से ‘निकोशियाना टबैकम’ और ‘निकोशियाना रस्टिका’ की खेती बड़े पैमाने पर होती है। खेती तथा व्यापार की दृष्टि से केवल ये ही दो जातियाँ उपयोगी सिद्ध हुई हैं।
भारत में तम्बाकू का आगमन
ऐसा माना जाता है कि, 17वीं सदी में पुर्तग़ालियों द्वारा भारत में तम्बाकू की खेती का प्रारंभ हुआ। 17वीं, 18वीं सदियों में यूरोपीय यात्रियों ने भारत में तम्बाकू की खेती और उसके उपयोग का उल्लेख किया है। मुग़ल सम्राट जहाँगीर के समय में तम्बाकू की खेती का प्रचार नहीं हो पाया, क्योंकि उन्होंने घोषणा की थी, कि तम्बाकू पीनेवालों के होठों को काट दिया जाएगा। व्हाइटलॉ आइन्स्ली की लिखी हुई ‘मेटिरिया इंडिका’ नामक पुस्तक में देशी तथा यूरोपीय डॉक्टरों द्वारा भारत में दवा संबंधी प्रयोजनों के लिये तम्बाकू के उपयोग के बारे में लिखा है। सामाजिक रुकावटों के अभाव के कारण अब धूम्रपान सरलता से अपनाई जानेवाली आदत बन गई है।
राजस्व प्राप्ति का साधन
आज विश्वभर में अमेरीका तथा चीन के बाद बड़े पैमाने पर तम्बाकू पैदा करने वाला तीसरा राष्ट्र भारत है। आज भारत तथा विश्व में अन्य राष्ट्रों की सरकारों के लिये तम्बाकू कर के रूप में कामधेनु के समान है। कृषक के लिये तम्बाकू बहुत ही मुख्य नक़द शस्य (फ़सल) है। प्रतिवर्ष अनुमानत: 45 करोड़ रुपए तम्बाकू की खेती से उत्पादकों को मिलते हैं। इसके अतिरिक्त केंद्रीय सरकार को 45 करोड़ रुपये तम्बाकू उत्पादन शुल्क, अनुमानत: दो करोड़ निर्यातकर और देश को 16 करोड़ की मूल्य का विदेशी विनिमय मिलता है।
तम्बाकू
तम्बाकू की खेती करने वाले निर्माता, निर्यातक तथा अनगिनत मध्यवर्ती लोग इससे खूब लाभ उठा रहे हैं। इसके अतिरिक्त तम्बाकू के विभिन्न उद्योगों में लाखों व्यक्ति जीविका पा रहे हैं। भारत तम्बाकू में स्वयं समृद्ध है और अपनी पैदावार का 16-17 प्रतिशत दुनिया के विभिन्न भागों को निर्यात करता है।
भारत में तम्बाकू की पैदावार
सब फ़सलों का केवल 0.28 प्रतिशत भाग ही भारत में तम्बाकू की खेती होती है। सन् 1959 में तम्बाकू की खेती का क्षेत्र 8,96,000 एकड़ था। इसमें अनुमानत: 5,89,00,000 पाउंड तम्बाकू पैदा हुआ। भारत में आंध्र प्रदेश तम्बाकू उत्पादन का प्रधान केन्द्र है। यहाँ तम्बाकू उत्पादन का 66 प्रतिशत तथा देश के वर्जीनिया सिगरेट तम्बाकू का 95 प्रतिशत पैदा होता है। तम्बाकू पैदा करने वाले अन्य क्षेत्र हैं: महाराष्ट्र, गुजरात, मद्रास, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, हैदराबाद, मैसूर, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा पंजाब।
भौगोलिक दशाएँ
तम्बाकू की खेती के समय निम्नलिखित भौगोलिक दशाओं की आवश्यकता रहती है-
तापमान – तम्बाकू की पैदावार का क्षेत्र बड़ा विस्तृत है। इसका उत्पादन समुद्र के धरातल से लेकर 1800 मीटर की ऊंचाई तक भी किया जा सकता है। इसके पूर्ण विकास के लिए तापमान18° से 40° सेल्सियस के मध्य ठीक रहता है। पाला तम्बाकू के लिए घातक है। अतः इसकी खेती वहीं की जाती है, जहाँ पाले का 200 दिन तक भय नहीं रहता, जैसे- पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र एवं अन्य दक्षिणी राज्यों में।
वर्षा – इसके लिए साधारणतः 50 से 100 सेटीमीटर वर्षा ही चाहिए। इससे अधिक वर्षा वाले भागों में इसकी खेती नहीं की जा सकती। पत्तियों के पकने के समय वर्षा हो जाने से इसकी किस्म बिगड़ जाती है। पकने के समय स्वच्छ आकाश और तेज धूप का होना आवश्यक है। इसकी जड़ों में जल एकत्रित नहीं होना चाहिए, अतः तम्बाकू की कृषि नदियों की ढालू घाटियों और पठारी भागों पर अधिक की जाती है।
मिट्टी – तम्बाकू के लिए गहरी दोमट अथवा मिश्रित लाल व कछारी मिट्टी उपयुक्त रहती है। तम्बाकू भूमि में से उपजाऊ तत्वों को बहुत जल्दी खींच लेती है, अतः पोटाश, फ़ॉस्फ़ोरिक ऐसिड और लोहांश के रूप में खाद की आवश्यकता पड़ती है। अधिकतर हरी या रासायनिक खाद (अमोनियम सल्फेअ व फ़ॉस्फेट) दी जाती है।
श्रम – तम्बाकू के पौधे लगाने, काटने, पत्तियों के सुखाने और तेयार करने में सस्ते श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है।
तम्बाकू की किस्में
तम्बाकू शीतकाल में पैदा होती है। जहाँ सिंचाई की सुविधाएँ प्राप्त हैं, वहाँ दो फ़सलें भी प्राप्त की जाती हैं। पहली फ़सल जनवरी से जून तक तथा दूसरी अक्टूबर से मार्च तक। तम्बाकू की किस्म मिट्टी, अपने रंग, वज़न और खाद पर निर्भर करती है। मौसम में हल्के परिवर्तन एवं पत्तियों की छंटनी और सफाई और तैयार करने की विशेष विधि का भी किस्म पर प्रभाव पड़ता है। वस्तुतः कहा जा सकता है कि ठण्डी नम, ग्रीष्म ऋतु और हल्की नरम भूमि होने पर पत्तियाँ अच्छे रेशे वाली और मधुर स्वाद वाली होती हैं, किन्तु जब भूमि कठोर और तापमान ऊँचा रहता है तो पत्तियाँ मोटी और तेज स्वाद वाली होती है।
भारत में लगभग 60 किस्म की तम्बाकू बोयी जाती है, किन्तु इनमें दो ही मुख्य हैं- ‘निकोटिना टुवैकम’ और ‘निकोटिना रस्टिका’। भारत में सबसे अधिक क्षेत्रफल प्रथम किस्म के अन्तर्गत है। टुवैकम सारे भारत में बोयी जाती है। इसमें गुलाबी रंग के के फूल होते हैं। इसका पौधा लम्बा और पत्तियाँ बड़ी होती हैं। सिगरेट, चुरुट, बीड़ी, हुक्का तथा खाने और सूंधनी बनाने में इसका प्रयोग किया जाता है। बिहार का उत्तरी मैदान एवं कृष्णा-गोदावरी डेल्टा की जलवायु उष्णार्द्र होने के कारण ये क्षेत्र तम्बाकू उत्पादन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। चूंकि रस्टिका तम्बाकू को ठण्डी जलवायु की आवश्यकता होती है, अतः यह मुख्यतः उत्तरी और उत्तर-पूर्वी भारत में पैदा की जाती है, इसका पौधा छोटा, पत्तियाँ रूखी और भारी होती हैं। रंग काला और महक तेज होती है। इसका उपयोग हुक्का, खाने और सूंघनी बनाने में होता है।
भारत में उत्पादन के क्षेत्र
भारत में प्रतिवर्ष लगभग 3 लाख से 3.5 लाख हेक्टेअर क्षेत्र पर तम्बाकू की कृषि होती है। देश का लगभग 85 प्रतिशत तम्बाकू का उत्पादन क्षेत्र मात्र चार राज्यों आन्ध्र प्रदेश (36 प्रतिशत), कर्नाटक(24 प्रतिशत), गुजरात (21 प्रतिशत) तथा बिहार (4 प्रतिशत) में है। तम्बाकू उत्पादन की दृष्टि से आन्ध्र प्रदेश का स्थान प्रथम, गुजरात का द्वितीय तथा कर्नाटक का तृतीय स्थान है। तम्बाकू उत्पादन का शेष क्षेत्र तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश राज्यों में है।
आन्ध्र प्रदेश के गुंटूर, कृष्णा, पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी ज़िले तथा तेलंगाना क्षेत्र में तम्बाकू अधिक पैदा की जाती है, किन्तु दो तिहाई से भी अधिक क्षेत्र गुंटूर ज़िले में है। इस क्षेत्र की मिट्टी काले रंग की है, जिसमें चूने की मात्रा कम है। इसमें जल धारण करने की क्षमता अधिक होती है। पत्तियों की तैयारी के समय पर्याप्त आर्द्रता रहती है, जिससे पत्तियाँ सुन्दर और उत्तम किस्म की होती हैं। गरम जलवायु व नम मिट्टी तथा सूर्य की धूप मिलने से यहाँ विभिन्न प्रकार की वर्जीनिया तम्बाकू तथा नाटू, थोक आकू आदि उगायी जाती हैं। मुख्यतः चुरुट और सिगार बनाने क काम में लायी जाती है।
उत्तरी बिहार में बिहार के समस्तीपुर, दरभंगा, मुंगेर और पूर्णिया ज़िले तथा पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी, माल्दा, हुगली, कूचबिहार और बहरामपुर ज़िले सम्मिलित हैं। गंगा के ढालू मैदान की उपजाऊ मिट्टी इसकी कृषि के लिए आदर्श है। यहाँ हुक्के के लिए उपयोगी एन टुबैकम, एन रस्टिका की विविध किस्में (विलायती, मोतीहारी और जट्टी) पैदा की जाती हैं। खाने और सूंघने की तम्बाकू भी यहाँ पैदा की जाती है।
गुजरात राज्य के खेड़ा ज़िले में आनन्द, घोरसद, पेटलाद और नाडियाड ताल्लुके चरोत्तर क्षेत्र सम्मिलित हैं। इस प्रदेश में तम्बाकू की विभिन्न किस्में (निकोटिना रस्टिका और वर्जीनिया टुबकैम) बोयी जाती है। यहाँ की तम्बाकू बीड़ी के लिए अधिक उपयुक्त होती है।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली, मिराज और सतारा ज़िले में निपानी क्षेत्र में मुख्यतः बीड़ी की तम्बाकू उगायी जाती है। यहाँ गहरी काली और गहरे लाल रंग की मिट्टी में तम्बाकू पैदा की जाती है। कर्नाटक के वेलगावी ज़िले में उत्तम तम्बाकू पैदा की जाती है।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी, मेरठ, बुलन्दशहर, मैनपुरी, सहारनपुर, कन्नौज और फ़र्रुख़ाबाद ज़िले; पंजाब के अमृतसर, जालन्धर, गुरुदासपुर तथा फ़िरोजपुर ज़िले और हरियाणा के गुड़गांव, करनालऔर अम्बाला ज़िले तम्बाकू के मुख्य उत्पादक शहर हैं। यहाँ हुक्का के लिए तथा खाने के लिए बढि़या किस्म की कलकतिया तम्बाकू उगायी जाती है।
तमिलनाडु राज्य के मदुरै, कोयम्बटूर, तंजावुर, डिंडीगुल, तिरुचिरापल्ली, ज़िलों में इसकी कृषि होती है। इसमें सिगार और चुरुट में भरी जाने वाली तथा खाने और सूंघने की तम्बाकू उगायी जाती है।
व्यापार
देश में तम्बाकू की औसत उत्पादकता 1500 से 1600 किलोग्राम प्रति हेक्टेअर है। उत्पादन का अधिकांश देश में खप जाता है। निर्यात के लिए अधिक मात्रा नहीं बच पाती। फिर भी यहाँ से बिना तैयार की हुई तम्बाकू का निर्यात किया जाता है। यह निर्यात संयुक्त राज्य अमरीका, रूस, अदन, बेल्जियम, श्रीलंका, बांग्लादेश, चीन, नीदरलैण्ड्स, फ़्राँस, दक्षिण अफ़्रीका, ब्रिटेन, मिस्र, सिंगापुर, जापान और हांगकांग को किया जाता है। निर्यात कोलकाता, चेन्नई और मुम्बई बन्दरगाहों द्वारा होता है। उच्च कोटि की सिगरेटों में मिश्रण के लिए संयुक्त राज्य अमरीका में गरम वायु में सुखायी गयी तम्बाकू आयात की जाती है। कुछ तम्बाकू मिस्र, पाकिस्तान और म्यांमार से भी आयात होती है।
विभिन्न उपयोग
सूखते हुए तम्बाकू के पौधे
एन. रस्टिका जाति के तम्बाकू का अधिकांश भाग हुक्के में पीने के लिये प्रयुक्त होता है। एन. टवैकम जाति का तम्बाकू सिगरेट, बीड़ी, सुँधनी और खानेवाले तम्बाकू के काम में आता है। वर्जीनिया तम्बाकू, जो अधिकतर आंध्र प्रदेश राज्य में उगाया जाता है और सिगरेट बनाने के काम में प्रयुक्त होता है, व्यापार की दृष्टि से प्रधान है। बर्ली तम्बाकू का सिगरेटों में संमिश्रण के लिये अधिकतर उपयोग किया जाता है। नाटू (देशी) तम्बाकू, जो की ‘चुट्ट’ नाम से प्रसिद्ध है, छोटे और हाथ से लपेटे जाने वाले चुरुट बनाने के काम आता है। इस तम्बाकू की हल्की तथा भूरे रंग की पत्तियों का सस्ती सिगरेटों के निर्माण में उपयोग किया जाता है। गहरे भूरे रंग की पत्तियाँ, पाइप में पीने के तम्बाकू की विभिन्न किस्में तैयार करने के लिये ‘यूनाइटेड किंगडम’ को निर्यात की जाती हैं। दक्षिण मद्रास के दिंडुकल, तिरुचिरापल्ली और कोयंवटूर ज़िलों में उगाया गया प्रमुख जाति का तम्बाकू चुरुट और सिगार बनाने में तथा खानेवाला तम्बाकू तैयार करन में काम आता है।
तम्बाकू के विभिन्न नाम
यद्यपि तम्बाकू नाम से एक ही फ़सल का आभास होता है, तथापि विभिन्न उपयागों में आने वाले तम्बाकूओं की खेती तथा सिझाई में इतना अंतर है कि, उनके भिन्न-भिन्न नाम रख दिए गए हैं, जैसे- ‘हुक़्क़ा तम्बाकू’, गरम हवा से सिझाया गया ‘सिगरेट तम्बाकू’, धूप में सुखाया गया ‘सिगरेट तम्बाकू’ इत्यादि।
पौधशाला तैयार करना
तम्बाकू रोपित फ़सल है, जिसकी सफलता उसकी पौधशाला पर निर्भर है। यदि सुदृढ़ स्वस्थ और एक ही अवस्था के पौधे नहीं लगाए जाएँगे, तो फ़सल अच्छी नहीं होती है। पौधशाला की भूमि का चुनाव करते समय यह बात ध्यान में रखनी चाहए कि, स्थान ऊँचाई पर हो, पानी का निकास अच्छा हो तथा सिंचाई का साधन निकट हो। हर साल एक ही भूमि पर पौधशाला नहीं लेनी चाहिए। भूमि पर 4 फुट चौड़ी पटरियों पर पौधशाला उगानी चाहिए। पटरियों के बीच 1.1/2 फुट चौड़ा रास्ता आने जाने, पानी निकालने और काम करने के लिये छोड़ना चाहिए। आवश्यकतानुसार बीज को लेकर बालू या राख में मिलाकर बोने के बाद हथेली से पीओ देना चाहिए तथा पानी देते रहना चाहिए। एन. टबैकम का आधा सेर से एक सेर तक तथा एन. रस्टिका का दो से तीन सेर तक बीज एक एकड़ पौधशाला के लिये पर्याप्त होता है।
पौध-रोपण
जब पौधे 4-6 इंच बड़े हो जाते हैं, तो उनको अच्छी तरह तैयार किए हुए खेतों में लगा देते हैं। तम्बाकू की एन. टबैकम जाति के पौधों को सामान्यत: 2.1/2 से 3 फुट की दूरी पर तथा एन. रस्टिका के पौधों को 1.1/2 फुट की दूरी पर लगाते हैं। ये दूरियाँ कतार से कतार तथा पेड़ से पेड़ के बीच रखी जाती हैं। रोपाई शाम को करनी चाहिए। कहीं-कहीं नम खेत में रोपाई की जाती है और कहीं-कहीं रोपाई के बाद तुरंत पानी देते हैं।
ध्यान रखने योग्य तथ्य
तम्बाकू की फ़सल के सम्बन्ध में निम्नलिखित तथ्य मुख्य रूप से स्मरण रखने चाहिए –
आवश्यकतानुसार सिंचाई, निराई और गुड़ाई करते रहना चाहिए।
तम्बाकू के फूलों को तोड़ना अति आवश्यक है, नहीं तो पत्ते हलके पड़ जाएँगे और फलस्वरूप उपज कम हो जाएगी तथा पत्तियों के गुणों में भी कमी आ जाएगी।
फूल तोड़ने के बाद पत्तियों के बीच की सहायक कलियों से पत्तियाँ निकलने लगती हैं, उनको भी समयानुसार तोड़ते रहना चाहिए।
बीज के लिये छोड़े जाने वाले पौधों के फूलों को नहीं तोड़ना चाहिए।
पत्तियों को सिझाना
पके हुए पेड़ों को जड़ से काटकर या पकी पत्तियों को तोड़कर सिझाते हैं। सिझाने के तरीकों में विशेष अंतर है। सिझाई उस क्रिया का नाम है, जिसके द्वारा पत्तियाँ सुखाकर बेचने योग्य बनाई जाती हैं। इस क्रिया में बहुत से रासायनिक परिवर्तन होते हैं और नमी की मात्रा घटकर 12-14 प्रतिशत रह जाती है। अधिक नम तम्बाकू रखने से वह सड़ जाती है। सिझाई हुई तम्बाकू को ही खाने, पीने या सूँधने के काम में लाते हैं। हुक़्क़ा तम्बाकू का डंठल भी पीने के काम आता है। तम्बाकू की बीमारियों तथा कीड़ो का भी समुचित निरोध करते रहना चाहिए, नहीं तो फ़सल को हानि पहुँच सकती है।
तम्बाकू का तैयार माल
भारत में तम्बाकू के तैयार माल सिगरेट, सिगार, बीड़ी, सुँघनी, चबाया जाने वाला (खैनी) तम्बाकू और हुक़्क़ा तम्बाकू हैं। तम्बाकू के बीज से तेल भी निकलता है। इस तेल का वार्निश और रंग के उद्योग में लाभदायक रूप से उपयोग किया जा सकता है। इसकी खली का पशुओं को खिलाने या खेतों के लिए खाद के रूप में भी उपयोग हो सकता है।
निर्धारित उत्पादन नीति पर आधारित है, उत्पादकों और दूसरों के नियम के अनुसार वर्जीनिया तम्बाकू के उत्पादकों, नर्सरी कार्य से जुडे के पंजीकरण के पंजीकरण या नवीनीकरण के लिए मापदंड नीचे रखना होगा के लिए पंजीकरण समिति 33 (2) और 33-डी (1) के तंबाकू बोर्ड के नियमों 1976 समिति ने भी नियम के अनुसार लाइसेंस या बर्न्स् के निर्माण और बर्न्स् के संचालन के लिए लाइसेंस के नवीकरण के अनुदान के लिए मापदंड नीचे देता 34-एम (1) और 34-ओ (1) तम्बाकू बोर्ड नियम 1976 की। पंजीकरण समिति क्षेत्र निर्धारित लक्ष्यों वार क्षेत्र पर ध्यान में लाइसेंस प्राप्त बर्न्स् और तम्बाकू आधारित के उत्पादकता के स्तर की संख्या ले अधिकृत होने के लिए खलिहान और कोटा प्रति पंजीकृत होने के लिए पर फैसला किया। तदनुसार पंजीकृत उत्पादकों ने अपने खलिहान (एस) और उसकी / उसके लाइसेंस प्राप्त खलिहान (एस) के लिए खेती की जा करने के लिए क्षेत्र की हेक्टेयर की संख्या के लिए निश्चित किलोग्राम के मामले में एक उत्पादन कोटा आवंटित कर रहे हैं और उसी के साथ पालन करने के लिए बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।
वाणिज्यिक नर्सरी उत्पादकों के पंजीकरण के पंजीकरण / नवीनीकरण के लिए मानदंड (नियम 33-सी, डी):
एक वाणिज्यिक नर्सरी उत्पादक के रूप में पंजीकरण के पंजीकरण / नवीनीकरण प्राप्त करने के इच्छुक किसानों के तहत वहाँ आवश्यक जानकारी प्रपत्र -3 में एक आवेदन फाइल और प्रस्तुत करने के लिए है और इन आवेदनों निम्नलिखित शर्तों के पंजीकरण के विषय के पंजीकरण / नवीनीकरण के अनुदान के लिए विचार किया जाएगा।
वाणिज्यिक नर्सरी उठाया जाना प्रस्तावित है जहां क्षेत्र / प्लाट मिट्टी जनित रोगों से मुक्त किया जाना चाहिए, और इस तरह के रोगों के लिए जाना जाता है क्षेत्रों से दूर होना चाहिए।
आवेदक 40PPं से क्लोराइड अधिक नहीं होने चाहिए तम्बाकू नर्सरी और सिंचाई के लिए बने पानी सिंचाई के लिए उपयुक्त पर्याप्त पानी की सुविधा के अधिकारी करेंगे।
नर्सरी उत्पादकों का उपयोग करेगा और & ल्ड्क़ुओ; अधिकृत बीज & र्ड्क़ुओ; उत्पादन और Cॠई और या आईटीसी और न्डश् द्वारा आपूर्ति;। ईळ्ठ्ढ् अनुसंधान प्रभाग सदा ही
50 / की राशि – 0.10 प्रति हेक्टेयर। या उसके भाग पंजीकरण शुल्क की दिशा में एकत्र किया जा सकता है ..
नर्सरी उत्पादक तम्बाकू बोर्ड अधिनियम, नियम और अम्प् का उल्लंघन कर रहे हैं जो गतिविधियों में शामिल किया गया है नहीं करना चाहिए; इस तरह के खत्तों आदि की अवैध बिक्री / खरीद / अनधिकृत खेती / निर्माण में शामिल के रूप में विनियम,
पंजीकरण के नवीकरण के मामले में, नर्सरी उत्पादक फार्म नं -7 और निर्धारित समय के भीतर पिछले सत्र के आठ में रिटर्न प्रस्तुत करेगा। ऐसे वाणिज्यिक नर्सरी उगाने वालों पर लगाया जा सकता है – मामले में एक ही 500 / का जुर्माना, पिछले साल आवेदक द्वारा प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं। रिटर्न की देरी प्रस्तुत 250 / के ठीक एक के लिए – लगाया जा सकता है।
वाणिज्यिक नर्सरी उत्पादकों के रूप में पंजीकरण के नवीकरण के लिए आवेदकों को भी फार्म में रजिस्टरों प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक हैं नंबर-5 एवं 6 (नियम-33 ई 1) बीज के मुद्दे से पहले सत्यापन और जांच के लिए मांग और पंजीकरण के नवीकरण देने पर नीलामी अधीक्षकों को वाणिज्यिक नर्सरी उत्पादकों के रूप में।
वाणिज्यिक नर्सरी उत्पादकों आदि किस्मों का संकेत है नर्सरी भूखंड पर एक नोटिस बोर्ड हो, ठ्भ्ण्ऱ् नंबर प्रदर्शित है, और केवल पंजीकृत उत्पादकों को शुद्ध स्वस्थ, रोग और निमेटोड मुक्त और कठोर अंकुरों की आपूर्ति और वाणिज्यिक नर्सरी उत्पादकों को लागू के रूप में इस तरह के दिशा-निर्देश और शर्तों का पालन करेगा ।
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GNM के बारे मे जानकारी
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GNM COURSE करने के लिए आवश्यक योग्यता
कोर्स करने के लिए छात्र की उम्र कम से कम 17 और अधिकतम उम्र 35 साल होनी चाहिए |
छात्र पीसीबी से 12 पास होना चाहिए और उसके अंग्रेजी में कम से कम 40 नंबर होना जरूरी है।
छात्र मेडिकल फिट होने चाहिए
GNM COURSE की फीस व COURSE अवधि
जैसा की हमने बताया की ये कोर्स 3 वर्षो का होता है व इस कोर्स की फीस भी सभी सरकारी कॉलेज व प्राइवेट कॉलेज मे अलग अलग हो सकती है सरकारी कॉलेज मे इस कोर्स की फीस 75,000 रुपये से 1,00,000 रुपये तक की हो सकती हैं वही प्राइवेट कॉलेज मे इसकी फीस 2,00,000 रुपये तक हो सकती है।
GNM की सेलेरी
GNM पद के लिए अस्पताल के नियमानुसार सभी की सेलेरी अलग अलग हो सकती है परन्तु GNM को सामान्यतः 25,000 रुपय प्रतिमाह दिये जाते है व सरकारी अस्पताल मे GNM को कुछ अन्य सुविधाएं भी दी जाती है।
GNM की तरह ANM की सेलेरी भी अलग अलग अस्पताल के अलग अलग नियमों पर निर्भर करती है आमतौर पर ANM को 15,000 रुपये प्रतिमाह तक दिये जाते हैं।
जीएनएम कोर्स (GNM Course) या (जनरल नर्सिंग एंड मिडविफरी में डिप्लोमा) पैरामेडिक्स में 3 से 4 साल का डिप्लोमा है| जीएनएम कोर्स (GNM Course) व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों की देखभाल के प्रावधान पर केंद्रित है| पाठ्यक्रम को मान्यता प्राप्त शैक्षिक बोर्ड से विज्ञान धारा में 10+2 स्तर की शिक्षा के सफल समापन, जिसमें न्यूनतम 40% अंक के बाद पीछा किया जा सकता है, जीएनएम नर्सिंग कोर्स में आमतौर पर अनुशासन में 6 महीने की इंटर्नशिप के अनिवार्य समापन शामिल होते हैं| शिक्षा में यह पेशेवर, नौकरी उन्मुख पाठ्यक्रम 3 से 4 वर्षों तक रहता है, जिसमें संस्थानों की अवधि अलग-अलग होती है। इस कोर्स का भी देश के कुछ संस्थानों में अंशकालिक आधार पर लाभ उठाया जा सकता है|
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भारत में पाठ्यक्रम के लिए लगाए गए औसत शिक्षण शुल्क में 4 साल की अवधि के लिए 10,000 से 5 लाख रुपये के बीच है|
जीएनएम कोर्स (GNM Course) पाठ्यक्रम को गर्भधारण से मृत्यु तक इष्टतम स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता प्राप्त करने, बनाए रखने और पुनर्प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है|
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जीएनएम कोर्स (GNM Course) के महत्वपूर्ण बिंदु (Important Point of the Diploma Course in GNM)
नीचे सूचीबद्ध जीएनएम नर्सिंग कोर्स की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं, जैसे-
पाठ्यक्रम स्तर- डिप्लोमा
अवधि- 4 साल
परीक्षा प्रकार- सेमेस्टर सिस्टम / वर्षवार
योग्यता- 10 + 2 विज्ञान विषयों के साथ कुल 50% अंकों के साथ
प्रवेश प्रक्रिया- प्रवेश परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर
शीर्ष भर्ती क्षेत्रों- टीवी और समाचार, फोरेंसिक नौकरियां, आंगनवाड़ी कार्यक्रम, शिक्षण और शिक्षा, यात्रा और पर्यटन नर्सिंग नौकरियां, सामग्री खरीद रसद नौकरियां, आतिथ्य नौकरियां|
नौकरी की स्थिति- नैदानिक नर्स विशेषज्ञ, कानूनी नर्स सलाहकार, फोरेंसिक नर्सिंग, मैडम, प्रभारी और सहायक, शिक्षक और कनिष्ठ व्याख्याता, यात्रा नर्स, रिसेप्शनिस्ट और प्रवेश ऑपरेटर, ब्रांड प्रतिनिधि और हाइपर, बिक्री खरीद सहायक, आपातकालीन कक्ष नर्स और मिडवाइफ नर्स|
जीएनएम कोर्स के बारे में (About GNM Course)
नर्सिंग बीमार और मातृत्व देखभाल से निपटने की विशेषता है, एक पेशे के रूप में, गर्भावस्था के दौरान मां को मदद के प्रावधान के बारे में है| पाठ्यक्रम अनिवार्य रूप से योग्य और प्रशिक्षित जनरल नर्सों की बढ़ोतरी करना है, जो उपचार उद्योग में प्रारंभिक स्तर की स्थिति के लिए प्रभावी रूप से चिकित्सा समुदाय के हिस्से के रूप में काम कर सकते हैं|
कार्यक्रम योग्य उम्मीदवारों को देश, समुदाय और व्यक्तियों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को संबोधित करने के लिए सक्षम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है| वे स्वास्थ्य-आधारित उद्योग में धैर्य, जिम्मेदारी और समर्पण के साथ योगदान करते समय नर्सिंग में उन्नत अध्ययन और विशेषज्ञता का भी पीछा कर सकते हैं|
पाठ्यक्रम के लिए आदर्श उम्मीदवारों में दिमाग, टीम भावना, व्यवहार, करुणा और शारीरिक रूप से फिटनेस की सतर्कता होगी| अनुशासन में उच्च अध्ययन करने में रुचि रखने वाले ऐसे पेशेवर इस विषय में उच्च डिग्री कार्यक्रमों के लिए जा सकते हैं| सफल पेशेवर संबंधित संस्थानों में अनुशासन भी पढ़ सकते हैं|
इस कोर्स के पाठ्यक्रम में शामिल विषयों में शामिल हैं, जैसे-
1. एनाटॉमी और फिजियोलॉजी
2. जैविक विज्ञान
3. कीटाणु-विज्ञान
4. व्यवहार करने की विज्ञान
5. नागरिक सास्त्र
6. मनोविज्ञान
7. नर्सिंग की बुनियादी बातों
8. प्राथमिक चिकित्सा|
जीएनएम कोर्स में डिप्लोमा की पेशकश करने वाले शीर्ष संस्थान (Top Institutions Offering Diploma in GNM Course)
भारत में कुछ शीर्ष संस्थान नीचे सूचीबद्ध हैं, जो पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं, जैसे-
1. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर, तमिलनाडु
2. सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज – [एएफएमसी], पुणे पुणे, महाराष्ट्र
3. जवाहर लाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च – [जेआईपीएमईआर], पांडिचेरी, पुडुचेरी
5. श्री रामचंद्र विश्वविद्यालय, चेन्नई चेन्नई, तमिलनाडु
6. आंध्र युनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ साइंस एंड टैक्नोलॉजी विशाखापत्तनम
7. भारती विद्यापीठ विश्वविद्यालय – [बीवीयू], पुणे पुणे, महाराष्ट्र
8. कालीकट विश्वविद्यालय, कालीकट कालीकट, केरल
9. पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट – [आईपीजीएमईआर], कोलकाता कोलकाता, पश्चिम बंगाल
10. बैंगलोर मेडिकल कॉलेज और रिसर्च इंस्टिट्यूट – [बीएमसीआरआई], बैंगलोर, कर्नाटक
11. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय – [बीएचयू], वाराणसी वाराणसी, उत्तर प्रदेश
12. सरकारी मेडिकल कॉलेज – [जीएमसी], नागपुर नागपुर, महाराष्ट्र
13. एनआईएमएस यूनिवर्सिटी, जयपुर जयपुर, राजस्थान
14. आयुष और स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय – [एएचएसयू], रायपुर रायपुर, छत्तीसगढ़
15. सरकारी मेडिकल कॉलेज / राजिंद्र अस्पताल- [जीएमसीपी], पटियाला|
जीएनएम कोर्स में डिप्लोमा के लिए योग्यता (Eligibility for Diploma in GNM Course)
पाठ्यक्रम के लिए आवेदन करने के योग्य होने के लिए जीएनएम नर्सिंग कोर्स का पीछा करने में रुचि रखने वाले उम्मीदवारों को न्यूनतम मानदंड नीचे सूचीबद्ध करना आवश्यक है|
1. एक मान्यता प्राप्त शैक्षिक बोर्ड से कक्षा XII की सफल योग्यता|
2. अधिमानत, 10+2 स्तर पर अध्ययन के मुख्य विषयों के रूप में विज्ञान|
3. 45% का न्यूनतम योग (एससी / एसटी / ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 40%)|
जीएनएम कोर्स में डिप्लोमा प्रवेश प्रक्रिया (Diploma Admission Procedure in GNM Course)
पाठ्यक्रम की पेशकश करने वाले अधिकांश संस्थान प्रासंगिक प्रवेश परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर छात्रों को प्रवेश करते हैं| प्रवेश प्रक्रिया आम तौर पर कॉलेजों में भिन्न होती है| कुछ संस्थान 10+2 स्तर पर उम्मीदवार के प्रदर्शन के आधार पर प्रत्यक्ष प्रवेश भी प्रदान करते हैं|कोर्स में प्रवेश के लिए देश में आयोजित प्रवेश परीक्षाओं में से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं, जैसे-
1. एम्स नर्सिंग प्रवेश परीक्षा
2. बीएचयू नर्सिंग प्रवेश परीक्षा
3. जेआईपीएमईआर नर्सिंग प्रवेश परीक्षा
4. पीजीआईएमईआर नर्सिंग
5. केआईएमएस विश्वविद्यालय नर्सिंग प्रवेश
6. एमसीडी नर्सिंग प्रवेश
7. एमजीएम सीईटी नर्सिंग
8. आरयूएचएस नर्सिंग प्रवेश परीक्षा
9. उत्तराखंड नर्सिंग प्रवेश|
जीएनएम कोर्स में डिप्लोमा कोर्स और पाठ्यक्रम विवरण (Diploma Course and Course Details in Gnm Course
कोर्स के पाठ्यक्रम का सालाना अलग-अलग भाग यहां सारणीबद्ध है, जैसे की-
पहले साल
विषय
विवरण
शरीर रचना विज्ञान और शरीर विज्ञान
रचनात्मक शर्तों का परिचयशरीर की कोशिकाओं, अंगों, ऊतकों, आदि का संगठन
कंकाल प्रणाली
मांसपेशी प्रणाली
कार्डियो-संवहनी प्रणाली
कीटाणु-विज्ञान
परिचय और माइक्रोबायोलॉजी का दायरासूक्ष्म जीवों
संक्रमण और इसके संचरण
रोग प्रतिरोधक शक्ति
प्रयोगशाला तकनीक का परिचय
मनोविज्ञान
परिचयमानव व्यवहार का मनोविज्ञान
सीख रहा हूँ
अवलोकन
बुद्धि
व्यक्तित्व
नागरिक सास्त्र
संकल्पना, दायरा, और समाजशास्त्र की प्रकृतिव्यक्तिगत
परिवार
समाज
समुदाय
अर्थव्यवस्था
नर्सिंग की बुनियादी बातों
नर्सिंग का परिचयरोगी / ग्राहक की नर्सिंग देखभाल
एक रोगी की बुनियादी नर्सिंग देखभाल और जरूरतें
रोगी का आकलन
उपचारात्मक नर्सिंग देखभाल
फार्माकोलॉजी का परिचय
प्राथमिक चिकित्सा
प्राथमिक चिकित्सा का महत्वआपातकालीन स्थितियों में प्राथमिक चिकित्सा
सामुदायिक आपातकाल
व्यक्तिगत स्वच्छता
स्वास्थ्य की अवधारणास्वास्थ्य का रखरखाव
शारीरिक स्वास्थ्य
मानसिक स्वास्थ्य
दूसरा साल
विषय
विवरण
मेडिकल सर्जिकल नर्सिंग I
परिचयनर्सिंग आकलन
रोग की पाथो फिजियोलॉजिकल मैकेनिज्म
बदल दिया प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया
नैदानिक औषध विज्ञान
संचारी रोग
मूल्यांकनसंक्रमण की समीक्षा, यह कैसे फैलता है और इसका नियंत्रण
एंटीसेरा और टीकों का पुनरावृत्ति, देखभाल और प्रशासन
अलगाव- महामारी विज्ञान और नियंत्रण उपायों की समीक्षा
विभिन्न संक्रामक रोगों का प्रबंधन
कान, नाक और गले
कान, नाक, और गले के कार्यों का आकलनविकारों और कान, नाक, और गले की बीमारियों का प्रबंधन
कान, नाक, और गले के विकार और रोग
कैंसर विज्ञान / त्वचा
असामान्य सेल वृद्धि के साथ मरीजों के नर्सिंग प्रबंधनकैंसर का वर्गीकरण
पता लगाने और रोकथाम
मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक नर्सिंग
परिचयमनोवैज्ञानिक का इतिहास
मानसिक स्वास्थ्य आकलन
सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य
मनोवैज्ञानिक नर्सिंग प्रबंधन
मानसिक विकार
सामुदायिक स्वास्थ्य नर्सिंग
कंप्यूटर शिक्षा
कंप्यूटर और डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम का परिचयशब्द प्रसंस्करण का परिचय
डेटाबेस का परिचय
ग्राफिक्स और सांख्यिकीय पैकेज का उपयोग
कंप्यूटर सहायता प्राप्त शिक्षण और परीक्षण
तीसरा साल
विषय
विवरण
मिडवाइफरी और प्रसूतिशास्र नर्सिंग
परिचयप्रजनन प्रणाली
गर्भवती महिलाओं के नर्सिंग प्रबंधन
श्रम में महिलाओं की नर्सिंग प्रबंधन
गर्भावस्था और उसके प्रबंधन की जटिलताओं
सामुदायिक स्वास्थ्य नर्सिंग – II
भारत में स्वास्थ्य प्रणालीभारत में हेल्थकेयर सेवाएं
महत्वपूर्ण स्वास्थ्य आंकड़े
भारत में स्वास्थ्य योजना
विशिष्ट सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाएं
बाल चिकित्सा नर्सिंग
बाल स्वास्थ्य देखभाल में अवधारणानवजात शिशु
स्वस्थ बच्चा
विभिन्न विकारों और बीमारियों वाले बच्चे
बच्चों का कल्याण
जीएनएम कोर्स में डिप्लोमा करियर संभावनाएं (Diploma Career Prospects in Gnm Course)
योग्य और कुशल नर्सों की आवश्यकता पूरी दुनिया में प्रचलित है| वर्तमान में नर्स-मरीज अनुपात वर्तमान में कम और निराशाजनक है| इस पेशे में रोजगार के अवसर निजी और सरकारी अस्पतालों, उद्योगों, अनाथाश्रम, नर्सिंग होम, वृद्धावस्था के घर, सैनिटेरियम और सशस्त्र बलों में उपलब्ध हैं|
लोकप्रिय भर्ती संगठनों में राज्य नर्सिंग काउंसिल, इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी और इंडियन नर्सिंग काउंसिल शामिल हैं|
जीएनएम कोर्स में डिप्लोमा के बाद संभावित वेतन (Potential salary after Diploma in GNM
Course)
ऐसे पेशेवरों के लिए खुले कुछ लोकप्रिय पेशेवर मार्ग संबंधित पदों के लिए प्रस्तावित संबंधित वेतन के साथ नीचे सूचीबद्ध हैं|
1. नौकरी की स्थिति- नैदानिक नर्स विशेषज्ञ
नौकरी का विवरण- नैदानिक नर्स विशेषज्ञ डॉक्टर की सुविधाओं, अस्पतालों, क्लीनिक, चिकित्सा केंद्रों और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में काम करते हैं। वे आम तौर पर विशेष क्षेत्रों में विशेषज्ञ होते हैं, उदाहरण के लिए, जेरोनोलॉजी, कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ, या पब्लिक पॉलिसी|
औसत वार्षिक वेतनमान- 4.5 से 6 लाख रुपये
2. नौकरी की स्थिति- कानूनी नर्स सलाहकार
नौकरी का विवरण- कानूनी नर्स कंसल्टेंट्स पंजीकृत नर्स परिचर हैं, जो कानूनी संस्थाओं और चिकित्सा संबंधी मामलों के बारे में विशेषज्ञों को चिकित्सा डेटा प्रदान करते हैं| विशेषज्ञ परामर्श देखभाल के गेज, मेडिकल रिकॉर्ड का सर्वेक्षण, या घावों या बीमारियों के बारे में रिपोर्ट तैयार करने और रूपरेखा तैयार करने का गठन कर सकता है|
औसत वार्षिक वेतनमान- 5 से 7 लाख रुपये
3. नौकरी की स्थिति- प्रोफेसर
नौकरी का विवरण- anm nursing प्रोफेसर anm nursing छात्रों को anm nursing माध्यमिकanm nursing स्तर पर anm nursing विषयों की anm nursing एक विस्तृत श्रृंखला सिखाते हैं| anm nursing वे विद्वानों के anm nursing लेख प्रदान करते हैं, anm nursing अनुसंधान करते हैं, anm nursing और अनुशासन में निर्देश देते हैं|
औसत वार्षिक वेतनमान- 9 से 12 लाख रुपये
4. नौकरी की स्थिति- फोरेंसिक नर्स
नौकरी का विवरण- gnm nursing फोरेंसिक नर्स gnm nursing उन कर्तव्यों का gnm nursing पालन करते हैं, gnm nursing जो आमतौर पर gnm nursing नर्सों की तुलना gnm nursing में काफी विशिष्ट होते हैं| gnm nursing हम भूमिकाओं gnm nursing के वर्गीकरण के लिए ज़िम्मेदार हैं, gnm nursing जिनमें हमला, बच्चे और बड़े दुर्व्यवहार, घरेलू दुर्व्यवहार, उपेक्षा और यौन अपराधों के पीड़ितों का आकलन और देखभाल शामिल है| मारे गए लोगों के इलाज के अलावा, फोरेंसिक नर्स भी साक्ष्य इकट्ठा करते हैं और सुरक्षित करते हैं|
नौकरी का विवरण- anm full form एक यात्रा नर्स anm full form एक हेल्थकेयर पेशेवर है, anm full form जो लगातार anm full form बीमार या घर anm full form के मरीजों anm full form की मदद करता है, anm full form या कर्मचारियों anm full form की कमी के साथ चिकित्सा कार्यालयों की सहायता करता है| कुछ ट्रैवल नर्स अस्पतालों, स्कूलों और क्लीनिकों के बीच चले जाते हैं|
औसत वार्षिक वेतनमान- 2.5 से 5 लाख रुपये
यह तो था, gnm full form जीएनएम gnm full form कोर्स (GNM Course) प्रवेश gnm full form प्रक्रिया, gnm full form योग्यता, gnm full form करियर और वेतन, gnm full form आदी से संबंधित जानकारी, gnm full form जिसका पीछा के के gnm full form आप इस बेहतरीन क्षेत्र में gnm full form अपना भविष्य बना सकते है|
आप आज इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे। हम आपको यह बिल्कुल सरल भाषा में समझाएँगे। आशा करते है की आपको हमारी सभी पोस्ट पसंद आ रही होगी। इसी तरह आप आगे भी हमारे ब्लॉग पर आने वाली प्रत्येक पोस्ट को पसंद करते रहे।English Language का इस्तेमाल आज हर जगह किया जा रहा है। इसका प्रयोग ना सिर्फ ऑफ़िस के कामों को करने के लिए किया जाता है बल्कि जॉब का इंटरव्यू देने के लिए भी अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता है। भारत में अधिकतर लोगों की यहीं परेशानी रहती है की अगर उन्हें अंग्रेजी आती भी है तो भी उनकी English Grammar इतनी अच्छी नहीं होती है।
अंग्रेजी सीखना और समझना अब हमारे लिए बहुत ज़रुरी हो गया है। क्योंकि अगर आप कहीं भी बाहर ऐसी जगह घूमने जाते है। जहाँ सिर्फ अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग किया जाता है तो आपको बहुत परेशानी आ सकती है। यह ऐसी भाषा है जिसका प्रयोग हर जगह किया जाता है। तो अगर आप परफेक्ट इंग्लिश ग्रामर सीख लेते है तो यह आपके बहुत काम आ सकती है।
तो आइये जानते है English Grammar Kaise Sikhe अगर आपको भी अपनी English Grammar सुधारनी है तो यह पोस्ट How To Avoid Spelling Mistakes While Writing In Hindi शुरू से अंत तक ज़रुर पढ़े तभी आपको इसकी पूरी जानकारी प्राप्त होगी और आप English Language का सही तरह से प्रयोग कर पाएँगे।
English Spelling Mistake Kaise Sudhare
जब भी हम English लिखते है तो कई बार ऐसा होता है की उसमें कुछ शब्दों में English Spelling की Mistake हो ही जाती है और अगर Words में जरा सी भी English Spelling Mistake होती है तो वह पूरा Sentence गलत हो जाता है। सही English लिखने के लिए आपको हम एक Tool के बारे में बताएँगे। जिसकी मदद से आप बिना गलती किये अच्छी English लिख सकते है।
जिस Tool की मदद से आप English Spelling Mistake को सही करना सीखेंगे उस Tool का नाम है Grammarly यह एक ऑनलाइन Tool है जो बिल्कुल Advance और Spell Checker है। यदि आप English में कुछ लिख रहे है जैसे – Twitter, Facebook, Email या WordPress में कुछ लिख रहे है तो यह Real Time में Errors को Underline करता है।When do we need to File Income Tax Return in Hindi हमें कब इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना है
Grammarly को आप ऑनलाइन भी इस्तेमाल कर सकते है या आप Grammarly का Chrome Extension इंस्टाल कर सकते है।
Grammar Check Karne Ka Tarika
Grammarly एक Spell Checker Tool है। जिससे Grammar Spelling को चेक कर सकते है। जिसका इस्तेमाल आप किसी भी ब्लॉग पोस्ट एडिटर में कर सकते है। साथ ही नोट पेड या किसी भी Text Edit फाइल में Grammarly का प्रयोग कर सकते है।
जब भी आप कभी कुछ लिख रहे है चाहे आप कहीं भी लिखे लिखते समय Grammarly Verb Mistake और Spelling को Attach करके गलत Words को Underline कर देती है।
जब आप Underline Words पर क्लिक करोगे तो एक Popup Page ओपन होता है। उसमें उस Word की Mistake होती है और सही Word भी उसके साथ ही होता है। उस Word पर क्लिक करके आप उसे सही कर सकते है।
यदि आपके पास पहले से कोई आर्टिकल लिखा हुआ है तो उसे भी आप Grammarly में अपलोड करके Mistake को सही कर सकते है। Grammarly का आसान तरीके से इस्तेमाल करने के लिए इसे अपने Chrome Browser में इंस्टाल कर सकते है।
फिर 5-10 सेकंड तक Wait करे और Grammarly Extension आपके Chrome Browser में Add हो जाएगा।
Step 5: Grammarly Icon
आपके Browser के Url Bar (Search Box) के Right Side में इसका Icon आ जाएगा।
Grammarly Me Signup Kare
अगर आप इसमें Sign Up कर लेते है तो आप इसके सभी फ़ीचर का इस्तेमाल अच्छे से कर पाएँगे। नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करके आप इसके सभी फीचर्स का प्रयोग कर सकते है।
Step 1: Click Grammarly Extension Icon
Grammarly Extension Icon पर क्लिक करे।
Step 2: Sign Up Grammarly
आइकॉन पर क्लिक करने के बाद Facebook या Email Id से Signup करे।
Step 3: Load Grammarly
Sign Up करने के बाद Grammarly Editor थोड़ी देर में Load हो जाएगा।
Step 4: Click New/ Upload Button
अब New/ Upload Button पर क्लिक करे।
इस बटन पर क्लिक करने के बाद जो Page Open होगा उसमें अपनी कोई Post या Article लिखे। इससे आपको पता चल जाएगा की कहां-कहां Mistake है और क्या सही करना है।
Step 5: Click Upload A File
अगर पहले से लिखे Article में Spelling सही करनी है तो Upload A File पर क्लिक करे।
English Grammar Kaise Improve Kare
आज के समय में English Language का महत्व सबसे ज्यादा है। हर व्यक्ति चाहता है की वह English बोले। English बोलना और English समझना दोनों ही अलग बात है। तो जानते है की आप अपनी English Grammar में कैसे सुधार कर सकते है।
अगर आपको थोड़ी बहुत भी English आती है तो ऐसे माहौल को तलाशे जहाँ पर लोग ज्यादा से ज्यादा English में ही बात करते हो। ऐसे माहौल में रहे जो आपको English सिखाने में मदद करती हो। अच्छी तरह से English में बात करना सीखना चाहते है तो English News देखे और सुने, English Movie देखे, English Tv Serial देखे इसके साथ ही English News Paper पढ़े।
आप उन लोगों का भी ग्रुप बना सकते है जिन्हें कम English आती है। इस ग्रुप में आप अपनी English को Improve कर पाएँगे। ग्रुप में वे सभी लोग होंगे जिन्हें कम English आती है तो इससे होगा यह की बात करने में आपको शर्म महसूस नहीं होगी और आप बिना डरे बात कर पाएँगे।
आवाज़ को रिकॉर्ड करके भी English को Improve किया जा सकता है। यदि आप अपनी आवाज़ को रिकॉर्ड करके सुनते है तो आपका Confidence बढ़ता है और आपको आपकी ग़लतियों के बारे में भी पता चलता है।
आप अपने मन में हिंदी की बजाय English में सोचे। चाहे फिर वह Grammatically गलत ही क्यों ना हो शुरू में आपको यह काम थोड़ा बोरिंग लग सकता है या मुश्किल भी लग सकता है। लेकिन धीरे-धीरे आपको इसकी आदत हो जाएगी और थोड़े समय बाद आपके मन में हिंदी की जगह English में ही जवाब आएगा।
बहुत से लोग जो English सीखना चाहते है वो शुरू में English Grammar सीखने में उलझ जाते है और English Grammar को सीखने पर ज्यादा ध्यान देते है यह नहीं है की English Grammar का कोई महत्व नहीं है। लेकिन जब English बोलना सीखना चाहते है तो इसका महत्व कम हो जाता है। Grammar का महत्व परीक्षा में ज्यादा होता है।
एक के बाद एक बात करने की कोशिश करे। यदि आपका कोई फ्रेंड और आप दोनों किसी विषय पर English में बात करते है। और दोनों उस पर अपने विचार देते है तो आपकी English Improve होती है।
Basic English Grammar Kaise Sikhe
Basic English Grammar सीखना बहुत ज़रुरी होता है। इससे आप अच्छी English बोलना सीख पाएँगे Basic English Grammar से आपकी English अच्छे से Improve होती है। आगे आपको हम जो तरीका बताएँगे इससे आपकी Basic English में सुधार होगा और आप अच्छी English बोलना सीख जाएँगे।
आप अपनी भाषा को अंग्रेजी में ट्रांसलेट ना करे। खुद से बाते करे और डरे बिलकुल भी नहीं।
अंग्रेजी किताबें पढ़े और Newspaper पढ़े आप जो भी नया शब्द सीखते है उसे एक नोटबुक में लिखने की आदत डाले।
अगर आप अंग्रेजी बोलने best english grammar book से हिचकिचाते है best english grammar book तो आप डरे नहीं best english grammar book इससे आपका आत्मविश्वास कम best english grammar book होता है। best english grammar book
English को सुनकर समझने की कोशिश करे। यह सबसे बेहतर तरीका है English सीखने का।
आप सिर्फ एक किताब से English नहीं सीख सकते इसे आपको खुद पर ही Apply करना होगा। तभी आप सही तरह से English सीख पाएँगे।
English के Online Video देखना शुरू करे और English की ब्लॉग पढ़ना भी शुरू कर दीजिये इससे भी आपको बहुत मदद मिलेगी।
इस तरह understanding english grammar से understanding english grammar आप understanding english grammar अपनी English को सुधार सकते understanding english grammar है और Basic English को समझ सकते है। Basic English को अच्छे से समझने के बाद ही understanding english grammar आप परफेक्ट English बोल सकते हो और समझ सकते हो। इससे ही आपकी English Improve होती है।
वर्तमान समय में प्रतिस्पर्धा युग है और सभी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा बढती जा रही है, जिसके लिए छात्र पूर्व से अपने लक्ष्य को निर्धारित कर अपने लक्ष्य के प्रति परिश्रम करते है, प्रत्येक छात्र की रूचि अलग-अलग क्षेत्रो में देखने को मिलती है, जैसे कोई डाक्टर, इंजिनियर, आईएएस पीसीएस, एस डी एम आदि बनना चाहते है, परन्तु किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करनें के लिए कठिन परिश्रम और उससे सम्बंधित जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है, क्योंकि सही जानकारी के माध्यम से सफलता आसानी से प्राप्त की जा सकती है, आप SDM Officer कैसे बन सकते है ? इसके बारें में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहे है |
एसडीएम बननें हेतु शैक्षिक योग्यता
इस प्रशासनिक पद पर आवेदन के लिए अभ्यर्थी को किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक उत्तीर्ण होना आवश्यक है, स्नातक के अंतिम वर्ष के छात्र भी इस पद के लिए आवेदन कर सकते है |
आयु सीमा
सभी अभ्यार्थियों की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु सामान्य वर्ग के लिए 40 वर्ष, एससी/एस टी/ओबीसी के लिए 45 वर्ष और पीडब्लूडी के लिए 55 वर्ष निर्धारित की गयी है |
परीक्षा में सम्मिलित होने के अवसर
अभ्यर्थियों को इस परीक्षा में सम्मिलित होनें के लिए कोई प्रतिबन्ध नहीं है, अर्थात अभ्यर्थी अपनी इच्छानुसार परीक्षा में सम्मिलित हो सकते है |
एसडीएम आफिसर बननें हेतु परीक्षा
एसडीएम को उप प्रभागीय न्यायाधीश कहते है, सभी जिलो में एक एसडीएम अधिकारी नियुक्त होता है, अभ्यर्थियों को एसडीएम बननें हेतु दो विकल्प उपलब्ध है, पहला विकल्प राज्य स्तर सिविल सेवा परीक्षा और दूसरा विकल्प राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से इस पद पर नियुक्ति प्राप्त कर सकते है, इन विकल्पों के अंतर्गत अभ्यार्थीयों को तीन प्रक्रियाओं में सम्मिलित होना होता है |
प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary examination)
मुख्य परीक्षा (Main examination)
इंटरव्यू (Interview)
1.प्रारंभिक परीक्षा
एसडीएम बननें का यह पहला चरण है, इस परीक्षा में सामान्य ज्ञान से सम्बंधित दो प्रश्न पत्र होते है, इसके लिए 200 अंक निर्धारित होते है,प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य ज्ञान से सम्बंधित द्वितीय प्रश्नपत्र क्वालीफाईग अंको का होता है, इसमें अभ्यर्थी को 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होता है, परन्तु इस प्रश्न पत्र के अंक रैंकिंग में नहीं जोड़े जाते , सिर्फ प्रथम प्रश्न पत्र के अंक जोड़े जाते है |
Solar light Consumption and Energy Savings खपत और ऊर्जा बचतप्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों को मुख्य परीक्षा में सम्मिलित किया जाता है,मुख्य परीक्षा में कुल आठ प्रश्न पत्र होते है, जिसमें करंट अफेयर्स, इतिहास, भूगोल, इंडियन पोलायटी,जनरल साइंस, और सामान्य ज्ञान से सम्बंधित प्रश्न पूछें जाते है, यह परीक्षा काफी कठिन होती है, इस परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र को साक्षात्कार हेतु बुलाया जाता है |
मुख्य परीक्षा में अंको का निर्धारण
प्रश्नपत्र
अंक
हिंदी
150 अंक
निबंध
150 अंक
सामान्य अध्ययन 1
200 अंक
सामान्य अध्ययन 2
200 अंक
सामान्य अध्ययन 3
200 अंक
सामान्य अध्ययन 4
200 अंक
वैकल्पिक विषय पेपर 1
200 अंक
वैकल्पिक विषय पेपर 2
200 अंक
.इंटरव्यू
Business start of the cement brick manufacturing in Hindi सीमेंट ईंटइंटरव्यू अर्थात साक्षात्कार में आवेदक की योग्यता का आकलन किया जाता है, साक्षात्कार के दौरान आपका इंटरव्यू लेने वाले पैनल को यह विश्वास दिलाना होगा, कि आप इस पद के लिए उपयुक्त हैं, और आप यह कार्य जिम्मेदारी से कर सकते है, साक्षात्कार कुल 200 का होता है |
एसडीएम अधिकारी का वेतन
एसडीएम अधिकारी को वेतन ग्रेड पे के अनुसार, न्यूनतम वेतन 53,100 रुपए और 67,700 रुपये तथा अधिकतम 1,03,314 रुपये प्राप्त होता है ।
एसडीएम के कार्य
अपनें जिले की भूमि sdm full form का लेखा-जोखा एसडीएम के देखरेख में होता है, sdm एसडीएम के sdm salary उपखंड के sdm full form सभी तहसीलदारों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण होता है, sdm इसके अतिरिक्त विवाह sdm salary रजिस्ट्रेशन, sdm full form विभिन्न प्रकार के sdm college पंजीकरण, अनेक प्रकार के लाइसेंस जारी sdm salary करवाना, sdm नवीकरण करवाना, sdm college प्राकृतिक/दैवीय आपदा (बाढ़, अग्निकांड, भूकंप, भूस्खलन, शीतलहरों, sdm college बादल फटने, ओलावृष्टि, अतिवृष्टि, विद्युत प्रभाव, लू-प्रकोप, हिम स्खलन, कीट आकृमण) आदि से प्रभावित व्यक्तियों को सहायता उपलब्ध करवाना आदि प्रमुख कार्य है, एक एसडीएम आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 और कई अन्य नाबालिग कृत्यों के अंतर्गत विभिन्न मजिस्ट्रेट का कार्य करते है ।Flipkart par Money kaise kamate hai ऑनलाइन फ्लिपकार्ट से पैसे कमाएं
आज की पोस्ट में आपको SDOBanne Ke Liye Kon Si Padhai Karni Chahiyeके बारे में भी जानने को मिलेगा जिसके बारे में हम आपको बिलकुल सरल भाषा में बतायेंगे आशा करते है की आपको हमारी पिछली सभी पोस्ट की तरह हमारी आज की पोस्ट भी जरूर पसंद आएगी जिसके बारे में आप पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे।
आप सभी ने के बारे में तो जरूर सुना होगा अगर नही सुना तो कोई बात नही हम आपको बतायेंगे की क्या होता है और इसके क्या-क्या कार्य है। लगभग हर सरकारी Department में नियुक्त किया जाता है यह Division Level का अधिकारी होता है जो कई तरह के काम करता है।
हमारे देश में लगभग हर District को छोटे-छोटे Parts में Divide किया गया है और इन सभी Parts के लिए हर सरकारी Department द्वारा Officer नियुक्त किये जाते है जिनका काम Division Level पर सरकारी कार्यों का सही से संचालन करना होता है यह संबंधित विभागों में कार्यरत सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर होता है।
तो अगर आप भी Sub Divisional Officer Kaise Bane के बारे में जानना चाहते है की तो इसके लिए आपको हमारी इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक पढना होगा तभी आप SDO Banne Ke Liye Kya Karna Hoga के बारे में जान पाएंगे हमे उम्मीद है की आपको हमारी इस पोस्ट में आपके सवालों के जवाब मिलेंगे।
SDO Kya Hai
SDO एक सरकारी पोस्ट होती है जो लगभग देश के हर Department जैसे- Electric Department, Police Department, सिंचाई Department आदि में होती है देश के हर शहर और जिले में एक SDO को नियुक्त किया जाता है जिन्हें देश के किसी भी Department को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए कई राज्यों में बाँटा जाता है जिससे राज्य के कई जिलों में Department का काम विस्तार रूप से किया जाता है और जो इस व्यवस्था को सुचारु रूप से पूरी तरह संभालता है उसे ही SDO कहा जाता है।Atm ki Approval kaise milti hai kitni space honi chahiye Rant Par dene ke laiye (एटीएम की अनुमोदन)
SDO Full Form
The Full form of SDO is Sub Divisional Officer.
The Sub-Divisional Officer is the chief civil officer of the sub-division. One can be appointed in different departments of government like civil, engineering, electricity, water, central public works department (CPWD), Department of posts, MES (Military Engineering Services), etc.
The minimum qualification needed to appear in this exam is Diploma (or equivalent qualification) in relevant discipline of Engineering i.e. Civil, electrical & mechanical. There is a boom in Civil Engineering government jobs and getting a government job is the dream idiolized by most people.
SDO Kaise Bane
दोस्तों अब हम आपको कैसे बनते है के बारे में बताने जा रहे है। का चयन दो तरह से होता है पहला आप विभाग के Promotion से चुने जाते है जिसमें उस विभाग के छोटे अधिकारी होते है जिन्हें उनके अच्छे काम के लिए Promote करके बना दिया जाता है वहीं दूसरी तरफ सरकार इन पदों की Direct भर्ती के लिए Exam का आयोजन भी करती है।What is Neet Exam in Hindi & why to Important नीट परीक्षा क्या है क्यों महत्वपूर्ण है
तो चलिए अब हम आगे जानते है की किसी भी राज्य में का चुनाव Exam द्वारा कैसे किया जाता है।
SDO राज्य के अधीन एक सरकारी अधिकारी होता है certificate इसलिए इसका चयन भी प्रत्येक राज्य द्वारा खुद किया जाता है। का चयन राज्य सरकार द्वारा PCS (Public Commission Service) यानि लोक सेवा आयोग की Exam के द्वारा किया जाता है sdo certificatesdo certificate लगभग हर राज्य में प्रत्येक वर्ष लोक सेवा आयोग द्वारा SDO के चयन के लिए Exam का आयोजन किया जाता है इच्छुक उम्मीदवार इस Exam फॉर्म को भरकर यह Exam दे सकते है। इस Exam में उम्मीदवार का संबंधित Department में Graduation होना चाहिये जैसे- अगर आप Technical या Electric Department में बनना चाहते है तो उसके लिए आपके उस Field में Graduation होना चाहिये।How to open a Cosmetic business in India भारत में एक कॉस्मेटिक व्यवसाय कैसे खोलें
SDO Banne Ke Liye Yogyta
तो चलिए जानते है SDO बनने के लिए आपके पास क्या-क्या योग्यता होनी चाहिये।
SDO Officer बनने के लिए आपकी उम्र 21 से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिये वहीँ OBC और SC/ST Category के उम्मीदवारों को उम्र में 3 और 5 साल की छूट है।
SDO की Exam में बैठने के लिए आपके पास Required Field में Graduation डिग्री होनी चाहिये।
अगर आपके पास यह दोनों योग्यताएं है Sub Divisional Officer तो आप इस Exam में बैठ सकते है यह Exam दो चरणों में होती है।
Preliminary Exam (प्रारंभिक परीक्षा)
यह Exam SDO के लिए दिए जाने वाला पहला Exam होता है जिसमें उम्मीदवार से अधिकतर General Knowledge, Maths, Reasoning आदि तरह के Objective Type Question पूछे जाते है जब उम्मीदवार यह Exam पास कर लेता है तब वह इस Exam के दूसरे चरण में बैठ सकता है।
Mains Exam (मुख्य परीक्षा)
यह SDO Exam का दूसरा चरण होता है sdo certificate जिसमें उम्मीदवार को प्रथम चरण को Clear करने के बाद ही बुलाया जाता है इसमें उम्मीदवार को Written Exam देनी होती है जिसमें भी Objective Type के Question पूछे जाते है लेकिन यह चरण प्रारंभिक चरण से थोड़ा कठिन होता है।
SDO अपने Department का सबसे बड़ा अधिकारी होता है sdo certificate जिसमें उसके Division में आने वाले अन्य सभी छोटे अधिकारी अपने काम के लिए SDO के प्रति जवाबदेही होते है और वह तहसीलदारों और अन्य अधिकारियों की मदद से अपने क्षेत्र के विकास कार्य पर नजर भी रखता है। इसके साथ वह छोटे अधिकारियों के लिए जनता द्वारा शिकायत आने पर उनकी शिकायत की सुनवाई भी करता है। जो भूमिका एक डीएम की पूरे जिले में होती है वही भूमिका एक SDO की अपने Department में होती है।Honey Processing Business How to Make it in Hindi शहद प्रसंस्करण व्यवसाय इसे कैसे बनाएं
एक SDO की Average Salary 23,660 रुपये महीने हो सकती है जिसमे Allowances And Grades शामिल है यह शुरुआत में Newly भर्ती किये गये SDO Officer को मिलती है। सभी सुविधाओं और Allowances को Add करने के बाद शुरुआती स्तर पर Officer की Salary 51,378 रुपये महीने हो सकती है जबकि Senior पोस्ट के Officer को इससे अधिक Salary मिलती है।
Difference Between SDM And SDO In Hindi
SDM और SDO दोनों ही sdo certificate सरकारी अधिकारी होते है लेकिन इन दोनों की पोस्ट अलग-अलग होती है sdo residential certificate online application उस हिसाब से इनके कार्य भी अलग-अलग है sdo residential certificate online application तो चलिए जानते है इन दोनों में क्या अंतर है।
SDO को उप-अधिकारी कहा जाता है sdo certificate जबकि SDM को उप-प्रभागीय न्यायधीश कहा जाता है।
SDO हर जिले और Department में अलग-अलग होते है sdo residential certificate online application sdo certificate जबकि SDM हर जिले में एक ही होता है। sdo full form
SDO केवल अपने Department की व्यवस्था की जिम्मेदारी रखता है जबकि SDM पूरे जिले की व्यवस्था की जिम्मेदारी रखता है। sdo full form
हमारी आज की इस पोस्ट के माध्यम आज आप यह भी जान पाएंगे की तो आज हम आपको सरल एवं साफ़ शब्दों में समझाएंगे। आशा करते है की हमारी आज की यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आएगी। तो आगे आने वाली हमारी पोस्ट को इसी तरह पढ़ते रहिये।दोस्तों अगर आप डेन्टिस्ट बनना चाहते है तो आपको पहले BDS यानि बेचलर ऑफ़ डेंटल साइंस के बारे में जानना होगा यह कोर्स डेंटिस्ट बनने के लिए होता है अगर आप भी एक अच्छे डेंटिस्ट बनना चाहते तो इसके लिए BDS से बेहतर कोई सुझाव नहीं हो सकता। अब यह कही ना कही आपके जीवन का एक हिस्सा बनने जा रहा है।BDS बेचलर ऑफ डेंटल सर्जरी इस कोर्स को अगर आप चाहे तो अपनी 12वी की पढाई पूरी होते ही ज्वाइन कर सकते है। इस कोर्स के दौरान आपको आपके कॉलेज में दांतो से हर तरह की बीमारी के बारे बताया जाता है और इलाज करना सिखाया जाता है। यह कोर्स पूरा होने के बाद हॉस्पिटल में 1वर्ष के लिए इसकी ट्रेनिंग भी दी जाती है।
तो आइये हम आपको बताते है Dentist Banne Ke Liye क्या करे इसके बारे में जानने के लिए हमारी आज की पोस्ट BDS Course Information In Hindi को शुरु से अंत तक जरूर पढ़े तभी आपको इसकी पूरी जानकारी मिल पाएगी।
Dentist Doctor Kaise Bane
जीवन में हर किसी का सपना होता है की वह पढ़ लिखकर कुछ बने तो आपको एक अच्छा डॉक्टर बनने के लिए एक लक्ष्य बनाकर उसी रास्ते पर चलना होगा और साथ ही साथ आपको कड़ी मेहनत और लगन के साथ अपनी 10वी की पढ़ाई पूरी होने के बाद 11वी में आपको बायोलोजी विषय लेना होगा और 12वी पास करने के बाद डॉक्टर बनने लिए आपको प्रवेश परीक्षा में हर विषय में 50% लाना होगा। तो आइये जाने डॉक्टर बनने के लिए आपको और क्या-क्या करना होगा।
रैंकिंग के अनुसार स्टूडेंट को कॉउंसलिंग में बुलाया जाता है और उसी रैंकिंग के अनुसार चयनित स्टूडेंट को कॉलेज मिलता है। परीक्षा में शामिल होने वाले स्टूडेंट की उम्र कम से कम 25 वर्ष होना आवश्यक है। इस परीक्षा को पास करते ही आप फाइनल परीक्षा में शामिल हो सकते है। उसके बाद आपको बैचलर ऑफ़ मेडिसीन, बैचलर ऑफ़ सर्जरी यानि की MBBS की पढ़ाई करना होगी।
डॉक्टर बनने के लिए शैक्षणिक योग्यताओं की आवश्यकता
इस कोर्स को पूरा करने बाद आपको किसी कॉलेज में 1वर्ष की इंटर्नशिप के लिए भेजा जाता है। इसी तरह अगर आप MBBS के कोर्स में सफल हो जाते है तो आपको मेडिकल काउंसलिंग ऑफ़ इंडिया (PCI) के द्वारा एक योग्य एवं अच्छे डॉक्टर के रूप में MBBS की डिग्री दी जाती है। इसके बाद आप अपनी योग्यता के अनुसार कही भी जाकर रीसर्च कर सकते है।
स्टूडेंट्स को AIPMT के एग्जाम पेपर में लगभग 100 प्रश्न पूछे जाते है और यह परीक्षा 3 घंटे की होती है। इसमें फ़िज़िक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी के ही प्रश्न पूछे जाते हैं। इस परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले स्टूडेंट को फाइनल परीक्षा में शामिल किया जाता है। और इस फाइनल परीक्षा में 2 घंटे का पेपर लिया जाता है इस पेपर में पहले फिजिक्स, केमिस्ट्री जैसे विषयो पर आधारित प्रश्न पूछे जाते है तथा दूसरे पेपर में बायोलॉजी एवं Botany के विषयों पर सारे प्रश्न पूछे जाते है।
यह परीक्षा 10वी एवं 12वी के विषयो पर आधारित पाठ्यक्रम से ही होती है। 12वी के तीनों विषय में फंडामेंटल और एप्लीकेशन पर विशेष ध्यान दे उसके बाद बोर्ड की परीक्षाएं समाप्त होते ही पिछले वर्ष के AIPMT के पेपर्स को हल करना शुरू करें और उसके प्रारूप को ध्यान पूर्वक समझे सैंपल पेपर्स को भी ध्यानपूर्वक पढ़े उसके अनुसार आप अपना आधार मूल्यांकन करे तथा अपनी कमजोरियों को समझने का प्रयास करे आवश्यकता पड़ने पर कोई कोचिंग संस्थान जॉइन करे इससे आपको परीक्षा की तैयारी करने में सहायता मिलेगी।
BDS Kya Hai
जैसा की आप सभी जानते ही होंगे की आज के युग में मेडीकल क्षेत्र काफी बढ़ चुका है इसी कारण स्टूडेंट्स को जॉब्स के अनेको स्कोप मिल जाते है और हर स्टूडेंट्स के मन में अपनी 12वी की पढाई पूरी होते ही अपने करियर को लेकर यही सवाल आता है की अब आगे क्या किया जाये तो BDS यानि बेचलर ऑफ़ डेंटल सर्जरी दन्त चिकित्सक से जुड़ा सबसे अच्छा डिग्री कोर्स है इसमें 4 वर्ष की पढाई एवं 1 वर्ष की ट्रेनिंग की जरूरत होती है। और इस कोर्स से स्टूडेंट्स को डेंटिस्ट बनने में बड़ी सहायता मिलती है। आजकल कई स्टूडेंट्स इस क्षेत्र में आसानी से अपना करियर बना लेते है।
BDS यानि बैचलर ऑफ़ डेंटल सर्जरी इस कोर्स को करने करे के लिए आपका 12वी में फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी जैसे सभी विषयों में 50% अंकों से पास होना अनिवार्य है फिर आपको एक प्रवेश परीक्षा जैसे- NEET, AIPMT, COMDK देनी होती है अगर आप इस परीक्षा में पास हो जाते है तो उसके बाद आप किसी भी संस्था या कॉलेज में एडमिशन ले सकते है उसके बाद आपका BDS में एडमिशन आसानी से हो सकता है।
BDS Course In Hindi
M.Sc. In Primary Dental Care
M.Sc. In Pediatric Dentistry
M.Sc. In Restorative
M.Sc. In Artistic Dentistry
हम सभी के निजी लाइफ में स्वस्थ्य और सुन्दर दाँत एक विशेष भूमिका अदा करती है| दाँतों के बिना हम सभी का जीवन कल्पना से परे है | दाँतों के बिना हमें भोजन करने में बड़ी दिक्कत होती है और बिना भोजन के हम जीवित नही रह सकते है, क्योकि भोजन से ही हमें उर्जा मिलती हैं | शायद ये पीड़ा हम सबने कभी न कभी ज़रुर महसूस की होगी, कभी दाँत में दर्द के कारण, कीड़े लगने के कारण या कभी फिर दाँत निकलने के कारण | दाँतों के बिना तो प्यारी मुस्कान भी फीकी सी नज़र आती है, या हम कह सकते है कि स्वस्थ्य दाँत हमारे जीवन में उतने ही जरूरी है जितना की हमारे शरीर के अन्य अंग | हमारा आज का यह आर्टिकल दांत के रख-रखाव एवं सुरक्षा से जुडी BDS
Bachelor of Dental Surgery) कोर्स के बारे में है| आइये जानते है कि BDS क्या है? इसमें करियर कैसे बनाएं, आवश्यक शैक्षिक योग्यता एवं BDS करने हेतु भारत के कुछ प्रमुख संस्थान आदि |
Contents
1 BDS क्या है?
2 प्रमुख डेंटल कोर्स (Dental Courses)
3 BDS के लिए आवश्यक योग्यता
3.1 पाठ्यक्रम
3.2 आवश्यक कौशल
4 नौकरी के विकल्प
5 संभावनाए
6 सैलरी
7 प्रमुख संस्थान
BDS क्या है?
बी. डी. एस. में आपको दन्त चिकित्सा के बारे में बताया जाता है | यह डेंटल साइंस से सम्बंधित एक डिग्री कोर्स हैं | इसमें आपको दाँतों से जुड़ी सभी तरह की बीमारी और उसके इलाज़ के बारे में बताया जाता है | इन कोर्स में आपको दातों के उपचार, प्रत्यारोपण, Maxillofacial prosthesis, Ocular prosthesis आदि के बारे में बताया जाता है |
प्रमुख डेंटल कोर्स (Dental Courses)
डेंटल टेक्नोलॉजी में करियर बनाने के लिए आप निम्नलिखित कोर्स चुन सकते है |
बी. डी. एस. (BDS) – बी. डी. एस. (बैचलर ऑफ़ डेंटल सर्जरी) एक डेंटल साइंस डिग्री कोर्स हैं | यह स्नातक स्तर का कोर्स है | जिसे आप इंटरमीडिएट (12वी) के बाद ही कर सकते है | इसमें आपको दाँतों से जुड़ी सभी तरह की बीमारी और उसके इलाज़ के बारे में बतलाया जाता है|
एम.डी.एस. (MDS) – एम.डी.एस. (मास्टर ऑफ़ डेंटल सर्जरी) एक परास्नातक कोर्स है | जिसे आप बी. डी. एस. करने के बाद ही कर सकते है | हम MDS के विभिन्न कोर्स में से एक कोर्स चुन कर अपनी योग्यता और काबिलियत दोनों ही बढ़ा सकते है|
यदि आप भी डेंटल सर्जरी में अपना करियर बनाना चाहते है तो तो ऊपर दिए गए कोर्स में से किसी भी एक कोर्स को चुन कर आप अपना करियर बना सकते है| आइये अब हम आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते है |
BDS के लिए आवश्यक योग्यता
Eligibility (योग्यता)
उम्मीदवारों को बी.डी.एस. में प्रवेश के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त कॉलेज से 10+2 में विज्ञान में 50% अंक प्राप्त करना अनिवार्य है|
एम.डी.एस. में प्रवेश के लिए उम्मीदवारों को किसी भी मान्यता प्राप्त कॉलेज से बी.डी.एस. की डिग्री होना अनिवार्य है|
Age (उम्र)
17 वर्ष या उससे अधिक
Qualification (शैक्षिक योग्यता)
इंटरमीडिएट, बी.डी.एस.
Admission Process (प्रवेश प्रक्रिया)
ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम (NEET)
पाठ्यक्रम
भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (Medical Council of India) के द्वारा बी.डी.एस./ एम.डी.एस. कोर्स संचालित किया जाता है | साढ़े पांच साल के इस कोर्स को करने के उपरांत आपको बैचलर ऑफ डेंटल साइंस (BDS) की डिग्री दी जाती है। तथा एम.डी.एस. के लिए बी.डी.एस. की डिग्री होना अनिवार्य है |
आवश्यक कौशल
हाथ और आंख के बीच अच्छा समन्वय।
बहुत सटीक और सटीक काम करने की दक्षता.
दीर्घकालिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता।
सटीकता और विस्तार पर अच्छा ध्यान |
जटिल तकनीकी निर्देशों को समझने और समझाने की क्षमता।
नौकरी के विकल्प
BDS/MDS में डिग्री प्राप्त bds suspension करने के बाद आपको सरकारी अस्पतालों या निजी अस्पतालों में डॉक्टर के bds suspension रूप में जॉब मिल सकती है, bds suspension या फिर आप अपना निजी अस्पताल, क्लिनिक भी खोल सकते है | आप किसी भी मेडिकल संस्थान में अध्यापक के पद पर कार्यरत भी हो सकते है | अत: यह कहना गलत न होगा कि करियर के लिहाज से BDS कोर्स एक अच्छा विकल्प है
संभावनाए
समय के bds full form साथ-साथ वर्तमान में bds full form दांतों के डॉक्टर की मांग बढ़ी है| अपने स्वास्थ्य के bds full form प्रति लापरवाही bds full form एवं त्रस्त होती जीवन शैली के बीच आज हम दांतों पर विशेष फध्यान नहीं दे पाते| bds full form ऐसे में दांतों के बीच में कैविटी रह जाती है, और दांत अच्छी तरह से साफ़ नही हो पाते | bds full form वर्तमान समय में हर घर में किसी न किसी को ये समस्या होती है | हर अस्पतालों में इसके लिए एक अलग सा विभाग भी होता है | इन सब तथ्यों के मद्देनजर तो यही कहा जा सकता है कि आने वाला कल डेंटल सर्जरी में दक्ष प्रोफेशनल का है|
सैलरी
BDS/ MDS में डिग्री पाने 24 hour dentist के बाद किसी 24 hour dentist हॉस्पिटल में ट्रेनी (जूनियर डॉक्टर) के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, 24 hour dentist बाद में 24 hour dentist आप डॉक्टर के पद पर नियुक्त हो सकते है | 24 hour dentist इसमें सैलरी 20,000/- से 80,000/- तक भी हो सकती है, 24 hour dentist तथा निजी संस्थानों में ये 20,000/- से 2,50,000 तक हो सकती हैं | अत: करियर के लिहाज से हम कह सकते है कि Dental Surgery
आज आप इस पोस्ट के माध्यम से जान पाएंगे। और हम आपको बिल्कुल सरल भाषा में इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे। आशा करते है की आपको हमारी सभी पोस्ट पसंद आ रही होगी और इसी तरह आगे भी हमारे ब्लॉग पर आने वाली पोस्ट को पसंद करते रहे।
दोस्तों आपने सिटी स्कैन के बारे में तो सुना ही होगा आज हम इस पोस्ट में इसी विषय पर चर्चा करेंगे और यह भी बतायंगे की सिटी स्कैन क्या होता है यह क्यों करवाया जाता है और किन परिस्थितियों में करवाया जाता है ऐसी ही कई सारी जानकारी आज हम आपको इस माध्यम से देंगे।
आप सभी यह तो जानते ही होंगे की आज के समय में हमारे शहर में बीमारियां कितनी तेज़ी से फ़ैल रही है अब आप हमारे आस पास ही या घर के किसी भी सदस्य को देख लो कोई ना कोई बीमारी निकल ही जाएगी तो उन सारी बिमारियों के लिए भी कई सारे टेस्ट और स्कैन होते है इन्ही से सम्बंधित एक टेस्ट सिटी स्कैन भी होता है इसमें कम्प्युटर के द्वारा मनुष्य के शरीर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण अंगो की जाँच करके बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
तो दोस्तों आइये जानते है CT Scan Kaise Hota Hai अगर आप इसके बारे में जानना चाहते है तो इसके लिए आपको हमारी आज की पोस्ट What Is CT Scan In Hindi शुरू से अंत तक पढना होगा तभी आपको इसकी पूरी जानकारी मिल पायेगी।
CT Scan Kya Hai
सिटी स्कैन का अविष्कार ब्रिटिश सर गॉडफ्रे हंसफील्ड और डॉ एलन कोर्मेक ने स्वतंत्र रूप में किया था। एक्स-रे एवं कंप्यूटर की सहायता से किये जाने वाले टेस्ट को सिटी स्कैन कहा जा सकता है जैसा की आप सभी जानते ही होंगे की पुराने समय में शारीरिक बिमारियों का पता लगाना कितना मुश्किल होता था।
लेकिन इस अविष्कार के होते ही इसमें कंप्यूटर के उपयोग से एक्स-रे मशीनों से मनुष्य के शरीर के क्रॉस-आंशिक चित्र बनाने का कार्य किया जाने लगा और एक टेस्ट के माध्यम से यह भी पता लगाया जाने लगा की बीमारी कितनी पुरानी है और कितनी बड़ी है। सिटी स्कैन का प्रयोग शरीर के मुख्य अंग जैसे- सिर, कंधो, दिल, पेट आदि को स्कैन करने में किया जा सकता है।
सिटी स्कैन करने से पहले व्यक्ति को कुछ भी खाने पीने के लिए नही दिया जाता और सिटी स्कैन होते समय अगर उसने कोई लोहे की धातु या सोने के गहने जेवरात पहने हो तो उन्हें निकाल दिया जाता है। उसके बाद व्यक्ति को बड़े आकार की सिटी स्कैन मशीन के अंदर टेबल पर सुलाया जाता इस दौरान व्यक्ति को हिलना डुलना बिल्कुल नहीं होता है नहीं तो स्कैन का चित्र धुंधला हो सकता है इसलिए मरीज को अंत तक एक ही स्थिति में रहने को कहा जाता है।
सिटी स्कैन के द्वारा एक संकीर्ण एक्स-रे बीम का प्रयोग किया जाता है और वह व्यक्ति के शरीर के आस-पास घुमता है और शरीर के अलग-अलग भागों से छवियों की एक श्रृंखला तैयार करता है। शरीर के सभी भागो का क्रॉस सेक्शनल चित्र बनाने के लिए इसमें कंप्यूटर के द्वारा इस जानकारी को उपयोग किया है।
कई टुकड़ो में चित्र बनाने के बाद कंप्यूटर के द्वारा इस तरकीब को अपनाया जाता है। उसके बाद कंप्यूटर इन चित्रों को स्कैन करके 3डी इमेज के आकार में बदल दिया जाता है जिसे डॉक्टर्स आसानी से देख लेते है और इसमें शरीर के सभी अंगो का चित्र स्पष्ट दिखाई देता है।
सिटी स्कैन का उपयोग मुख्य रूप से चोटों और शरीर में हो रही बिमारियों का इलाज करने के लिए किया जाता है क्योंकि इसके द्वारा निकली रिपोर्ट्स से स्पष्ट हो जाता है की मरीज़ को क्या बीमारी है और शरीर का कौन सा हिस्सा किस कारण से प्रभावित है। सिटी स्कैन के द्वारा यह सभी टेस्ट करने में बहुत समय लिया जाता है और इन बिमारियों का टेस्ट लेने में मरीज़ के शरीर को CT Scan से Scan किया है जैसे –
मांसपेशियों के विकार और हड्डी फ्रैक्चर
ट्यूमर (कैंसर) के बारे में जानने के लिए
कैंसर रोग और हृदय रोग
रक्त वाहिकाओं और आंतरिक संरचनाओ का अध्ययन
आंतरिक चोंटे और आंतरिक रक्तस्राव की मात्रा का आंकलन
MRI मतलब यह एक ऐसी मशीन होती है जिससे मनुष्य के शरीर से जुड़े सभी भीतरी अंगों का फोटो लिया जाता है और यह पता लगाया जाता हैं की आपके शरीर में क्या बीमारी है। इस परीक्षण के बाद डॉक्टर्स आपको यह समाधान दे सकता है की आपको इलाज के लिए क्या प्रतिक्रिया देना चाहिए और MRI सिटी स्कैन से सम्बंधित MRI रेडिएशन का इस्तेमाल कभी भी नहीं करता।
MRI स्कैन के द्वारा ह्रदय, लिवर, गर्भाशय, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, किडनी और शरीर के अंदर के रोगों यानि पूर्ण शरीर की जांच की जा सकती है और उपकरणों को मरीज के शरीर में पहुचाये बिना ही उसके अंगों की स्थिति स्कैन चित्रों की सहायता से आसानी से मिल जाती है। MRI स्कैन एक खास और मजबूत रिजल्ट देता है जिससे चिकित्सको को रोगों की पहचान करने और उनका इलाज करने में मदद मिलती है।
सबसे पहले तो मरीज़ के हाथों की नस पर एक Galenline Contrast Dye को रखा जाता है जिसके द्वारा MRI मशीन से चिकित्सक शरीर के अंदर की संरचना को देखा जा सकता है।
उसके बाद मरीज को टेबल पर लेटाया जाता है और उसके पैरों पर एक बेल्ट लगा दिया जाता है जिससे मरीज कोई हलचल ना कर पाए आराम से लेटा रहे ताकि MRI छवि साफ आए और टेक्निशियन को जाँच करने में भी परेशानी ना हो।
MRI मशीन के अंदर एक प्रभावशाली चुम्बकीय स्थान होता है जिसके कारण मरीज थोड़ा विचलित और अटपटा सा महसूस करता है।
MRI स्कैनिंग में Impulsion बनने से MRI दृश्य या चित्र एक Layer के रूप में कंप्यूटर को भेजता है।
MRI कराते समय मरीज को मशीन के अंदर एक आवाज महसूस हो सकती है। क्योंकि MRI मशीन के द्वारा Layer रूप में एक छवि लेने के लिए चुम्बकीय ऊर्जा तैयार होती है। और आवश्यकता पड़ने पर आंतरिक शोर गुल से बचने के लिए हैडफ़ोन, एयरप्लग या रुई का उपयोग हो सकता है।
Difference Between MRI And CT Scan In Hindi
तो चलिए जानते है MRI और CT Scan दोनों में क्या अंतर है।
MRI Scan के द्वारा शरीर के मुलायम अंगो और हड्डियों की एक छवि बनाने के लिए चुंबकिय स्थान और रेडियो तरंगो का उपयोग किया जाता है जबकि CT Scan अन्य कणो पर ली गई एक्स-रे छवियों की श्रंख्ला का संयोजन है और यह चित्र बनाने के लिए उपयोग भी करता है।
MRI Scan को छवियों के विस्तार के रूप में बेहतर माना जाता है और CT Scan में एक्स-रे का उपयोग किया जाता है जबकी MRI Scan में इसका उपयोग नहीं होता है।
MRI Scan शरीर के आंतरिक अंगों के बारे में अनेक जानकारी प्रदान करते है जबकि CT Scan में मस्तिष्क, कंकाल और प्रजनन आदि प्रणालियों के विषय में जानकारी प्रदान करते है।
MRI Scan और CT Scan दोनों ही शरीर की हड्डियों की संरचनाओं को देख सकते है। जबकि MRI Scan केवल एक विस्तार प्रदान करता है मुख्य रूप से शरीर की हड्डियों के आसपास के मुलायम कणो को।
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