Barber Shop नाई की दुकान या हेयर सैलून से आप सब अच्छी तरह अवगत होंगे, क्योंकि हर किसी ने इस प्रकार की दुकानों में जाकर अपने बाल अवश्य कटाए होंगे। जी हाँ नाई की दुकान से वास्ता मनुष्य का उसके बचपन से ही हो जाता है जब उसके सिर पर बाल लम्बे होना शुरू हो जाते हैं। इसलिए कहा जा सकता है की मनुष्य की पहचान खास तौर पर पुरुषों की इस व्यवसाय से पहचान उसके बचपन में ही हो जाती है। Barber Shop Business एक पारम्परिक बिज़नेस है यह प्राचीनकाल से चला आ रहा है इसलिए बहुत बार राजा महाराजाओं के वृतांत में नाईयों का भी उल्लेख मिलता है। जहाँ पहले ग्रामीण इलाकों में सहयोग की भावना व्याप्त होने के चलते किसी एक गाँव वाले को बाल काटने का ज्ञान होने पर वही सारे गाँव के पुरुषों के बाल बिना किसी शुल्क के काट लिया करता था। लेकिन वर्तमान में न तो ग्रामीण इलाकों में सहयोग की भावना रह गई है और न ही ऐसे लोग। सच्चाई तो यह है की अब समय ही बदल गया है तो लोगों को तो समय के हिसाब से बदलना ही है। खैर जो भी हो बदलते समय के साथ साथ ग्रामीण इलाकों की तरफ भी इस प्रकार के बिज़नेस अर्थात Barber Shop ने इसलिए पाँव पसारने शुरू कर दिए हैं क्योंकि वहां के जनमानस को इसकी आवश्यकता है। इन सब उपर्युक्त बातों से अभिप्राय सिर्फ इतना सा है की Barber Shop Business एक ऐसा बिज़नेस है जिसे दुनिया के किसी भी कोने से शुरू किया जा सकता है। इसलिए आइये जानते हैं आखिर यह बिज़नेस है क्या?
नाई की दुकान का व्यापार क्या है (What Is barber Shop Business in Hindi):
साधारण बोलचाल की भाषा में एक नाई की दुकान का अर्थ उस स्थान से लगाया जाता है जहाँ एक या एक से अधिक नाई काम कर रहे होते हैं । इसका मतलब यह हुआ की Barber Shop एक ऐसा स्थान है जहाँ एक या एक से अधिक नाई अपने ग्राहकों की हेयर कटिंग, शेविंग या मसाज इत्यादि कर रहे होते हैं । अधिकतर आम तौर पर लोग हेयर कटिंग एवं शेविंग करने के लिए ही नाई की दुकान का रुख करते हैं । इसलिए एक ऐसा स्थान जहाँ कम से कम दो उपर्युक्त काम कटिंग एवं शेविंग होती हो को Barber Shop कहा जा सकता है । चूँकि कटिंग शेविंग इत्यादि के बदले सम्बंधित नाई की कमाई हो रही होती है इसलिए इसे व्यापार अर्थात बिज़नेस की संज्ञा भी दी गई है।
नाई की दुकान की आवश्यकता (Requirement of barber Shop Business):
How to Start Milk Dairy Farming Business Idea’s & Development in Hindiहर पुरुष चाहे ग्रामीण भारत हो या शहरी अपने बाल कटवाने एवं शेविंग करने Barber Shop पर अवश्य जाता है। इसलिए ऐसी कॉलोनी गलियों में जहाँ पुरुषों की संख्या ठीक ठाक है नाई की दुकान खोली जा सकती है । ग्रामीण भारत में जहाँ पहले गाँव के किसी व्यक्ति द्वारा ही निःशुल्क पुरुषों के बाल काट दिए जाते थे, वर्तमान में ऐसा नहीं है । इसलिए इस तरह के दुकान की आवश्यकता लगभग हर स्थानीय मार्केट में हो गई है । किसी स्थानीय मार्केट में वहां की जनसँख्या के हिसाब से एक से अधिक Barber Shop आसानी से चल सकती है । कहने का अभिप्राय यह है की किसी स्थानीय मार्केट में जैसे अन्य दुकानें होनी जरुरी हैं वैसे ही नाई की दुकान भी होनी जरुरी है ताकि वहां के स्थानीय लोग वहां पर जाकर कटिंग एवं शेविंग करा सकें। उद्यमी को चाहिए की वह नाई की दुकान खोलने के लिए किसी स्थानीय मार्केट का चयन कर सकता है।
नाई की दुकान कैसे खोलें (How to Start Barber Shop Business In India in Hindi):
Derma Roller Therapy Acne Scars Glowing Skin & Hair loss Use derma roller in Hindiयद्यपि नाई की दुकान नामक यह व्यापार बेहद कम निवेशों की लिस्ट में सम्मिलित कमाई करने के उद्देश से एक अच्छा व्यापार माना जाता रहा है । यह एक ऐसा बिज़नेस है जो वर्ष के बारह महीने बिना किसी रुकावट के चलते रहता है । और कहा जाता है की Barber Shop Business शुरू करना बेहद आसान कार्य है लेकिन स्किल कर्मचारियों का मिलना एवं अच्छी लोकेशन मिलना इस बिज़नेस के लिए एक चुनौती हो सकती है। फिर भी हम इस लेख के माध्यम से भारतवर्ष में नाई की दुकान खोलने की स्टेप बाई स्टेप प्रक्रिया के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
बिज़नेस लोकेशन का चुनाव करें:
हालांकि सभी प्रकार के बिज़नेस के लिए उसकी लोकेशन बड़ी अहम होती है लेकिन Barber Shop की सफलता या असफलता इस बात पर ही निर्भर करती है की उद्यमी की बिज़नेस लोकेशन क्या है। कहने का अभिप्राय यह है की यदि उद्यमी चाहता है की उसका बिज़नेस सफलता के पथ पर आगे बढे तो उसे अपने बिज़नेस के लिए एक परफेक्ट लोकेशन का चुनाव करना होगा। उद्यमी अपनी दुकान को किसी स्थानीय मार्केट में, या ऐसे आवसीय कॉलोनियों के नज़दीक खोल सकता है जहाँ पुरुषों की संख्या अधिक हो। क्योंकि नाई की दुकान में अधिकतर तौर पर पुरुष ही बाल कटवाने एवं शेविंग करने आते हैं। ध्यान रहे Barber Shop ऐसी जगह पर होनी चाहिए जहाँ ग्राहक आसानी से पहुँच सके अर्थात या तो यह सड़क के किनारे होनी चाहिए या सड़क से इसकी दूरी पैदल चलने योग्य होनी चाहिए।Education Loan Kya hai & kyu or kaise Apply kre in (Hindi & English)
किसी भी बिज़नेस के लिए अच्छी लोकेशन का चयन कैसे करें।
खर्चे का आकलन करें:
यद्यपि नाई की दुकान खोलने यानिकी Barber Shop Business शुरू करने में बहुत ज्यादा खर्चा करने की आवश्यकता नहीं होती है। यहाँ तक की यदि व्यक्ति स्वयं बाल काटना एवं दाढ़ी बनाना इत्यादि काम जानता हो तो वह इस बिज़नेस को 60 हज़ार से एक लाख के बीच आसानी से शुरू कर सकता है। लेकिन इसके बावजूद Barber Shop Business शुरू करने में आने वाली लागत अनेक कारकों पर निर्भर करती है। इसमें लोकेशन, कर्मचारियों की नियुक्ति, ग्राहकों को दी जाने वाली सुविधाएँ इत्यादि शामिल हैं। यदि उद्यमी के पास स्वयं की दुकान एवं इस काम में स्वयं का अनुभव हो तो लागत और भी कम हो सकती है। यहाँ पर हम एक किराये पर लेकर नाई की दुकान खोलने में आने वाले खर्चे का ब्यौरा नीचे दे रहे हैं ।
बहुत सारे दुकान के मालिकों द्वारा दुकान किराये पर देने से पहले रिफंडेबल सिक्यूरिटी की मांग की जा सकती है । यद्यपि यह खर्चा नहीं होता है क्योंकि दुकान छोड़ते वक्त दुकान मालिक द्वारा यह रकम उद्यमी को लौटा दी जाती है । इस तरह की यह सिक्यूरिटी डिपाजिट 40-50 हज़ार रूपये हो सकती है।
एक अच्छी लोकेशन पर इस तरह की दुकान का किराया 8-12 हज़ार रूपये मान के चल सकते हैं।
एक अनुभवी स्टाफ की सैलरी 12-15 हज़ार रूपये मान के चल सकते हैं।
एक हज़ार रूपये महीने का बिजली का बिल मान के चल सकते हैं।
बीस से पच्चीस हज़ार रूपये फर्निशिंग एवं उपकरण खरीदने में आ सकता है।
स्थानीय नियमों की जानकारी लें:
हालांकि अभी तक छोटे स्तर पर Barber Shop business शुरू करने के लिए लाइसेंस एवं पंजीकरण की आवश्यकता अनिवार्य रूप से नहीं होती है। लेकिन फिर भी उद्यमी को स्थानीय नियमों की जानकारी ले लेनी चाहिए की उस लोकेशन विशेष पर ऐसा कोई नियम तो नहीं है की उसे अपने बिज़नेस को रजिस्टर करने की आवश्यकता हो । इसके लिए उद्यमी स्थानीय प्राधिकरण के कार्यालय में जाकर पता कर सकता है । अगर नियमों के मुताबिक उसे कुछ लाइसेंस इत्यादि लेने की आवश्यकता हो तो उद्यमी को वह अवश्य लेना चाहिए।
नाई की दुकान स्थापित करें :
उद्यमी का अगला कदम चयन की गई दुकान में फिक्सिंग एवं फर्निशिंग का काम कराने का होना चाहिए । नाई की दुकान अच्छे ढंग से स्थापित करने के लिए उद्यमी को शीशों की आवश्यकता हो सकती है। इन सब कार्यों को निष्पादित करने के लिए उद्यमी किसी अनुभवी कारपेंटर से संपर्क कर सकता है। जिसने पहले भी Barber Shop की फिक्सिंग एवं फर्निशिंग का काम किया हुआ हो।
आवश्यक टूल एवं उपकरण खरीदें :
नाई की दुकान स्थापित हो जाने के बाद अर्थात दुकान में शीशे इत्यादि लग जाने, कुर्सियां लग जाने एवं कारपेंट्री वर्क पूर्ण हो जाने के बाद उद्यमी का अगला कदम Barber Shop के लिए आवश्यक उपकरण एवं टूल खरीदने का होना चाहिए । या उद्यमी चाहे तो यह काम फिक्सिंग एवं फर्निशिंग कराने से पहले भी कर सकता है वह तब जब उद्यमी को शीशे एवं कुर्सियां कारपेंटर न दे रहा हो । शीशे, कुर्सियों के अलावा उद्यमी को कैंची, ट्रिमर, शेविंग मशीन, अनेकों प्रकार की कॉस्मेटिक क्रीम, हेयर ब्रश, कंघियाँ, टेलकम पाउडर, बिजली से चलने वाली मशीन जैसे बालों को छोटा करने वाली मशीन इत्यादि चाहिए हो सकती हैं । शीशे एवं कुर्सियों के अलावा यह सभी सामान छोटा एवं सस्ता सामान है इसलिए Barber Shop Business में ज्यादा निवेश अपेक्षित नहीं है।
अनुभवी कर्मचारी नियुक्त करें:
यदि उद्यमी को स्वयं भी बाल कटाई, दाढ़ी बनाना, मसाज करना इत्यादि काम आता हो तो उसे एक कर्मचारी की आवश्यकता हो सकती है लेकिन यदि उद्यमी यह कार्य नहीं जानता हो तो फिर उसे एक से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति करने की आवश्यकता हो सकती है । एक औसतन शहर में अनुभवी नाई 12-15 हज़ार मासिक वेतन में उपलब्ध हो सकते हैं । शुरू में उद्यमी चाहे तो अकेले भी Barber Shop चला सकता है या फिर सस्ती दरों पर किसी सहायक को काम पर रखकर उसे काम सीखा सकता है। इससे उद्यमी को कर्मचारी कुछ समय के लिए सस्ती दरों पर उपलब्ध हो जायेगा और जब तक उसका बिज़नेस रफ़्तार पकड़ेगा तब तक उसका सहायक भी काम सीख जायेगा।
मार्केटिंग करें एवं कमाई करें:
हालांकि barber Shop के लिए शुरूआती दिनों में ग्राहक लाना बेहद कठिन काम है और सच्चाई यह है की इस बिज़नेस को प्रोत्साहित करने के लिए ज्यादा मार्केटिंग तकनीक का उपयोग भी नहीं किया जा सकता। क्योंकि जब लोगों को बाल काटने होते हैं तो वे खुद अपनी पास की नाई की दुकान में पहुँचते हैं बशर्ते उन्हें पता होना चाहिए की उनके पास में नाई की दुकान या Barber Shop कहाँ पर है । इसलिए यदि उद्यमी की दुकान किसी स्थानीय मार्केट या आवसीय कॉलोनी में है तो उसके आस पास के लोग बाल कटवाने, दाढ़ी बनाने एवं अन्य कामों के लिए उस दुकान में अपने आप आयेंगे लेकिन ग्राहक को अपने बिज़नेस के साथ बांधे रहना इस बिज़नेस में उद्यमी की एक बड़ी जिम्मेदारी होती है । इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह पूरी लगन एवं ईमानदारी से अपना कार्य करे और ग्राहकों के साथ अच्छा व्यवहार करे ताकि लोग बार बार उसकी ही Barber Shop में बाल कटवाने, दाढ़ी बनवाने, मसाज करवाने इत्यादि कामों के लिए आयें ।
Restaurant and bar से तो लगभग सभी लोग वाकिफ होंगे क्योंकि यह एक ऐसी जगह होती है जहाँ लोग अपने जिन्दगी के कुछ क्षणों को आनंदमय बनाने के लिए जाते हैं । जी हाँ यह एक ऐसी जगह होती है जहाँ ग्राहक को स्वादिष्ट खाने के साथ मदिरा यानिकी शराब भी बेचीं जाती है । restaurant business plan और वर्तमान में Restaurant and bar का बिज़नेस भी ऐसे लाभकारी बिज़नेस की लिस्ट में शामिल है जिसमे निवेश तो बहुत ज्यादा करना पड़ता है लेकिन बेहद कम समय में इस तरह के बिज़नेस से बहुत अधिक कमाई भी की जा सकती है, यदि Restaurant and bar उपयुक्त जगह पर हो तो ।
हालांकि रेस्टोरेंट तो मनुष्य भारत के किसी भी कोने में खोल सकता है लेकिन रेस्टोरेंट के साथ बार का बिज़नेस सिर्फ उसी राज्य में कर सकता है जिन राज्यों में इसकी इजाजत हो क्योंकि भारत के अनेक राज्यों में मदिरा बेचने एवं खरीदने पर प्रतिबंध है । तो हो सकता है की ऐसे राज्यों में सम्बंधित विभाग से बार खोलने की अनुमति प्रदान न हो । लेकिन इन सबके बावजूद भी हम Restaurant and bar Business पर वार्तालाप करना इसलिए पसंद करेंगे क्योंकि बहुत सारे व्यक्ति उद्यमिता की ओर अग्रसित होने एवं अपनी कमाई करने के लिए इस बिज़नेस के बारे में इन्टरनेट पर जानने की कोशिश करते हैं । तो आइये जानते हैं आखिर यह बिज़नेस है क्या?
रेस्टोरेंट और बार बिज़नेस क्या है (What is restaurant and bar business in Hindi):
रेस्टोरेंट से तो शायद आप सब वाकिफ होंगे क्योंकि यह एक ऐसा स्थान होता है जहाँ तरह तरह का खाना ग्राहक के आर्डर पर बनाया जाता है । और ग्राहकों द्वारा उस जगह पर बैठने एवं खाना खाने के लिए भुगतान किया जाता है । लेकिन शायद बार शब्द से आप अच्छी तरह परिचित नहीं होंगे यह किसी रेस्टोरेंट, क्लब, पब इत्यादि में एक ऐसा काउंटर होता है जहाँ से ग्राहकों को ड्रिंक्स एवं रिफ्रेशमेंट परोसे जाते हैं । इसलिए यदि किसी रेस्टोरेंट में इस तरह का कोई काउंटर नहीं है तो उसे सिर्फ रेस्टोरेंट का व्यापार कहा जायेगा जबकि जिस रेस्टोरेंट में ड्रिंक एवं रिफ्रेशमेंट परोसने का भी काउंटर होता है उस व्यापार को Restaurant and Bar Business कहा जाता है । इस तरह के स्थलों पर लोग कभी कभी या नियमित तौर पर खाना खाने एवं मदिरा का सेवन करने जाते हैं ।
रेस्टोरेंट एवं बार की आवश्यकता (Requirement of Restaurant and bar):
मनुष्य की वर्तमान जीवनशैली ऐसी हो गई है की उसे अपने जीवन में काफी भागदौड़ करनी होती है । इसलिए आज का मनुष्य इस भागदौड़ भरी पूरे दिन की थकान उतारने के लिए बार एवं रेस्टोरेंट में डिनर करना पसंद करता है । यही कारण है की वह दोस्तों या परिवार के सदस्यों के साथ किसी Restaurant and Bar में डिनर करने का लगभग आदी हो गया है । हालांकि हर किसी के साथ ऐसा नहीं है ऐसा सिर्फ उन लोगों के साथ है जिनकी कमाई ठीक ठाक है क्योंकि रेस्टोरेंट में खाना खाने का एवं ड्रिंक पीने का नियमित तौर पर बिल चुकाने का सामर्थ्य कुछ चुनिन्दा लोगों में ही होता है । लेकिन हफ्ते में, महीने में तो माध्यम वर्ग से जुड़े लोग भी Restaurant and Bar में जाना पसंद करते हैं । चूंकि इस तरह के खानपान का बिल चुकता करने का सामर्थ्य उनकी कमाई के हिसाब से कुछ लोगों में ही होता है यही कारण है की हर Restaurant and bar business सफल नहीं हो पाता बल्कि इस क्षेत्र में सफलता की दर एक आंकड़े के मुताबिक केवल 40-50% ही है । बाकी 40-50% रेस्टोरेंट खुलने के एक साल के भीतर भीतर बंद हो जाते हैं । इस बिज़नेस को शुरू करने में निवेश भी काफी अधिक करना पड़ता है इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह अच्छे ढंग से रिसर्च के बावजूद ही इस तरह का बिज़नेस शुरू करे ।HOW TO DRUGS ADDICTION Abuse in Hindi
रेस्टोरेंट और बार का व्यापार कैसे शुरू करें? (How to Start Restaurant and Bar Business In India in Hindi):
हालांकि हम पहले भी बता चुके हैं की Restaurant and Bar का बिज़नेस उन लाभकारी बिज़नेस की लिस्ट में शामिल है जिसके सफलतापूर्वक चलने पर अकूत सम्पति कमाई जा सकती है । लेकिन इस क्षेत्र के बहुत सारे स्टार्टअप एक साल के भीतर भीतर बंद भी हो जाते हैं । फिर भी आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से इस बिज़नेस को शुरू करने से सम्बंधित सभी डिटेल्स पर गौर फरमाने का भरसक प्रयत्न करेंगे । हालांकि इंडिया में Restaurant and bar के अनेकों प्रारूप जैसे क्लब, पब, बियर बार, स्पोर्ट्स बार इत्यादि हो सकते हैं | इसलिए सर्वप्रथम उद्यमी को यही निर्णय लेना होता है की वह रेस्टोरेंट के साथ किस प्रकार का बार शुरू करना चाहता है । जब व्यक्ति द्वारा यह निर्णय ले लिया जाता है तो उसके बाद उसे व्यापारिक लोकेशन का निर्णय लेना होगा ।When do we need to File Income Tax Return in Hindi
बिज़नेस लोकेशन का निर्णय कैसे लें:
सिर्फ रेस्टोरेंट खोलने के लिए जितनी जगह की आवश्यकता होती है Restaurant and bar खोलने के लिए उससे अधिक जगह की आवश्यकता होती है । इस तरह का व्यापार शुरू करने के लिए उद्यमी को 5000 Square Feet से 10000 Sq Feet जगह की आवश्यकता हो सकती है । और यह केवल ग्राउंड फ्लोर या एक से दो फ्लोर पर स्थापित हो सकता है । वर्तमान समय में इस तरह का सेटअप स्थापित करने में पार्क यानिकी खुले एरिया या हट इत्यादि भी स्थापित किये जा सकते हैं ताकि ग्राहक एक नया एवं अनोखा अनुभव का आनंद ले सके । restaurant and Bar यदि किसी मार्केट के नज़दीक, शौपिंग माल में, माल के नज़दीक हो तो इसके चलने की संभावना अधिक रहती है । जानकारों के मुताबिक रेस्टोरेंट एवं बार खोलना ऐसी लोकेशन में लाभकारी सिद्ध होता है जहाँ ऑफिस इत्यादि स्थापित हों आम तौर पर एक ऐसा एरिया जहाँ के अनेकों ऑफिस में 15 -20 हज़ार लोग काम करते हों ऐसे एरिया में Restaurant and Bar खोलना बेहद लाभाकरी होता है और बिज़नेस के चल निकलने की संभावना बहुत अधिक होती है । क्योंकि इससे संभावना यह लगाई जाती है की ऑफिस के बाद लोग अपने साथ काम करने वाले लोगों के साथ ऐसे स्थल पर जाना बेहद पसंद करते हैं । हालांकि इस तरह के बिज़नेस को शुरू करने के लिए इतनी बड़ी जगह मिल पाना एवं उसका किराया वहन कर पाना कोई सरल कार्य बिलकुल नहीं है । 5-10 हज़ार स्क्वायर फीट जगह का महीने का किराया ही एक से दो लाख रूपये हो सकता है । लेकिन फिर भी यह लोकेशन पर निर्भर करेगा । हालांकि केवल मार्केट में इस तरह का बिज़नेस स्थापित करना उद्यमी की राह को आसान जरुर बना देता है लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं होता है की मार्केट में व्यक्ति कहीं भी यह खोल ले, मार्केट में वह लोकेशन जहाँ लोग पैदल आसानी से आ जा सकें और जिसकी दूरी किसी पार्किग स्थल से बेहद कम हो का चुनाव करना चाहिए ।Petroleum Jelly Production of Hindi & English in full detail
किसी भी बिज़नेस के लिए अच्छी लोकेशन का चुनाव कैसे करें?
रसोई उपकरण खरीदारी स्थापना एवं कच्चे माल का चुनाव (Selection of Kitchen Equipment and Raw material):
यह सच है की रेस्टोरेंट बिज़नेस उसके खाने के how to start a bar business स्वाद के नाम जाना जाता है यदि किसी रेस्टोरेंट का खाना स्वादिष्ट है तो वहां केवल उस स्थानीय एरिया से नहीं बल्कि दूर दूर से भी ग्राहक खाना खाने आ सकते हैं । how to start a bar business जहाँ तक Restaurant and bar Business की बात है इसमें खाना स्वादिष्ट होने के साथ साथ सर्विस इत्यादि भी अच्छी होनी चाहिए यह सब तभी संभव है how to start a bar business जब उद्यमी के पास एक मजबूत बैकएंड उपलब्ध हो । how to start a bar business इसको सुचारू रूप से चलाने के लिए उद्यमी को गुणवत्तायुक्त किचन उपकरण एवं कच्चा माल खरीदना होगा । how to start a bar business सही किचन उपकरण होने से न सिर्फ पूरी प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है बल्कि यह उद्यमी को किसी खास कर्मचारी पर निर्भर होने से भी बचाता है ।how to start a bar business जानकारों के मुताबिक यदि उद्यमी शुरुआत में ही अच्छी गुणवत्तायुक्त सही उपकरण जैसे ड्रायर, फ्रायर, ओवन इत्यादि खरीद लेता है how to start a bar business तो ये उपकरण आने वाले समय में उद्यमी की बचत में सहायक होते हैं । how to start a bar business इसके अलावा यदि Restaurant and bar Business करने वाला व्यक्ति चाहता है how to start a bar business की उसके बिज़नेस को शुरू करने में थोड़ा खर्च कम हो तो वह किचन में प्रयुक्त होने वाला फर्नीचर जैसे काम करने वाली टेबल, रैक इत्यादि पुरानी खरीद सकता है । how to start a bar business हालांकि किचन को स्थापित करने वाला खर्चा इस बात पर निर्भर करता है की उद्यमी अपने ग्राहकों को कौन कौन से व्यंजन बनाकर खिलाना चाहता है । कहने का अभिप्राय यह है की एक Restaurant and bar के रसोईघर को स्थापित करने में लगभग 5-7 लाख रूपये का खर्चा आ सकता है । और किचन के कच्चे माल पर शुरूआती दौर में एक दो लाख रूपये तक का खर्चा आ सकता है अब चूँकि उद्यमी रेस्टोरेंट के अलावा बार भी खोल रहा है तो उसे 10-12 लाख की ड्रिंक भी खरीदनी पड़ सकती है ।Envelope Production in Hindi
सर्विस एरिया, रेस्टोरेंट और बार का निर्माण:
अब यदि उद्यमी द्वारा किचन के लिए आवश्यक उपकरण एवं कच्चा माल खरीद लिया गया हो और किचन की स्थापना पूर्ण हो गई हो तो अब उसका अगला कदम सर्विस एरिया, रेस्टोरेंट एवं बार के निर्माण का होना चाहिए । Restaurant and bar Business करने वाले उद्यमी को इस बात को समझना होगा की आम तौर पर लोग इस तरह के स्थलों पर आराम एवं आनंद लेने एवं अपना अच्छा समय बिताने आते हैं । bar business plan इसलिए उद्यमी को अपने रेस्टोरेंट के रंग एवं माहौल को ऐसा बनाना होगा जो इस तरह की भावना को बढ़ावा देने में सहायक हों । bar business plan वार्म रंगों को आम तौर पर रेस्तरां इत्यादि में प्राथमिकता दी जाती है bar business plan और फर्नीचर भी काफी आरामदायक होना जरुरी है । bar business plan इसलिए ऐसे स्थलों में मेहमानों को बैठाने के लिए आरामदायक कुर्सियां रखने की सलाह दी जाती है । bar business plan हालांकि इस काम के लिए उद्यमी bar business plan चाहे तो किसी इंटीरियर डिज़ाइनर को नियुक्त कर सकता है । इंटीरियर एवं फर्नीचर में 12-15 लाख या इससे भी अधिक खर्च हो सकते हैं ।
लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन(License & Registration Required for Restaurant and Bar Business):
एक Restaurant and Bar Business शुरू करने के लिए इंडिया में अनेकों प्रकार के लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता हो सकती है । इस बिज़नेस को शुरू करने के लिए दस से भी अधिक लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है जिनका संक्षिप्त वर्णन कुछ इस प्रकार से है ।
मदिरा बेचने का लाइसेंस (Liquor License) राज्य के आबकारी विभाग से लिया जा सकता है।
शॉप एंड एस्टाब्लिश्मेंट लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है । starting a restaurant business
खाद्य हाउस के लिए पुलिस डिपार्टमेंट से लाइसेंस । starting a restaurant business
स्थानीय प्राधिकरण जैसे नगर निगम, नगर पालिका से लाइसेंस । starting a restaurant business
फ़ूड लाइसेंस खाद्य एवं सुरक्षा मानक प्राधिकरण से लिया जा सकता है । starting a restaurant business
नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट फायर डिपार्टमेंट से लिया जा सकता है । starting a restaurant business
जीएसटी रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन भी अप्लाई किया जा सकता है । starting a restaurant business
गाना बजाने का लाइसेंस (Music License) । starting a restaurant business
पर्यावरण मंजूरी का प्रमाण पत्र भी चाहिए हो सकता है । starting a restaurant business
टेन नंबर टीडीएस काटने के लिए जरुरी होता है । bar business plan
स्टाफ की नियुक्ति: bar business plan
शुरूआती दौर में Restaurant and bar Business शुरू करने restaurant business cards के लिए उद्यमी को कम से कम 22-25 Staffs की आवश्यकता हो सकती है जिसमे मैनेजर से लेकर सैफ, हेल्पर, वेटर, कैप्टेन, बर्तन धोने वाले, बार टेंडर, restaurant business cards स्टोर कीपर इत्यादि सभी सम्मिलित हैं । restaurant business cards जिनकी महीने की सैलरी लगभग 4 restaurant business cards लाख रूपये तक हो सकती है । restaurant business cards हालांकि प्रत्येक स्टाफ की सैलरी उसके अनुभव एवं कौशल पर निर्भर करेगी ।
स्टाफ के लिए ड्रेस निर्धारित करना :
उद्यमी को अपने स्टाफ के लिए ड्रेस का निर्धारण करना बेहद जरुरी होता है restaurant business cards क्योंकि ड्रेस में कर्मचारी साफ़ सुथरे एवं आकर्षक लगते हैं जो ग्राहकों पर अनुकूल प्रभाव डालते हैं ।restaurant business cards इसमें Restaurant and bar का बिज़नेस कर रहे उद्यमी को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा की किचन स्टाफ की अलग, उसमे भी सैफ कोट अलग, हेल्पर ड्रेस अलग, वेटर एवं कैप्टेन इत्यादि की ड्रेस अलग अलग होनी चाहिए । स्टाफ के लिए ड्रेस इत्यादि बनाने में भी उद्यमी का 35-50 हज़ार रूपये खर्च हो सकते हैं ।
सही दिशा में मार्केटिंग एवं कमाई:
अपने बिज़नेस की मार्केटिंग के लिए उद्यमी मेनू इत्यादि को आकर्षक ढंग से restaurant business plan प्रकाशित करवा सकता है restaurant business plan इसके अलावा restaurant business plan यदि किसी ग्राहक द्वारा घर restaurant business plan के लिए खाना पैक कराने को कहा जाता है तो उसमे एक प्रिंटेड पेपर का टुकड़ा जिसमे उसकी सभी आइटम इत्यादि का विवरण हों उस आर्डर के साथ डाल सकता है। restaurant business plan लेकिन प्रिंटिंग सम्बन्धी यह काम कराने से पहले किसी डिज़ाइनर से मिलकर अपने रेस्टोरेंट restaurant business plan के लिए लोगो डिजाईन करें । लोगो डिजाईन के बाद ही मार्केटिंग के लिए बैनर, पोस्टर, मेनू, पम्पलेट इत्यादि छपवायें । उद्यमी चाहे तो इन मार्केटिंग तकनीक को भी अपनाकर मार्केटिंग कर सकता है ।
Online PAN Card apply करने से पहले व्यक्ति को उसके पास उपलब्ध कुछ जरुरी Documents का मुआयना कर लेना चाहिए, और उसके बाद ही Online apply करना चाहिए | सामन्यतया करने के लिए Photo ID Proof, Address proof एवं proof of date birth चाहिए होता है | Aadhar Card एवं voter id card दो ऐसे documents हैं, जिनका उपयोग उपर्युक्त तीनों proof के लिए उपयुक्त है |
कहने का आशय यह है की यदि किसी व्यक्ति के पास सिर्फ Voter id card है तो वह तीनो विकल्प में सिर्फ Voter Id card select कर सकता है, इसी प्रकार यदि किसी व्यक्ति के पास सिर्फ आधार कार्ड है तो वह आधार कार्ड का | इसके अलावा व्यक्ति को करते वक्त अपने digital signature की भी आवश्यकता होती है इसलिए किसी साफ़ कागज पर अपने Signature लेकर उनको अपने computer पर Scan करके रख लेना चाहिए | तो आइये जानते हैं Step by step online Pan Card apply करने के बारे में | Step 1 सबसे पहले व्यक्ति या बिजनेसमैन को इस वेबसाइट पर जाना होगा |
उसके बाद Online Pan application click here पर Click करना होगा | ‘
Step 2 :- उसके बाद Application Type में ‘’ New Pan Indian Citizen (Form 49A) select करना होगा | Category में यदि व्यक्ति अपने या किसी व्यक्ति के नाम से Apply कर रहा हो तो Individual select करना होगा |
Male है तो Shri, Unmarried Female Kumari और Married Female Smt का चयन Title के रूप में कर सकते हैं |
उसके बाद नाम, जन्मतिथि, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर, और Captcha भरकर Submit करें |
Step 3 -: व्यक्ति को एक Temporary token no. Allot किया जायेगा |Continue with PAN Application Form पर Click करने से पहले Token Number को किसी Notepad में Note करके रख लें फिर आगे बढ़ें |
यदि किसी कारणवश व्यक्ति यह प्रक्रिया अभी नहीं करना चाहता है तो कोई बात नहीं, बाद में दुबारा वह इस वेबपेज पर जाकर Temporary Token No, Email ID, Date of Birth डालकर एवं Captcha Code भरकर Submit पर Click करके Log in कर आगे बढ़ सकता है |
Step 4 – : उसके बाद Online PAN Card के लिए apply करते वक्त Submit Digitally Through e sign पर Tick करके C-DAC का चयन करें |
इसके बाद आधार नंबर, टाइटल, नाम, जेंडर चेक कर लें जोकि स्वत: ही Appeared होगी |
पिता का नाम भरना हर किसी चाहे कोई विवाहित महिला ही क्यों न हो अनिवार्य है जबकि माता का नाम वैकल्पिक है |
Step 5 -: उसके बाद Source of Income का चयन करके आगे बढ़ा जा सकता है | और Residence और Office address में से किसी एक का चयन करके आगे बढ़ें |Telephone number and STD code भरकर Next पर Click करे |
Step 6 – : Area code स्वतः ही how to apply for lost pan card सिस्टम द्वारा भर लिया जायेगा बस सिर्फ आपको pan card full form अपनी Category का चयन करना है | जैसा की नीचे पिक्चर में दिखाया गया है | उसके बाद Next का बटन Press करें |how to apply for lost pan card अब आप अंतिम Step document details नामक page पर हैं | यदि किसी के पास आधार कार्ड है, pan card full form तो तीनो विकल्प में आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड है तो वोटर आईडी कार्ड का चयन कर सकता है |अब Online PAN Card apply करने के लिए सबसे अगला Step अपनी फोटो, Signature, एवं आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड इत्यादि अपलोड करने होंगे |फोटो और हस्ताक्षर के लिए व्यक्ति JPEG Format और Image Size अधिक से अधिक 50kb तक Upload कर सकता है | जबकि ID Proof, Address Proof, Proof of birth PDF Format में होना चाहिए जिसकी File size 300 kb से अधिक नहीं होनी चाहिए |अब Online PAN Card apply करने के लिए Submit button पर क्लिक करना होगा |
Step 7 -: उसके बाद आवेदनकर्ता pan card apply fees से सम्पूर्ण details Verify करने को कहा जायेगा | अब व्यक्ति को pan card apply fees चाहिए की वह Payment करके Online अपने Pan Card की Receipt को Save करे और 8-10 दिन बाद उसका Status Check करे |
Online Pan Card apply करते वक्त uti pan card apply ध्यान देने वाली बात यह है की PAN Card उसी Address पर Dispatch किया जाता है, uti pan card apply जिसका Address proof व्यक्ति ने Submit कराया हो |
GST के लिए ऑनलाइन New Registration करने की प्रक्रिया को दो भागों PART-A एवं PART-B में बांटा जा सकता है | यद्यपि इससे पहले भी हम जीएसटी के ऑनलाइन पंजीकरण के बारे में संक्षेप में लिख चुके हैं लेकिन आज इस लेख के माध्यम से हमारा उद्देश्य उद्यमियों को GST New Registration के लिए Step by Step Process बताने का है | तो आइये सबसे पहले इस Online Registration Process में PART-A के अंतर्गत की जाने वाली प्रक्रियाओं के बारे में जानने की कोशिश करते हैं |
GST New Registration Process under PART-A
GST New Registration के लिए सर्वप्रथम उद्यमी को जीएसटी की इस अधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा | उसके बाद Service पर क्लिक करना होगा और उसके बाद Registration एवं New Registration पर क्लिक करना होगा जैसा की इस तस्वीर में दिखाया गया है |
New registration पर क्लिक करते ही कुछ इस तरह की तस्वीर नज़र आएगी |
आवेदन कर रहे व्यक्ति को यह ध्यान देना होगा की विकल्पों के आगे लाल बिंदु का मतलब यह है की यह डिटेल्स अनिवार्य रूप से भरनी है |
उसके बाद New registration का चुनाव करके आवेदन कर रहे व्यक्ति को अपनी पैन कार्ड की डिटेल्स भरनी होती हैं |
इसमें यह भी ध्यान देना चाहिए की उद्यमी द्वारा दिया भरा जाने वाला मोबाइल नंबर एवं ई मेल आईडी वैध होनी चाहिए | क्योकि GST Portal द्वारा One Time Password एवं समय समय पर सूचनाएं इसी ई मेल आईडी एवं मोबाइल नंबर पर भेजी जाएँगी |
उसके बाद सारी डिटेल्स भरके आवेदनकर्ता जैसे ही Proceed पर क्लिक करेगा, GST portal दोनों पर अलग अलग One Time Password भेजेगा |
उसके बाद GST में Taxpayer द्वारा नया पंजीकरण करने के लिए अपने मोबाइल एवं ई मेल पर रिसीव हुआ अलग अलग OTP डालने पड़ेंगे |
और बाद में Proceed पर क्लिक करके आवेदनकर्ता जैसे ही आगे बढेगा सिस्टम द्वारा उसके लिए Temporarily Reference Number Generate कर लिया जायेगा | और इसी के साथ ही Taxpayer Online GST New registration के लिए यह PART- A की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है | आवेदनकर्ता Temporarily Reference Number Generate होने के 15 दिनों के अन्दर इस आवेदन को कभी भी पूर्ण कर सकता है |
उदाहरणार्थ: माना किसी व्यक्ति ने 1 जुलाई को Registration Process का PART-A पूर्ण करके Temporarily Reference Number Generate कर लिया है तो वह व्यक्ति इस पंजीकरण प्रक्रिया को 15 जुलाई तक पूर्ण कर सकता है |
GST New Registration Process PART-B in Hindi:
GST New Registration को ऑनलाइन पूर्ण करने के लिए करदाता द्वारा इस प्रक्रिया का दूसरा भाग यानिकी PART-B पूर्ण किया जाना जरुरी है इसके लिए आवेदनकर्ता को फिर से जीएसटी की इस अधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा और उसके बाद फिर से Services – Registration – New Registration पर क्लिक करना होगा |
उसके बाद आवेदनकर्ता को Temporarily Reference Number (TRN) विकल्प का चयन करना होगा |
और बाद में Temporarily Reference Number भरना होगा जो प्रक्रिया के PART-A पूर्ण होने पर Generate हुआ था |
उसके बाद CAPTCHA Enter करें और Proceed पर क्लिक करके आगे बढ़ें |
उसके बाद आवेदनकर्ता के ईमेल आईडी एवं मोबाइल नंबर पर एक OTP आएगा आवेदनकर्ता को उसे भरकर Proceed पर क्लिक करना होता है |
अब GST Portal में आवेदनकर्ता की स्थिति Draft के तौर पर दिखेगी |
उसके बाद व्यक्ति को Draft के आगे EDIT Icon पर क्लिक करना होता है |
अब आवेदनकर्ता को GST Online Registration की इस प्रक्रिया में 10 अनुभाग दिखाई देंगे | जैसा की नीचे तस्वीर में दिखाया गया है |
इसमें आवेदनकर्ता को यह सुनिश्चित करना पड़ेगा की उसके द्वारा सभी अनुभाग में उल्लेखित अनिवार्य डिटेल्स भरी जानी चाहिए | अन्यथा आवेदनकर्ता Online GST new Registration करने में नाकामयाब रहेगा |
सबसे पहला अनुभाग Business details का है इसमें उद्यमी को बिज़नेस Entities का चुनाव करने में बेहद सावधानी बरतनी पड़ेगी यदि उद्यमी को अपने बिज़नेस का Constitution नहीं मिल रहा है तो वह Other का चुनाव कर सकता है |
Center Jurisdiction के लिए लिंक पर क्लिक किया जा सकता है जैसा की इस तस्वीर में दिखाया गया है |
उसके बाद निर्देशों के मुताबिक डिटेल्स भरते जाइये और Save and Continue पर क्लिक करें |
जैसे ही Business Details नामक अनुभाग पूर्ण हो जायेगा उसका रंग नीला एवं एक टिक मार्क उस पर स्वत: ही लग जायेगा |
उसके बाद Promoter/Partners नामक अनुभाग भरा जा सकता है इसमें प्रमोटर या पार्टनर की पहचान की जानकारी, निवास की जानकारी DIN , फोटोग्राफ केवल JPEG Format में जो 100KB से अधिक नहीं होनी चाहिए चाहिए हो सकती है | उसके बाद इस अनुभाग को भी SAVE and Continue करके आगे बढ़ा जा सकता है | पूर्ण होने पर इस अनुभाग का रंग भी नीला एवं टिक मार्क लग जायेगा |
अगला अनुभाग Authorized Signatory का है इसमें Primary Authorized Signatory का चुनाव करके आगे बाधा जा सकता है बाकी डिटेल्स नाम, फ़ोन नंबर, ईमेल आईडी इत्यादि ही चाहिए होती है | इस अनुभाग को भरते वक्त कृपया ध्यान दें की |
Primary Authorized Signatory को Add करना अनिवार्य है |
जीएसटी पोर्टल द्वारा सारी सूचनाएं Primary Authorized Signatory के मोबाइल नंबर एवं ई मेल पर ही भेजी जाएँगी |
आवेदनकर्ता अधिक से अधिक 10 Authorized Signatories Add कर सकता है |
Authorized Signatory होने का प्रमाण पत्र की डिजिटल कॉपी एवं फोटोग्राफ अपलोड करनी पड़ सकती है |
उसके बाद आवेदनकर्ता इस अनुभाग को भी Save and Continue पर क्लिक करके आगे बढ़ सकता है |
इससे अगला अनुभाग Authorized Representativeका है एक Authorized Representative कोई GST Practitioner या वह व्यक्ति जो करदाता का प्रतिनिधित्व कर रहा हो हो सकता है | आवेदनकर्ता चाहे तो इसे भर सकता है अन्यथा अगले अनुभाग Principal Place Of Business पर क्लिक कर सकता है |
इस अनुभाग Principal Place Of Business में आवेदनकर्ता को बिज़नेस इकाई का पता, जगह की प्रकृत्ति, बिज़नेस की प्रकृत्ति इत्यादि भरना होता है | यदि जगह Rent पर भी नहीं है और अपनी भी नहीं है तो आवेदनकर्ता को NOC अपलोड करना पड़ेगा |
यदि किसी उद्यमी का बिज़नेस विभिन्न स्थानों में है तो वह अगला अनुभाग Additional Place Of Business को इसी तरीके से भर सकता है |
अगला अनुभाग Goods and service का है इस अनुभाग में उद्यमी को पांच प्राथमिक वस्तुओं एवं सेवाओं को भरना होता है जो वह सप्लाई करता है | इसमें जैसे ही उद्यमी उत्पाद या सेवा का नाम डालेगा अगली लाइन में harmonised system of nomenclature कोड डिस्प्ले हो जायेगा |
अगला अनुभाग Bank Accounts का है इसमें उद्यमी को कम से कम एक ऐसे बैंक खाते की डिटेल्स भरनी होती है जिसका उपयोग उद्यमी बिज़नेस उपयोग के लिए कर रहा हो | इसमें Supporting documents के तौर पर पास बुक की पहला पेज, बैंक स्टेटमेंट या कैंसिल चेक की प्रति अपलोड करनी पड़ सकती है |
उसके बाद अगला अनुभाग State Specific Information का है आवेदनकर्ता चाहे तो कुछ अतिरिक्त डिटेल्स राज्य के बारे में दे सकता है अन्यथा अगले अनुभाग Verification की और आगे बढ़ सकता है |
Verification में I Hereby के आगे टिक करना होता है इस अनुभाग की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने से पहले यह बात अवश्य जान लें की कंपनियां, Limited Liability Partnership इकाई Class II या Class III डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट के साथ वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूर्ण कर सकते हैं बाकी Proprietorship इत्यादि इकाइयाँ E Sign जैसे आधार कार्ड एवं DSC दोनों के साथ वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूर्ण कर सकती हैं |
जब यह आवेदन सफलतापूर्वक सबमिट हो जाता है तो उस सबमिशन के 15 मिनट के अन्दर अन्दर Acknowledgement Number आवेदनकर्ता के मोबाइल या ईमेल आईडी पर भेज दिया जाता है जिसके माध्यम से उद्यमी GST new Registration को ऑनलाइन Track कर सकता है |
Hostel Business शुरू करने एवं उसे सफलतापूर्वक चलाकर उससे कमाई करने के लिए अनेकों प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है । इसके अलावा इस तरह के व्यापार को शुरू करने के लिए विशेष तरह के कौशल की भी आवश्यकता होती है business credit no pg ताकि उद्यमी अपने बिज़नेस से सफलतापूर्वक कमाई कर पाने में सक्षम हो । Hostel Business कर रहे उद्यमी के ग्राहक के तौर पर मुख्य तौर पर वे विद्यार्थी होते हैं जो कम बजट में शैक्षणिक संस्थानों के आस पास रहने के लिए आवास ढूंढ रहे होते हैं । चूँकि हॉस्टल का अन्दुरुनी निर्माण कुछ इस तरह से किया जाता है की एक कमरे में दो- तीन या इससे अधिक विद्यार्थी आराम से रह भी सकें और अपनी पढाई भी कर सकें इसलिए Hostel Business करने वाला उद्यमी भी उचित दामों पर विद्यार्थियों को आवास एवं खाना पीना मुहैया कराते हैं ।
विद्यार्थियों के पास विशेष तौर पर हॉस्टल में रहने का business credit no pg कारण एक तो इनमे रहने खाने पीने का शुल्क अन्य के मुकाबले कम होना business credit no pg एवं दूसरा इनका शिक्षण संस्थानों के आस पास उपलब्ध होना है । business credit no pg कुछ शिक्षण संस्थान अपने विद्यार्थियों को स्वयं भी हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराते हैं । business credit no pg तो कुछ उद्यमी शिक्षण संस्थानों के आस पास अपना स्वयं का निजी हॉस्टल खोलकर business credit no pg अपनी कमाई कर रहे होते हैं । इसलिए आज का हमारा यह लेख ऐसे व्यक्तियों के लिए है business credit no pg जो स्वयं का Hostel Business शुरू करके अपनी कमाई करना चाहते हैं ।
हॉस्टल क्या होता है (What Is Hostel in Hindi):
हॉस्टल एक अंग्रेजी शब्द है जिसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ छात्रावास होता है । छात्रावास से अभिप्राय ऐसे स्थान से लगाया जाता है जहाँ छात्रों का वास होता है | इसके अलावा इसे हम एक ऐसी जगह भी कह सकते हैं जो रहने के लिहाज से हर विद्यार्थी के परिवार के बजट में आसानी से आ जाता है क्योंकि आम तौर पर लोग यहाँ समूह के साथ रहते हैं और छात्रावास द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा को प्राप्त करते हैं। यद्यपि छात्रावास सुविधा के अनुसार अलग लग प्रकार के हो सकते हैं लेकिन आम तौर पर छात्रावास में उपलब्ध कमरे, बाथरूम, रसोईघर सभी साझा होते हैं।
इसलिए एक कमरे में दो तीन से ज्यादा लड़के या लड़के लड़कियां मिश्रित भी हो सकते हैं। आम तौर पर लड़कियों का हॉस्टल अलग एवं लड़कों का हॉस्टल अलग होता है। हॉस्टल से Hostel Business चलाने वाले एवं इसमें रहने वाले विद्यार्थी दोनों को फायदा होता है वह इसलिए क्योंकि उद्यमी की कमाई हो रही होती है तो विद्यर्थियों को सस्ती दरों पर आवास की सुविधा उपलब्ध हो जाती है। इन्हीं सब बातों के मद्देनज़र जब किसी व्यक्ति द्वारा विद्यार्थियों को आवास मुहैया कराने के लिए व्यापार शुरू किया जाता है तो उसके द्वारा किया जाने वाला यह व्यापार Hostel Business कहलाता है।
हॉस्टल की आवश्यकता क्यों होती है (Why Student Need Hostel to Stay):
वर्तमान में पढाई के लिए बच्चों को अपने घर एवं परिवार से दूर जाना पड़ता है कहने का अभिप्राय यह है की ऐसे शिक्षण संस्थान जिनका गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने में नाम हो, ऐसे शिक्षण संस्थानों में दूर दूर से विद्यार्थी पढने के लिए आते हैं। इसके अलावा व्यवसायिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए भी विद्यार्थियों को घर परिवार से दूर रहना पड़ता है। कुछ माता पिता जान बुझकर अपने बच्चों को घर परिवार से दूर बोर्डिंग स्कूलों में डाल देते हैं। उपर्युक्त सभी स्थितियों में विद्यार्थियों को रहने एवं खान पान के लिए जगह की आवश्यकता होती है। कहने का अभिप्राय यह है की पढाई, उच्च पढाई, व्यवसायिक पढाई करने के लिए विद्यार्थियों को अपने घर परिवार से दूर रहना पड़ता है ऐसे में उन्हें उचित दामों में रहने के लिए हॉस्टल की आवश्यकता होती है।
निजी छात्रावास कैसे खोलें?(How to Start Hostel Business in India in Hindi):
Hostel Business शुरू कर रहे उद्यमी को अपने कौशल का विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है क्योंकि इस व्यापार को शुरू करने के लिए विद्यार्थियों या बच्चों को समझने का कौशल होना जरुरी है । इसके अलावा इस क्षेत्र से जुड़ा व्यापारिक ज्ञान भी उद्यमी को उसके बिज़नेस को आगे बढाने में सहायक हो सकता है।
लोकेशन का चयन बेहद महत्वपूर्ण:
Uber cab kaise book kareHostel Business कितनी कमाई कर पाने में सक्षम होगा अर्थात कितना चलेगा यह सब बिज़नेस की लोकेशन पर निर्भर करता है । कहने का अभिप्राय यह है की उद्यमी को अपना हॉस्टल किसी ऐसी लोकेशन पर खोलना चाहिए जहाँ उसे लगता हो की उस लोकेशन पर उसके बिज़नेस में खर्च करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है । आम तौर पर शिक्षण संस्थानों के आस पास एरिया में Hostel business बेहद अच्छा चल सकता है । या फिर कोई ऐसी जगह जो पढाई के अनुकूल हो और शिक्षण संस्थानों से उसकी दूरी अधिक न हो भी आदर्श लोकेशन हो सकती है । एक आदर्श लोकेशन का चुनाव ही इस बात की पुष्टी करेगा की उद्यमी का बिज़नेस अच्छी खासी कमाई कर पाने में अवश्य सफल होगा ।
खर्चे का आकलन एवं प्रबंध करें:
Education Loan Kya hai & kyu or kaise Apply kre in (Hindi & English)लोकेशन का चयन करने के बाद Hostel Business कर रहे उद्यमी को इस व्यापार को शुरू करने में आने वाले सभी खर्चों का आकलन करना होगा । इसमें यदि उद्यमी किराये पर बिल्डिंग लेकर यह बिज़नेस कर रहा तो उसका किराया, बिस्तर बेड इत्यादि खरीदने का खर्चा, रसोइ में काम आने वाले बर्तन एवं उपकरणों को खरीदने में आने वाले खर्चे, कर्मचारियों के वेतन, बिज़नेस को प्रमोट करने के लिए मार्केटिंग इत्यादि पर आने वाला खर्चा सभी कुछ सम्मिलित होना चाहिए । खर्चे का आकलन एवं अपने बिज़नेस के लक्ष्यों को निर्धारित करने के लिए उद्यमी चाहे तो एक प्रभावी बिज़नेस प्लानबना सकता है । जैसे ही उद्यमी को उसके बिज़नेस पर आने वाले खर्चे की जानकारी होती है तो अब उसे वित्त की व्यवस्था करनी चाहिए और यह वित्त की व्यवस्था इतनी होनी चाहिए की उद्यमी एक साल तक अपने Hostel Business को आसानी से संचालित कर सके, क्योंकि उद्यमी को अपने बिज़नेस का नाम एवं काम लोगों तक पहुँचाने में समय लग सकता है । इसलिए यदि उचित वित्त की व्यवस्था नहीं होती तो उद्यमी को अपना बिज़नेस बीच में भी बंद करना पड़ सकता है ।
हॉस्टल का निर्माण एवं सेटअप करें:
Hostel BusinHow to become Air Hostess Career in Hindiess शुरू कर रहे उद्यमी को उस बिल्डिंग को अनेक अनुभागों जैसे लॉजिंग, डाइनिंग, बाथरूम, प्लेरूम, रसोई एरिया, कॉमन एरिया, रिसेप्शन एरिया , मनोरंजन एरिया , यदि आवश्यक हो तो बार इत्यादि में विभाजित करना होता है। बेड एरिया या शयन क्षेत्र के निर्माण एवं डिजाईन में उद्यमी इनोवेशन का इस्तेमाल कर सकता है क्योंकि इसमें उद्यमी का लक्ष्य कम से कम जगह में अधिक से अधिक विद्य्राथियों को बिना किसी तकलीफ के सुलाने के होना चाहिए । आम तौर पर अधिकतर हॉस्टल में मिश्रित बेड होते हैं जहाँ 40-50 विद्यार्थी आराम से सो सकते हैं । एक कमरे में 3-4 विद्यार्थियों के सुलाने की व्यवस्था की जा सकती है । कहने का अभिप्राय यह है की Hostel Business कर रहा उद्यमी अपने इनोवेशन आईडिया एवं उपलब्ध जगह के आधार पर हॉस्टल का सेट अप डिजाईन कर सकता है ।
आवश्यक लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन लें:
High Security Registration Plate Business kaise kare in HindiHostel Business शुरू करने के लिए जहाँ तक आवश्यक कानूनी परमिट या लाइसेंस की बात है इसके लिए ट्रेड लाइसेंस बेहद जरुरी है कहने का तात्पर्य यह है की हॉस्टल का कारोबार चलाने के लिए सबसे पहले एक व्यापारिक लाइसेंस की आवश्यकता होती है । आम तौर पर इस व्यापारिक लाइसेंस को स्थानीय नगरपालिका निगम द्वारा Hostel Business करने वाले को जारी किया जाता है । वर्तमान में इस तरह के लाइसेंस के लिए, कोई स्थानीय नगरपालिका निगम की वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन भी आवेदन कर सकता है । इसके अलावा हॉस्टल को Sarai Act 1867 के तहत भी रजिस्टर किया जाना चाहिए ।
Hostel Business शुरू करने के लिए how to start a hostel business नगरपालिका निगम से एक एनओसी (नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) की भी आवश्यकता हो सकती है । pg&e business contact इसके अलावा उद्यमी को अपने बिज़नेस के बारे में स्थानीय पुलिस स्टेशन को भी सूचित करना आवश्यक होता है । pg&e business contact इसमें how to start a hostel business आमतौर पर सभी कागजात और pg&e business contact परिसर की परीक्षा शामिल होती है । Hostel Business के लिए pg&e business contact आवश्यक अन्य परमिट जैसे बिल्डिंग परमिट, अग्नि सुरक्षा मंजूरी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड pg&e business contact से एनओसी, बिजली बोर्ड से निकासी इत्यादि शामिल है । इन सबके अलावा पानी, स्वच्छता, प्रकाश व्यवस्था और सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय किये गए हैं या नहीं के pg&e business contact हलफनामे भी उपयोगी सिद्ध होते हैं । उपर्युक्त दिए गए परमिट के लिए उद्यमी को स्थानीय अग्निशमन विभाग, आपातकालीन सेवा विभाग, बिजली बोर्ड, pg&e business contact नगर पालिका निगम इत्यादि पर आवेदन करना होगा । इन्हें उन अग्नि विभाग, आपातकालीन सेवा विभाग, या बिजली बोर्ड या नगर पालिका निगम कार्यालयों से प्राप्त किया जा सकता है जो हॉस्टल अर्थात छात्रावास के नज़दीक हैं । how to start a hostel business कई मामलों में, एक हलफनामे के लिए छात्रावास के मालिक को यह बताने की आवश्यकता है how to start a hostel business कि उन्होंने पानी, स्वच्छता, प्रकाश व्यवस्था और how to start a hostel business सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय किए हैं या नहीं । how to start a hostel business यदि उद्यमी यानिकी Hostel Business करने वाला विद्यार्थियों या आगंतुकों को खाने की सुविधा भी मुहैया करा how to start a hostel business रहा हो तो उसे FSSAI License की भी आवश्यकता हो सकती है । इसके अलावा सालाना टर्नओवर छूट की सीमा से ऊपर होने पर जीएसटी पंजीकरण भी अनिवार्य हो जाता है ।
कर्मचारियों की नियुक्ति करें:
Hostel Business कर रहे उद्यमी को तरह तरह के स्टाफ की आवश्यकता हो सकती है इनमे Lodging Staff, Administrative Staff, Security Personnel, सफाई कर्मचारी, रसोइये इत्यादि की आवश्यकता हो सकती है । pg full form शुरूआती दौर no pg business credit card में उद्यमी को कोशिश pg full form करनी चाहिए की वह दस से कम स्टाफ की नियुक्ति करे no pg business credit card क्योंकि दस से अधिक स्टाफ रखने की स्थिति में उद्यमी को अनेकों Compliance की कार्यवाही भी पूर्ण करनी होगी । pg full form और जब धीरे धीरे उद्यमी का बिज़नेस no pg business credit card कमाई करने लग जाय pg full form तो उद्यमी अपने Hostel Business को विस्तृत कर सकता है no pg business credit card और अपने कर्मचारियों को EPF, EPS, ESI, Gratuity इत्यादि की pg full form फैसिलिटी मुहैया करा सकता है । no pg business credit card ध्यान रहे कर्मचारियों के pg full form वेतन से टीडीएस काटने के लिए उद्यमी को टेन नंबर की भी आवश्यकता हो सकती है ।
मार्केटिंग करें ग्राहक लायें और कमाई करें :
Hostel Business के लिए मार्केटिंग बेहद जरुरी होती है क्योंकि जब तक लोग आपके बिज़नेस का नाम नहीं जानेंगे तब तक वे उसे जानने की भी कोशिश नहीं करेंगे । इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन मार्केटिंग तकनीक को अपनाकर अपने बिज़नेस की मार्केटिंग करे । उद्यमी चाहे तो इन मार्केटिंग के तरीकों को भी अपनाकर अपने बिज़नेस के लिए ग्राहक लाने की कोशिश कर सकता है ।
Rice Mill Business कृषि से जुड़ा हुआ बिज़नेस होने के कारण भारत में बेहद ही प्रचलित व्यवसाय है इसके प्रचलित होने का दूसरा कारण यह भी हो सकता है की भारत विश्व में चावल का उत्पादन करने में दूसरा सबसे बड़ा देश है । और चावल का सेवन भारत में लगभग हर भौगौलिक क्षेत्र में किया जाता रहा है । भारत में धानों के एक बड़े हिस्से को Rice Hullers द्वारा संसाधित किया जाता है । लेकिन ग्रामीण भारत में धानों से चावल निकालने के लिए अनेकों विधियों को अपनाया जाता है ये भौगौलिक क्षेत्र के आधार पर अलग अलग हो सकती हैं।
लेकिन व्यवसायिक तौर पर धानों से चावल का उत्पादन करने के लिए अधिकतर तौर पर Rice Hullers का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन ये केवल कम क्षमता वाली Rice Mill के लिए उपयुक्त रहती हैं। इस प्रकार के Rice Hullers में धानों से छिलका निकालने, और चावल पर पोलिशिंग का काम एक साथ किया जाता है। यही कारण है की इस प्रक्रिया में चावल की पोलिशिंग पर उद्यमी का कोई नियंत्रण नहीं रह पाता है और इस स्थिति में चोकर एवं चावलों का टूटना अधिक होता है। इन्हीं सब समस्याओं को दूर करने के लिए अब बाजार में Mini Rice Mill मिलने लगी हैं जिन्हें ग्रामीणों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर डिजाईन किया गया है। और ये पोलिश चावल प्राप्त करने, चोकर प्राप्त करने, धान की भूसी प्राप्त करने के लिए Rice Hullers का एक अच्छा विकल्प है । इससे पहले की हम इस व्यवसाय पर और अधिक वार्तालाप करें आइये जानते हैं एक राइस मिल होती क्या है?
राइस मिल क्या होती है (What is Rice Mill in Hindi):
जैसा की हम सब जानते हैं धान को उसकी वास्तविक अवस्था में मनुष्य प्राणी द्वारा नहीं खाया जा सकता है, कहने का आशय यह है की मनुष्य द्वारा धान का सेवन नहीं, बल्कि उसे संसाधित करके उत्पादित चावल का सेवन किया जाता है। इसलिए इसे मनुष्य प्राणी के सेवन के लायक बनाने के लिए इसे चावल के रूप में संसाधित करने की आवश्यकता होती है । जिस जगह विशेष में मशीनों द्वारा यह कार्य व्यवसायिक तौर पर किया जाता है उसे Rice Mill कहा जाता है ।
वास्तव में राइस मिलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें धान से चोकर एवं भूसे को अलग करके चमकदार चावलों का उत्पादन किया जाता है।इसलिए यदि कोई व्यक्ति ऐसे भौगौलिक क्षेत्र में रहता है जहाँ धान का उत्पादन अधिक होता है, वह उस क्षेत्र में खुद की कमाई करने के लिए खुद का Rice Mill Plant स्थापित कर सकता है । बेहतर चावल मिलों में धान की भूसी एवं चोकर के लिए एस्पिरेशन सिस्टम होता है। यह सिस्टम संसाधित चावलों को चोकर इत्यादि के साथ मिश्रित होने से रोकता है । यही कारण है की इस प्रक्रिया से उत्पादित चोकर अच्छी गुणवत्ता का होता है । Rice Mill Business शुरू करने के इच्छुक व्यक्ति को सर्वप्रथम अपने प्लांट के लिए एरिया का चुनाव करना चाहिए, लेकिन यह मुख्य रूप से दो बातों पर निर्भर करता है की उद्यमी अपने प्लांट में किस प्रकार के चावल का उत्पादन करना चाहता है वर्तमान में दो विधियों एक विधि वह होती है जिसमें धान को सर्वप्रथम उबाला जाता है और उसके बाद सूखाकर इनका छिलका निकाल दिया जाता है आम तौर पर इसे पक्का चावल कहते हैं। दूसरी विधि में धान को उबाले बिना ही चावल का उत्पादन किया जाता है।
उत्पाद एवं इसके अनुप्रयोग:
कैसे पायें आसानी से सरकारी नौकरी 10 टिप्सचावल धान का अन्दुरुनी भाग होता है जिसे धान की भूसी एवं चोकर की पतली परत को हटाकर प्राप्त किया जाता है । Rice Mill Business से आशय उस प्रक्रिया से है जिसमें उद्यमी को धानों से भूसी एवं चोकर हटाकर चावलों का उत्पादन करना होता है। इस पूरी प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखना पड़ता है की चावल कम से कम टूटें। बाजार में चावल मुख्य रूप से दो रूपों में पक्का चावल (पहले से उबाला हुआ) एवं कच्चे चावल में उपलब्ध रहता है। कच्चे चावल को आम तौर पर सीधे कच्चे धानों से भूसी एवं चोकर हटाकर प्राप्त किया जाता है, जबकि पक्के चावल का उत्पादन करने के लिए पहले धानों को आंशिक रूप से उबाला जाता है। पक्के चावलों का इस्तेमाल अधिकतर तौर पर असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और बिहार के कुछ हिस्सों में होता है । उबालने और सुखाने की प्रक्रिया को छोड़कर दोनों तरह की विधियाँ लगभग एक जैसी ही हैं। Rice Mill Business में राइस मिलिंग प्रक्रिया मुख्य उत्पाद के तौर पर चावल देती है और सहायक उत्पादों के तौर पर चावल की भूसी, ब्रान एवं टूटे हुए चावल भी देती है। चावल की भूसी का उपयोग जानवरों के भोजन एवं ईधन के तौर पर भी किया जाता है, ब्रान का उपयोग तेल निकालने के लिए किया जाता है, जबकि टूटे चावलों को बाजार में सस्ती दरों पर बेच दिया जाता है।
औद्योगिक परिदृश्य एवं चलन:
Pearl Farming business kaise kareहमारा देश भारतवर्ष विश्व में चीन के बाद चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है जो विश्व में कुल चावल उत्पादन का लगभग 21% चावल पैदा करता है । एक आंकड़े के मुताबिक अपने देश भारत में पिछले साठ वर्षों में चावल का उत्पादन 3.5 गुना बढ़ा है। और चावल उत्पादन में देश की उत्पादन क्षमता थाईलैंड एवं पाकिस्तान से अधिक है । भारत में प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश,आंध्र प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, ओडिशा और बिहार शामिल हैं। वैश्विक चावल व्यापार में भारत शीर्ष निर्यातक देश रहा है, जो पिछले चार वर्षों से कुल वैश्विक निर्यात का 25% निर्यात करता रहा है । मध्य पूर्वी देश एवं अफ्रीका भारतीय चावलों के मुख्य ग्राहक रहे हैं, इसके अलावा भारतीय बासमती चावलों के यूरोपीय संघ एवं अमेरिका मुख्य ग्राहक रहे हैं। हालांकि अगले पांच वर्षों में चावल बाजार में न ही कमी के संकेत मिलते हैं और न ही बढ़ोत्तरी के इसलिए आने वाले पांच वर्षों में वैश्विक चावल बाजार मॉडरेट होने के आसार हैं। चूँकि भारत में चावल की फसल का मूल्य अन्य देशों की तुलना में सस्ता है इसलिए देश का चावल बाजार प्रतिस्पर्धात्मक तौर पर स्थित है। प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में जलवायु की स्थिति चावल के उत्पादन को प्रभावित करती रहती है । राज्य सरकारों द्वारा लेवी सिस्टम के अंतर्गत चावल की खरीद कर ली जाती है जो घरेलू बाज़ारों में फसल की उपलब्धता में वृद्धि करता है। ईरान ने भारत से बासमती चावल के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है इसलिए इसे एक प्रमुख वैश्विक विकास के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि प्रतिबंध हटने के बाद भारतीय उद्यमी बासमती चावल को ईरान को निर्यात कर सकते हैं जिससे बासमती चावल की मांग बढ़ने के आसार लगाये जा सकते हैं। इंडोनेसिया ने भी भारतीय चावलों के लिए अपना बाजार खोलने का निर्णय लिया है। यही कारण है की वर्तमान में बहुत सारी छोटी बड़ी Rice Mill हैं जो विदेशों की ओर अपने उत्पाद को निर्यात कर रही हैं।
चावल की बिक्री की संभावनाएं:
When do we need to File Income Tax Return in Hindiभारत में ही नहीं अपितु दुनियाँ में चावल बहुसंख्यक आबादी का एक प्रमुख भोजन है इसलिए इसकी बिक्री करने में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं आती है। हालांकि ग्रामीण भारत में अक्सर यह भी देखा गया है की लोग चावल की अपनी घरेलू खपत के चलते धान को चावल में बदलने के लिए लम्बी दूरी तय करते हैं । इसलिए ऐसे ही कुछ केन्द्रों में बेहद छोटी चावल मिलों की आवश्यकता है। जैसा की हम सब जानते हैं की चावल भारत की आबादी के लिए एक आवश्यक भोजन है, और भारत में बड़े पैमाने पर मध्यम आय वाले परिवारों की संख्या है इसके अलावा ऐसे परिवारों की संख्या भी बढ़ रही है जिनकी कमाई समय के साथ बढती जा रही है। इसलिए चावल की बिक्री के लिए भारत एक बहुत बड़ा बाजार है। Rice Mill Business में राइस मिलिंग प्रक्रिया से उत्पादित राइस ब्रान की माँग सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन प्लांट्स में काफी अधिक होती है । बासमती चावल के उत्पादन एवं निर्यात में भारत का अग्रणी स्थान है। सऊदी अरब, ईरान, यूनाइटेड अरब अमीरात, इराक एवं कुवैत भारतीय चावलों के प्रमुख ग्राहक हैं । एक जानकारी के मुताबिक Rice Mill Plants देश का सबसे बड़ा कृषि प्रसंस्करण उद्योग है। यही कारण है की भारत में Rice Mill Business शुरू करना एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है। चूँकि यह नियमित रूप से उपयोग में लायी जाने वाली खाद्य वस्तु होती है इसलिए इसकी माँग बाजारों में हमेशा विद्यमान रहती है।
स्थानीय प्राधिकरण से लाइसेंस लेने की आवश्यकता हो सकती है ।
उद्यमी चाहे तो उद्योग आधार के अंतर्गत स्वयं के व्यापार को रजिस्टर करा सकता है ।
खाद्य वस्तु से जुड़ा हुआ व्यापार होने के कारण Rice Mill Plant के लिए एफएसएसआई रजिस्ट्रेशन की अनिवार्य रूप से आवश्यकता होती है ।
उद्यमी को जीएसटी रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता हो सकती है ।
इसके अलावा यदि लागू हो तो उद्यमी को ईएसआई एवं ईपीएफ रजिस्ट्रेशन की भी आवश्यकता हो सकती है ।
यदि उद्यमी अपने उत्पाद को बाहर देशों की ओर निर्यात करने की योजना बना रहा हो तो उसे आयात निर्यात कोड लेने की भी आवश्यकता हो सकती है।
कच्चे माल की उपलब्धता:
यद्यपि चावल का उत्पादन कम या ज्यादा लगभग हर क्षेत्र में किया जाता है लेकिन उद्यमी को चाहिए की वह अपना Rice Mill Business वहीँ स्थापित करे जहाँ उसे कच्चे माल की उपलब्धता आसानी से हो जाएगी। कच्चे माल की उपलब्धता आसानी से वही हो पायेगी जहाँ धान का उत्पादन अधिक किया जाता हो। भारत में धान का सबसे अधिक उत्पादन पश्चिम बंगाल में किया जाता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उड़ीसा और तमिनाडु इत्यादि राज्यों में भी धान का उत्पादन किया जाता है ।कहने का अभिप्राय यह है की देश में कुल चावल उत्पादन का लगभग 66% उत्पादन उपरोक्त राज्यों में ही किया जाता है बाकी 33% उत्पादन अन्य राज्यों में भी किया जाता है।इसलिए उद्यमी स्वयं का Rice Mill Plant वहाँ स्थापित कर सकता है जहाँ धान का उत्पादन अधिक होता हो।
आवश्यक मशीनरी एवं उपकरण:
Rice Mill Plant के लिए कच्चे माल के तौर पर धान चाहिए होता है इसलिए मशीनरी के तौर पर धान को साफ़ करने वाली मशीन जिसमे आवश्यक डैम्पर एवं डबल फेन लगे होने चाहिए । Paddy Separator जिसका काम छिलके उतारे हुए धानों एवं नहीं उतरे धानों को अलग अलग करने का होता है। चावलों से हलके कणों, भूसी इत्यादि को दूर करने के लिए husk and barn aspirators की आवश्यकता हो सकती है। पॉलिशर, ग्रेडर की आवश्यकता चावलों की शुद्धता एवं गुणवत्ता की दृष्टी से हो सकती है । यह उपरोक्त सभी मशीनरी Semi Automatic Rice Mill का हिस्सा है जिसकी कीमत 6-7 लाख रूपये हो सकती है। इसके अलावा स्टोरेज उपकरण, क्लीनिंग एंड सॉर्टिंग उपकरण, टेस्टिंग उपकरण, पैकिंग मशीन एवं सामग्री इत्यादि भी Rice Mill Business करने वाले उद्यमी को खरीदने पड़ सकते हैं।
चावल उत्पादन प्रक्रिया (Manufacturing Process):
Rice Mill Business में चावल का उत्पादन करने के लिए अनेक प्रक्रियाएं करनी पड़ सकती हैं जिनका संक्षिप्त वर्णन कुछ इस प्रकार से है ।
प्राथमिक सफाई:
इस बिज़नेस में इस्तेमाल में लाये जाने वाले कच्चे माल धान से अशुद्धियों को दूर करने की प्रक्रिया की जाती है। इसमें ऐसे अनाज को हटा दिया जाता है जिसके अन्दर चावल नहीं होते हैं अर्थात कुछ अविकसित अनाज भी कच्चे माल के साथ आ सकता है इसलिए सर्वप्रथम इसे ही दूर किया जाता है ।
कंकड़ पत्थर दूर करना:
धानों की प्राथमिक सफाई में धानों से धूल मिटटी एवं खाली अनाज तो इनसे दूर कर लिया जाता है लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ भारी अशुद्धियाँ जैसे कंकड़ पत्थर उसी में रह जाते हैं। इसलिए इस प्रक्रिया में छोटे छोटे कंकडों को धानों से अलग कर दिया जाता है।
धानों को आंशिक तौर पर उबालना:
हालांकि बाजार में उपलब्ध कच्चे चावलों का उत्पादन करने के लिए इस स्टेप को करना आवश्यक नहीं है । इस स्टेप का अनुसरण तब किया जाना जरुरी है जब उद्यमी पक्के चावलों का उत्पादन कर रहा हो। यह प्रक्रिया चावल के अंदर स्टार्च के जिलेटिननाइजेशन द्वारा पौष्टिक गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है ।
छिलका उतारने की प्रक्रिया: इस प्रक्रिया में धानों से उसका छिलका निकाला जाता है ।
भूसी को अलग करना: अब Rice Milling Process में चावलों से धान की भूसी को अलग किया जाता है ।
चावलों से धान को अलग करना: इस प्रक्रिया में कुछ साबुत धान भी चावलों के साथ चले जाते हैं इसलिए अब इनसे इन धान के अनाज को अलग कर देना चाहिए।
चावल से भूरी परत को हटाना: चावल को सफ़ेद करने के लिए अब इस पर उपलब्ध भूरी परत जिसे Bran Layer कहा जाता है को हटा लिया जाता है ।
उसके बाद उत्पादित चावल की पॉलिशिंग एवं ग्रेडिंग की जाती है उसके बाद ग्राहक की माँग के अनुसार ब्लेंडिंग करके इन चावलों को बाजार में उतारकर Rice Mill Business करने वाला उद्यमी अपनी कमाई करने का प्रयास करता है।
भारत, जहां आज भी कृषि लोगों की मुख्य आजीविका है वहाँ कृषि पर निर्भर उद्योगों की भी बहुत मांग है, इसलिए यहाँ पर चावल की मिल का व्यापार शुरू करना एक फायदे का सौदा साबित होगा. चावल भारत की मुख्य फसलों में से एक फसल है, इससे भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या को खाना प्राप्त होता है. यह हमारे देश कि वह फसल है जिसे देश के कुल सिंचित भूमि के 37 प्रतिशत भाग पर लगाया जाता है और यह भारत में होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन में 44 प्रतिशत की भागीदारी रखता है.
भारत में पश्चिम बंगाल वो राज्य है जहाँ चावल का उत्पादन सर्वाधिक मात्रा में होता है, परंतु क्या आप जानते है, हमें जो चावल खेतों से मिलता है, उसे हम रॉ फॉर्म में अपनी रसोई में उपयोग नहीं कर सकतें. इसे उपयोग में लाने लायक करने के लिए इस पर उचित प्रक्रिया करके इसे संशोधित करना पड़ता है. यह वह प्रक्रिया है जोकि रोजाना उपयोग में आने वाले पॉलिश वाले चावल के निर्माण के लिए धान में से हल्स और ब्रान को हटाने के लिए की जाती है.
चावल की मिल के लिए बाजार की संभावनाएं (Market Potential) –
जैसा कि हमने पहले ही बताया चावल हमारे देश में मौजूद अधिकांश जनसंख्या का महत्वपूर्ण भोजन है. भारत में मौजूद लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या पैकेट के चावल का उपयोग रोजाना करती है. इसके अलावा भारत ही वह देश है जहाँ बासमती चावल का उत्पादन और निर्यात सर्वाधिक मात्रा में होता है. सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब एमिरेट, इराक और कुवैत ऐसे देश है जहाँ भारत से चावल निर्यात किया जाता है. इसलिए राइस मिल देश में सर्वाधिक कृषि प्रसंस्करण उद्योगों में से एक है. और यह भारत में मौजूद लाभदायक व्यवसायों में से एक है.
आवश्यक लाईसेंस और पर्मिट्स (Required licenses and Permits for Rice Milling Business) –
किसी भी व्यवसाय की शुरुआत करने के लिए आपके पास जरूरी लाईसेंस और पर्मिट्स होना आवश्यक है, तभी आप अपने व्यवसाय को बिना किसी कानूनी परेशानी के सुचारु रूप से चला पाएंगे. इस व्यवसाय के लिए कुछ आवश्यक दस्तावेजों की सूची इस प्रकार से है.
किसी भी व्यवसाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण और सबसे पहला जो आवश्यक दस्तावेज़ होता है, वह है आपकी कंपनी का रजिस्ट्रेशन. इसलिए जब आप अपनी मिल डालने की सोचे, तो सर्वप्रथम उसका आरओसी बनवा लें.
आरओसी के पश्चात अगला जो महत्वपूर्ण रजिस्ट्रेशन होगा, वह है उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन व एमएसएमई रजिस्ट्रेशन (माइक्रो स्माल और मीडियम एंटरप्राइसेस) . आपको अपनी मिल की शुरुआत से पूर्व इसे भी बनवाना होगा और इसके अलावा आपको अपनी फैक्ट्री के लिए फैक्ट्री लाईसेंस भी लेना होगा.
इन लाईसेंस के अलावा आपको प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अपनी मिल स्थापित करने और संचालित करने की सहमति भी लेनी होगी.
इसी के साथ आपको चावल-मिलिंग उद्योग अधिनियम 1958 के अनुसार भी लाईसेंस के लिए आवेदन देना होगा.
आपको अपना वेट पंजीयन करवाना भी अनिवार्य है. अपनी मिल के कर्मचारियों के लिए आपको पीएफ़ए और ईएसआईसी पंजीकरण के नियमों का पालन भी करना होगा.
अगर आप अपनी वस्तु देश से बाहर निर्यात करना चाहते है, तो आपके लिए आईईसी रजिस्ट्रेशन लेना भी अनिवार्य है.
जगह (location) –
जगह का चयन इस व्यापार की सफलता के लिए सबसे अहम फैसला है. farmers rice mill आपके व्यवसाय के लिए यह बेहद आवश्यक है farmers rice mill कि आपकी मिल जहाँ चावल का उत्पादन होता है, farmers rice mill उस क्षेत्र से farmers rice mill नजदीक होनी चाहिए. इसके लिए आपको किसी ऐसे farmers rice mill स्थान का चयन करना चाहिए, farmers rice mill जहां किसान आसानी से पहुंच पाए, और बिना किसी farmers rice mill परेशानी के अपनी उपज farmers rice mill आप तक पहुंचा पाए. ऐसा ना होने पर आपको कच्चे माल की ढुलाई के लिए farmers rice mill ज्यादा खर्चा करना होगा. आपको इस बात का ध्यान रखना farmers rice mill चाहिए, कि इस farmers rice mill उद्योग के लिए आपको बड़ी जगह की आवश्यकता होगी, ताकि आप किसान द्वारा farmers rice mill दिये गए कच्चे माल का भंडारण आसानी से कर पाए और साथ ही आपको संशोधन farmers rice mill के बाद तैयार चावल को भी भंडार करने के लिए उपयुक्त जगह की farmers rice mill आवश्यकता होगी. आपके इस व्यवसाय के लिए मशीनों के सेटअप के लिए भी अधिक जगह की आवश्यकता होगी, और साथ ही आपको इस बात का ध्यान भी रखना होगा, कि आपके कर्मचारी पर्याप्त जगह में काम कर पाए और उन्हे हवा पानी की पर्याप्त व्यवस्था मिले.
आवश्यक उपकरण (Necessary Equipments for Rice Milling Business)-
इस उद्योग की स्थापना के लिए आपका मुख्य खर्चा आपकी जगह और मशीन का होगा. अगर आपके पास पैसों की पर्याप्त व्यवस्था है, तो आपके लिए किसी पुरानी मशीन की जगह नई मशीन खरीदना फायदे का सौदा होगा. क्योंकि पुरानी मशीनों के साथ आपका अधिकतर पैसा मशीनों के रखरखाव और रेनोवेशन में खर्च हो जाता है. और जब आप नई मशीन खरीदते है, तो आपको मशीन विक्रेता कंपनी के द्वारा कुछ दिनों का मेंटेनेंस और इंस्टालेशन भी फ्री दिया जाता है, तो आप इन सुविधाओं का लाभ भी ले सकते है. इसके अलावा आपको किसी ऐसे स्थान का चयन करना होगा, जहां सतत बिजली की व्यवस्था उपलब्ध हो, और बिजली की अनुपस्थिति के लिए आपको जनरेटर का प्रबंध करना भी आवश्यक है. इसी के साथ आपको इस व्यवसाय के लिए पानी का भी उचित प्रबंध करना होगा.
चावल की मिल के उद्योग के लिए आवश्यक मशीन (Required Machinery for Rice Milling Business)-
चावल की मिल में चावल को साफ करके बाजार में बेचने के लिए तैयार करने के लिए आपको धान को कई प्रक्रियाओं से गुजारना होता है, जिसके लिए पूरे सेटअप में कई तरह की मशीनों का इंस्टालेशन किया जाता है. इस उद्योग में प्रयुक्त कुछ आधुनिक मशीनों के नाम इस प्रकार है.
राइस क्लीनिंग मशीन
राइस डे-स्टोनर मशीन
पेड़ी हसकर (Husker) मशीन
राइस कलर सोर्टर
पेड़ी सेपरेटर मशीन
राइस व्हाइटनर मशीन
राइस पोलिशिंग मशीन
ग्रेडिंग मशीन
ग्रैन ड्रायर
मेजर एंड पैकिंग मशीन
राइस मिल्लिंग डिटेक्शन मशीन
मशीनों का मूल्य और कहाँ से खरीदे (Rice Mill Machine Price and Place to Buy )–
चावल मिल में प्रयुक्त मशीन की कीमत 4 लाख से प्रारंभ होकर इसकी दक्षता के हिसाब से बढ़ती जाती है. अगर आप बहुत छोटे स्तर पर लघु उद्योग के रूप में यह व्यापार शुरू करना चाहतें है, तो आपके लिए 1 लाख से कम कीमत में भी यह मशीन बाजार में उपलब्ध है. आपकी मशीन का चयन पूर्णतः आपके व्यापार के साइज़ पर निर्भर करता है. यहाँ हम आपको कुछ वेब-साइट्स उपलब्ध करा रहें है जहां से आप इस मशीन के प्राइस और इसके विक्रेता के संबंध में जानकारी एकत्रित कर सकतें है.
जब आप मशीन खरीदने की प्रक्रिया कर लेते है, तो अब वक्त होता है इसके इंस्टालेशन का. और इस कार्य के लिए आपको एक प्रशिक्षित व्यक्ति की आवश्यकता होगी, जिसे इस चीज का ज्ञान हो. इस प्रक्रिया के लिए आपको ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अधिकतर कंपनी आपके कहने पर इंस्टालेशन की सुविधा स्वयं प्रदान करती है. मशीन के सफल इंस्टालेशन में पर्याप्त समय की जरूरत होती है, इसलिए इसके लिए मालिक को थोड़ा धैर्य रखने की आवश्यकता होती है.
उद्योग के लिए आवश्यक कच्चा माल कहां से प्राप्त करें (Getting your raw material for Rice Mill) –
आपके उद्योग की सफलता इस बात पर आधारित है कि आप वर्ष भर अपने व्यापार में उत्पादन सतत रख पाए. इस उद्योग के लिए आप कच्चा माल निम्न तरीको से प्राप्त कर सकतें है –
चावल के खेत से– अगर आपके स्वयं के धान के खेत है, तो यह उद्योग आपके लिए फायदेमंद है, क्योंकि आपको अपने व्यापार के लिए कच्चे माल की चिंता नहीं करनी पड़ेगी. परंतु आपको यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए, कि आपके पास वर्ष भर के लिए पर्याप्त कच्चा माल उपलब्ध हो.
किसानों से या बाजार से धान खरीदना – अगर आपके स्वयं के खेत नहीं है तो आप किसानों से या बाजारो से भी कच्चे माल (धान) की खरीदी कर सकते है. और इसमे आपको वर्ष भर कच्चा माल आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है. परंतु इसमें आपको बाजार में धान के मूल्य पर बहुत ध्यान देना होता है, जो कि सीजन ना होने पर काफी बढ़ जाते है और अधिक कीमत में कच्चा माल खरीदना आपके लाभ को प्रभावित करता है.
चावल तैयार करने की प्रक्रिया (Rice Manufacturing Process) –
खेत से धान की फसल आने के बाद उसे कई प्रक्रियाओं से गुजारा जाता है, तब जाकर यह बाजार में बेचने के लिए तैयार होता है. चावल को तैयार करने की निम्न प्रक्रिया है.
पूर्व सफाई – इस स्टेप में धान में उपलब्ध हर अशुद्धि को साफ किया जाता है और खराब अनाज को इसमे से हटाया जाता है.
डी-स्टोनिंग – इस प्रक्रिया में धान में से मौजूदा छोटे-छोटे पत्थरों को अलग किया जाता है और इसे अगली प्रक्रिया के लिए तैयार किया जाता है.
पर्बोलिंग – यह चावल के अनाज के अंदर स्टार्च के जिलेटिननाइजेशन द्वारा पौष्टिकता और गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है. इससे मिलिंग रिकवरी में भी सुधार होता है.
हस्किंग – इस प्रक्रिया में चावल में से हस्क को अलग किया जाता है.
हस्क एसपिरेशन – अब इस प्रक्रिया में producers rice mill ब्राउन राइस या अनहुक्ड धान में से भूसी को अलग किया जाता है.
धान का पृथक्करण – अब यहाँ अनहुक्ड धान मेंproducers rice mill से चावल को अलग किया जाता है.
व्हाइटनिंग – अब यहां इस प्रक्रिया producers rice mill में ब्राउन राइस producers rice mill की परत और रोगाणुओं के हिस्से को अलग किया जाता है.
पोलिशिंग – अब यहां बचे हुये ब्रेन producers rice mill कणों को हटाया जाता producers rice mill है और कर्नेल के बाहरी हिस्से को पॉलिश करके चावल की स्थिति में सुधार किया जाता है.
लेंथ ग्रेडिंग– अब यहां चावल के छोटे producers rice mill बड़े टुकड़ो को producers rice mill अलग किया जाता है और एक क्वालिटी के चावल को एकत्रित किया producers rice mill जाता है.
पैकेजिंग– यह आखिरी स्टेप होता है जिसमें producers rice mill चावल को तौलकर और अलग-अलग मात्रा में पैकेट तैयार producers rice mill किए जाते है. producers rice mill अब यह चावल ग्राहक तक पहुंचने के लिए तैयार होता है, producers rice mill जिसे आप बाजार में producers rice mill विभिन्न विक्रेताओं तक पहुंचा सकते है.
इस उद्योग में लगने वाली लागत और मुनाफा (Investment and Profit )–
अगर आप छोटे स्तर से यह व्यापार शुरू करना चाहते है, rice mill machine तो आप मात्र 3 लाख 50 हजार रूपये में यह व्यवसाय शुरू कर सकते है, rice mill machine अगर rice mill machine आपके पास इतना पैसा भी नहीं है, rice mill machine तो आपको अपने इस व्यापार के लिए 90 प्रतिशत तक का ऋण सरकार से मिल सकता है. rice mill machine इस व्यापार की लागत rice mill machine में 3 लाख का खर्च आपकी जगह और मशीनों के खर्च में आता है, rice mill machine जबकि बचे 50 हजार आपकी मेंटेनेंस का खर्च होता है, rice mill machine जिसमें बिजली rice mill machine बिल और कर्मचारियों का खर्चा शामिल होता है. अपने द्वारा किए गए इस इन्वेस्ट से आपका जो सेटअप होता है, rice mill machine उससे आप लगभग 370 क्विंटल चावल तैयार कर सकते है. और इसमे कच्चे rice mill machine माल और अन्य खर्चो को मिलाकर आपको लगभग 4 लाख 50 हजार तक का खर्चा आता है, जबकि आप इसे लगभग 5 लाख 50 हजार तक में आगे बाजार में बेच सकते है. rice mill machine मतलब आपका एक महीने का प्रॉफ़िट 1 लाख के आस-पास होगा. अगर आप बड़े स्तर पर यह व्यवसाय करते है, rice mill machine तो आपकी लागत और लाभ दोनों में ही वृद्धि होगी.
इस व्यापार के लिए सरकार के द्वारा दिया जाने वाला ऋण –
आप इस व्यापार के लिए लगभग 90 प्रतिशत तक का ऋण प्राप्त कर सकते है, इसके लिए आपको प्रधानमंत्री एम्प्लोयमेंट जनरेशन प्रोग्राम के अंतर्गत आवेदन करना होगा. अगर आप इसमे आवेदन करना चाहते है तो आवेदन फॉर्म यहां https://www.kviconline.gov.in/pmegpeportal/jsp/pmegponline.jsp क्लिक करके प्राप्त कर सकते है.
इस व्यापार में आने वाली चुनौतियां (Challenges of rice milling business) –
हर व्यापार में अपनी historic rice mill अलग चुनौती होती है,historic rice mill उसी प्रकार से इस व्यापार में भी कई प्रकार की चुनौतिया है, historic rice mill जो इस प्रकार से है.
अधिक पूंजी निवेश – बाजार में historic rice mill उपलब्ध historic rice mill नवीनतम राइस मिलिंग मशीन ऐसी मशीन है, जिससे चावल को तैयार करने की प्रक्रिया और सरल हो जाती है. historic rice mill और साथ ही इससे बेहतर क्वालिटी का माल तैयार होता है. historic rice mill परंतु इन मशीनों का मूल्य अधिक होता है. historic rice mill तो अपनी इस समस्या से historic rice mill निपटने के लिए आपको इन्वेस्टर ढूँढना होता है, historic rice mill पर यदि आपको कोई इन्वेस्टर नहीं मिलता है, historic rice mill तो आपको historic rice mill चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, historic rice mill क्योंकि आज कल सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से ऋण आसानी से मिल जाता है.
नियमित मेंटेनेंस – पूर्व में उपयोग होने वाली मशीनों की तुलना में आधुनिक मशीनों को लगातार मैंटेनेंस की जरूरत पढ़ती है, तब ही यह आपको मनचाहा उत्पादन देती है. और इन मशीनों के मैंटेनेंस के लिए आपको अत्यधिक पैसा खर्च करना होता है.
इस व्यापार को चलाने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता –इस व्यापार को चलाने के लिए मशीनों को चलाने और अन्य मेनेजमेंट के लिए अनुभवी व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, और अगर आपको अनुभवी व्यक्ति नहीं मिलते है, तो आपको अपने कर्मचारियों को उचित ट्रेनिंग देनी होगी, जिससे वे अपने कार्य में कुशल हो सकें. इस ट्रेनिंग की प्रक्रिया में भी आपका पैसा खर्च होता है.
हालांकि Book Publishing व्यवसाय शुरू करना भारत में एक लाभकारी बिज़नेस हो सकता है लेकिन इस तरह की कंपनी शुरू करना भ्रामक एवं थका देने वाला हो सकता है । वर्तमान में जैसा की हम देखते हैं की इन्टरनेट की पहुँच अधिकतर क्षेत्रों तक हो गई है इसलिए इन्टरनेट भी ज्ञानवर्धन करने का एक अहम मंच बन गया है । इसलिए अक्सर आम आदमी सोचता है की इन्टरनेट के विस्तृत होने से पुस्तकों की बिक्री होना कम हो गई होगी, लेकिन यह सच्चाई नहीं है बल्कि इन्टरनेट के आने से लोग आसानी से e book खरीद सकते हैं । यही कारण है की इस तरह की इस इंडस्ट्री की नेट वर्थ 38000 करोड़ रूपये से भी अधिक आंकी गई है ।
भारत में किताब पढने वालों की श्रेणी में अधिकतर बच्चे एवं नौजवानों की संख्या शामिल है । भारत में ISBN जारी करने के लिए जिम्मेदार एजेंसी राजा राममोहन रॉय एजेंसी द्वारा अब तक कुल 385360 ISBN जारी किये गए हैं । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की Book Publishing नामक यह बिज़नेस वर्तमान में लाखों उद्यमियों की कमाई का स्रोत बना हुआ है । इसलिए आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से Publishing business के बारे में भरपूर जानकारी देने की कोशिश करेंगे । तो आइये सर्वप्रथम यह जानते हैं की यह बिज़नेस होता क्या है ।
Book publishing बिज़नेस क्या होता है
पब्लिशिंग का हिंदी में शाब्दिक अर्थ प्रकाशन से लगाया जाता है इसलिए प्रकाशन की प्रक्रिया की बात करें तो इसमें प्रिंटेड, पढने योग्य या फिर ग्राफिक सामग्री को जनता के बीच बेचने या वितरण के लिए जारी किया जाता है । कहने का अभिप्राय यह है की एक पब्लिशिंग हाउस का काम प्रिंटेड, पढने योग्य, ग्राफिक सामग्री इत्यादि को जनता के लिए जारी करने का होता है । हालांकि वर्तमान में प्रिंटिंग, बाइंडिंग, डिलीवरी इत्यादि लागत को कम करने के लिए e book publish हो रही हैं जो पब्लिशर्स एवं ग्राहक दोनों के हिसाब से उपयुक्त हैं । Book Publishing से आशय किताबों के प्रकाशन से है इसलिए किताबों के प्रकाशन का काम ही Book Publishing Business कहलाता है ।
पब्लिशिंग हाउस कैसे शुरू करें (How to Start Book Publishing Business):
Education Loan Kya hai & kyu or kaise Apply kre in (Hindi & English)जैसा की हम सबको विदित है की किसी भी बिज़नेस को शुरू करने के लिए निवेश करने की आवश्यकता होती है इसलिए उद्यमी उस पर आने वाले खर्चे को लेकर सबसे अधिक चिंतित रहता है । Book Publishing Business शुरू करने के लिए भी उद्यमी इस पर आने वाला खर्चा जानने के इच्छुक रहते हैं। यहाँ पर हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं की इस बिज़नेस में आने वाला खर्चा बिज़नेस मॉडल पर निर्भर करता है अर्थात यदि उद्यमी सभी कार्य इनहाउस वह भी खास तौर पर प्रिंटिंग इत्यादि इनहाउस करता है तो शुरूआती दौर में Book Publishing Business में आने वाली लागत बढ़ सकती है। इसलिए उद्यमी चाहे तो इस तरह का कार्य शुरुआत में आउटसोर्स भी कर सकता है । इसके अलावा जहाँ तक रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट की बात है यह पूरी तरह से बिक्री की गई मात्रा पर निर्भर करती है अर्थात किताबों की बिक्री की संख्या जितनी अधिक होगी उतनी जल्दी इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न प्राप्त होगा। तो आइये जानते हैं की भारत में कोई व्यक्ति कैसे Book Publishing Business शुरू कर सकता है।
सर्वप्रथम निर्णय लें :
कैसे पायें आसानी से सरकारी नौकरी 10 टिप्सBook publishing करने के इच्छुक व्यक्ति अक्सर इसी असमंजस में रहते हैं की वे इस व्यापार को शुरू करें या नहीं करें। इसलिए सर्वप्रथम उन्हें इस असमंजस से निकलकर इस बात का निर्णय लेना ही होगा की वह इस तरह के व्यापार को करने के लिए गंभीर हैं या नहीं। यदि उद्यमी गंभीर है तो उसे अपने बिज़नेस के लिए टॉपिक एवं ऑडियंस का भी निर्धारण करना होगा। कहने का अभिप्राय यह है की उद्यमी को इस बात का निर्णय लेना होगा की वह अपने Book Publishing House से किस किस प्रकार की पुस्तकें प्रकाशित करेगा । इनमे विषयक ज्ञान सम्बन्धी पुस्तकें, कथा कहानी की पुस्तकें, या अन्य पुस्तकों की श्रेणियां शामिल हो सकती हैं। इसमें उद्यमी को इस बात का ध्यान रखना होगा की वह बिज़नेस के लिए किताबों का प्रकाशन करेगा न की अपनी एक आदत के तौर पर । इसलिए जब उद्यमी इन सब बातों का निर्णय ले पायेगा तभी वह इस बिज़नेस में गंभीरता से निवेश करने के लिए तैयार हो पायेगा।
रिसर्च करें :
Petroleum Jelly Production of Hindi & English in full detailBook Publishing Business शुरू कर रहे उद्यमी को राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय आकड़ों को ध्यान में रखकर रिसर्च करनी चाहिए की किस प्रकार की किताबें अधिक बिकती हैं । और जिस क्षेत्र में वह अपना व्यवसाय शुरू करना चाहता है वहां वह किस तरह की पुस्तकें अधिक बेच सकता है । online book publishing हालांकि वर्तमान में वैश्विक स्तर पर ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से किताबें आसानी से बेचीं जा सकती हैं लेकिन फिर भी वह क्षेत्र जहाँ उद्यमी यह बिज़नेस शुरू करना चाहता है में उद्यमी को लाइब्रेरी, बुक स्टोर इत्यादि पर भी रिसर्च करनी चाहिए । और उनमें जाकर उनसे यह जानने की कोशिश की जानी चाहिए की उस एरिया में किस प्रकार की किताबें अधिक बिकती हैं । हालांकि इस लेख में आगे हम इस बिज़नेस के लिए आवश्यक लाइसेंस एवं पंजीकरणों की बात करेंगे लेकिन कभी कभी स्थानीय नियम अलग अलग हो सकते हैं इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह इस बात की भी रिसर्च करे की उस क्षेत्र विशेष में Book Publishing व्यवसाय के लिए किन किन लाइसेंस एवं पंजीकरण की आवश्यकता होगी।
बिज़नेस प्लान तैयार करें:
एक बिज़नेस प्लान किसी भी बिज़नेस का ब्लू प्रिंट होता है online book publishing अर्थात यह एक ऐसा दस्तावेज होता है जिसमे सम्पूर्ण बिज़नेस की दशो दिशा तय की जाती है।online book publishing इसलिए खुद का Book Publishing Business शुरू करने से पहले उद्यमी को यह निर्धारित करना होगा की वह प्रत्येक वर्ष कितनी किताबें प्रकाशित करेगा, online book publishing एडवरटाइजिंग इत्यादि के लिए क्या बजट होगा,online book publishing मार्केटिंग प्लान क्या होगा इत्यादि बातों का निर्धारण online book publishing बिज़नेस प्लान में होता है । इसके अलावा उद्यमी इस online book publishing दस्तावेज में सभी लागतों एवं लक्ष्यों को भी शामिल करता है।
एक प्रभावी बिज़नेस प्लान कैसे बनायें।
जगह का प्रबंध करें:
एक Book publicizing House के लिए उद्यमी को 180-250 Square Feet जगह की आवश्यकता हो सकती है इसमें उद्यमी को ऑफिस, पब्लिशिंग हाउस, स्टोर इत्यादि की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए उद्यमी को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए जगह का प्रबंध करने की आवश्यकता होती है । उद्यमी चाहे तो किसी स्थानीय बाजार या अन्य प्रमुख सड़क पर इस तरह का व्यवसाय शुरू करने के लिए जगह का प्रबंध कर सकता है। ध्यान रहे यदि उद्यमी इस जगह को किराये पर ले रहा हो तो उसे Lease Agreement अवश्य तैयार कर लेना चाहिए क्योंकि इसकी बदौलत ही उद्यमी अपने बिज़नेस के नाम से बैंक अकाउंट एवं इस पते पर अपने व्यवसाय को रजिस्टर करा पाने में सक्षम हो पायेगा।
आवश्यक लाइसेंस एवं पंजीकरण कराएँ:
अब जब उद्यमी ने अपने व्यवसाय के लिए जगह का प्रबंध कर लिया हो तो उसका आगे का कदम आवश्यक लाइसेंस एवं पंजीकरण लेने का होना चाहिए। book publishing companies near me इसके लिए सर्वप्रथम उद्यमी को विभिन्न Business Entities में से किसी एक का चयन करके अपनी कंपनी रजिस्टर करनी होगी। कंपनी रजिस्टर करने की जानकारी इस लेख में दी गई है। उसके बाद उद्यमी को ISBN (International Standard Book Number) के लिए अप्लाई करना होगा। ISBN Apply करने की प्रक्रिया भी बेहद सरल है इसके लिए उद्यमी चाहे तो इसकी अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन भी आवेदन कर सकता है। इन सबके अलावा उद्यमी को प्रत्येक किताब को प्रकाशित करने से पहले उसे कॉपीराइट एक्ट के तहत रजिस्टर कराना बेहद जरुरी है ताकि उस किताब में उपलब्ध सामग्री की कोई चोरी न कर सके ।
आवश्यक मशीनरी उपकरण एवं सामग्री खरीदें:
Book Publishing business के लिए उद्यमी को विभिन्न child book publishing company प्रकार की मशीनरी एवं उपकरणों को खरीदने की आवश्यकता हो सकती है। child book publishing company हालांकि यदि प्रिंटिंग का कार्य उद्यमी किसी प्रिंटिंग कंपनी को आउटसोर्स करता है तो उसे कम मशीनरी एवं उपकरणों की आवश्यकता हो सकती है। child book publishing company कहने का अभिप्राय यह है की उद्यमी को ऑफिस के लिए फर्नीचर, कंप्यूटर, प्रिंटर्स, सॉफ्टवेर, पेपर, गत्ते इत्यादि की आवश्यकता हो सकती है। child book publishing company लेकिन यदि उद्यमी प्रिंटिंग का काम child book publishing company आउटसोर्स करना चाहता है तो वह भारी मात्रा में कागज़ एवं विभिन्न प्रकार के प्रिंटर्स खरीदने से बच सकता है।
कर्मचारी नियुक्त करें :
Book Publishing Business शुरू कर रहे उद्यमी को अनेकों प्रकार के पेशेवर लोगों को नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है। book publishing jobs इसमें उद्यमी को बुक एडिटर, ग्राफिक डिज़ाइनर, टाइप करने वाले लोगों की आवश्यकता हो सकती है। book publishing jobs इसलिए शुरूआती दौर में उद्यमी को चाहिए की वह कम से कम स्टाफ को नियुक्त करके ही book publishing jobs काम चलाने का प्रयत्न करे और book publishing jobs जैसे जैसे उद्यमी का बिज़नेस ग्रो करते जाय वैसे वैसे स्टाफ की बढ़ोत्तरी भी करते रहे।
बिज़नेस की वेबसाइट इत्यादि तैयार करें:
वर्तमान में ऑनलाइन प्लेटफोर्म पर बहुत ज्यादा किताबें बिकती हैं book publishing jobs इसलिए उद्यमी को वर्तमान समय के मुताबिक अपने Book Publishing Business के लिए अपने बिज़नेस के नाम से डोमेन बुक कर देना चाहिए।
उद्यमी चाहे तो हर एक्सटेंशन जैसे .com .net .in इत्यादि पर डोमेन ख़रीदे book publishing jobs और इन सबको प्राथमिक डोमेन पर book publishing jobs पॉइंट करे ताकि कोई भी नाम डालने पर प्राथमिक डोमेन ही खुले। उद्यमी चाहे तो किसी वेब डेवलपमेंट कंपनी से संपर्क करके भी इस बारे book publishing jobs में और अधिक जानकारी ले सकता है।
लेखकों के बारे में पता करें:
अब उद्यमी को उस शैली में लेखकों के बारे में पता करना होगा catholic book publishing जो शैली उसने अपने Book Publishing business के लिए चुनी हो।catholic book publishing उद्यमी का लक्ष्य अपनी चुनी हुई शैली catholic book publishing से सम्बंधित लेखको के बारे में पता करना catholic book publishing होगा यदि पब्लिशिंग हाउस को किसी प्रसिद्ध लेखक का साथ मिल गया तो उसका बिज़नेस जल्दी ही catholic book publishing प्रचलित हो सकता है। catholic book publishing इसके अलावा उद्यमी को प्रत्येक लेखक से एग्रीमेंट करना चाहिए और उसमे रॉयल्टी रेट, catholic book publishing पेमेंट फ्रीक्वेंसी, अधिकार एवं अन्य विकल्पों का पूर्ण विवरण होना चाहिए।
प्रकाशित करें बेचें और कमायें:
Book Publishing Business कर रहे उद्यमी का अगला एवं अंतिम कदम किताबें प्रकाशित करने का होना चाहिए । बुक लांच करने के समय उद्यमी चाहे तो किसी प्रसिद्ध व्यक्ति को बुला सकता है ताकि यह कार्यक्रम मीडिया की नज़र में आये। और प्रकाशित होने वाली किताब की मार्केटिंग हो पाए, मार्केटिंग करने के लिए उद्यमी वर्तमान में प्रचलित अनेकों ऑनलाइन एवं ऑफलाइन तकनीकों का सहारा ले सकता है। ध्यान रहे प्रकाशित किताब की जितनी अधिक कॉपी बाजार में बिकेंगी, Book Publishing Business कर रहे उद्यमी की कमाई भी उतनी अधिक बढ़ेगी।
Envelope Making यानिकी लिफाफा बनाने का बिज़नेस शुरू करना एक ऐसे व्यवसाय की लिस्ट में शामिल है जिसे बेहद कम निवेश के साथ एवं बड़ी आसानी से शुरू किया जा सकता है । जैसा की हम सबको विदित है की लिफाफा स्टेशनरी में एक प्रमुख आइटम है इसलिए इसका उपयोग स्टेशनरी आइटम के रूप में बड़े छोटे कार्यालयों एवं घरों में बहुतायत तौर पर किया जाता है। लेकिन जहाँ तक इसके इस्तेमाल होने का सवाल है यह इस्तेमाल के आधार पर अनेकों प्रकार के हो सकते हैं अर्थात कुछ फैंसी लिफाफे होते हैं तो कुछ सामान्य ।
सामान्य लिफाफों का अधिकांश इस्तेमाल पत्राचार के लिए किया जाता है अर्थात किसी दस्तावेज को कूरियर या पोस्ट ऑफिस इत्यादि के माध्यम से भेजने में इन लिफाफों का इस्तेमाल अधिकाधिक किया जाता है । इनके अलावा फैंसी लिफाफों का इस्तेमाल तरह तरह के ग्रीटिंग कार्ड जैसे क्रिसमस, नए साल, वैलेंटाइन, बर्थडे, एनिवर्सरी इत्यादि कार्डों की पैकिंग के लिए किया जाता है। चूँकि Envelope Making Business शुरू करने के लिए बहुत अधिक निवेश करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए यह बिज़नेस एक ऐसा व्यवसाय है जिसे कोई भी इच्छुक व्यक्ति आसानी से शुरू कर सकता है। आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से न सिर्फ Envelope Making Business शुरू करने के बारे में जानेंगे। बल्कि इसको शुरू करने के फायदों इत्यादि के बारे में भी जानने की कोशिश करेंगे।
लिफाफा क्या होता है (What is envelope in Hindi):
आपका सामना कई बार पोस्ट मैन एवं कूरियर बांटने वाले व्यक्ति से हुआ होगा आपने देखा होगा की अक्सर वे लोगों को लिफाफे वितरित करते हुए देखे जाते हैं । जी हाँ लिफाफा आम तौर पर पैकेजिंग का ही एक आइटम है जिसे किसी पतले, सपाट सामग्री से बनाया जाता है । स्टेशनरी आइटम के तौर पर आम तौर पर पेपर से निर्मित लिफाफों का उपयोग होता है जिनकी अन्दुरुनी परत पर प्लास्टिक की एक हलकी सी परत इसलिए चढ़ा दी जाती है ताकि बारीश इत्यादि में भीगने के बावजूद उसके अन्दर रखे दस्तावेजों को ज्यादा हानि न हो। Envelop Making के दौरान लिफाफे को इस तरह से बनाया जाता है की इसके अन्दर किसी सपाट सामग्री जैसे पेपर या कार्ड को आसानी से रखा जा सके। पेपर लिफाफे मूल रूप से स्टेशनरी की एक प्रमुख वस्तु है इसे देखें तो यह कागज का एक मुड़ा हुआ टुकड़ा होता है जिसमें दस्तावेज एवं कार्ड आसानी से रखे जा सकते हैं।
लिफाफे बनाने का बिज़नेस शुरू करने के फायदे (Benefits to start Envelop Making Business):
Envelope making Business शुरू करने से पहले बहुत सारे लोग यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं की उन्हें यह व्यवसाय क्यों करना चाहिए अर्थात इस तरह का यह बिज़नेस शुरू करने के कौन कौन से फायदे हो सकते हैं। इसलिए Envelope making Business शुरू करने से पहले उद्यमी को इस व्यवसाय के हर पहलू के बारे में अच्छी तरह से पता होना बेहद जरुरी है। तो आइये जानते हैं लिफाफे बनाने के बिज़नेस शुरू करने के फायदों के बारे में।
लिफाफा एक ऐसी स्टेशनरी की वस्तु है जिसकी माँग न सिर्फ कार्यालयों को होती है बल्कि घरेलू तौर पर भी इनका इस्तेमाल बहुतायत मात्रा में किया जाता है। इसलिए हर तरह के स्थानीय बाजार में इनकी माँग हमेशा विद्यमान रहती है। पत्र भेजने, ग्रीटिंग कार्ड भेजने एवं अन्य दस्तावेजों को भेजने में इनका इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है की इनकी हर समय माँग बनी रहती है ।
Envelope making Business शुरू करने का दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह है की इसे व्यक्ति चाहे तो अपने घर से भी शुरू कर सकता है । क्योंकि इसके लिए बहुत बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता नहीं होती है।
इस बिज़नेस को बेहद कम निवेश के साथ शुरू किया जा सकता है । इंफ्रास्ट्रक्चर में आने वाले खर्चे को बचाया जा सकता है यही कारण है की इस तरह का व्यापार शुरू करने के लिए बहुत ज्यादा निवेश करने की आवश्यकता नहीं होती है।
इस बिज़नेस को शुरू करने का एक और फायदा यह है की इस बिज़नेस को शुरू करने के लिए किसी विशेष प्रकार के कौशल की आवश्यकता नहीं होती है। बस उद्यमी को सिर्फ इतना सीखना होता है की एक लाभकारी बिज़नेस कैसे चलाया जा सकता है।When do we need to File Income Tax Return in Hindi
लिफाफे बनाने का बिज़नेस शुरू करने की प्रक्रिया:
लिफाफे बनाने का बिज़नेस यानिकी Envelope Making का काम शुरू करने के लिए उद्यमी को अनेक कदम उठाने की आवश्यकता हो सकती है। बिज़नेस चाहे कोई भी हो चाहे वह बड़े से निवेश के साथ शुरू किया जाने वाला व्यापार हो या बेहद कम निवेश के साथ शुरू किया जा सकने वाला बिज़नेस इसे शुरू करने के लिए अनेकों प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है। यद्यपि वर्तमान में भारत में व्यापार करना पहले से बेहद आसान एवं सरल हो गया है क्योंकि राज्य एवं केंद्र सरकार दोनों का लक्ष्य बिज़नेस करने की प्रक्रिया को आसान बनाना रहा है। ताकि देश में अधिक से अधिक उद्यमी पैदा हो सकें। लेकिन Envelope Making नामक यह व्यवसाय न तो प्रदूषण पैदा करता है और न ही पर्यावरण को किसी प्रकार की हानि पहुँचाता है इसलिए इसे कुछ राज्यों में छोटे स्तर पर बिना लाइसेंस और कुछ राज्यों में कुछ स्थानीय लाइसेंस लेकर आसानी से शुरू किया जा सकता है।Education Loan Kya hai & kyu or kaise Apply kre in (Hindi & English)
1. मार्किट रिसर्च करें (Market Research is Necessary) :
उद्यमी जहाँ Envelope Making Business शुरू करने की सोच रहा हो उस एरिया विशेष में उसे इस बात की रिसर्च करनी होती है की वहाँ पर किस प्रकार के लिफाफे सबसे अधिक बिकते हैं। यदि उस एरिया विशेष में कार्यालयों की संख्या अधिक होगी तो वहाँ पर हर तरह के लिफाफों के बिकने की संभावना अधिक होगी। शुरूआती दौर में उद्यमी को स्थानीय मार्किट में व्यापत आवश्यकताओं के आधार पर ही अपने बिज़नेस को दिशा देने का प्रयास करना चाहिए। अर्थात यदि स्थानीय मार्किट में फैंसी लिफाफों की अधिक माँग है तो उसे फैंसी लिफाफों का निर्माण और यदि सामान्य लिफाफों की अधिक माँग है तो सामान्य लिफाफों का निर्माण अधिक करने की आवश्यकता हो सकती है। बाद में उद्यमी चाहे तो अपने लिफाफों को ऑनलाइन बेचकर भी कमाई कर सकता है और उसके बाद स्थानीय बाजार पर उसकी निर्भरता खत्म हो जाएगी।Uber cab kaise book kare
2. बिजनेस प्लान बनायें (Prepare Business Plan):
यदि उद्यमी अपने Envelope Making Business के लिए किसी वित्तीय संस्थान से ऋण लेने का इच्छुक है तो उसे अपने व्यापार के लिए एक प्रभावी बिज़नेस प्लान अवश्य बना लेना चाहिए। यह एक ऐसा दस्तावेज होता है जो उद्यमी को न सिर्फ वित्तीय संस्थानों से लोन लेने में मदद करता है बल्कि यह बिज़नेस की दशोदिशा भी निर्धारित करता है और समय समय पर उद्यमी चुनौतियों को कैसे पार करे उसकी राह भी दिखाता है। यही वो दस्तावेज होता है जिसमें उद्यमी अपने बिज़नेस के लक्ष्यों को निर्धारित करके उन्हें किस तरह से हासिल किया जाय की योजना बना सकता है। इसमें पूरे प्रोजेक्ट पर आने वाली अनुमानित लागत एवं अनुमानित कमाई का ब्यौरा होता है।High Security Registration Plate Business kaise kare in Hindi
3. वित्त की व्यवस्था करें (Finance Arrangement):
हालांकि Envelope Making नामक यह बिज़नेस शुरू करने में बहुत अधिक निवेश की आवश्यकता नहीं होती है जब तक की उद्यमी envelope making machinery कागज़ से निर्माण किये जाने वाले कुछ अन्य उत्पादों के निर्माण के बारे में न सोचे। envelope making machinery लेकिन यदि उद्यमी के पास इकाई में लगने वाली मशीनरी एवं कच्चे माल इत्यादि खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं तो वह यह बिज़नेस नहीं कर पायेगा। ऐसे में उसे सबसे envelope making machinery पहले अपने व्यापार के लिए वित्त की व्यवस्था करने की आवश्यकता होती है वर्तमान में वित्त की व्यवस्था के लिए बहुत सारे औपचारिक स्रोत जैसे बैंक, envelope making machinery वित्तीय संस्थान एवं अन्य फाइनेंसिंग कंपनीयां हैं लेकिन इनसे ऋण प्राप्त करना आसान काम envelope making machinery नहीं है इसलिए इन स्रोतों से सबको ऋण मिल जायेगा यह कहना थोड़ा मुश्किल है। चूँकि Envelope Making Business बेहद कम निवेश के साथ शुरू किये जाने वाले बिज़नेस की लिस्ट में शामिल है इसलिए इसके लिए उद्यमी envelope making machinery चाहे तो अपने किसी पारिवारिक मित्र, दोस्त इत्यादि से ऋण लेकर envelope making machinery भी इसे शुरू कर सकता है।
4. इकाई की स्थापना के लिए जगह का चुनाव करें (Required Space):
हालांकि उद्यमी चाहे तो यह काम पहले भी कर सकता है लेकिन वित्त की व्यवस्था करने के बाद भी वह अपनी इकाई के लिए जगह का चुनाव कर सकता है। शुरू में Envelope Making Business एक मशीन के साथ शुरू करने के लिए या मैन्युअली शुरू करने के लिए ज्यादा जगह की आवश्यकता नहीं होती है यदि उद्यमी के घर का कोई कमरा खाली हो तो वह यह काम शुरूआती दिनों में वहाँ से भी शुरू कर सकता है। लेकिन यदि ऐसा संभव नहीं है तो वह अन्यत्र कोई सस्ती सी जगह किराये पर लेकर वहाँ अपनी इकाई की स्थापना कर सकता है।
5. इकाई के लिए मशीनरी एवं कच्चा माल खरीदें:
Envelope Making Business शुरू करने के लिए कच्चे envelope making machines माल के तौर पर कागज एवं बेहद पतली प्लास्टिक पन्नी की आवश्यकता हो सकती है envelope making machines जिसे लिफाफे के envelope making machine अन्दर से फिक्स किया जाता है ताकि लिफाफे के अन्दर पानी न जाए। इसके अलावा गोंद या अन्य चिपकाने वाले पदार्थ envelope making machines की भी आवश्यकता हो सकती है। envelope making machinery हालांकि लिफाफों को बिना मशीन की मदद लिए भी तैयार किया जा सकता है लेकिन इसमें काफी समय लग सकता है और उत्पादकता कास्ट बढ़ सकती है। envelope making machines इसलिए उद्यमी को शुरूआती दौर envelope making machines में कोई छोटी सी आटोमेटिक या सेमी आटोमेटिक मशीन खरीद लेनी चाहिए।
6. लिफाफों की निर्माण प्रक्रिया के बारे में जानें:
Envelope Making Business शुरू कर रहे उद्यमी को बहुत ज्यादा कौशल की आवश्यकता इसलिए नहीं होती है क्योंकि वर्तमान में बाजार में जो भी Envelope Making Machines उपलब्ध हैं उनमें सिर्फ कच्चा माल जैसे कागज के रोल, पन्नी, गोंद इत्यादि डालने की आवश्यकता होती है उसके बाद लिफाफा खुद ही तैयार होकर बाहर आ जाता है। जहाँ तक मशीन ऑपरेटिंग के प्रशिक्षण का सवाल है इसका प्रशिक्षण मशीन निर्माणकर्ता देते हैं। इसके बावजूद हम लिफाफों की निर्माण प्रक्रिया को निम्नलिखित पांच स्टेप में विभाजित कर सकते हैं।
आवश्यक शेप और साइज़ के हिसाब से पेपर की कटिंग की जाती है।
डिजाईन के आधार पर लिफाफे के अन्दर या बाहर envelope making machines प्रिंटिंग की जाती है ।
लिफाफे की विंडो का निर्माण किया जाता है ।
लिफाफे के कोनों में गोंद लगाकर उन कोनों को चिपकाया जाता है ।
उसके बाद खाली हिस्से को आवश्यक शेप में मुड़ा दिया जाता है ।
लिफाफे बेचकर कमाई करें:
लिफाफा एक ऐसी वस्तु है जिसका इस्तेमाल हर जगह चाहे वह घर हो या कार्यालय में होता ही होता है हालांकि घर की तुलना में कार्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों में इनका इस्तेमाल अधिक हो सकता है। इसलिए Envelope Making Business कर रहे उद्यमी को इस बात की चिंता तो बिलकुल नहीं करनी चाहिए की इस उत्पाद की माँग बाजार में होगी या नहीं होगी । लिफाफों की माँग हर छोटे बड़े बाजार में हमेशा विद्यमान रहती है लेकिन यदि उद्यमी उस एरिया में स्थित स्टेशनरी दुकानों के मालिकों से संपर्क करे तो यह उसके बिज़नेस के लिए बेहतर हो सकता है। क्योंकि लोग अक्सर लिफाफे खरीदने स्टेशनरी की दुकानों में ही जाते हैं इसलिए यदि उस एरिया में स्थित स्टेशनरी दुकानें उद्यमी द्वारा उत्पादित लिफाफे बेचते हैं तो उसके द्वारा उत्पादित माल की बिक्री जल्दी जल्दी हो सकती है । इसके अलावा उद्यमी खुद की वेबसाइट बनाकर या पहले से चल रहे प्रसिद्ध ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भी अपने लिफाफे बेचकर कमाई कर सकता है ।
Verka,Amul & Mother Dairy Get Franchise Tips Hindi, अगर आप भी बिजनेस करने का मन बना रहे हैं और चाहते हैं छोटे निवेश में हर महीने मोटी कमाई हो तो यह खबर आपको खुश कर देगी. डेयरी प्रोडक्ट्स की नामचीन कंपनी horizon organics अमूल के साथ बिजनेस करने का मौका है. wegmans pharmacy अमूल की फ्रेंचाइजी लेना फायदे का सौदा हो सकता है. amul franchise अमूल की फ्रेंचाइजी लेना बहुत आसान है. verka franchise हालांकि, इसकी पूरी जानकारी होना बेहद जरूरी है.mother dairy franchise इस कारोबार में अनुभव की भी जरूरत नहीं है. बस आपको अच्छी मार्केटिंग आनी चाहिए.
क्यों आसान है अमूल के साथ बिजनेस अमूल के साथ बिजनेस करना काफी आसान है. verka franchise इसके दो कारण हैं. verka franchise पहला अमूल का कस्टमर बेस और दूसरा शहर की हर लोकेशन पर फिट. अमूल का हर शहर में कस्टमर बेस काफी मजबूत है. लोग इसके प्रोडक्ट्स को नाम से पहचानते हैं. verka franchise साथ ही छोटे शहरों में भी इसकी पहुंच है. verka franchise इसलिए अमूल की फ्रेंचाइजी लेने में कोई नुकसान नहीं है.
कितना करना होगा निवेश अमूल दो तरह की फ्रेंचाइजी ऑफर कर रहा है. verka franchise अगर आप अमूल आउटलेट, अमूल रेलवे पार्लर या अमूल क्योस्क की फ्रेंचाइजी लेना चाहते हैं verka franchise तो इसमें लगभग 2 लाख रुपए का निवेश करना होगा. verka franchise इसमें नॉन रिफंडेबल ब्रांड सिक्योरिटी के तौर पर 25 हजार रुपए, रिनोवेशन पर 1 लाख रुपए, इक्वीपमेंट पर 75 हजार रुपए का खर्च आता है. इसकी अधिक जानकारी आपको verka franchise फ्रेंचाइजी पेज पर मिल जाएगी.How to become Air Hostess Career in Hindi
दूसरी फ्रेंचाइजी में 5 लाख का निवेश अगर आप अमूल आइसक्रीम स्कूपिंग पार्लर चलाना चाहते हैं और इसकी फ्रेंचाइजी के verka franchise लिए प्लान करना है तो इसका निवेश थोड़ा ज्यादा है. verka franchise इसे लेने के लिए आपको करीब 5 लाख रुपए का निवेश करना होगा. verka franchise इसमें ब्रांड सिक्योरिटी 50 हजार रुपए, रिनोवेशन 4 लाख रुपए, इक्वीपमेंट 1.50 लाख रुपए शामिल हैं.HOW TO DRUGS ADDICTION Abuse in Hindi
कितनी होगी कमाई अमूल के मुताबिक, फ्रेंचाइजी के जरिए हर महीने लगभग 5 से 10 लाख रुपए की बिक्री हो सकती है. हालांकि, यह जगह पर भी निर्भर करता है. अमूल आउटलेट लेने पर कंपनी अमूल प्रोडक्ट्स के मिनिमम सेलिंग प्राइस यानी एमआरपी पर कमीशन देती है. इसमें एक मिल्क पाउच पर 2.5 फीसदी, मिल्क प्रोडक्ट्स पर 10 फीसदी और आइसक्रीम पर 20 फीसदी कमीशन मिलता है. अमूल आइसक्रीम स्कूपिंग पार्लर की फ्रेंचाइजी लेने पर रेसिपी बेस्ड आइसक्रीम, शेक, पिज्जा, सेंडविच, हॉट चॉकेलेट ड्रिंक पर 50 फीसदी कमीशन मिलता है. वहीं, प्री-पैक्ड आइसक्रीम पर 20 फीसदी और अमूल प्रोडक्ट्स पर कंपनी 10 फीसदी कमीशन देती है.
क्या है फ्रेंचाइजी लेने की शर्त अगर आप अमूल आउटलेट लेते हैं तो आपके पास 150 वर्ग फुट जगह होनी चाहिए. अगर इतनी जगह है तो अमूल आपको फ्रेंचाइजी दे देगी. वहीं, अमूल आइसक्रीम पार्लर की फ्रेंचाइजी के लिए कम से कम 300 वर्ग फुट की जगह होनी चाहिए. इससे कम जगह में अमूल फ्रेंचाइजी ऑफर नहीं करेगा.
देश की राजधानी दिल्ली में मदर डेयरी व अमूल का दूध सरकारी मानकों पर खरा नहीं उतर पाया। दिल्ली सरकार की जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि इस दूध में पानी की मिलावट की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने यह जानकारी दी।
21 सैंपल जांच में फेल मंत्री ने बताया कि अप्रैल में शहर के अलग अलग इलाकों से दूध के जो 177 सैंपल उठाए गए थे, उनमें से 165 की रिपोर्ट आ गई है और 21 सैंपल फेल पाए गए हैं। इनमें खुले दूध के अलावा मदर डेयरी, अमूल के पैकेट भी हैं। दूध हालांकि नकली या सिंथेटिक नहीं था लेकिन दूध में पानी या मिल्क पाउडर मिलाने की बात कही गई है।
घी में भी मिलावट दूध के अलावा एक घी का सैंपल भी टीम ने उठाया है। रिपोर्ट में साफ है कि इसमें भी मिलावट हुई है। इसकी अंतिम जांच रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है। यह सैंपल खुले बाजार की एक दुकान से उठाया गया था। मंत्री ने बताया कि इस रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए दूध से बने सभी उत्पादों जैसे खोया और पनीर जैसे दुग्ध उत्पादों की भी जांच की जाएगी।Education Loan Kya hai & kyu or kaise Apply kre in (Hindi & English)
होगी कड़ी कार्रवाई मंत्री ने कहा कि किसी भी नमूनों में मिलावट मिलेगी है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली सरकार को इन मामलों में केस दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। मिलावट के मामले में कोर्ट में दोषियों को पेश करके पेनल्टी लगाई जाएगी। 5 हजार से 5 लाख तक की जुर्माने का प्रावधान है।
हरियाणा के जींद जिले के छोटे-से गांव बोहतवाला के बलजीत सिंह रेढु ने बचपन में सुना था कि कभी उनके इलाके में दूध की नदियां बहती थीं. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले बलजीत को मालूम था कि ‘‘दूध की नदी’’ का मतलब है, इलाके में कृषि आधारित संपन्नता थी. यही वजह है कि उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बावजूद अपने किसान भाई महेंद्र सिंह की तरह कृषि आधारित उद्योग शुरू करने का फैसला किया.
उन्होंने 1995 में मुर्गी पालन के लिए हैचरी कारोबार शुरू किया. लेकिन उनका लक्ष्य तो अपने इलाके में दूध की नदी बहाना था, सो उन्होंने 2006 में 10 मुर्रा भैंसों के साथ डेयरी का कारोबार शुरू किया. यही नहीं, वे आसपास के किसानों से भी दूध का कलेक्शन करने उसे ‘‘लक्ष्य’’ ब्रांड के नाम से बेचने लगे. धीरे-धीरे उनका काम इतना फैलता चला गया कि 2010 में उन्होंने जींद में एक शानदार मिल्क प्लांट की स्थापना कर डाली. आज उनके डेयरी कारोबार का सालाना टर्नओवर करीब 150 करोड़ रु. है.
51 वर्षीय बलजीत कहते हैं, ‘‘आज 14,000 दूध उत्पादक हम से जुड़े हैं और हरियाणा में हमारे 120 बूथ हैं.’’ उनके पास लगभग 2,000 गायें और भैंसें हैं. वे मध्य हरियाणा के बाहर भी अपनी पहुंच बढ़ाने की जुगत में हैं और मदर डेयरी को 25,000 लीटर दूध सप्लाई कर रहे हैं.
यह देश में दूध से आ रही संपन्नता की बानगी भर है. उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में कई उद्यमी इसी तरह की दूध की नदी बहा रहे हैं. इन लोगों ने अपनी उद्यमशीलता के बूते भारत को दुनिया का सबसे ज्यादा दूध पैदा करने वाला देश बना दिया है. दुनिया में दूध की कुल पैदावार में भारत का योगदान 17 फीसदी का है. यहां का डेयरी बाजार चार लाख करोड़ रु. का है.
देश में 1991-92 में दूध की पैदावार 5.57 करोड़ टन हुआ करती थी जो 2013-14 में 14 करोड़ टन पर पहुंच गई. अगले एक दशक तक इसमें 13-15 फीसदी सालाना इजाफे की उम्मीद है. नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के चेयरमैन टी. नंद कुमार इशारा करते हैं, ‘‘भारत में 2016-17 तक दूध की मांग के 15.5 करोड़ टन पहुंचने की उम्मीद है.’’
(औरंगाबाद के मगध डेयरी के मालिक सुबोध कुमार सिंह) आधुनिक है तकनीक और कारोबार एक ओर जहां राज्य सरकारें दूध की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को सब्सिडी देकर उन्हें प्रेरित कर रही हैं, वहीं विज्ञान और तकनीकी का सहारा लेकर उत्पादन बढ़ाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. राजस्थान के गंगानगर के हरिंदर सिंह को आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की ऐसी जिद है कि दूध दुहने से लेकर ग्राहक के बर्तन में पहुंचाने तक उसे हाथ नहीं लगाया जाता. सारा काम मशीनों के जरिए होता है.
वे अच्छी नस्ल तैयार करने के लिए कृत्रिम गर्भाधान कराते हैं और गायों को गर्मी से बचाने के लिए इज्राएल से मंगाए छोटे फुहारे का इस्तेमाल करते हैं, जो अत्यधिक गर्मी के दिनों में भी शेड के तापमान को 15 डिग्री सेल्सियस तक कम कर देता है. उन्होंने उम्र और दूध की मात्रा के हिसाब से गायों के लिए अलग-अलग शेड बनवा रखे हैं, जो उनके आधुनिक पशु प्रबंधन की मिसाल है.
किसान केवल दूध ही नहीं दुह रहे बल्कि गोबर से भी पैसा कमा रहे हैं. ऑर्गेनिक फार्मिंग के बढ़ते रुझन के मद्देनजर गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार की जा रही है. बिहार के बोधगया की नंदिनी डेयरी के संतोष कुमार सालाना 3,000 मीट्रिक टन वर्मी कम्पोस्ट तैयार करते हैं. उन्हीं के शब्दों में अब तो ‘‘मेरी योजना बायोगैस बॉटलिंग प्लांट यूनिट स्थापित करने की है.’’
(गंगानगर, राजस्थान के डेयरी फार्म के मालिक हरिंदर सिंह)
दूध की खपत नेशनल सर्वे सैंपल ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) की 2011-12 के लिए जारी की गई ताजा रिपोर्ट भी दूध की बढ़ती खपत की ओर इशारा करती है. इसके मुताबिक, 2004-05 में किसी परिवार के फूड बजट में दूध का हिस्सा घट रहा था लेकिन 2009-10 से लेकर 2011-12 के बीच यह एकदम से बढ़ गया. ग्रामीण इलाकों में दूध से बने उत्पादों पर खर्च करने में 105 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई जबकि शहरी इलाकों में यह 90 फीसदी पर है.
यही नहीं, 2004-05 की अपेक्षा 2011-12 में प्रति व्यक्ति दूध की खपत में ग्रामीण इलाकों में प्रति माह 470 मिलीलीटर का इजाफा हुआ है जबकि शहरी इलाकों में यह बढ़ोतरी 315 मिलीलीटर है. निर्यात के मामले में भी हमारा प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. एग्रीकल्चरल ऐंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीईडीए) के मुताबिक, 2013-14 में भारत ने 3,318 करोड़ रु. के 1,59,228.52 मीट्रिक टन डेयरी उत्पादों का निर्यात किया है. यह निर्यात प्रमुख रूप से पड़ोस के बांग्लादेश और पाकिस्तान के अलावा मिस्र, यूएई, अल्जीरिया, यमन आदि को किया जाता है.
दूध के क्षेत्र में भारत के इस तरह कदम बढ़ाने की वजह से ही तो लक्ष्य डेयरी के बलजीत सिंह अब चीज और इसी तरह के अन्य उत्पादों की दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं. वे कहते हैं, ‘‘दुनियाभर में मोजेरेला चीज की काफी डिमांड है. मेरा टारगेट इसी तरह के अन्य उत्पाद हैं.’’
पशु धन सबसे जरूरी कृषि मंत्रालय के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग की एक रिपोर्ट से जाहिर होता है कि विदेशी दुधारू मवेशियों की जगह देसी मवेशियों की संख्या में इजाफा उत्साह बढ़ाने वाला नहीं है. देश में 55 फीसदी दूध मुर्रा, मेहसाणा और सुरती जैसी भैंसों की देसी प्रजातियों से मिलता है. इसी तरह गाय की साहीवाल और गीर जैसी नस्लों को बढ़ावा मिल रहा है.
लेकिन दूध की मशीन समझी जाने वाली विदेशी नस्ल की हॉल्स्टन, ब्राउंसवियर और जर्सी की संकर प्रजातियां अधिक दूध देने की वजह से ज्यादा पाली जा रही हैं. ऐसे में आश्चर्य नहीं कि विदेशी/संकर दुधारू गोवंश पशुधन में 2012 में 34.78 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जबकि देसी नस्ल के मामले में यह वृद्धि 0.17 फीसदी की ही है.
बलजीत जैसे लोग टेक्नोलॉजी से देसी नस्ल को और उन्नत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. उन्होंने लक्ष्य डेयरी में दुधारू पशुओं की नस्ल सुधारने के लिए सीमेन स्टेशन स्थापित किया है. वे कहते हैं, ‘‘मैं हरियाणा की दूध और दही वाली परंपरा के लिए विश्व स्तर पर इसकी पहचान बनाना चाहता हूं.’’ देश में डेयरी उत्पादों की मांग के मद्देनजर ये किसान अपनी उद्यमशीलता से दूध दुहने के साथ ही संपन्नता का स्वाद भी चख रहे हैं.
Mother dairy दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों के लिए पूरे भारतवर्ष में काफी प्रचलित नाम है । चूँकि वर्तमान में कमाई करने के लिए लोग फ्रैंचाइजी बिजनेस में भी काफी रूचि ले रहे हैं। और ऐसे ब्रांड जिन्होंने एक विशेष क्षेत्र में अपना सिक्का जमाया है ऐसी कंपनियों की फ्रैंचाइजी लेने के लिए तो लोग हमेशा तत्पर रहते हैं। क्योंकि ऐसी कंपनियों के उत्पादों को बेचने में उद्यमी को बहुत अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ती है अर्थात प्रचलित कंपनियों की फ्रैंचाइजी लेकर उद्यमी अपनी कमाई आसानी से कर सकता है। अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग बड़े बड़े नाम हो सकते हैं लेकिन दुग्ध एवं दुग्ध से निर्मित उत्पादों में Mother Dairy का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इसलिए आज हम हमारे इस लेख के जरिये मदर डेरी की फ्रैंचाइजी और डिस्ट्रीब्यूटरशिप लेने की प्रक्रिया के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। इसलिए यदि आप भी इस कंपनी की डिस्ट्रीब्यूटरशिप और फ्रैंचाइजी लेने की जानकारी के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको हमारा यह लेख अंत तक अवश्य पढना होगा। ताकि आपको पता चल सके की Mother Dairy नामक कंपनी क्या है? और इसकी फ्रैंचाइजी और डिस्ट्रीब्यूटरशिप लेने में लगभग कितना खर्चा आ सकता है? और इसके लिए आवेदन कैसे किया जा सकता है? इत्यादि।
मदर डेयरी के बारे में (About Mother Dairy):
वर्तमान में Mother dairy नामक यह कंपनी wegmans pharmacy भारत की सबसे अधिक प्रसिद्ध एवं प्रचलित डेरी कंपनियों में से एक है । wegmans pharmacy इस कंपनी की स्थापना 1974 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की सहायक कंपनी के रूप में हुई थी। इस पहल की शुरुआत ऑपरेशन फ्लड के तहत हुई थी और तब भारत को दुग्ध पर्याप्त राष्ट्र बनाने के लिए सबसे wegmans pharmacy बड़ा डेयरी विकास कार्यक्रम शुरू किया गया था ।wegmans pharmacy इसी डेयरी विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ही Mother Dairy नामक कंपनी की स्थापना हुई थी । wegmans pharmacy और इन वर्षों में इसने नवीनीकरण और कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के माध्यम से इस उद्देश्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया भी है ।wegmans pharmacy वर्तमान में यह कंपनी wegmans pharmacy मदर डेयरी ब्रांड के अंतर्गत सुसंस्कृत उत्पादों, आइस क्रीम, wegmans pharmacy पनीर और घी सहित दुग्ध और दुग्ध उत्पादों का निर्माण और बिक्री करती है। भले ही कंपनी ने दुग्ध उत्पादों से शुरू किया हो wegmans pharmacy लेकिन वर्तमान में कंपनी के पास हर घर की दैनिक आवश्यकताओं से wegmans pharmacy सम्बंधित खाद्य तेलों, फलों, सब्जियों, फ्रोजेन सब्जी, दाल, प्रसंस्कृत खाद्य जैसे फलों के जूस, जैम इत्यादि अनेकों पोर्टफोलियो भी हैं। पिछले कई वर्षों में Mother Dairy नामक इस कंपनी ने wegmans pharmacy अपने रिटेल चैनलों एवं मजबूत नेटवर्क की बदौलत दिल्ली एवं एनसीआर में दुग्ध उत्पादों के बाजार में नेतृत्व करने की स्थिति बनाई है। wegmans pharmacy और आने वाले वर्षों में कंपनी देश भर में अपनी स्थिति wegmans pharmacy मजबूत करना चाहती है। इसलिए यह कंपनी, उद्यमी बनने की चाह रखने वाले लोगों को समय समय पर अपने साथ बिजनेस करके कमाई का मौका देती रहती है।
मदर डेयरी की फ्रैंचाइजी लेने में आने वाली लागत (Cost and Investment to open Mother Dairy Franchise)
भारत में Mother dairy की फ्रैंचाइजी शुरूhorizon organics करने में लगभग 7-12 लाख तक का खर्चा आ सकता है horizon organics इस खर्चे में जगह एवं बिल्डिंग का खर्चा शामिल नहीं है। horizon organics कंपनी द्वारा अपने डीलर horizon organics या डिस्ट्रीब्यूटर horizon organics से लगभग 50000 रूपये ब्रांड फी के तौर पर भी वसूले जाते हैं। horizon organics हालांकि कंपनी द्वारा किसी प्रकार की horizon organics रॉयल्टी फी horizon organics अभी तक नहीं ली जा रही है । horizon organics इस सबके अलावा उद्यमी के पास कम से कम 500 Square Feet जगह होनी चाहिए जहाँ वह अपनी इकाई शुरू कर सके। horizon organics और यह जगह भी निवासीय कॉलोनी में स्थित होनी चाहिए horizon organics ताकि लोग उत्पाद खरीदने आसानी से उद्यमी की horizon organics दुकान तक पहुँच पायें। इसके अलावा यदि उद्यमी Mother dairy की एक से अधिक फ्रैंचाइजी लेना चाहता है तो वह ले सकता है लेकिन इसमें आने वाला निवेश बढ़ता जायेगा। इसके अलावा जहाँ तक इस व्यापार से रिटर्न मिलने की बात है एक आंकड़े के मुताबिक कुल निवेश पर 30% तक रिटर्न मिलने के आसार लगाये जा सकते हैं।
कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाली मदद एवं प्रशिक्षण:
Mother dairy की फ्रैंचाइजी लेने वाले उद्यमी को कंपनी द्वारा मदद एवं प्रशिक्षण दिया जाता है। कहने का आशय यह है की जब किसी व्यक्ति या संस्था को कंपनी द्वारा अपनी फ्रैंचाइजी, डिस्ट्रीब्यूटरशिप, डीलरशिप इत्यादि प्रदान की जाती है तो कंपनी द्वारा विभिन्न प्रकार की मदद जैसे फील्ड असिस्टेंस, फ्रैंचाइजी के डिजाईन एवं लेआउट में मदद, और आगे इसे ढंग से प्रबंधित करने में मदद भी की जाती है। इसके अलावा कंपनी द्वारा इकाई के कर्मचारियों को समय समय पर उत्पाद एवं सेल्स इत्यादि पर प्रशिक्षण दिया जा सकता है।
मदर डेयरी की फ्रैंचाइजी लेने के फायदे (Benefits of Mother dairy Franchise):
Mother dairy की फ्रैंचाइजी लेने के कुछ मुख्य फायदों की लिस्ट इस प्रकार से है ।
मदर डेयरी दुग्ध एवं इससे उत्पादित उत्पादों के mother dairy franchise बाजार में एक जाना पहचाना नाम है इसलिए इसके उत्पादों को खरीदने के लिए ग्राहक आसानी से मिलने की उम्मीद लगाई जा सकती है।
मदर डेयरी की फ्रैंचाइजी लेकर उद्यमी न सिर्फ दुग्ध mother dairy franchise एवं दुग्ध से निर्मित उत्पाद बेच सकता है, बल्कि कंपनी के अन्य उत्पाद जैसे प्रसंस्कृत खाद्य, फ्रोजन सब्जी, आइस क्रीम, जूस इत्यादि भी बेच सकता है।
कंपनी द्वारा जो भी उत्पाद बनाये गए हैं ये mother dairy franchise मनुष्य की रोजमर्रा की आवश्यकता से जुड़े हुए उत्पाद हैं इसलिए इनकी दैनिक आधार पर अधिक बिक्री के आसार लगाये जा सकते हैं।
Mother Dairy की फ्रैंचाइजी शुरू करने के mother dairy franchise लिए उद्यमी को बहुत अधिक इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता नहीं होती है। और इस व्यापार को शुरू करने में आने वाली लागत भी उचित एवं तर्कसंगत होती है।
कंपनी द्वारा किसी प्रकार की रॉयल्टी फी नहीं वसूली जाती है ।
कंपनी द्वारा उद्यमी को अधिक से अधिक बिक्री करने की ओर प्रोत्साहित किया जाता है और तरह तरह की मदद एवं प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।What is Neet Exam in Hindi & How to Import
मदर डेयरी फ्रैंचाइजी के लिए आवेदन कैसे करें (How to apply for Mother Dairy Franchise):
हालांकि Mother dairy ने horizon organics खुद की फ्रैंचाइजी, amul franchise डीलरशिप, डिस्ट्रीब्यूटरशिप इत्यादि के लिए ऑनलाइन आवेदन अभी नहीं मांगे हैं। amul franchise लेकिन यदि आप इस कंपनी की फ्रैंचाइजी लेने के लिए amul franchise आवेदन करना चाहते हैं तो यह बेहद ही आसान प्रक्रिया है ।amul franchise लेकिन इससे पहले आप इतना अवश्य चेक कर लें की क्या amul franchise आपके पास किसी रिहायशी इलाके में खुद की या किराये पर ली हुई दुकान है। amul franchise और यदि हाँ तो क्या आप उपर्युक्त बताई गई amul franchise निवेश राशि तक निवेश करने में समर्थ हैं। amul franchise यदि इस प्रश्न का जवाब भी हाँ ही है तो आप Mother dairy की फ्रैंचाइजी लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं। amul franchise हालांकि कंपनी को जब किसी नई लोकेशन पर फ्रैंचाइजी खोलने की आवश्यकता होती है amul franchise तो कंपनी अपनी अधिकारिक वेबसाइट एवं wegmans pharmacy समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों को सूचित करती है amul franchise ताकि वे फ्रैंचाइजी के लिए आवेदन कर सकें। amul franchise इसके अलावा आप चाहें तो कंपनी के निम्न संपर्क सूत्रों के माध्यम से भी इस बारे में पता कर सकते हैं।
यदि आप खुद का बिज़नेस शुरू करके कमाई करना चाहते हैं या बॉस फ्री लाइफ जीना चाहते हैं तो आप अपने खुद का Carpet Cleaning Business शुरू कर सकते हैं । ऐसा इसलिए क्योंकि बड़े बड़े कार्यालयों एवं घरों में कार्पेट का उपयोग हुआ होता है इसलिए इनकी सफाई के लिए उन्हें किसी ऐसी कंपनी या व्यक्ति की आवश्यकता होती है जो Carpet Cleaning का काम कर रहे हों । जब भी कोई व्यक्ति बिज़नेस करने की सोचता है तो वहाँ पर दो प्रमुख घटकों की आवश्यकता होती है पहला घटक यह है की उद्यमी के पास कुछ उत्पाद या सेवा बेचने के लिए होनी चाहिए दूसरा यह की उस उत्पाद या सेवा को खरीदने के लिए ग्राहक मौजूद होने चाहिए।
कोई भी बिज़नेस इन्हीं दो प्रमुख घटकों के बीच कार्य करता है। जहाँ तक Carpet Cleaning की बात है यह कोई राकेट साइंस तो नहीं है लेकिन इस प्रकार के बिज़नेस शुरू करने के लिए कार्पेट की सामान्य सफाई, दाग धब्बे हटाने एवं इस प्रक्रिया के दौरान इस्तेमाल में लाये जाने वाले सफाई उपकरणों की जानकारी का होना अत्यंत आवश्यक है। कार्पेट की सफाई को मुख्य तौर पर तीन भागों ड्राई फोम कार्पेट क्लीनिंग, लिक्विड एक्सट्रैक्शन कार्पेट क्लीनिंग एवं हाइब्रिड लिक्विड एक्सट्रैक्शन में विभाजित किया जा सकता है। अधिकतर लोग जो इस बिज़नेस में संलिप्त हैं वे लिक्विड एक्सट्रैक्शन कार्पेट क्लीनिंग विधि का इस्तेमाल अधिक करते हैं क्योंकि यह अन्य विधियों से कम लागत वाली एवं अच्छी सफाई करने वाली विधि है।
Carpet Cleaning Business क्यों शुरू करना चाहिए
हालांकि भारतवर्ष में अभी इस तरह का यह बिज़नेस हर भौगौलिक क्षेत्र में नहीं किया जा सकता इसका कारण यह है की अभी कार्पेट का इस्तेमाल का बोलबाला नहीं है। कहने का अभिप्राय यह है की कुछ गिने चुने महानगरों जहाँ औद्यौगिक इकाइयों एवं कार्यालयों की भरमार हो में Carpet Cleaning Business शुरू करना कमाई की दृष्टी से लाभकारी हो सकता है । एक ऐसा क्षेत्र जहाँ के लोग अपने घरों या कार्यालयों में कार्पेट का इस्तेमाल अधिक करते हों में इस तरह का बिज़नेस किया जा सकता है । Carpet Cleaning Business शुरू करने से पहले जिस क्षेत्र में आप यह बिज़नेस शुरू करना चाहते हैं में यह पता करने का प्रयास करें की उस एरिया विशेष में ऐसे कितने लोग हैं जिनके घरों एवं कार्यालयों में कार्पेट का इस्तेमाल होता है और उन्हें इसे अच्छी तरह साफ़ करने की आवश्यकता कब होती है । जब आपको यह पता लग जायेगा तो आप इस बात से भी अवश्य परिचित हो जायेंगे की आपको कालीन सफाई का कार्य क्यों करना चाहिए।
कार्पेट साफ करने का व्यापार कैसे शुरू करें (How to Start Carpet Cleaning Business ):
कार्पेट साफ़ करने का व्यापार शुरू करने के लिए उद्यमी को अनेकों कदम उठाने की आवश्यकता हो सकती है लेकिन सबसे पहले उद्यमी को इस बात का निर्णय लेना होगा की वह Carpet Cleaning Business को किसी प्रसिद्ध कंपनी की फ्रैंचाइज़ी लेकर शुरू करना चाहता है। या फिर खुद के स्वामित्व तले इस बिज़नेस को शुरू करना चाहता है। तो आइये जानते हैं की कैसे कोई व्यक्ति इस बिज़नेस को शुरू कर सकता है ।
1. फ्रैंचाइजी या खुद का बिजनेस :
How to Open poultry farm Business & Step by Step Increase and Success in Hindiकोई भी व्यक्ति जो Carpet Cleaning Business शुरू करना चाहता है को सर्वप्रथम खुद से एक प्रश्न करना होगा की वह यह बिज़नेस फ्रैंचाइज़ी लेकर शुरू करना चाहता है या फिर वह खुद का स्वामित्व देकर इस व्यापार को शुरू करना चाहता है। फ्रैंचाइज़ी का विकल्प ऐसे लोगों के लिए बेहतर है जो यह चाहते हैं की उनके बिज़नेस में शुरुआत से लेकर ही किसी प्रकार की कोई गलतियाँ न हों जो अक्सर एक बिज़नेस को स्टार्ट करने में आती हैं। लेकिन यदि उद्यमी चाहता है की बिज़नेस के सभी अवयवों पर उसका नियंत्रण रहे और उसके द्वारा कमाया हुआ लाभ हिस्सों में न विभाजित हो तो उसे खुद के स्वामित्व के तहत यह बिज़नेस शुरू करना चाहिए ।
2. बिजनेस प्लान बनाइये:
What is Neet Exam in Hindi & How to ImportCarpet Cleaning Business शुरू करने का इच्छुक उद्यमी जब इस बात का निर्णय ले लेता है की वह यह व्यापार स्वतंत्र इकाई के तौर पर शुरू करेगा या पहले से चल रहे बिज़नेस की फ्रैंचाइज़ी लेकर करेगा। उसके बाद उद्यमी का अगला कदम एक सरल सा बिज़नेस प्लान बनाने का होना चाहिए जिसका वह आसानी से अनुसरण कर सके। हालांकि एक प्रभावी बिज़नेस प्लान में व्यापार के हर एक पहलू का बारीकी से अध्यन करके लक्ष्य इत्यादि निर्धारित किये जाते हैं। लेकिन इस तरह के व्यापार को शुरू करने के लिए यदि उद्यमी इतने विस्तृत तौर पर बिज़नेस की योजना नहीं भी बनाता है तो भी चलेगा। फिर भी उद्यमी को एक ऐसे बिज़नेस प्लान की आवश्यकता हो सकती है जिसमें कम से कम इन निम्न प्रश्नों का उत्तर शामिल हो ।
पहला प्रश्न यह की मेरा बिज़नेस लाभ कैसे अर्जित करेगा अर्थात यह बिज़नेस करके मेरी कमाई कैसे होगी?
मेरे बिज़नेस के ग्राहक के तौर पर कौन से लोग होंगे अर्थात मेरे टारगेट कस्टमर कौन होंगे?
मैं अपने टारगेट कस्टमर को अपने बिज़नेस के साथ कैसे जोड़ पाउँगा?
मेरे अल्प अवधि एवं दीर्घ अवधि के फाइनेंसियल लक्ष्य क्या क्या होंगे?
ध्यान रहे उद्यमी को अपने Carpet Cleaning Business के वित्तीय रिकॉर्ड ठीक ढंग से मेन्टेन करने अति आवश्यक हैं । क्योंकि विस्तृत वित्तीय रिकॉर्ड से उद्यमी नकदी प्रवाह एवं कमाई के बारे में जान पायेगा जो उसके बिज़नेस को सफल बनाने में अहम् योगदान देंगे। चूँकि किसी भी बिज़नेस को सफलतापूर्वक चलाने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है। और एक अच्छा एवं व्यवहारिक बिज़नेस प्लान उद्यमी को बैंक इत्यादि वित्तीय संस्थानों से ऋण दिलाने में भी मदद कर सकता है।
3. बिजनेस स्टार्ट करने के लिए जगह का चुनाव:
High Security Registration Plate Business kaise kare in HindiCarpet Cleaning Business शुरू करने के लिए उद्यमी का अगला कदम जगह का चुनाव करने का होना चाहिए यद्यपि शुरूआती दौर में उद्यमी चाहे तो इस तरह के इस व्यापार को घर से भी शुरू कर सकता है। लेकिन जैसे जैसे उसका बिज़नेस बढ़ता जाएगा वैसे वैसे उसको अपने उपकरणों इत्यादि के लिए कोई स्टोर इत्यादि किराये पर लेना पड़ सकता है। इसलिए जगह का चुनाव करते समय उद्यमी को यह तय करना होगा की क्या वह यह बिज़नेस घर से चला पायेगा यदि नहीं तो फिर जगह किराये पर लेना उचित होगा।
4. आवश्यक लाइसेंस एवं पंजीकरण:
भारत में इस तरह का बिज़नेस छोटे स्तर पर करने के लिए किसी प्रकार के लाइसेंस एवं पंजीकरण की बाध्यता नहीं है। लेकिन चूँकि इस बिज़नेस में उद्यमी के ग्राहक के तौर पर घरों के अलावा बड़े छोटे कार्यालय भी हो सकते हैं। और कार्यालयों में अक्सर देखा जाता है की वे उन्हीं लोगों से उत्पाद या सेवा लेना पसंद करते हैं जिनका ढंग से टैक्स रजिस्ट्रेशन इत्यादि हुआ हो। इसलिए उद्यमी चाहे तो अपने बिज़नेस को proprietorship इकाई के तौर पर स्थापित करके, टैक्स रजिस्ट्रेशन, बैंक खाता, पैन कार्ड इत्यादि सभी कुछ अपने बिज़नेस के नाम से बना सकता है।
5. सफाई के लिए आवश्यक मशीनरी एवं उपकरण खरीदें:
हालांकि Carpet Cleaning के लिए बाजार में तरह तरह की मशीनरी एवं उपकरण विद्यमान हैं इसलिए उद्यमी अपने बजट एवं सुविधा के अनुसार इनका चयन कर सकता है। लेकिन ऐसे मशीनरी एवं उपकरण जिन्हें आसानी से क्लाइंट की साईट पर ले जाया सके उद्यमी के लिए शुरूआती दौर में बेहतर साबित हो सकते हैं। इनमें कच्चे माल के तौर पर कुछ केमिकल एवं डिटर्जेंट पाउडर इत्यादि का इस्तेमाल हो सकता है । इसलिए उद्यमी को मशीनरी एवं उपकरणों की खरीदारी करते वक्त उस विक्रेता से इनमें इस्तेमाल में लाये जाने वाले कच्चे माल के बारे में भी अवश्य जानना चाहिए।
6. कर्मचारी नियुक्त करें:
Carpet Cleaning Business शुरू कर रहे उद्यमी को चाहे वह कितने ही छोटे स्तर से इसकी शुरुआत करे, फिर भी दो तीन लोगों की आवश्यकता हो ही हो सकती है। tapestry meaning क्योंकि यह एक श्रम प्रधान बिज़नेस है इसलिए इसे शुरू करने में श्रमिकों की नितांत आवश्यकता है। tapestry meaning लेकिन शुरूआती दौर में tapestry meaning उद्यमी को हर रोज काम मिलना मुश्किल है इसलिए उद्यमी चाहे तो श्रमिकों को स्थायी रखने की बजाय उन्हें तब मजदूरी पर रख सकता है जब उसे काम करवाने tapestry किसी क्लाइंट की साईट पर जाना हो। tapestry meaning क्योंकि इसमें अधिक कौशल की आवश्यकता नहीं होती है इस काम को कुछ मिनटों में ही किसी को समझाया जा सकता है जो मशीनों एवं उपकरणों की मदद से कार्पेट की सफाई करने में सक्षम हो पायेगा। tapestry meaning कहने का आशय यह है tapestry meaning की यदि उद्यमी का बजट स्थायी रूप से कर्मचारियों को dry cleaning business नियुक्त करने की आज्ञा देता हो तो उद्यमी शुरूआती दौर में 2-3 कर्मचारियों को नियुक्त कर सकता है। tapestry meaning लेकिन यदि बजट इस बात की आज्ञा नहीं देता हो तो वह काम मिलने dry cleaning business पर श्रमिकों को दैनिक मजदूरी पर भी रख सकता है।
ग्राहक बनायें और कमायें:
जैसा की हम सबको विदित है की Carpet का इस्तेमाल हर घर या कार्यालय में नहीं होता है dry cleaning business बल्कि कुछ घर एवं कार्यालय ही ऐसे होते हैं जहाँ कार्पेट का इस्तेमाल हुआ होता है। dry cleaning business ऐसे में उद्यमी उस क्षेत्र विशेष में उन घरों या कार्यलयों की पहचान आराम से कर सकता है जिनमें कार्पेट का इस्तेमाल हुआ हो। dry cleaning business कहने का अभिप्राय यह है की Carpet Cleaning Business में उद्यमी के टारगेट ग्राहक के तौर पर सिर्फ वही लोग रहने वाले हैं जिनके घरों या कार्यालयों में कार्पेट का इस्तेमाल होता हो। इसलिए इन घरों या कार्यालयों की पहचान करके उद्यमी को इनके संपर्क में रहना चाहिए और इन तक अनेकों मार्केटिंग तकनीक के जरिये अपनी पहुँच बनाने की कोशिश करनी चाहिए। उद्यमी जितने अधिक ग्राहकों को अपनी सेवा बेच पाने में सफल हो जायेगा वह उतनी अधिक कमाई कर पाने में भी सफल होगा।