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Rabies कौन सा रोग है रेबीज कैसे होता है

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रेबीज कौन सा रोग है? – Rabies meaning in Hindi रेबीज एक संक्रामक बीमारी है, जो मनुष्य सहित सभी प्रकार के गर्म खून वाले जीवों को प्रभावित कर सकती है। यह विकार संक्रमित जानवर की लार द्वारा प्रेषित होता है और न्यूरोट्रोपिक लाइसिसिवर्स वायरस (Neurotropic lyssavirus) के कारण होता है जो लार ग्रंथियों और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। वायरस संक्रमित पशुओं के काटने और खरोचने से मनुष्यों में फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में हर साल 59,000 लोग रेबीज के कारण मरते हैं। उनमें से 90 प्रतिशत को रेबीज से संक्रमित कुत्ते के काटने से रैबीज हुआ होता है। भारत में, प्रत्येक वर्ष रेबीज से 18,000 से 20,000 मृत्यु होती हैं। इन मौतों में से कई बच्चे हैं, अक्सर चिकित्सा सुविधाओं कमी के कारण मर रहे हैं – जिसका अर्थ है कि उनकी मृत्यु रिकॉर्ड तक नहीं हो पाती है। एक बार जब व्यक्ति को रेबीज के संकेत और लक्षण होने शुरू हो जाते हैं, तो बीमारी लगभग हमेशा मौत का कारण बनती है। इस कारण से, जिस किसी को भी रेबीज होने का खतरा हो सकता है, उन्हें सुरक्षा के लिए रेबीज का टीका लगवा लेना चाहिए।

 

 

 

 

Rabies कौन सा रोग है रेबीज कैसे होता है
Rabies कौन सा रोग है रेबीज कैसे होता है

 

 

 

 

 

रेबीज के प्रकार और लक्षण – Rabies Symptoms in Hindi

रेबीज की शुरुआती शुरुआत फ्लू जैसे लक्षणों के साथ शुरू होती है, जिसमें शामिल हैं:

  • बुखार
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • झुनझुनी

आपको काटने की जगह पर जलन भी महसूस हो सकती है।

जैसा कि वायरस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करना जारी रखता है, दो अलग-अलग प्रकार के रोग हैं जो विकसित हो सकते हैं –

1. उग्र रेबीज

संक्रमित लोग जो उग्र रेबीज से पीड़ित होंगे, अति सक्रिय, उत्साहित और अनियमित व्यवहार प्रदर्शित कर सकते हैं। अन्य लक्षण निम्नलिखित है –

  • अनिद्रा
  • चिंता
  • उलझन
  • व्याकुलता व अशांति
  • मतिभ्रम
  • अतिरिक्त लार बहना
  • निगलने में दिक्कत
  • पानी से डर

2. पैरालिटिक रेबीज

रेबीज को यह रूप लेने में अधिक समय लगता है, लेकिन प्रभाव उतना ही गंभीर होता हैं। संक्रमित व्यक्ति धीरे-धीरे पैरालाइज हो जाता है, अंततः कोमा में भी जा सकते हैं व मृत्यु भी हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, रेबीज के 30 प्रतिशत मामले में पैरालिटिक रेबीज होता है।

रेबीज कितने दिन में होता है? – How long does rabies take to show symptoms in Hindi?

काटने और लक्षणों की शुरुआत के बीच की अवधि को “इन्क्यूबेशन पीरियड” (ऊष्मायन अवधि) कहा जाता है। आमतौर पर रेबीज के लक्षण विकसित होने में चार से 12 सप्ताह का समय लगता है। हालांकि, इन्क्यूबेशन पीरियड कुछ दिनों से लेकर छह साल तक भी हो सकता है।

रेबीज के कारण – Rabies Causes in Hindi

रेबीज कैसे होता है?

रेबीज वायरस के कारण रेबीज संक्रमण होता है। वायरस संक्रमित जानवरों की लार के माध्यम से फैल जाता है। संक्रमित जानवर किसी अन्य जानवर या किसी व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकते हैं।

दुर्लभ मामलों में, रेबीज तब फैल भी सकता है जब संक्रमित लार एक खुले घाव या मुंह या आंख में चला जाता है। ऐसा तब हो सकता है जब कोई संक्रमित जानवर आपकी त्वचा पर किसी खुले व कटे हुए घावों को चाटता हो। पशु के ऊपरी त्वचा को चाटने से यह वायरस नहीं फैलता व टीके की आवयशकता नहीं होती है परन्तु यह वायरस किसी खुली चोट या खुले घाव को चाटने से फैल जाता है और आपको टीके की आवयशकता होती है।

इंसानों से इंसानों में रेबीज फैलने के मामले बहुत ही कम देखे गए हैं।

संक्रमित जानवर द्वारा काटे जाने के बाद वायरस व्यक्ति की नसों से मस्तिष्क तक फैल जाता है। ऐसा माना जाता है कि गर्दन और सिर पर काटे जाने पर वायरस सबसे तेज़ी से फैलता है। यदि आपको गर्दन पर काटा है, तो जल्द से जल्द मेडिकल मदद लें।

मस्तिष्क में पहुंचने के बाद वायरस तेजी से बढ़ता है। इससे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में गंभीर सूजन (इन्फ्लमेशन) आ जाती है जिसके बाद व्यक्ति की हालत तेजी से बिगड़ती है और मृत्यु हो जाती है।

रेबीज वायरस फैलाने वाले या संचारित करने वाले पशु

कोई भी स्तनपायी जानवर (एक जानवर जो कि अपने बच्चे को दूध पिलाता है) रेबीज वायरस संचारित कर सकता है। ऐसे जानवर जिनसे रेबीज होने की संभावना सबसे ज़्यादा है वे निम्नलिखित हैं:

पालतू जानवर और खेत के जानवरों

  • बिल्ली 
  • गाय
  • कुत्ता 
  • एक प्रकार का नेवला 
  • बकरी
  • घोड़ा

जंगली जानवर

  • चमगादड़
  • ऊद
  • लोमड़ी
  • बंदर
  • जंगली नेवले 
  • एक प्रकार की गिलहरी

रेबीज से बचाव – Prevention of Rabies in Hindi

रेबीज एक ऐसा रोग है जिसे रोका या निवारण किया जा सकता है। रेबीज से बचने के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:

  • विकासशील देशों की यात्रा करने, जानवरों के साथ मिलकर काम करने या रेबीज वायरस से सम्बंधित प्रयोगशाला में काम करने से पहले रेबीज टीकाकरण प्राप्त करें।
  • अपने पालतू जानवरों को टीका लगवाएं।
  • अपने पालतू जानवरों को बाहर न घूमने दें। 
  • आवारा जानवरों की जानवरों के नियंत्रण-विभाग में रिपोर्ट करें।
  • जंगली जानवरों के संपर्क से बचें।
  • अपने घर व उसके आसपास कुत्ते, बन्दर व चमगादड़ दिखें जिससे आपको खतरा महसूस होता है तो स्थानीय पशु नियंत्रण विभाग को सूचित करें। 
  • आप रेबीज का टीका लगवाएं।

रेबीज टीकाकरण अनुसूची:

रेबीज एक्सपोजर होने से पहले “प्री एक्सपोजर रेबीज वैक्सीन” लगायी जाती है। इसको इस टाइम टेल के अनुसार लेना चाहिए:

  • खुराक 1 –  उचित समय पर 
  • खुराक 2 –  पहली खुराक के 7 दिन बाद 
  • खुराक 3 –  पहली खुराक के 21 या 28 दिन बाद

रेबीज का परीक्षण – Diagnosis of Rabies in Hindi

रेबीज संक्रमण के शुरुआती चरणों का पता लगाने के लिए कोई परीक्षण नहीं है। लक्षणों की शुरुआत के बाद, खून या ऊतक परीक्षण के द्वारा चिकित्सक यह निर्धारित कर लेते हैं कि आपको यह बीमारी है या नहीं। यदि आपको एक जंगली जानवर ने काट लिया है, तो चिकित्सक आमतौर पर रेबीज के टीका के निवारक का एक शॉट तुरंत दे सकते हैं, ताकि लक्षणों के आने से पहले संक्रमण को रोक दिया जा सके।

रेबीज का इलाज – Rabies Treatment in Hindi

पोस्ट एक्सपोज़र प्रॉफिलैक्सिस (पीईपी)

पोस्ट-एक्सपोज़र प्रॉफीलैक्सिस (पीईपी; Post-exposure prophylaxis) रेबीज एक्सपोजर के बाद शिकार बने व्यक्ति के लिए तत्काल उपचार है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में वायरस प्रविष्टि को रोकता है, क्यूंकि वायरस के जाने से आसन्न मौत होती है। यदि आप गर्भवती हैं, रेबीज शॉट्स आपके और आपके बच्चे के लिए सुरक्षित हैं। पीईपी के तहत निम्नलिखित बातें आती हैं: 

  • एक्सपोजर के बाद जितनी जल्दी हो सके घावों की अच्छे से धुलाई करें, स्थानीय उपचार करें व उस जानवर के बारे में पता लगाएं।
  • शक्तिशाली और प्रभावी “रेबीज का टीका या वैक्सीन का पूरा कोर्स लें” जो डब्ल्यूएचओ (WHO) मानकों पर खरा उतरता हो।
  • “रेबीज इम्यूनोग्लोब्युलिन” (आरआईजी; rabies immunoglobulin) भी लें, यदि सलाहित किया जाता है। 

 

 

 

 

 

पोस्ट एक्सपोजर रेबीज वैक्सीन या टीका लेने के नियम व सूची –

  • पहले से जिन्हे वैक्सीन नहीं लगी है उन्हें 0, 3, 7, 14 और 28वें दिन मांशपेशियों में रेबीज का टीका लगवा लेना चाहिए।
  • उन्हें पहली खुराक के साथ रेबीज प्रतिरक्षा ग्लोब्युलिन (rabies immune globulin) नामक एक और शॉट दिया जाना चाहिए।
  • पहले टीका लगे हुए लोगों को वैक्सीन या टीके की दो खुराक मिलनी चाहिए एक हादसे के तुरंत बाद और एक उसके तीन दिन बाद।

 

 

 

 

 

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LPG Gas Cylinder Online Book पूरी जानकारी

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LPG Gas Cylinder Online Book Kaise Kare और इंडेन गैस बुकिंग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करे एवं गैस सिलेंडर ऑनलाइन बुक करने का तरीका क्या है भारत सरकार द्वारा गैस सिलेंडर बुक कराने की प्रक्रिया को लोगों के लिए आसान और सरल बनाने के लिए ऑनलाइन बुकिंग आरंभ की गई है जिससे कि आप घर बैठे अपने मोबाइल से एलपीजी गैस सिलेंडर बुक कर सकते हैं। गैस बुक करने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, एसएमएस भेज कर या फिर मोबाइल ऐप के जरिए आप इन 3 तरीकों से गैस  बुक कर सकते हैं। अब देश के नागरिकों को सिलेंडर बुक कराने के लिए किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी। ऑनलाइन बुकिंग कराने से लोगों के समय की बचत होगी। तो आज हम आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से गैस सिलेंडर ऑनलाइन बुक करने की प्रक्रिया और इससे संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां भी प्रदान करेंगे।

 

 

 

 

 

 

LPG Gas Cylinder Online Book

इंडियन ऑयल कारपोरेशन द्वारा घोषणा की गई है कि भारत में इंडेन गैस बुकिंग नंबर लांच किया गया है। इस नंबर सभी लोग कॉल करके भी गैस बुकिंग कर सकते हैं। इस नंबर की सुविधा सभी ग्राहकों को साल के 365 दिन प्रदान की जाएगी आप कभी भी कहीं भी इस नंबर पर कॉल करके गैस बुकिंग कर सकते है। यह नया नंबर 1 नवंबर 2020 से लागू किया जाएगा जिससे कि गैस बुकिंग करना और भी आसान हो जाएगा। सामान्य इंडियन गैस बुकिंग नंबर 77189555551 है इस नंबर से एलपीजी गैस केवल ग्राहकों के पंजीकृत मोबाइल नंबर का उपयोग करके ही बुक की जा सकती है।

LPG Gas Cylinder Online Book पूरी जानकारी
LPG Gas Cylinder Online Book पूरी जानकारी

 

 

 

 

 

 

 

 

इंडेन गैस बुकिंग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन

पहले गैस बुकिंग कराने के लिए लोगों लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ता था जिसकी वजह से उनका बहुत अधिक समय बर्बाद हो जाता था लेकिन अब सरकार द्वारा गैस बुकिंग सुविधा ऑनलाइन प्रदान की जा रही है जिसमें आप घर बैठे बहुत ही आसान तरीके से मोबाइल ऐप से या फिर एसएमएस भेज कर गैस बुकिंग कर सकते हैं। इस सुविधा का लाभ प्राप्त करने के लिए सभी लोग इंडेन कंपनी का गैस सिलेंडर ऑनलाइन बुक करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।

इंडेन गैस बुकिंग न्यू अपडेट

  • डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड सर्वप्रथम देश की 100 स्मार्ट सिटीज में आरंभ किया जाएगा।
  • गैस सिलेंडर ऑनलाइन बुक का पायलट प्रोजेक्ट जयपुर, राजस्थान में चलाया जा रहा है।
  • इस नए बदलाव के अंतर्गत सिर्फ सिलेंडर बुक करने के बाद डिलीवरी नहीं की जाएगी। कस्टमर को अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आया हुआ ओटीपी डिलीवरी एजेंट के साथ शेयर करना होगा तभी उन्हें सिलेंडर की डिलीवरी मिलेगी।
  • 100 स्मार्ट सिटीज में इस योजना को सफलतापूर्वक चलाई जाने के बाद देश के दूसरे शहरों में भी इस योजना को चलाया जाएगा।
  • यह बदलाव कमर्शियल सिलेंडर के लिए नहीं किया गया है।
  • आप सभी से निवेदन है कि यदि आपकी डिटेल जैसे कि एड्रेस, मोबाइल नंबर आदि गलत है तो आप उसे सही करवा ले। नहीं तो आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
  • यदि आपका मोबाइल नंबर गैस एजेंसी के पास अपडेटेड नहीं है तो डिलीवरी एजेंट आपका नंबर डिलीवरी के समय गैस एजेंसी के साथ एक ऐप के माध्यम से अपडेट कर देगा। जिसके पश्चात आपके पास एक कोड आएगा। जो आपको डिलीवरी एजेंट के साथ शेयर करना होगा।

गैस सिलेंडर ऑनलाइन बुकिंग के उद्देश्य

पहले लोगो को गैस बुकिंग करने के लिए गैस एजेंसी जाकर लंबी लाइनों में घंटों खड़े होना पड़ता था जिससे कि लोगों का समय बहुत ज्यादा बर्बाद होता था लेकिन आप इंडियन गैस सिलेंडर ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से लोगों का समय भी बचता है और घर बैठे सिलेंडर प्राप्त करने की सुविधा भी प्राप्त होती है। इस पूरी प्रक्रिया को बहुत ज्यादा आसान और सरल बना दिया गया है हम सभी लोगों के लिए। देश के जितने भी लोग एलपीजी गैस का उपयोग करते हैं उन सभी को इस सुविधा का लाभ प्राप्त होगा। पहले लोगों को एक बार गैस बुकिंग कराने के लिए जाना पड़ता था और दूसरी बार सिलेंडर लेने के लिए जिससे काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था लेकिन अब घर बैठे ही एक फोन करते ही  सिलेंडर की सुविधा लोगों को प्राप्त हो जाती हैं।

गैस सिलेंडर के ऑनलाइन बुक कराने के लाभ

  • देश की सभी गैस कंपनियों ने इस प्रक्रिया को ऑनलाइन करके लोगों के लिए बहुत ज्यादा सरल बना दिया है।
  • अब आप कॉल करके, एसएमएस करके या फिर ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर गैस सिलेंडर बुक कर सकते हैं।
  • ऑनलाइन बुकिंग करने से समय की बचत होती है और लंबी लाइनों में खड़े होने की भी जरूरत नहीं पड़ती।
  • सिलेंडरों की कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए गैस सिलेंडर बुकिंग को ऑनलाइन किया गया है।
  • इस सुविधा का लाभ देश के सभी एलपीजी गैस का उपयोग करने वाले नागरिकों को प्रदान किया जाएगा।

LPG Gas Cylinder Online Book कराने के तरीके

  • गैस एजेंसी जा कर सिलेंडर बुक कराना
  • फोन करके बुक करना
  • वेब साइट के जरिए बुक करना
  • SMS के माध्यम से
  • ऐप से गैस सिलेंडर बुक करना

 

 

 

 

 

 

 

इंडेन गैस बुकिंग ऑनलाइन करने की प्रक्रिया

  • सबसे पहले आपको इंडेन गैस की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाना होगा। ऑफिसियल वेबसाइट पर जाने के बाद आपके सामने होम पेज खुल जायेगा।
इंडेन गैस बुकिंग ऑनलाइन
  • इस होम पेज पर आपको Place Order Online का सेक्शन दिखाई देगा आपको इस सेक्शन में से आपको Online का विकल्प दिखाई देगा आपको इस विकल्प पर क्लिक करना है।
इंडेन गैस बुकिंग ऑनलाइन
  • ऑप्शन पर क्लिक करने के बाद आपके सामने अगला पेज खुल जायेगा। इस पेज पर आपको लॉगिन फॉर्म दिखाई देगा आपको इस लॉगिन फॉर्म के नीचे Registration Now का लिंक दिखाई देगा आपको इस लिंक पर क्लिक करना है।
Gas Cylinder
  • लिंक पर क्लिक करने के बाद आपके सामने अगला पेज खुल जायेगा। इस पेज पर आपको रजिस्ट्रेशन फॉर्म दिखाई देगा आपको इस रजिस्ट्रेशन फॉर्म में पूछी गयी सभी जानकारी जैसे नाम , मोबाइल नंबर ,ईमेल आईडी कैप्चा कोड आदि भरना है।
  • सभी जानकारी भरने के बाद आपको प्रोसीड के बटन पर क्लिक करना होगा। जिस्ट्रेशन करने के बाद आपको यूज़र नाम और पासवर्ड डालकर लॉगिन करना है।
  • लॉगिन करने के बाद आपके सामने डेशबोर्ड खुलेगा। इस पर LPG का लिंक दिखाई देगा।लिंक पर क्लिक करने के बाद नया पेज खुलने पर Book Your Cylinder पर क्लिक करना है।
Book Your Cylinder
  • इसके पश्चात् आपके सामने  आगे का पेज खुलेगा उसके बाद online के विकल्प पर क्लिक करना होगा।विकल्प पर क्लिक करने के बाद बुकिंग का ऑप्शन दिखाई देगा |फिर सभी जानकारी भरकर Book Now  पर क्लिक करें।
  • बुकिंग होने के बाद बुकिंग नंबर सामने आएगा उसे नोट कर ले।इसके बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल पर SMS में आपको बुक होने की जानकारी  मिल जाएगी।

SMS के माध्यम से इंडियन गैस बुकिंग करने की प्रक्रिया

  • देश के जो नागरिक SMS के ज़रिये गैस सिलेंडर बुक कराना चाहते है तो आपको सबसे पहले अपने मोबाइल पर SMS Box में जाकर  SMS IOC < STD Code + Distributor’s Tel. Number > < Consumer Number > to xxxxxxxxxx. अपने क्षेत्र के गैस वितरक के मोबाइल नंबर पर भेज दें।
Gas Cylinder
  • बुकिंग स्वीकार होने के पश्चात आपको बुकिंग नंबर आपके द्वारा रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेज दिया जाएगा।

फोन से कॉल करके इंडेन गैस बुकिंग

  • आप एक कॉल के ज़रिये भी गैस बुकिंग कर सकते है आपको IVR नंबर (गैस कंज्यूमर संख्या ) पर साल करनी होगी मगर हर शहर के IVR नंबर अलग-अलग होते है ये नंबर आपको अपने Gas Agency से मिल जाएगा और वहाँ आपको अपना Number Register करवा लेना है।
  • सबसे पहले आपको गैस कंज्यूमर संख्या डायल करना होगा फिर आपको एक Computer की आवाज़ सुनाई देंगी जो आपको भाषा Select करने को कहा जायेगा। फिर आप अपनी भाषा Select कर लें।
  • इसके बाद आपको गैस  बुक वाले नंबर को Select कर ले  अब आपको आपके उपभोक्ता नंबर सुनाए देंगे और Booking नंबर भी बताए जाएंगे और रिफिल बुक करने को कहा जाएगा आप उस नंबर को Select कर दे आपका गैस सिलेंडर  बुक हो चुका है जिसका Message भी आपको मिल जाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

मोबाइल ऍप के माध्यम से

  • सर्वप्रथम आपको अपने मोबाइल फ़ोन के गूगल प्ले स्टोर पर जाना है। इसके बाद आपको गूगल प्ले स्टोर पर से लिख कर सर्च करना होगा  इसके बाद पहले लिंक पर क्लिक करके इंस्टॉल करना है।
  • आप इस मोबाइल ऍप को ऑफिसियल वेबसाइट के माध्यम से भी डाउनलोड कर सकते है सबसे पहले आपको ऑफिसियल वेबसाइट पर जाना होगा।
  • ऑफिसियल वेबसाइट पर जाने के बाद आपके सामने होम पेज खुल जायेगा। इस होम पेज पर आपको Mobile App का ऑप्शन दिखाई देगा। आपको इस ऑप्शन पर क्लिक करना है।
  • इस ऑप्शन पर क्लिक करने के बाद आपके सामने अगला पेज खुल जायेगा। इस पेज पर आपको Indian Oil ONE App Link का लिंक दिखाई देगा। आपको इस लिंक पर क्लिक करने के बाद आपके सामने अगला पेज खुल जायेगा।
Mobile App
  • इस पेज पर आपको मोबाइल ऍप को डाउनलोड कर सकते है।
  • ऍप  डाउनलोड करने के बाद ऍप को खोले और अपना यूज़र आईडी और पासवर्ड भरकर लॉगिन कर सकते है |
  • फिर आर्डर सिलिंडर के विकल्प पर क्लिक करके इंडेन गैस सिलिंडर बुक कर सकते है।

इंडेन गैस बुकिंग व्हाट्सएप के माध्यम से करने की प्रक्रिया

  • सर्वप्रथम आपको इंडेन गैस बुकिंग का व्हाट्सएप नंबर(7588888824) अपने मोबाइल फोन में सेव करना है।
  • अब आपको अपने मोबाइल फोन में व्हाट्सएप खोलना है।
  • अब आपको अपने कांटेक्ट लिस्ट को रिफ्रेश करना है।
  • इसके पश्चात आपको यह सेव किए हुआ नंबर की chat खोलनी है।
  • अब आपको REFILL लिखकर इस नंबर पर भेजना है।
  • इस प्रकार आप व्हाट्सएप के माध्यम से गैस बुक कर पाएंगे।
  • इसी के साथ आप अपना बुकिंग स्टेटस भी ट्रैक कर सकते हैं जिसके लिए आपको STATUS# लिखकर भेजना होगा।

इंडियन गैस एक्सचेंज (IGX) पोर्टल ऑनलाइन पंजीकरण फॉर्म

  • सर्वप्रथम आवेदक को ऑफिसियल वेबसाइट पर जाना होगा। ऑफिसियल वेबसाइट पर जाने के बाद आपके सामने होम पेज खुल जायेगा।
  • इस होम पेज पर आपको “IGX – Indian Gas Exchange a IEX Venture” छवि पर क्लिक करना है।
Gas Cylinder
  • इस वेबसाइट पर पहुंचने पर, नीचे दिखाए अनुसार “रजिस्टर नाउ” टैब पर क्लिक करना है।
  • इसके बाद आपके सामने अगला पेज खुल जायेगा इस पेज पर आपको रजिस्ट्रेशन फॉर्म खुल जायेगा।
इंडियन गैस एक्सचेंज
  • आपको इस रजिस्ट्रेशन फॉर्म में पूछी गयी सभी जानकारी जैसे अपना नाम, मोबाइल नंबर, संगठन, ई-मेल आईडी, शहर आदि दर्ज करना होगा। और IGX ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया को पूरा करने के लिए “सबमिट” बटन पर क्लिक करना है।

 

 

 

 

 

 

 

 

गैस एजेंसी का नंबर सर्च करने की प्रक्रिया

  • सबसे पहले आपको ऑफिसियल वेबसाइट पर जाना है। ऑफिसियल वेबसाइट पर जाने के बाद आपके सामने होम पेज खुलकर आ जायेगा।
  • इस होम आगे पर आपको Customer Care के सेक्शन में से SMS /IVRS BOOKING के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। ऑप्शन पर क्लिक करने के बाद आपके सामने अगला पेज खुल जायेगा।
गैस एजेंसी का नंबर सर्च
  • इस पेज पर आपको पूछी गयी कुछ जानकारी जैसे स्टेट ,डिस्ट्रिक्ट डिस्टीब्यूटर आदि का चयन करना होगा। सभी जानकारी भरने के बाद आपको सर्च के बटन पर क्लिक करना है।
  • इसके बाद आपके सामने सभी जानकारी आ जाएगी।

इंडियन गैस में नया कनेक्शन लेने की प्रक्रिया

  • सबसे पहले आपको इंडियन गैस की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाना होगा। ऑफिसियल वेबसाइट पर जाने के बाद आपके सामने होम पेज खुल जायेगा।
  • इस होम पेज पर आपको Online Services का सेक्शन दिखाई देगा आपको इस सेक्शन में से new Connection का विकल्प दिखाई देगा आपको इस विकल्प पर क्लिक करना है।
इंडियन गैस में नया कनेक्शन
  • विकल्प पर क्लिक करने के बाद आपके सामने अगला पेज खुल जायेगा। इस पेज पर आपको Online new Connection click Here के ऑप्शन पर क्लिक करना है।
  • इसके बाद आगे का पेज खुल जायेगा। इसके बाद आपको इस पेज पर Download Format के विकल्प पर क्लिक करना है।
Download Format
  • इसके बाद आपको अपना एप्लीकेशन को डाउनलोड करना होगा। फिर आपको अपना आवेदन फॉर्म अपने क्षेत्रीय गैस एजेंसी में जमा करना होगा।

इंडेन गैस मोबाइल नंबर अपडेट करने की प्रक्रिया

आईवीआरएस के माध्यम से

  • इंडेन गैस आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर के रूप में तीन फोन नंबर को स्वीकार करती है। इंडेन गैस के ग्राहक आईवीआरएस सुविधा के माध्यम से अपना मोबाइल नंबर बदल सकते हैं।
  • इसके लिए सर्वप्रथम ग्राहक को आईवीआरएस सुविधा में अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर से कॉल करनी है।
  • इसके पश्चात आपको चौथा विकल्प चुनना होगा जो कि change of personal registration number  हैं।
  • अब सिस्टम द्वारा आप से नया personal registration नंबर दर्ज करने के लिए कहा जाएगा।
  • आपको अपना personal registration नंबर दर्ज करना है।
  • अगली बार से ग्राहक सिलेंडर रिफिल के लिए अपडेट किए गए नंबर का उपयोग कर सकते हैं।

आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से

  • सर्वप्रथम आपको इंडेन गैस की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना है।
  • अब आपके सामने होमपेज फुल कर आएगा।
  • होम पेज पर आपको अपडेट मोबाइल नंबर के ऑप्शन पर क्लिक करना है।
  • अब आपके सामने एक नया पेज खुल कर आएगा जिसमें पूछी गई जानकारी आपको ध्यान पूर्वक भरनी है।
  • अब आपको सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों को अटैच करना है।
  • इसके पश्चात आपको सबमिट के बटन पर क्लिक करना है।
  • इस प्रकार आप अपना मोबाइल नंबर अपडेट कर पाएंगे।

डिस्ट्रीब्यूटर चेंज करने की प्रक्रिया

  • सबसे पहले आपको ऑफिसियल वेबसाइट पर जाना होगा। ऑफिसियल वेबसाइट पर जाने के बाद आपके सामने होम पेज खुल जायेगा।
  • इस होम पेज पर आपको ऑनलाइन सर्विसेज के एक्शन में से Change Your Distributor के विकल्प पर क्लिक करना होwगा।
  • क्लिक करने के बाद आपके सामने अगला पेज खुल जायेगा। इस पेज पर आपको click here to login के लिंक पर क्लिक करना है। लिंक पर क्लिक करने के बाद आपके सामने कंप्यूटर स्क्रीन पर अगला पगला पेज खुल जायेगा।
  • इस पेज पर आपको डिस्ट्रीब्यूटर चेंज करने के लिए आपको  डाउनलोड फोर्मट्स के ऑप्शन में से फॉर्म को डाउनलोड करना है ।
  • उसके बाद आपके फॉर्म को आपको भरना होगा। सभी जानकारी भरने के बाद आपको फॉर्म को नज़दीकी क्षेत्रीय गैस एंजेंसी में जाकर जमा करना है।

 

 

 

 

 

 

 

Double Bottle Connection कैसे ले

  • सबसे पहले आपको ऑफिसियल वेबसाइट पर जाना होगा।  ऑफिसियल वेबसाइट पर जाने के बाद आपके सामने होम पेज खुल जायेगा।
  • इस होम पेज पर आपको ऑनलाइन सर्विसेज के सेक्शन में से Double Bottle Connection के ऑप्शन पर क्लिक करना है।
  • ऑप्शन पर क्लिक करने के बाद आपके सामने अगला पेज खुल जायेगा। इस पेज पर आपको download Formats के ऑप्शन पर क्लिक करना है।
  • इसके बाद आगे I  Am Not Robot पर क्लिक करके  सबमिट के बटन पर क्लिक करके अगला बढ़ना होगा। इसके बाद आपको डबल बोतल कनेक्शन लेने के लिए फॉर्म डाउनलोड करना है।
  • फॉर्म डाउनलोड करने के बाद आपको फॉर्म में पूछी गयी सभी जानकारी भरनी होंगी।  उसके बाद आपको आवेदन फॉर्म को नज़दीकी गैस एजेंसी में जाकर जमा करना है।

 

 

 

 

 

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Josh Talks Speaker Kaise Bane

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जोश टॉक्स क्या है? Josh Talks Speaker Kaise Bane? जोश टॉक्स में कैसे जाएँ? अगर आप यूट्यूब पर प्रेरणादायक वीडियो देखने के शौक़ीन हैं, तो कभी-न-कभी आपने Josh Talks चैनल का वीडियो देखा ही होगा। और अगर आपने इसके चैनल को गौर से देखा हो, तो वहाँ पर आपको अलग-अलग क्षेत्र में सफल लोग अपनी कहानी बताते हुए दिख जाएँगे। तो आइए जानते हैं कि आख़िर ये जोश टॉक्स क्या है? और अगर आप भी अपनी कहानी लोगों को बताना चाहते हैं, तो जोश टॉक्स में कैसे जाएँ? Josh Talks Kya Hai? जोश टॉक्स एक मीडिया कम्पनी है जो सफल लोगों की प्रेरणादायक कहानियाँ अलग-अलग प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए लोगों तक पहुँचाने का काम करती है। इसकी शुरुआत शोभित बंगा और सुप्रिया पॉल ने वर्ष 2014 में conference आयोजित करके की, जहाँ अलग-अलग क्षेत्र के लोग अपनी प्रेरणादायक कहानियाँ लोगों के समक्ष प्रस्तुत किए और वहाँ से जोश टॉक्स लोगों को जोश और प्रेरणा प्रदान करती आ रही हैं।

 

 

 

 

 

 

वर्तमान समय में इनके काफ़ी कम physical conferences होते हैं, और जो भी वीडियो आप यूट्यूब और अन्य प्लेटफ़ॉर्म पर देखते हैं वो इनके studio में ही record किया जाता है। आज जोश टॉक्स कई भारतीय भाषाओं में प्रेरणादायक कॉंटेंट बना रही है, और सफल लोगों की कहानियों के माध्यम से आम लोगों को भी कुछ ख़ास करने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

Josh Talks Speaker Kaise Bane?

Josh Talks Speaker बनने के लिए सबसे पहले तो आपकी कहानी प्रेरणादायक होनी चाहिए। आप जिस भी फ़ील्ड में हैं, जिस भी क्षेत्र में आपने सफलता हासिल की है, तो वहाँ से पहुँचने के लिए आपने क्या-कुछ किया; और आपकी कहानी अगर लोगों को मोटिवेट कर सकती है तो आप काफ़ी आसानी से जोश टॉक्स के चैनल पर आ सकते हैं।

जोश टॉक्स में कैसे जाएँ? अगर आपका सवाल यह है, तो इनके वेबसाइट www.joshtalks.com पर contact us पेज पर आपको Becoming a Speaker के बारे में जानकारी मिल जाएगी। इसके अलावा आप उनके सोशल मीडिया हैंडल के ज़रिए भी जोश टॉक्स की टीम को आप सम्पर्क कर सकते हैं, और अपने बारे में और अपनी सफलता की कहानी को संक्षेप में बता सकते हैं ताकि वे यह निर्णय ले सकें कि आप जोश टॉक्स में आ सकते हैं या नहीं।

 

 

 

 

 

 

 

 

वैसे इनके यूट्यूब चैनल के कम्यूनिटी टैब पर भी कई बार ये स्पीकर बनने के संबंध में डिटेल्स पोस्ट करते हैं, तो वहाँ से भी आप अप्लाई कर सकते हैं। इसके अलावा अगर आप काफ़ी सफल व्यक्ति बन जाते हैं और आपकी कहानी में वो बात है जो लोगों को प्रेरणा दे सकती है, तो फिर जोश टॉक्स की टीम आपको खुद contact करेगी कि आप इनके प्लेटफ़ॉर्म पर आएँ और अपनी कहानी साझा कर लोगों को मोटिवेट करें। अगर आपकी सफलता की कहानी जोश से भरी है, तो आप निश्चित रूप से जोश टॉक्स में आ सकते हैं।

 

 

 

 

 

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Start Organic Farming Business in Hindi

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जैविक खेती क्या है? जैविक खेती के लाभ, फ़ायदे और नुक़सान: Start Organic Farming Business in Hindi आज के समय में हम जो भी फल-सब्ज़ियाँ खाते हैं, उनको उगाने के लिए अलग-अलग तरह के केमिकल प्रयोग में लिए जाते हैं और अंततः उन्हें खाने से हमारे शरीर में भी वो केमिकल्स चले जाते हैं। इसके बारे में अब धीरे-धीरे लोग जागरूक हो रहे हैं और organic farming यानी जैविक खेती के अंतर्गत उगाए हुए सब्ज़ियों को ख़रीदना पसंद कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि जैविक खेती क्या होता है? जैविक खेती के फ़ायदे और नुक़सान क्या हैं?

 

 

 

ऑर्गेनिक प्रोडक्ट बिज़नेस शुरू करें | Organic Products Business Plan in  Hindi - Business Ideas in Hindi

 

 

 

जैविक खेती क्या है?

जैविक खेती कृषि का वह तरीक़ा है जिसमें मिट्टी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए खेत जोता जाता है और फसल उगाई जाती है। इसमें केमिकल फ़र्टिलायज़र और पेस्टिसायड के बजाय जैविक अपशिष्ट पदार्थों (waste materials) का प्रयोग किया जाता है और यह तत्व मिट्टी में पोषक तत्वों की उत्पादकता बढ़ाने का प्रयास करते हैं।

अलग-अलग प्रकार के सूक्ष्म जीव जैसे bacteria और fungi जानवर के अपशिष्ट पदार्थ को उत्पादकता बढ़ाने वाले तत्वों में परिवर्तित करते हैं। और इस खाद का प्रयोग ज़्यादा करने से भी मिट्टी की जैविक क्रियाकलाप में सुधार होता है। यह मिट्टी को स्वस्थ और कृषि योग्य बनाता है। इससे फसल की उत्पादकता बढ़ने के साथ-साथ उसके पोषक तत्वों में भी इज़ाफ़ा होता है।

जैविक खेती के लाभ

जैविक खेती के अनेक लाभ हैं। विभिन्न जैविक अनुसंधान से, जो मिट्टी एवं मिट्टी के जीवों पर हुए हैं, यह स्पष्ट है कि जैविक खेती के अनेक लाभ हैं। यह कृषि की वह विधि है जिसका मुख्य उद्देश्य कृषि योग्य भूमि तैयार करना और फसलों को इस प्रकार उगाना होता है, जिससे मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा रहे और वह सजीव बनी रहे।

Organic farming में उर्वरक के तौर पर अपशिष्ट पदर्थों (waste material) का प्रयोग किया जाता है। यह सतत उत्पादन में वृद्धि करती है। यह प्रणाली पर्यावरण अनुकूल होने के साथ-साथ प्रदूषण रहित भी है। यह मिट्टी की उर्वरता का भी ध्यान रखता है। जैविक खेती ना केवल परम्परागत रसायनों को समाप्त करता है, बल्कि इन कृत्रिम उत्पादों को प्राकृतिक उत्पादों से परिवर्तित करता है।

जैविक खेती के फ़ायदे

  • जैविक खेती कीट और बीमारियों के ख़िलाफ़ उच्च स्तर की प्रतिरोधक क्षमता प्राकृतिक रूप से बढ़ाता है।
  • स्वस्थ पौधे, स्वस्थ मिट्टी में प्राकृतिक रूप से उगाए जाते हैं। यह प्राकृतिक रूप से कीटों और बीमारियों के प्रतिरोधी होते हैं।
  • जैविक खेती से किसान अच्छी फसलों का उत्पादन करता है।
  • इसके तहत किसान मिट्टी की जाँच कर सबसे उत्तम फसल उत्पादन पर ध्यान दे सकता है।
  • जैविक खेती से हमें Genetically modified foods प्राप्त होते हैं, इसलिए स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ समाप्त हो जाती हैं।
  • Organic farming के तहत उगाए गए फल-सब्ज़ियों में रसायन नहीं होते हैं, तो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफ़ी अच्छा है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

जैविक खेती के नुक़सान

  • जैविक खेती में चूँकि केमिकल फ़र्टिलायज़र का प्रयोग नहीं किया जाता है इस वजह से फसल उत्पादन की क्षमता कम होती है।
  • इसके तहत ऐसे उत्पादों का निर्माण कठिन है जो सीधे ही बाज़ार में बेचे जा सकते हैं।
  • ऑर्गैनिक फ़ार्मिंग अधिक खर्चीला होता है, तो इस विधि से उगाए गए सब्ज़ियाँ भी महँगे होते हैं और उन्हें बेचने में भी थोड़ी समस्या आती है क्योंकि लोगों को सस्ती सब्ज़ियाँ ख़रीदने की आदत है।
  • जैविक खेती में थोड़ा-बहुत scientific knowledge की भी आवश्यकता होती है, इस वजह से कई किसान चाहते हुए भी organic farming अच्छे-से नहीं कर पाते हैं।

 

 

 

 

 

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Grilinctus Paediatric Syrup Information in Hindi

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Grilinctus Paediatric Syrup Information in Hindi, ग्रिलिंक्टस पीडियाट्रिक सिरप आमतौर पर बच्चों को गले में खराश, नाक बहना, खांसी, छींकने, आंखों से पानी आना, शरीर में दर्द और बुखार जैसे सामान्य सर्दी के लक्षणों के इलाज के लिए दिया जाता है। अपने बच्चे को ग्रिलिंक्टस पीडियाट्रिक सिरप खाने के साथ या भोजन के बिना मुंह से दें। बच्चों का पेट अक्सर संवेदनशील होता है और दवा लेते समय पेट खराब होने की शिकायत होती है। ऐसा होने पर इस दवा को भोजन के साथ देना पसंद करें। हमेशा याद रखें कि आपके बच्चे के डॉक्टर द्वारा दी गई खुराक का शेड्यूल आपके बच्चे के लक्षणों के प्रकार पर निर्भर करता है, इसलिए निर्धारित खुराक, समय और तरीके का सख्ती से पालन करना सुनिश्चित करें। ग्रिलिंक्टस पीडियाट्रिक सिरप हर दिन एक निश्चित समय पर दें ताकि यह धीरे-धीरे आपके बच्चे की दिनचर्या में जगह बना ले, जिससे आपको याद रखने में मदद मिलेगी। यदि आपका बच्चा इस दवा को लेने के 30 मिनट के भीतर उल्टी करता है तो वही खुराक दोबारा दें। हालांकि, अगर अगली खुराक के लिए पहले से ही समय हो तो खुराक को कभी न दोहराएं। नियमित खुराक लेने के एक सप्ताह के भीतर आपका बच्चा बेहतर महसूस करना शुरू कर सकता है। हालाँकि, आपको अपने बच्चे को पूरा निर्धारित कोर्स पूरा करने के लिए दवा देना जारी रखना चाहिए क्योंकि इसे अचानक रोकना आपके बच्चे की स्थिति को खराब कर सकता है।

 

 

 

Grilinctus Paediatric Syrup Information in Hindi
Grilinctus Paediatric Syrup Information in Hindi

 

 

 

 

कुछ मामूली और अस्थायी साइड इफेक्ट्स जो आपके बच्चे को इस दवा को लेने के दौरान अनुभव हो सकते हैं उनमें उल्टी, दस्त, मतली, चक्कर आना, दाने और सिरदर्द शामिल हैं। आमतौर पर, आपके बच्चे का शरीर दवा के अनुकूल हो जाने के बाद ये एपिसोड कम हो जाते हैं। यदि ये दुष्प्रभाव आपके बच्चे के लिए बने रहते हैं या परेशान करते हैं, तो बिना किसी देरी के अपने बच्चे के डॉक्टर से सलाह लें।

अपने बच्चे के डॉक्टर को अपने बच्चे का पूरा चिकित्सा इतिहास बताएं, जिसमें कोई भी चल रही दवा व्यवस्था या किसी एलर्जी का इतिहास, हृदय की समस्या, रक्त विकार, जन्म दोष, वायुमार्ग की रुकावट, फेफड़े की विसंगति, त्वचा विकार, यकृत की दुर्बलता और गुर्दे की खराबी शामिल है। यह जानकारी खुराक में बदलाव और आपके बच्चे के समग्र उपचार की योजना बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।


 

 

 

 

 

 

 

आपके बच्चे के लिए ग्रिलिंक्टस बाल चिकित्सा सिरप के लाभ

सामान्य सर्दी के उपचार में

ग्रिलिंक्टस पीडियाट्रिक सिरप एक संयोजन दवा है जो आम सर्दी के लक्षणों जैसे कि बंद नाक, बहती नाक, आंखों से पानी, छींकना, और भीड़ या भरापन से प्रभावी रूप से राहत देता है। यह गाढ़े बलगम को ढीला करने में मदद करता है, जिससे खांसी को बाहर निकालना आसान हो जाता है। इससे हवा को अंदर और बाहर जाने में आसानी होती है। यह रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ता है और तेजी से राहत प्रदान करता है जो कई घंटों तक रहता है।

ग्रिलिंक्टस पीडियाट्रिक सिरप आमतौर पर कुछ ही मिनटों में काम करना शुरू कर देता है और प्रभाव कई घंटों तक रह सकता है। इसे डॉक्टर द्वारा बताए अनुसार लें। जब तक आपको अपने डॉक्टर से सलाह न दी जाए तब तक इसका इस्तेमाल बंद न करें। इस दवा को लेने से आप अपने लक्षणों को दूर करने वाली चीजों के बारे में ज्यादा चिंता किए बिना अपना जीवन अधिक स्वतंत्र रूप से जीने में सक्षम होते हैं।


बच्चों में GRILINCTUS बाल चिकित्सा के दुष्प्रभाव

ग्रिलिंक्टस बाल चिकित्सा सिरप गंभीर दुष्प्रभाव पैदा नहीं करता है और बच्चों द्वारा अच्छी तरह से सहन किया जाता है। यदि दुष्प्रभाव होते हैं, तो शरीर द्वारा दवा के अनुकूल होने के बाद उनके कम होने की संभावना है। अपने बच्चे के चिकित्सक से परामर्श करें यदि ये दुष्प्रभाव आपके बच्चे को परेशान करते हैं या परेशान करते हैं। सबसे आम दुष्प्रभावों में शामिल हैं-

ग्रिलिंक्टस के सामान्य दुष्प्रभाव

  • दस्त
  • खरोंच
  • जी मिचलाना
  • उल्टी
  • एलर्जी की प्रतिक्रिया
  • तंद्रा
  • सिरदर्द
  • चक्कर आना

मैं अपने बच्चे को ग्रिलिंक्टस पीडियाट्रिक सिरप कैसे दे सकता हूं?

इस दवा को अपने चिकित्सक द्वारा बताई गई खुराक और अवधि में लें। उपयोग करने से पहले निर्देशों के लिए लेबल की जाँच करें। इसे मापने वाले कप से नापें और मुंह से लें। इस्तेमाल से पहले अच्छी तरह हिलायें। ग्रिलिन्क्टस पीडियाट्रिक सिरप भोजन के साथ या बिना भोजन किए इसे लिया जा सकता है, लेकिन बेहतर यह होगा कि इसे एक नियत समय पर वरीयता के साथ लिया जाए.

ग्रिलिन्क्टस सिरप कैसे काम करता है

ग्रिलिन्क्टस पीडियाट्रिक सिरप तीन दवाओं का मिश्रण होता है: क्लोरफेनिरेमाइन,पैरासिटामोल और फेनिलएफ्रिन जो सामान्य सर्दी के लक्षणों से राहत दिलाता है. क्लोरफेनिरेमाइन एक एंटीएलर्जिक है जो एलर्जी के लक्षणों जैसे नाक बहना, आंख से पानी बहना और छींक आने से राहत दिलाता है। Paracetamol एक एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) और ज्वरनाशक (बुखार कम करने वाली) है। यह मस्तिष्क में कुछ रासायनिक संदेशवाहकों की रिहाई को रोकता है जो दर्द और बुखार के लिए जिम्मेदार होते हैं। Phenylephrine एक नेज़ल डिकॉन्गेस्टेंट है जो छोटी रक्त वाहिकाओं को संकुचित करता है जिससे नाक में जमाव या जकड़न से राहत मिलती है।

सुरक्षा सलाह

चेतावनी

गुर्दा

सावधानी
किडनी से जुड़ी बीमारी से पीड़ित मरीज सावधानी के साथ ग्रिलिन्क्टस पीडियाट्रिक सिरप का इस्तेमाल करें. ग्रिलिन्क्टस पीडियाट्रिक सिरप की खुराक को कम या ज्यादा करना पड़ सकता है. कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
चेतावनी

यकृत

सावधानी
लीवर से जुड़ी बीमारी से पीड़ित मरीज सावधानी के साथ ग्रिलिन्क्टस पीडियाट्रिक सिरप का इस्तेमाल करें. ग्रिलिन्क्टस पीडियाट्रिक सिरप की खुराक को कम या ज्यादा करना पड़ सकता है. कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

अगर मैं अपने बच्चे को ग्रिलिंक्टस पीडियाट्रिक सिरप देना भूल जाऊं तो क्या होगा?

घबड़ाएं नहीं। जब तक आपके बच्चे के डॉक्टर ने आपके बच्चे के लिए एक विशिष्ट व्यवस्था की सलाह नहीं दी है, जैसे ही आप इसे याद करते हैं, आप छूटी हुई खुराक दे सकते हैं। छूटी हुई खुराक को छोड़ दें यदि यह अगली खुराक के लिए लगभग समय है। निर्धारित खुराक अनुसूची का पालन करें और छूटी हुई खुराक को पकड़ने के लिए दोहरी खुराक न दें।

 

 

 

 

 

 

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Paediatric Medicine की पूरी जानकारी  

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For Paediatric Use Only का मतलब क्या होता है? Paediatric Medicine Meaning in Hindi सभी के घर में बच्चे होते ही हैं। और अगर वे कभी बीमार होते हैं तो डॉक्टर उनको जो दवाइयाँ देता है उनमें आपने  लिखा हुआ ज़रूर देखा होगा। आइए जानते हैं कि Paediatric Medicine की पूरी जानकारी  का मतलब होता है बाल-चिकित्सा संबंधी। Paediatrics चिकित्सा-विज्ञान की वह शाखा है जो शिशुओं एवं बच्चों के रोग एवं उनकी चिकित्सा से संबंधित है, इसलिए इसे बाल चिकित्सा कहा जाता है।

 

 

 

Paediatric Medicine की पूरी जानकारी
Paediatric Medicine की पूरी जानकारी

 

 

 

बाल चिकित्सा के अंतर्गत नवजात शिशु से लेकर 12-13 वर्ष की आयु के बच्चे एवं किशोर भी आते हैं। अलग-अलग देशों में paediatric age range अलग होता है, कई जगहों पर इसमें 16 वर्ष तक के बच्चे भी आते हैं और कई जगहों पर 18 वर्ष तक की आयु के बच्चे। और जब भी ये बीमार होते हैं तो बड़े-बुजुर्गों की चिकित्सा प्रक्रिया की तुलना में बाल चिकित्सा थोड़ी अलग होती है। यही वजह है कि कई सारी दवाइयों में यह लिखा भी होता है कि यह सिर्फ़ बाल-चिकित्सा के उपयोग के लिए है।

For Paediatric Use Only Medicine Meaning

जिस दवाइयों को ख़ास बाल चिकित्सा के उपयोग हेतु बनाया जाता है, उनमें for paediatric use only लिखा होता है। इसका मतलब हुआ कि इन दवाइयों को सिर्फ़ बाल-चिकित्सा के उपयोग में लिया जाना है। ये दवाइयाँ बच्चों पर अच्छे-से टेस्ट करने के बाद मार्केट में लाया जाता है और बच्चों के रोग चिकित्सा में यह कारगर होते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

Paediatrician का मतलब क्या होता है?

Paediatrician का मतलब होता है बाल-चिकित्सक। अपने आस-पास आपने कई अस्पताल और क्लिनिक्स में शिशु-रोग विशेषज्ञ लिखा हुआ देखा होगा, इन्हें paediatrician कहते हैं। Paediatrics से ही बना है paediatrician यानी ऐसे डॉक्टर जो बच्चों का इलाज करने में विशेष ज्ञान रखते हैं, जो बाल चिकित्सा के विशेषज्ञ हैं; इसलिए इन्हें बाल-चिकित्सक कहते हैं।

 

 

 

 

 

 

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CUET क्या है ? CUET का फुल फॉर्म in Hindi

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अगर आप केंद्रीय विश्वविद्यालय या सेंट्रल यूनिवर्सिटी के यूजीसी/ पीजीसी कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं, तो आपको सीयूईटी (CUET) प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करना होगा. अब आपके मन में सवाल होगा कि CUET ka Full Form Kya Hota Hai? तो आज आप जानेंगे CUET क्या है ? CUET का फुल फॉर्म IN Hindi

 

 

 

 

CUET एग्जाम क्या होता है? | CUET एग्जाम का फॉर्म भरने के लिए फीस कितनी लगती  है? - Free Skills India

 

 

 

 

CUET ka Full Form in Hindi

CUET का फुल फॉर्म Central Universities Entrance Test होता है. सेंट्रल यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट को हिंदी में ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा’ के के नाम से भी जाता है.

CUET Kya Hota Hai?

सीयूईटी (CUET), सेंट्रल यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट होता है. इस प्रवेश परीक्षा (एंट्रेंस टेस्ट) के माध्यम से केंद्रीय विश्वविद्यालय या सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के स्नातक (यूजीसी)/ स्नातकोत्तर (पीजीसी) कोर्स में दाखिला मिलता है. अगर आप किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय से स्नातक/स्नातकोत्तर जैसी डिग्री कोर्स करना चाहते हैं, तो आपको सेंट्रल यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) उत्तीर्ण करना होगा.  CUET  यानि सेंट्रल यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट का आयोजन NTA (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) करती है. एनटीए, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट प्रति-वर्ष आयोजित करती है.

CUET ke Liye Qualification, Eligibility 

  • अभ्यर्थी किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से किसी भी स्ट्रीम में बारहवीं कक्षा (10+2) कम से कम 50% अंकों में उत्तीर्ण हो या इसके समकक्ष होना चाहिए.
  • आरक्षित वर्ग (SC/ST/ PwD/ OBC) के अभ्यर्थियों को 5% अंकों का छुट दिया जाता है.
  • यानि Reserve Category  के उम्मीदवार कम से कम 45% अंकों में इंटरमीडिएट/बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए.

CUET/CUCET ke Liye Documents

  • 10 वीं और 12वीं कक्षा उत्तीर्ण मार्कशीट का छायाप्रति
  • पासपोर्ट साइज़ फोटो
  • हस्ताक्षर (स्कैन की गयी)
  • आधार कार्ड/ ड्राइविंग लाइसेंस (Id Proof with Photo)
  • जाति प्रमाण पत्र

 

 

 

 

 

 

 

CUET Application Fees Kitni Hoti Hai?

  • सीयूईटी एप्लीकेशन फीस General/ OBC कैंडिडेट्स के लिए 650 रूपये.
  • SC category  कैंडिडेट्स के लिए एप्लीकेशन फीस 600 रूपये.
  • ST कैंडिडेट्स के लिए एप्लीकेशन फीस 550 रूपये.
  •  विदेशी उम्मीदवार (Foreign Candidates) के लिए एप्लीकेशन फीस 3000 रूपये है.

CUET Application Form Kaise Bhare? 

  • CUET का एप्लीकेशन फॉर्म भरने के लिए सबसे पहले सीयूईटी के आधिकारिक वेबसाइट cuet.samarth.ac.in पर जाएं.
  • अधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करने पर होम पेज खुलेगा, होम पेज पर Registration का लिंक होगा , उस लिंक पर क्लिक करें.
  • रजिस्ट्रेशन के लिंक पर क्लिक करने पर नया पेज खुलेगा.
  • जिसमें रजिस्ट्रेशन से सम्बंधित डिटेल इनफार्मेशन भरें, उसके बाद सबमिट करें.
  • सबमिट करने पर एक आईडी बनेगा, जो आपका registration ID/ आईडी नंबर होगा.
  • रजिस्ट्रेशन आईडी को प्रिंट करके रखें.

 

 

 

 

 

 

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NEFT क्या है | जानिए NEFT Full Form

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आज हम इस आर्टिकल में NEFT के बारे में सीखेंगे। NEFT क्या है? (What is NEFT in Hindi), NEFT का फुल फॉर्म क्या है? इसका उपयोग कैसे करें? इसके फायदे और महत्व? NEFT कैसे काम करता है? इसका उपयोग क्या है? आदि। NEFT की सम्पूर्ण जानकारी आपको इस आर्टिकल में मिल जाएगी। 

 

 

 

NEFT क्या होता है - NEFT कैसे करते है Time, Charegs, कितना लगता है

 

 

 

 

NEFT क्या है?

NEFT एक बैंकिंग पेमेंट सिस्टम सर्विस है, जिसके जरिये एक बैंक अकाउंट से दुसरे बैंक अकाउंट में पैसे भेजे जा सकते है। इसके माध्यम से किसी भी बैंक का खाताधारक, दुसरे बैंक के खाताधारक को पैसे ट्रान्सफर कर सकते है। 

 

यह सेवा आज के समय में लगभग भारत के सभी बैंकों में उपलब्ध है। जिस बैंक में यह सुविधा उपलब्ध होगी, उस बैंक के खाताधारक इसका उपयोग कर सकते है और ऑनलाइन पैसे ट्रान्सफर करने का लाभ उठा सकते है। 

 

NEFT को Institute for Development and Research in Banking Technology (IDRBT) द्वारा नवम्बर 2005 में शुरू किया गया था। IDRBT एक इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट है जिसे रिज़र्व बैंक द्वारा 1996 में बनाया गया है। 

 

इसलिए यह कहना सही होगा कि NEFT रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू किया गया सेवा है। एनईएफटी एक ऑनलाइन पेमेंट इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रान्सफर सिस्टम है। यह IMPS (Immediate Payment System) की तरह real-time में नहीं बल्कि hourly batches में पैसे ट्रान्सफर करता है। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

आज भारत में यह सेवा IMPS के बाद सबसे ज्यादा उपयोग में है। लगभग भारत के सभी बैंक अपने उपभोक्ताओं को इस सेवा का लाभ प्रदान कर रही है। जैसे :- बैंक ऑफ़ बड़ोदा, इंडियन बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, एक्सिस बैंक, यूनाइटेड बैंक, केनरा बैंक, ICICI बैंक, HDFC बैंक, IDBI बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, आदि। 

नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रान्सफर (एनईएफटी) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बनाया गया एक इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रान्सफर सिस्टम है। बैंकिंग प्रौद्योगिकी में विकास और अनुसंधान संस्थान द्वारा इसका रखरखाव किया जाता है। यह भारत में बैंक ग्राहकों को किसी भी दो एनईएफटी सक्षम बैंक खातों के बीच फण्ड ट्रान्सफर करने में सक्षम बनाता है। यह इलेक्ट्रॉनिक संदेशों के माध्यम से किया जाता है।  – विकिपीडिया

भारत के सभी NEFT Enabled Bank के खाताधारक इस सेवा का इस्तेमाल कर के पैसे को एक अकाउंट से दुसरे अकाउंट बहुत आसानी से ट्रान्सफर कर सकते है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक संदेशों का उपयोग किया जाता है। यह आईएमपीएस की तरह रियल टाइम के आधार पर फण्ड ट्रान्सफर नहीं करती है। 

 

यह सुबह 8 बजे से शाम 7:30 बजे के बीच 23 settlement में काम करती है। इसमें फण्ड ट्रान्सफर हर आधे घंटे के batch के रूप में किया जाता है। हर महीने के रविवार, दुसरे और चौथे शनिवार और इसके अलावा त्योहारों के दिनों में NEFT के द्वारा फण्ड ट्रान्सफर नहीं किया जा सकता है। 

 

NEFT का फुल फॉर्म क्या है?

NEFT का फुल फॉर्म “नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रान्सफर” होता है। 

NEFT – National Electronic Fund Transfer

 

NEFT Full Form in Hindi

एनईएफटी का पूरा नाम हिन्दी में “राष्ट्रिय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण” होता है। 

एनइएफटी – राष्ट्रिय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण

 

NEFT के फायदे क्या है?

  • इसके द्वारा पैसे ट्रान्सफर करना बहुत आसान और सुरक्षित है। 
  • इसके द्वारा पैसे ट्रान्सफर करने पर बहुत कम चार्जेज लगते है, जो की ना के बराबर होती हैं। 
  • इसमें 24 घंटे के अंदर पैसे ट्रान्सफर ना होने की स्थिति में पूरे पैसे आपके अकाउंट में वापस आ जाते है। 
  • एनईएफटी के द्वारा पैसे प्राप्त करने वाले व्यक्ति को कोई चार्ज नहीं देना है। 
  • एनईएफटी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से किया जा सकता है। 
  • ऑनलाइन एनईएफटी करने पर आपको बैंक जाने की जरूरत नहीं है। आप अपने घर से ही ऑनलाइन एनईएफटी करके पैसे ट्रान्सफर कर सकते है। 
  • इसके माध्यम से कोई भी कंपनी या संस्थान आसानी से एक अकाउंट से दुसरे अकाउंट में पैसे ट्रान्सफर कर सकते है। 

 

 

 

 

 

 

 

NEFT कैसे काम करता है?

नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रान्सफर की सुविधा 2 तरीके से ग्राहकों को प्रदान की जाती है। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीको से उपभोक्ता इस सेवा का उपयोग कर सकते है। चलिए जानते है ऑनलाइन एनईएफटी और ऑफलाइन एनईएफटी दोनों कैसे काम करते है। 

 

ऑनलाइन एनईएफटी के द्वारा पैसे ट्रान्सफर करने के लिए उपभोक्ता को सबसे पहले अपने अकाउंट में इन्टरनेट बैंकिंग activate कराना होगा। जिसके बाद वो इस सेवा का उपयोग ऑनलाइन कर सकता है। इसके अलावा कुछ बैंक ऐसे है जो अपने ग्राहकों को ATM के जरिये भी इस सेवा का लाभ प्रदान कर रहे है। यानी एटीएम के द्वारा भी उपभोक्ता एनईएफटी कर सकता है। 

 

इसके द्वारा पैसे ट्रान्सफर करने के लिए सबसे पहले आपके पास beneficiary की बैंक डिटेल्स होनी चाहिए। जैसे :- बैंक का नाम, खाताधारक का नाम, अकाउंट नंबर, ब्रांच का नाम, अकाउंट टाइप, IFSC Code, आदि। सभी बैंक डिटेल्स दर्ज करने के बाद सबमिट करके जानकारी बैंक को भेजना होता है। 

 

जिसके बाद उपभोक्ता द्वारा दिए गए जानकारी को बैंक, सन्देश के रूप में तैयार कर के pooling center भेजता है, जिसे NEFT Service Center भी कहा जाता है। इसके बाद pooling center द्वारा उस सन्देश को NEFT Clearing Center भेजा जाता है। ताकि उस सन्देश को अगले उपलब्ध batch के लिए शामिल किया जा सकें। इसके भारतीय रिज़र्व बैंक की नेशनल क्लीयरिंग सेल चलाती है, जिसका कार्यालय मुंबई में है। 

 

इसके बाद क्लीयरिंग सेण्टर, सभी फंड्स को डेस्टिनेशन बैंक के अनुसार छांटता है। इसके बाद sender के बैंक से फण्ड प्राप्त करके receiver बैंक को भेजने के लिए receiving entries को तैयार करता है। इसके बाद एक-एक करके receiver बैंक को मेसेज फॉरवर्ड किया जाता है। जिसके बाद receiver बैंक क्लीयरिंग सेण्टर से सन्देश प्राप्त करता है और beneficiary के अकाउंट में पैसे क्रेडिट कर देता है। 

 

 

NEFT का उपयोग कैसे करें?

एनईएफटी (नेफ्ट) का उपयोग करना बहुत आसान है। इसके लिए आपके पास एक बैंक अकाउंट का होना जरूरी है। एनईएफटी का उपयोग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से कर सकते है। इसके अलावा कुछ बैंक ऐसे भी है जो एटीएम के द्वारा भी इस सेवा का उपयोग करके की सुविधा प्रदान करती है। 

 

ऑनलाइन एनईएफटी के जरिये पैसे ट्रान्सफर करने के लिए आपके बैंक अकाउंट में इन्टरनेट बैंकिंग का activate होना जरूरी है। तो इसके लिए सबसे पहले आप इन्टरनेट बैंकिंग activate कराये। इसके बाद आपको एक यूजरनाम और पासवर्ड प्राप्त होगा, जिसके जरिये आपको इन्टरनेट बैंकिंग में लॉग इन करना है। 

 

लॉग इन करने के बाद फण्ड ट्रान्सफर वाले विकल्प को चुने और ट्रान्सफर टाइप में NEFT को सेलेक्ट करें। इसके बाद आप जिसे पैसे ट्रान्सफर करना चाहते है उसकी बैंक डिटेल दर्ज करें। जैसे :- बैंक का नाम, खाताधारक का नाम, अकाउंट नंबर, ब्रांच का नाम, अकाउंट टाइप, IFSC Code, आदि। इसके बाद सबमिट बटन पर क्लिक करें और रजिस्टर्ड नंबर पर भेजे गए OTP को दर्ज करके पैसे ट्रान्सफर कर दें। 

 

इसके अलावा अगर ऑफलाइन एनईएफटी करना चाहते है, तो इसके लिए आपको अपने बैंक के ब्रांच में जाना होगा। ब्रांच से NEFT फॉर्म प्राप्त करें। उसके बाद फॉर्म में पूछे गए सभी जानकारी, sender बैंक अकाउंट डिटेल्स और receiver बैंक अकाउंट डिटेल्स को भरें। और फिर बैंक में जमा कर दें। जिसके बाद बैंक द्वारा आपके अकाउंट से पैसे डेबिट कर दिए जायेंगे। और रिसीवर के बैंक अकाउंट में क्रेडिट हो जायेंगे। 

 

NEFT से पैसे कैसे ट्रान्सफर करें?

जैसा कि अभी हमने जाना, NEFT का उपयोग हम दो तरीके से कर सकते है। ऑनलाइन और ऑफलाइन। चलिए अब सीखते है, दोनों तरीकों से पैसे कैसे ट्रान्सफर करते है? निचे हम दोनों तरीकों से पैसे ट्रान्सफर करने का पूरा process step by step बता रहें है। 

 

Online NEFT से पैसे कैसे ट्रान्सफर करें?

  • ऑनलाइन एनईएफटी करने के लिए आपके बैंक अकाउंट में इन्टरनेट बैंकिंग activate होना जरूरी है। अगर आपके अकाउंट में इन्टरनेट बैंकिंग सर्विस activate नहीं है तो आप ब्रांच जाकर इसे activate करवा सकते है। या ATM कार्ड के द्वारा ऑनलाइन भी इसे activate कर सकते है। 
  • अब अपने बैंक की अधिकारिक वेबसाइट में जाएँ। 
  • इसके बाद इन्टरनेट बैंकिंग विकल्प पर जाएँ और यूजरनाम, पासवर्ड के जरिये लॉग इन करें। 
  • अब Fund Transfer के आप्शन पर क्लिक करें। 
  • और जिसे आप पैसे ट्रान्सफर करना चाहते है, उसे पहले ऐड करें। 
  • Beneficiary Add करने के लिए Add Payee या Add New Beneficiary पर क्लिक करें। 
  • उसके बाद जिसे ऐड करना है, उसकी बैंक जानकारी भरें। जैसे :- बैंक का नाम, खाताधारक का नाम, अकाउंट नंबर, ब्रांच का नाम, अकाउंट टाइप, IFSC Code, आदि।
  • पूछे गए सभी जानकारी भरने के बाद सबमिट पर क्लिक करें। 
  • इसके बाद ऐड किये गए beneficiary को बैंक द्वारा approve होने तक आपको इंतज़ार करना है। इसमें 30 से 40 मिनट लगते है। 
  • Beneficiary ऐड हो जाने के अब फिर से Fund Transfer पर जाएँ, और ट्रान्सफर टाइप में NEFT सेलेक्ट करें। 
  • उसके बाद beneficiary सेलेक्ट करें। 
  • beneficiary सेलेक्ट करने के बाद आप जितना पैसे ट्रान्सफर करना चाहते है, वो पैसे दर्ज करें। 
  • Amount लिखने के बाद Pay, Fund Transfer, या Submit बटन पर क्लिक करें और पैसे ट्रान्सफर कर दें। 
  • इसके बाद beneficiary के अकाउंट में उसके बैंक के batch timing के अनुसार पैसे credit हो जायेंगे। 

 

Offline NEFT से पैसे कैसे ट्रान्सफर करें?

NEFT के जरिये आप अपने बैंक के ब्रांच में जाकर ऑफलाइन भी पैसे ट्रान्सफर कर सकते है। अगर आपके बैंक अकाउंट में इन्टरनेट बैंकिंग की सुविधा activate नहीं है, तो आप ऑफलाइन भी पैसे आसानी से ट्रान्सफर कर सकते है। चलिए जानते है :

  • ऑफलाइन पैसे ट्रान्सफर करने के लिए सबसे पहले अपने बैंक के ब्रांच में जाएँ। 
  • उसके बाद बैंक से NEFT / RTGS फॉर्म प्राप्त करें। 
  • फॉर्म में पूछी गयी सभी जानकारी दर्ज करें। जैसे बैंक का नाम, अकाउंट नंबर, ब्रांच, IFSC कोड, आदि। ये सभी जानकारी आपको फॉर्म में भरना है। 
  • फॉर्म के Beneficiary section में आपको सामने वाले की बैंक जानकारी लिखना है, जिसे आप पैसे ट्रान्सफर करना चाहते है। और जितना पैसे फेजना चाहते है, वो अमाउंट लिखें। 
  • उसके बाद ऊपर NEFT or RTGS का विकल्प मिलेगा, जिसमे आपको NEFT पर tick करना है। 
  • फॉर्म भरने के बाद एक बार सभी जानकारी को Re-Check जरूर करें। 
  • इसके बाद बैंक के अधिकारी या कर्मचारी, जो एनईएफटी करते है, उन्हें फॉर्म जमा कर दें। 
  • जिसके बाद बैंक के अधिकारी आपके सभी जानकारी को वेरीफाई करने के बाद आपके अकाउंट से पैसे डेबिट कर देता है। 
  • और आगे की प्रक्रिया को पूरा करते हुए, beneficiary के अकाउंट में ट्रान्सफर कर देता है। 

 

NEFT में कितना पैसे ट्रान्सफर कर सकते है? – NEFT Limit

NEFT के माध्यम से पैसे ट्रान्सफर करने का एक लिमिट RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) द्वारा निर्धारित किया गया है। इसके अनुसार निर्धारित किये गए लिमिट से ज्यादा का फण्ड एक दिन में आप ट्रान्सफर नहीं कर सकते। अगर NEFT के माध्यम से आप पैसे ट्रान्सफर करना चाहते है, तो आपको इस बात का खास ध्यान रखना होगा। 

 

एनईएफटी के माध्यम से फण्ड ट्रान्सफर करने की लिमिट कम से कम 1 रुपए और ज्यादा से ज्यादा 10 लाख रुपए तक है। यानी एक दिन में आप एनईएफटी के माध्यम से किसी भी अकाउंट में 1 रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक ट्रान्सफर कर सकते है। इससे ज्यादा का ट्रान्सफर आप इसके माध्यम से एक दिन में नहीं कर सकते। 

 

NEFT के चार्जेज क्या है? – NEFT Charges

जी हाँ, NEFT करने पर बैंक द्वारा कुछ फीस चार्ज किये जाते है। Transaction Fees के रूप में जो पैसे चार्ज किये जाते है, वो अलग-अलग बैंक के अलग-अलग फीस हो सकती है। और यह समय समय पर बैंक द्वारा बदलती भी रहती है। यहाँ हम आपको अप्रैल 2021 की NEFT Transaction Charges बता रहे हैं। आप NEFT करने से पहले एक बार अपने ब्रांच से transaction चार्ज के बारे में जानकारी जरूर कर लें।
AMOUNT TRANSACTION CHARGE
10,000 तक Rs. 2.50 + GST
10 हजार से 1 लाख तक Rs. 5 + GST
1 लाख से 2 लाख तक Rs. 15 + GST
2 लाख से 10 लाख तक Rs. 25 + GST
नोट :- Transaction Charges अलग-अलग बैंक के अलग-अलग हो सकते है। अधिकतर बैंकों के यही चार्जेज है। जब भी NEFT कराये, तो पहले अपने बैंक के NEFT चार्जेज जरूर चेक कर लें, या ब्रांच में जाकर पता करें। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

IMPS और NEFT में अंतर क्या है?

IMPS NEFT
इसका फुल फॉर्म Immediate Payment Service है। इसका फुल फॉर्म National Electronic Fund Transfer होता है।
इसका प्रबंधन NPCI (National Payments Corporation of India) द्वारा किया जाता है। इसका प्रबंधन RBI (Reserve Bank of India) द्वारा किया जाता है।
IMPS को 22 नवम्बर 2010 को लॉन्च किया गया है। NEFT को नवम्बर 2005 में लॉन्च किया गया है।
इसमें Real-Time में फण्ड ट्रान्सफर किये जाते है। इसमें फण्ड ट्रान्सफर होने में 24 से 48 घंटे लग जाते है।
IMPS 24X7, 365 दिन कार्य करता है। इसके जरिये कभी भी पैसे ट्रान्सफर कर सकते है। बैंक की छुट्टी वाले दिन भी यह उपलब्ध है।  NEFT में पैसे ट्रान्सफर करने के लिए समय सीमा निर्धारित है। ऑनलाइन NEFT तो कभी भी, किसी भी समय कर सकते है, मगर पैसे ट्रान्सफर होने का एक समय सीमा निर्धारित हैं।
इसमें 1 रुपए से लेकर 2 लाख रुपए तक प्रतिदिन लेनदेन की सीमा तय की गयी है। इसमें अधिकतम सीमा बैंक द्वारा तय किया जाता है, इसलिए इसकी अधिकतम सीमा अलग-अलग बैंक में अलग-अलग हो सकती है। NEFT में 1 रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक प्रतिदिन लेनदेन की सीमा तय की गयी है।
इसमें पैसे ट्रान्सफर करने के 1 रुपए से 15 रुपए तक चार्जेज लगते है। चार्जेज बैंक द्वारा निर्धारित किया जाता है, इसलिए अलग-अलग बैंक के अलग-अलग चार्जेज हो सकते है।  इसमें पैसे ट्रान्सफर करने के 1 रुपए से 25 रुपए तक चार्जेज लगते है।

NEFT और RTGS में अंतर क्या है?

NEFT RTGS
इसमें 1 रुपए से 10 लाख रुपए तक भेज सकते है। RTGS में 2 लाख से कम पैसे ट्रान्सफर नहीं कर सकते, इसमें कम से कम 2 लाख रुपए या इससे ज्यादा का फण्ड ट्रान्सफर किया जाता है।
इसमें फण्ड ट्रान्सफर होने में यानी transaction complete होने में लगभग 24 घंटे का समय लगता है। इसमें आधे घंटे (30 मिनट) में फण्ड ट्रान्सफर हो जाता है।
यह Hourly Batches पर कार्य करता है। यह Real Time System पर कार्य करता है।
इसमें 10 लाख से ज्यादा फण्ड ट्रान्सफर नहीं कर सकते। इसमें 2 लाख से कम पैसे नहीं भेज सकते।
यह फण्ड ट्रान्सफर करने का एक slow method हैं। यह फण्ड ट्रान्सफर का फ़ास्ट मेथड है।
इसमें transaction चार्जेज RTGS से कम होते है। इसमें transaction चार्जेज NEFT से ज्यादा होते है।
इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीको से पैसे ट्रान्सफर कर सकते है। RTGS में भी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीको से पैसे ट्रान्सफर कर सकते है।

 

 

 

 

 

 

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तो दोस्तों, अब आप NEFT के बारे में सब कुछ जान गए होंगे। NEFT क्या है? NEFT कैसे काम करता है? NEFT का फुल फॉर्म क्या है? NEFT का उपयोग कैसे करते है? इसके फायदे और महत्व क्या है, आदि। उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारी ये आर्टिकल जरूर पसंद आई होगी। और हमारे द्वारा बताई गयी सभी बाते आपको समझ में भी आ गयी होंगी। 

Parimatch App से पैसे कैसे कमाए

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आज हम इस आर्टिकल में Parimatch App पर गेम खेल कर पैसे कैसे कमाए? इसके बारे में बता रहे है। गेम तो हर कोई खेलता है, पर अगर गेम खेलते हुए आपको पैसे कमाने का मौका मिले तो कैसा रहेगा। जी हां, आज हम एक ऐसे ही गेम के बारे में बता रहे है, जिसे खेलकर आप पैसे भी कमा सकते है। 

 

 

 

 

 

 

 

 

गेम खेल कर पैसे कैसे कमाए - Parimatch क्या है? Parimatch App कैसे डाउनलोड करें?

 

 

 

 

भारत सालो से स्पोर्ट्स को पसन्द करने वाले देशों में से एक रहा है, और यहा स्पोर्ट्स पर बेटिंग भी सालो से की जा रही है। लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत मे ऑनलाइन स्पोर्ट्स बेटिंग करने वाले लोगो की संख्या तेजी से बढ़ी है। 
काफी सारे ऐसे प्लेटफॉर्म भारतीय मार्केट में काम कर रहे है जो भारतीयों को ऑनलाइन स्पोर्ट्स बेटिंग की सुविधा देते है। ऐसा ही एक प्लेटफार्म परिमैच ऐप भी है जिसे वर्तमान समय मे स्पोर्ट्स बेटिंग के लिए काफी पसन्द किया जा रहा है। इस लेख में हम जानेंगे कि परिमैच ऐप क्या है और इसे कैसे डाउनलोड करे?

परीमैच ऐप क्या है? (What is Parimatch?)

पिछले कुछ सालो में देश में तेजी से डिजिटलाइजेशन हुई है, जिसकी वजह से वर्तमान में हर व्यक्ति के पास इंटरनेट का एक्सेस आ चूका है। यह एक बड़ा कारण है की आज के समय में देश में कई सारे काम इंटरनेट के माध्यम से हो रहे हैं और उन्हीं में से एक स्पोर्ट्स बेटिंग भी है। 
पिछले कुछ सालों में भारतीय बाजार में काफी सारे स्पोर्ट्स बेटिंग प्लेटफार्म आए हैं और उन्हीं में से एक परिमैच ऐप भी है जो वर्तमान समय में भारत में सबसे अधिक पसंद किये जाने वाले ऑनलाइन स्पोर्ट्स बेटिंग प्लेटफॉर्म्स में से एक है।
परिमैच ऐप भारत में सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले स्पोर्ट्स बेटिंग प्लेटफॉर्म्स में से एक है जो अन्य कई प्लेटफॉर्म्स की तरह केवल एक या दो स्पोर्ट्स में नहीं बल्कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई स्पोर्ट्स पर बैटिंग करने का विकल्प देता है। 
parimatch app

 

 

 

 

 

 

 

 

 

परिमैच ऐप को आसानी से अपने फ़ोन में डाउनलोड करके विभिन्न स्पोर्ट्स पर बेटिंग शुरू की जा सकती है। परिमैच ऐप एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्पोर्ट्स बेटिंग प्लेटफार्म है जो पूरी तरह से सुरक्षित भी है। इस ऐप का उपयोग करके आप किसी भी गेम और मैच पर बेटिंग कर सकते हो।
परिमैच ऐप स्पोर्ट बैटिंग के लिए वर्तमान समय में देश में काम कर रहे हैं सबसे बेहतरीन प्लेटफॉर्म्स में से एक है जिसमें काफी कम अमाउंट में भी बैटिंग की जा सकती है और साथ ही इस प्लेटफार्म पर विनिंग अमाउंट भी कई अन्य प्लेटफॉर्म्स के मुकाबले काफी ज्यादा रहता है। ना केवल क्रिकेट बल्कि फुटबॉल, कबड्डी, होकि और अन्य कई स्पोर्ट्स मैचेस पर आप परिमैच ऐप के द्वारा बेटिंग कर सकते हो। यानि की जिस भी गेम में आपकी नॉलेज है आप उस गेम में बेटिंग कर सकते हो।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

परिमैच ऐप डाउनलोड कैसे करे?

अगर आप नहीं जानते की परिमैच ऐप को डाउनलोड कैसे करे तो जानकारी के लिए बता दे की परिमैच ऐप को आप आसानी से कुछ मिनट में घर बैठे हुए अपने फ़ोन में डाउनलोड कर सकते है। यह ऐप एंड्राइड और आईओएस दोनों ही ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए मौजूद है। अगर आप परिमैच ऐप को अपने फ़ोन में डाउनलोड करना चाहते हो तो उसके लिए निम्न स्टेप्स फॉलो करे:
  • सबसे पहले परिमैच ऐप की आधिकारिक वेबसाइट parimatch.in पर जाये।
  • वेबसाइट पर जाने के बाद आपको एक Menu का विकल्प मिलेगा, उस पर क्लिक करे।
  • अब आपके सामने एक Menu ओपन होगी जिसमे निचे की तरफ आपको एक ‘Apps Android/IOS’ का विकल्प मिलेगा, उस पर क्लिक करे।
  • इसके बाद आपके सामने जो पेज ओपन होगा उसमे आपको ‘Install Android Apk’ और ‘Install IOS App’ का विकल्प दिखाई देगा।
  • अगर आपके पास एंड्राइड स्मार्टफोन है तो ‘Install Android Apk’ विकल्प पर क्लिक करे और अगर आप एक एप्पल यूजर है तो ‘Install IOS App’ पर क्लिक करे।
  • इसके बाद आपके फ़ोन में आपका एप्प डाउनलोड हो जायेगा।
  • एप्प को डाउनलोड करने के बाद फाइल मैनेजर में जाकर Download सेक्शन में एप्प को ढूंढे और फिर इसे Install करे।
  • इस तरह से परिमैच ऐप आपके फ़ोन में इनस्टॉल हो जायेगा और इसके बाद आप इस ऐप का आनंद ले पाएंगे।
इस तरह से आसानी से आप परिमैच ऐप को अपने फ़ोन में डाउनलोड करके इनस्टॉल कर सकते हो। ऐप को फोन में इंस्टॉल करने के बाद आप इस पर आसानी से एक अकाउंट बनाकर अपने पसंसीदा गेम पर बेटिंग करना शुरू कर सकते हो। 
इस एप्प पर अपना अकाउंट बनाने के बाद आपको एप्प में एक बड़ा क्रेडिट अमाउंट उपहार स्वरूप मिल सकता है जिसे आप अपने पसंदीदा स्पोर्ट्स में बैटिंग करने के लिए उपयोग कर सकते हो और रियल कैश जीत सकते हो।

 

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निष्कर्ष

तो दोस्तों, उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारी ये आर्टिकल जरूर पसंद आई होगी। और हमारे द्वारा बताई गयी सभी बाते आपको समझ में भी आ गयी होंगी। 

 

अगर आपके मन में अभी भी किसी तरह का कोई सवाल है, तो आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते है। कृपया अपना बहुमूल्य सुझाव (Feedback) देकर हमें ये बताने का कष्ट करें कि Tech Hindi Gyan को और भी ज्यादा बेहतर कैसे बनाया जा सकता है। आपका सुझाव इस वेबसाइट को और भी अधिक उद्देश्यपूर्ण और सफल बनाने में सहायक होंगे। 

 

आर्टिकल पसंद आया हो तो कृपया इस आर्टिकल को अपने सभी दोस्तों के साथ सोशल मीडिया में शेयर करें, और उनकी सहायता करें। इसके अलावा THG को Follow करके सभी नए पोस्ट की जानकारी लगातार प्राप्त कर सकते है। 

 

 

 

 

 

 

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Web 3.0 क्या है What is Web 3.0

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आज हम इस आर्टिकल में आपको Web 3.0 के बारे में बताएंगे। Web 3.0 क्या है? Web 3.0 के फायदे? Web 1.0, Web 2.0 और Web 3.0 में अंतर क्या है? Decentralized Web क्या है? यह कैसे काम करता है? हम इसका प्रयोग कैसे कर सकते है? इत्यादि। Web 3.0 से संबंधित आपको इस आर्टिकल में सम्पूर्ण जानकारी मिल जाएगी। उम्मीद करता हूँ आपको यह पसंद आएगा।

 

 

 

 

Web 3.0 क्या है? इसके क्या फायदे है? 15 Best Uses of Web 3.0 in Hindi

 

 

 

 

समय के साथ चीजें बदलती रहती है और अपने से बेस्ट रूप में अपडेट होती रहती है, बात जब टेक्नॉलजी की हो तो यह एक ऐसा फील्ड है जिसमें निरंतर बदलाव होते रहते है। जब से हमने इंटरनेट को प्रयोग करना शुरू किया है तब से लेकर आज तक इसमें बहुत कुछ बदलाव देखने को मिला है और यह आज भी समय-समय पर और ज्यादा अड्वान्स होता जा रहा है।
बात अगर वेब की करें तो यह इंटरनेट का एक ऐसा हिस्सा है जिसकी मदद से आज के समय में हम अधिकतर चीजें खोज पाते है। अभी हाल ही के महीनों में हमने इसी Web की अगली पीढ़ी, यानि Web3.0 को देखने को मिला है, जिसकी मदद से आने वाले समय में इंटरनेट में और भी ज्यादा एडवांस चीजें देखने को मिलेंगी।

Web 3.0 क्या है? 

Web 3.0 क्या है? इसको समझने से पहले हम इसके पहले के वर्जन को समझते है, ताकि समझने में आसानी हो। इंटरनेट कुछ इस तरह से काम करता है कि जब भी आप गूगल पर कुछ भी खोजते है, और उसके बाद किसी वेबसाईट पर जाते है, तो वेबसाईट पर मौजूद डाटा उसके सर्वर से आपके फोन या कंप्युटर के ब्राउजर में आता है।
इसके बाद हमें उस वेबसाईट का पेज दिखता है, अब इस पूरे सिस्टम के पीछे जो टेक्नॉलजी काम करती है, उसे Web कहा जाता है। समय के साथ यही टेक्नॉलजी अपने नए फीचर्स में अपग्रेड होती रही है, जिसे पहले के समय में Web 1.0 और Web 2.0 के रूप में जाना जाता रहा है।

Web 1.0 क्या है? (What is Web 1.0?)

इंटरनेट की शुरुआत इसके पहले वर्जन 1.0 के साथ हुई थी, इसकी शुरुआत साल 1989 में हुई थी, web 1.0 के साथ बहुत साधरण सी सुविधाएं हमें मिलती थी।
अगर इसके बारे में बात करें तो यूजर वेबसाईट पर जाकर केवल वेब पेज को पढ़ सकता था, वह पेज पर देखने के अलावा कोई अन्य ऐक्टिविटी नहीं कर सकता था।
अगर आज के टेक्नॉलजी के हिसाब से देखें तो यह कुछ भी नहीं है लेकिन उस समय केवल वेब पेज को ब्राउज करके केवल जानकारियाँ पढ़ना ही इंटरनेट की दुनिया में बहुत बड़ी चीज मानी जाती थी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Web 2.0 क्या है? (What is Web 2.0?)

यह इंटरनेट की दूसरी पीढ़ी है, Web 1.0 के आने के लगभग 15 साल बाद साल 2004 में हमें इसका अपडेटेड वर्जन Web 2.0 के रूप में देखने को मिला।
Web 2.0 का सबसे बड़ा अपग्रेड यह था कि इसमें यूजर किसी भी वेबसाईट पर कंटेन्ट के साथ इंटरैक्ट कर सकता है। जैसे किसी वेबसाईट पर कमेन्ट करना, अकाउंट बनाना और खुद से भी कोई चीज पब्लिश करना इत्यादि।
उदाहरण के तौर पर आप इस ब्लॉग पोस्ट के कमेन्ट बॉक्स में जाकर अपना कमेन्ट लिख सकते है, जो कि बाकी के यूजर्स को भी दिखेगा। आप चाहें तो अकाउंट बनाकर खुद से भी चीजें पब्लिश कर सकते है, जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, Quora इत्यादि।
Web 2.0 ने इंटरनेट को काफी ज्यादा बेहतर और लोगों के लिए टेक्नॉलजी का प्रयोग करना आसान बना दिया है। इसी के मदद से e-commerce प्लेटफॉर्म पर आप चीजें खरीद और बेच सकते है, क्योंकि डाटा का आदान-प्रदान करना काफी आसान हो गया है। आज के समय में आप जितनी भी ब्लॉग/वेबसइट देखते है, वे सभी Web 2.0 के वर्जन में ही प्रयोग किये जा रहे है।

Web 3.0 क्या है? 

ऊपर बताए गए दोनों टेक्नॉलजी (Web 1.0 और Web 2.0) के बारे में आपको कुछ जानकारी मिल गयी होगी, चलिए अब बात करते है Web 3.0 के बारे में जो इनसे भी कहीं ज्यादा एडवांस है।
Web 3.0 एक डिसेन्ट्रलाइज्ड सिस्टम है और यह टेक्नॉलजी ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है। इसमें हमारा डाटा किसी एक सर्वर पर मौजूद न होकर दुनियाभर में बहुत सारे नोड्स में बंटा होता है, ये नोड्स ही होते है जो ब्लाकचैन में हमारे डाटा को स्टोर करके रखते है।
और इसको हैक करना लगभग नामुमकिन है, वही Centralized Server के रूप में जो टेक्नॉलजी हम अभी तक प्रयोग करते आये है उसको आसानी से हैक किया जा सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

डिसेन्ट्रलाइज्ड सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा ये है की इसका कंट्रोल किसी कंपनी के पास नहीं होता। इसमें हमारे डेटा के ऊपर खुद का पूरा कंट्रोल होता है, अगर Meta, Google, Amazon जैसी कंपनियों को हमारा डाटा इस्तेमाल करना है तो पहले इनको हमसे इजाजत लेनी पड़ेगी।
आने वाले समय में यह बहुत कुछ बदल के रख देगा, हालांकि इसका सीधा असर किसी भी यूजर के ऊपर इतनी जल्दी नहीं पड़ने वाला है। लेकिन इसके कुछ ऐसे फीचर्स है जो आज के समय में बहुत ज्यादा जरूरी है और इसमें प्रमुख है सिक्युरिटी और Decentralized Web. Decentralized Web आज के समय में बहुत बड़ा रोल निभाने वाला है, क्योंकि इसकी मदद से ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी काम करेगी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Decentralized Web क्या है?

इंटरनेट पर हम जो भी वेबपेज पढ़ते है या डाटा देखते है, वह कहीं पर किसी न किसी सर्वर में मौजूद रहता है। जब कोई यूजर उस डेटा को एक्सेस करने की रीक्वेस्ट करता है, तो वह डेटा उस सर्वर से होकर इंटरनेट सर्विस प्रवाइडर के माध्यम से आपके फोन में पहुंचता है।
अब यदि हम किसी तरीके से इस सर्वर और आपके स्मार्टफोन की बीच कोई रुकावट डाल दें तो डेटा आपके फोन में नहीं आ सकता है। क्योंकि यहाँ पर एक ही सर्वर मौजूद है तो इसमें कोई भी गड़बड़ी आने पर डेटा को एक्सेस करना असंभव हो जाता है।
Decentralized Web में डाटा किसी एक सर्वर पर न होकर हजारों सर्वर पर मौजूद होता है, यदि कोई यूजर किसी डेटा की रिक्वेस्ट, किसी डेटा के लिए करता है, तो उसे उसके सबसे पास मौजूद सर्वर से डेटा डेलीवर होता है। डेटा के एक से अधिक जगहों पर मौजूद होने की स्थिति में इसे हैकरों के द्वरा हैक करके डिलीट करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि बाकि के सर्वर पर उसकी कॉपी मौजूद रहेगी।
अब ऐसा नहीं है कि कोई डेटा एक से अधिक जगहों पर मौजूद है तो उसे कोई भी एक्सेस कर सकता है, यह डेटा पूरी तरीके से एन्क्रिप्टेड होता है, जो यदि किसी के हाथ लग भी जाए तो किसी काम का नहीं है, जब तक कि उसे वापस से डिकोड न किया जाय।
और एन्क्रिप्शन की यह कई सारी लेयर लगी होती है जिससे कि डाटा का वास्तविक रूप पता कर पाना लगभग असंभव हो जाता है।

Web 3.0 के क्या फायदे है?

जैसा कि इसके कुछ फ़ायदों के बारे में हमने ऊपर भी बात की है, लेकिन अगर अन्य फ़ायदों की बात करें तो नीचे ये कुछ फायदे है जो इसको खास बनाते है –
  • इसकी मदद से इंटरनेट को अलग-अलग तरीकों से प्रयोग किया जा सकता है।
  • वेब 3.0 इंटरनेट सिक्युरिटी बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगा।
  • AI यानि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के लिए भी यह काफी फायदेमंद है, जिसकी मदद से यूजर टेक्नॉलजी के एक नए तरीके से इन्टरेक्ट कर सकेगा।
  • इस टेक्नॉलजी में डेटा एक से ज्यादा सर्वर पर मौजूद होगा जिससे डेटा के खोने या मिटने की चिंता नहीं होगी इतना ही नहीं इस डेटा के सिक्युरिटी के लिए एन्क्रिप्शन के कई लेयर्स का प्रयोग किया जाता है, जो कि प्राईवेसी के लिए बहुत बेहतरीन फीचर है।
  • वेब 3.0 की मदद से कोई भी कंटेन्ट इंटरनेट पर डालते है तो इसके बदले एक युनीक टोकन मिलेगा, जो आपको उस कंटेन्ट का मालिकाना हक और उस तक पहुँचने का एक पाथ भी होगा।
  • इस टेक्नॉलजी में आपके कंटेन्ट पर पूरा अधिकार आपके पास ही होगा, Google, Facebook, Twitter जैसी कंपनी अपनी मर्जी से आपका कंटेन्ट नहीं हटा पाएगी।
  • यहाँ पर आपने जो कुछ भी अपलोड कर दिया या बना दिया और इंटरनेट पर उपलब्ध हो गया, तो उसको कोई भी मिटा नहीं पाएगा और वह हमेशा के लिए अमर हो जाएगा।

Web 1.0, Web 2.0 और Web 3.0 में क्या अंतर है?

WEB 1.0 WEB 2.0 WEB 3.0
Read Only Static Read And Write Interactive Read And Write Interactive
Read And Write Interactive In-Game Purchases Read-Write-Trust
Images Based Searches Referrals UI And Service Layers
Web Portals ANd Directories Subscription Content Tokenization
Walled Gardens App Store Stabilizing Tokens Inflow
Software Licenses Saas, Social Media Governance of Tokens
Proprietary Hardware Pay Per Click / Impressions Blockchain Based

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Web 3.0 का प्रयोग कैसे करें?

  • वेब 3.0 आ चुका है इसका प्रयोग आप कुछ जगहों पर देखा सकते है, जैसे – NFT को खरीदने और बनाने के लिए इसके पीछे ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी का प्रयोग किया जाता है।
  • आज के समय में कुछ टॉप लेवल डोमेन जैसे – .nft, .crypto जैसे एक्सटेंशन को अप केवल एक बार फीस देखर उसे हमेशा के लिए अपने नाम पर रजिस्टर कर सकते है।
  • अभी तक किसी डोमेन को रजिस्टर करने के बाद हर साल उसकी फीस चुकानी पड़ती थी, इसके पीछे का कारण यह है कि इस फीस के बदले बड़ी-बड़ी कंपनियां हमारे द्वारा किये गए रजिशट्रेशन को मान्यता देती थी।
  • अब क्योंकि ब्लॉकचेन और डिसेंट्रलाइज़्ड सिस्टम की मदद से ये डेटा कही नहीं जाने वाला और इसे आसानी से वेरफाइ किया जा सकता है।
  • यही कारण है कि आज के समय में हमें ऐसी टेक्नॉलजी देखने को मिल रही है, यह हमारी जरूरत है कि समय के साथ खुद को बदलें और इस बदलाव में टेक्नॉलजी हमारा भरपूर साथ दे रही है। जो कि आने वाले समय में इंसानों के लिए एक सुखद अनुभव लेकर आएगा ऐसी हम उम्मीद करते है।

 

 

 

 

 

 

निष्कर्ष

तो दोस्तों, अब आप Web 3.0 क्या है? इसके क्या फायदे है? जान गए होंगे। उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारी ये आर्टिकल जरूर पसंद आई होगी। और हमारे द्वारा बताई गयी सभी बाते आपको समझ में भी आ गयी होंगी। अगर आपके मन में अभी भी किसी तरह का कोई सवाल है, तो आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते है। कृपया अपना बहुमूल्य सुझाव (Feedback) देकर हमें ये बताने का कष्ट करें कि Tech Hindi Gyan को और भी ज्यादा बेहतर कैसे बनाया जा सकता है। आपका सुझाव इस वेबसाइट को और भी अधिक उद्देश्यपूर्ण और सफल बनाने में सहायक होंगे। आर्टिकल पसंद आया हो तो कृपया इस आर्टिकल को अपने सभी दोस्तों के साथ सोशल मीडिया में शेयर करें, और उनकी सहायता करें। इसके अलावा THG को Follow करके सभी नए पोस्ट की जानकारी लगातार प्राप्त कर सकते है।  

 

 

 

 

 

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