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Jasmine Flower की जानकारी in Hindi

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Jasmine Flower In Hindi – इस लेख में चमेली के फूल के बारें में जानेगे। चमेली के फूल को भारत के अलावा कई अन्य देशो में भी अति लोकप्रिय माना जाता है, इस फूल को भारत में रात की रानी का फूल भी कहा जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है, इसकी सुगंध और चमेली के फायदे। इस फूल के अंदर से एक मनमोह लेने वाली खुशबु निकलती है। जो की हमारे आस पास के पुरे वातावरण को पूरी तरह से महकाकर आनंदमय बना देती है। इस फूल का रंग और आकर दोनों ही शानदार होते है। आज हम इससे जुड़ी सभी जानकारी आपको बताने वाले है। मुझे पूरी उम्मीद है, की अगर आप इस लेख को पूरा पढ़ते हैं, तो जैस्मिन के फूल की जानकरी ले लिए आपको कोई और लेख पड़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, तो चलिए जानते है, चमेली के फूल की जानकारी

 

 

 

 

 

 

 

 

 

चमेली का फूल की जानकरी

चमेली का फूल Jasminum Officinale प्रजाति का एक झाड़ीदार पौधा है, इसके अलावा इस फूल को ओलिएसिई (Oleaceae) प्रजाति का माना जाता है। इस फूल का का नाम Parsi Words जिसका अर्थ होता है “यासमीन” से चमेली पड़ा। चमेली के फूल का अंग्रेजी नाम Jasmine Flower है। जिसका मतलब “प्रभु की देन” है। यह फूल हिमालय का दक्षिणावर्ती प्रदेश का मूल निवासी है। इस फूल को सबसे पहले पश्चिमी चीन में हिमालय पर उगाया गया था। भारत के सभी हिस्सों में इसे उगाया जाता है। इसके अलावा कई यूरोपी देशो में भी इस फूल की खेती की जाती है।

चमेली का फूल दिन में बहुत कम सुगंध देता है। लेकिन जैसे जैसे रात होने लगती है। इसकी सुगंध फैलने लगती है। यह अपनी सुगंध के कारण लोगो के बिच बहुत लोकप्रिय है। जब चमेली के पौधे पर कलियाँ खिलना शुरू होती है। तो इसकी सुगंध बहुत ज्यादा होती है। जैसे जैसे कलियाँ फूल में बदलना शुरू हो जाती है, वैसे ही इसकी सुगंध भी कम होने लगती है। पुरे संसार में इस फूल की लगभग 200 से ज्यादा प्रजातियां पायी जाती है।

इन्ही कुछ उन्नतशील प्रजातियों के फूलो से चमेली का तेल निकला जाता है। जिनमे मुख्य प्रजातियां जैस्मीनम ओफिसिनेल,ल जैस्मीनम ग्रैंडफ्लोरम शामिल है। वर्तमान समय में भारत के अंदर इस फूल की लगभग 40 जातियाँ और 100 किस्में नैसर्गिक रूप में पायी जाती है। भारत में इसकी खेती सूखे और नमी वाले स्थानों में बहुत ही आसानी से की जा सकती है। चमेली के पौधे को लगाने का सही समय जून से नवंबर के महोने का होता है। अगर इस पौधे को कटिंग द्वारा लगाया जाता है, तो इस पर लगभग 2 से 3 साल के अंतराल में फूल आना शुरू हो जाते है।

चमेली का फूल कई रंगो में पाया जाता है। भारत में सामान्यतौर पर यह फूल सफ़ेद और गुलाबी रंग के सबसे ज्यादा पाए जाते है। लेकिन अन्य देशो में प्रजाति के अनुसार यह पीले रंग के भी होते है। चमेली की बेल की ऊंचाई लगभग 10 से 15 तक होती है। प्रत्येक वर्ष अगर बेल की अच्छी तरह देखभाल की जाएँ, तो यह 1 से 2 फुट तक बढ़ जाती है।

चमेली का पौधा वैसे तो सदाबाहर पोधो की सूचि में आता है, लेकिन पतझड़ के मौसम में इसके कुछ पत्ते गिरने लगते है। इसकी पत्तियों का रंग हरा होता है, जिनकी ऊपरी सतह चिकनी और निचे की साथ थोड़ी खुदरी होती है। पत्तियों की लम्बाई लगभग एक से दो इंच होती है। पत्तियों की तरह इसकी शाखाएं भी हरी और चिकनी होती है।

चमेली का फूल मोगरा और जूही के फूल की प्रजाति का होता है। चमेली के फूल का आकर लगभग एक इंच होता है। यह ज्यादातर सफ़ेद रंग में पाए जाते है। इस फूल के चारो और पांच पालिया होती है। पालियों के बिच में फूल का केंद्र होता है। जिसमे एक छेद होता है। इस छेद में से कुछ पुंकेसर भी बहार आते हैं। जिनसे मधुमक्खियां परागण करती है।

 

 

 

 

 

 

 

Jasmine Flower Information in Hindi

चमेली के फूल का उपयोग

चमेली के फूलो का उपयोग पूजा पाठ करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इस फूल का उपयोग महिलाओ का गजरा बनाने के लिए भी किया जाता है। चमेली के फूल की कुछ प्रजातियों का उपयोग इसके तेल निकलने के लिए भी किया जाता है। इस फूल का इस्तेमाल आयुर्वेदिक ओषिधि बनाने के लिए भी किया जाता है, और यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है।

चमेली का फूल खाने के फायदे

चमेली का फूल खाने के फायदे तो अनेक होते है, लेकिन इससे खाने से पहले कुछ बातो का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है। इसके फूलो में तीव्र गंध होती है। इसकी गंध के लिए इन फूलो का इस्तेमाल चाय के लिए भी किया जाता है। इससे सुगन्धित चाय बनायीं जाती है। कई फूल ऐसे होते हैं, जो की बिलकुल चमेली के फूल की तरह दिखते है। अगर आप गलती से इस तरह के फूल का सेवन करते है, तो यह आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए कभी भी चमेली के फूल को किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के बिना सेवन नहीं करना चाहिए। खाने से पहले फूल की किसी आयुर्वेदिक वैद्य से जाँच करा लेनी चाहिए।

चमेली के फूल पत्ते और तेल के फायदे

चमेली के फूलो से बनी चाय पिने से डिप्रेसन में आराम मिलता है। इससे मस्तिष्क में ताजगी आती है, और हमारा नर्वस सिस्टम अच्छी तरह से सक्रिय हो जाता है। जिसकी वजह से हमें अच्छा आराम और नीद मिलती है।

चमेली के फूल में कई पोषक तत्व और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते है। जिसकी वजह से इसके फूलो से बना तेल अगर स्‍कैल्‍प पर लगाकर कुछ देर मालिश की जाए, तो यह स्‍कैल्‍प में होने वाले डेंड्रफ और कई समस्यांओ को दूर करता है। इसके तेल को नारियल के तेल के साथ मिलकर सर में लगाना चाहिए। तेल लगाने के आधे घंटे बाद सिर को धो लेना चाहिए। इससे बालो की कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

बालों के लिए चमेली के तेल के फायदे? चमेली का तेल हमारे बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह बालों को कंडीशनर करने के काम भी आता है। इसके लिए आपको चमली के कुछ ताजे फूलो को लेकर गर्म पानी में डालना है। इसके बाद जब पानी थोड़ा ठंडा हो जाएँ, तब आप इस पानी से अपने बालों को धो सकते है। यह बहुत ही फायदेमंद विधि है। इससे बालों को नमी मिलती है।

चमेली आपके शरीर की दुर्गन्ध को दूर करने के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। इसके लिए आप या तो चमेली से बना बाजार से स्प्रे ला सकते है। जो की बहुत ही सुगन्धित होता है। या फिर आप ऐसा सुगन्धित स्प्रे खुद से भी बना सकते है। इसके लिए आपको एक स्प्रे बोतल में पानी लेकर उसमे चमेली के तेल की कुछ बुँदे डालने। बोतल को अच्छी तरह से हिलाकर इसको मिला लें। इसके बाद आप इस स्प्रे का उपयोग कर सकते हैं। यह दुर्गन्ध दूर करने में बहुत ही मददगार होता है।

ऐसा माना जाता है, की चमेली का फूल चिंता के लक्षणों को भी कम करने में फायदेमंद होता है। ज्यादातर लोग चमेली का पौधा अपने घर में लगाना पसंद करते है। जब इसके ऊपर फूल खिलते है, तो इसकी मनमोहक सुगंध चिंता और तनाव को दूर करती है।

इसके फूल से बने उत्पाद आपकी त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होते है। इसके अंदर मौजूद कई ऐसे गुण पाए जाते है, जो की त्वचा को नमी प्रदान करने में बहुत सहायक होते है। आप बाजार से इससे बने लोशन या फिर क्रीम आदि का उपयोग कर सकते है। क्योकिं चमेली का तेल त्वचा पर सीधे लगाना नुकसानदायक हो सकता है।

हमारे शरीर के कई हिस्सों पर कील मुहासे या फिर चोट के निशान बन जाते है। इन निशानों को दूर करने के लिए आप चमेली से बने प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर सकते है। यह वजन बढ़ने के कारण आये स्ट्रेच मार्क्स को दूर करने में भी फायदेमंद होता है।

चमेली का पौधा कैसे लगाएं

चमेली के पौधे को कलम से तैयार करना सबसे अच्छा तरीका है। चमेली की कलम कैसे लगाएं? कलम लगाने के लिए सबसे पहले हमें कुछ बातो का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है। जब भी आप किसी भी पौधे की कटिंग लगायें हमेशा 5 से 10 कटिंग लगाएं। इससे यह फायदे होता है। अगर हमारी कुछ कलम ख़राब भी हो जाती है। तो उसमे से दो या तीन कलम से पौधे तैयार हो जाते है। जानते है चमेली को कलम के द्वारा कैसे तैयार किया जाता है।

Step 1. चमेली को कलम से तैयार करने के लिए सबसे पहले आपको नरम शाखा से 5 से 10 कलम काट लेनी है, जिनका आकर लगभग 5 से 7 इंच और मोटाई पेन्सिल की बराबर होनी चाहिए। कटिंग काटते समय यह ध्यान दे की उसको हमेशा शार्प और क्लीन कट करें।

Step 2.  इसके बाद आपको सभी कटिंग के पत्तो को किसी कैंची या ब्लड की मदद से कलम से अलग कर देना है। पत्तियों को काटते समय यह ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है, की कटिंग से नोड एरिया पूरी तरह से गायब नहीं होना चाहिए।

Step 3. सभी कलम को तैयार करने के बाद इन्हे रूटिंग हार्मोन पाउडर के घोल में पांच मिनट के लिए डुबोकर रख दें। अगर आपके पास रूटिंग हार्मोन पाउडर नहीं है, तो आप पानी में भी रख सकते है।

Step 4.  इसके बाद आपको कलम लगाने के लिए मिटटी तैयार करनी है। मिटटी में आप ३०% सामान्य बगीचे की मिटटी, और ५०% रेत, और २०% गोबर की पुराणी खाद या वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल कर सकते है। मिटटी को अच्छी तरह से मिलाने के बाद, आपको एक गमला लेना।

Step 5. गमला लेने से पहले यह जरूर ध्यान देना चाहिए। की उसके निचे छेद होने बहुत जरुरी है। इसके बाद गमले में मिटटी को भर लें। मिटटी भरने के बाद इसमें सभी कटिंग को एक एक करके लगभग तीन से चार इंच की गहराई में लगा दें।

Step 6. कटिंग को लगाने के बाद आप गमले में स्प्रे द्वारा पानी डालें तो सबसे अच्छा होगा। वरना आप अपने गमले को किसी परात में रखकर उसमे पानी भर दें। इससे गमला खुद निचे से पानी सिच लेगा। यह भी एक बहुत ही कारगर विधि है।

Step 7.  अगर आपने यह कटिंग गर्मियों के दिनों में लगाएं है, तो अपने गमले को किसी ऐसी जगह पर रखें जहाँ पर सूरज की सीधी धुप ना आती हों। क्योकिं गर्मियों की सीधी धुप कटिंग के लिए अच्छी नहीं रहती है। इससे यह सुख सकती है। जब सभी कटिंग पर कोपल आना शुरू हो जाएँ, तो आप इसे बहार रख सकते है।

Step 8. जब पौधे थोड़े बड़े होने लगे, तो इन्हे किसी बड़े गमले में एक अच्छी मिटटी तैयार करके लगा देना चाहिए।

चमेली के पौधे की देखभाल कैसे करें

1. पौधा लगाने से पहले एक अच्छी मिटटी को तैयार करना बहुत आवश्यक होता है। इसके लिए आपको सामान्य मिटटी, बालू, और वर्मीकम्पोस्ट का एक अच्छा मिश्रण बनाकर उसमे लगाना चाहिए।

2. चमेली और मोगरा का पौधा दोनों एक जैसे ही होते है। अगर आपके घर में मोगरा का फूल का पौधा है, तो इन्ही बातों का ध्यान आप अपने मोगरा के पौधे के लिए भी रखने। इस पौधे को सर्दियों में ज्यादा पानी की आवश्यकता की जरुरत नहीं होती है। सर्दियों के दौरान गमले में हमेशा हलकी नमी बनाकर रखनी चाहिए।

3. चमेली के पौधे को धुप की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है। गर्मियों में आप इसे सूरज की धुप में जरूर रखने। इससे पौधा स्वस्थ रहता है। गर्मियों के दौरान इसके अंदर पानी की कमी ना होने दें। आप चाहे, तो गर्मियों में अपने पौधे प्रत्येक दिन भी पानी दे सकते है।

4. चमेली के फूलो के खिलने का मौसम फरवरी से अक्टूबर का रहता है। सर्दियों में यह फूल खिलना बंद हो जाते है। अगर आपके पौधे पर सिर्फ पत्तियां आती है, और फूल कम आते है। तो इसकी वजह हो सकती है, की आपने अपना पौधा किसी छाया वाली जगह में रखा हुआ है। पौधे को धुप में रखे उस पर कुछ दिन में फूल आना शुरू हो जाते है।

5. सर्दियों के अंत में यानी की फरवरी के महीने में इस पर फूल आना शुरू हो जाते है, तो आपको हमेशा दिसंबर से जनवरी के बिच में पौधे की प्रूनिंग यानी की जो लम्बी शाखाएं होती है। उन्हें काट देना चाहिए। पौधे को खाद देनी चाहिए।

6. अगर आप चमेली की बेल नहीं बनाना चाहते है, तो आप इसकी समय समय पर कटिंग करते रहियें। महीने में एक बार पौधे के आकर के अनुसार इसकी गुड़ाई करके इसमें गोबर खाद डालना चाहिए।

7. अगर आपके चमेली के पौधे पर किट पतंगे लग गए है, तो इसके लिए आप नीम के तेल को पानी में अच्छी तरह से मिलकर उसका स्प्रे कर सकते है। इससे पौधा स्वस्थ रहता है। महीने में एक बार आप दो चम्मच यूरिया खाद दो से तीन लीटर पानी में घोलकर वह भी पौधे की जड़ के चारो और डाल सकते है।

8. आप जब भी पौधे को खाद दें, चाहे वह वर्मीकम्पोस्ट हो या फिर कोई लिक्विड, हमेशा पौधे की जड़ से कुछ दुरी पर उसके चारो और डालना चाहिए।

 

 

 

 

 

 

 

 

Jasmine Flower FAQ

चमेली का फूल किस देश का राष्ट्रीय फूल है?

चमेली का फूल सुन्दर और खूबसूरत होता है। इसकी खूबसूरती और महक के कारण इस फूल को पाकिस्तान के राष्ट्रीय फूल का दर्जा प्राप्त है।

जैस्मिन फूल के क्या प्रयोग हैं?

चमेली एक प्रकार का पौधा है, जो की आयुर्वेदिक औषिधियाँ बनाने के काम में भी आता है। इससे बनी औषिधिया पेट सम्बन्धी रोगो और सिर दर्द के लिए उपोग की जाती है। इसके अलावा चमेली के फूलो का उपयोग इत्र बनाने के लिए भी किया जाता है।

चमेली के फूल कितने महीनो तक खिलते हैं?

चमेली के फूल मार्च के अंत से लेकर अक्टूबर की शुरआत तक खिलते है। इसके बाद इन पोधो के ऊपर फूल आना बंद हो जाते है। (हालाँकि यह पौधे की प्रजाति के ऊपर भी निर्भर करता है) एक सामान्य सफ़ेद चमेली का पौधा लगभग 20 से 30 फीट तक बढ़ जाता है, और इसका फैलाव 7 से 15 फुट तक होता है।

क्या चमेली और मोगरा एक ही है?

मोगरा के फूल को ज्यादातर लोग चमेली के फूल के रूप में ही जानते है, लेकिन यह प्रजाति के अनुसार अलग अलग है। चमेली का वानस्पतिक नाम (Jasminum) और मोगरा का वानस्पतिक नाम (Jasminum Sambac) होता है। लेकिन इनका पौधा लगभग एक जैसा ही होता है। दोनों फूल अपनी सुगंध के लिए लोकप्रिय है।

चमेली को कटिंग से कैसे उगाते हैं?

चमेली की कटाई को लगभग 6 इंच लंबा और पेन्सिल की मोटाई की बराबर एक पत्ते को छोड़कर काटे। काटने के बाद कलम के निचले हिस्से को पेना करें, और रूटिंग हार्मोन पाउडर में डुबोकर, कटिंग को एक प्लास्टिक बेग या गमले में नम रेत में लगाकर कुछ दिन के लिए छाया में रख दें।

Jaba Flower की जानकारी in Hindi

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jaba flower in hindi, गुड़हल का फूल देखने में काफी आकर्षक और सौंदर्य भरा होता है। गुड़हल का फूल केवल देखने में सौंदर्य भरा नहीं होता है बल्कि इस फूल के कई तरह के लाभ हैं। Hibiscus Flower in Hindi आज हम आपको अपने आर्टिकल के माध्यम से गुड़हल का फूल कैसे लगाएं ? गुड़हल के फूल का देखरेख कैसे करें ? इत्यादि से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी देने वाले हैं। ताकि, आपको गुड़हल का फूल लगाने में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।

गुड़हल फूल के इस्तेमाल 

प्राचीन काल से लेकर वर्तमान काल तक गुड़हल फूल का इस्तेमाल आयुर्वेदिक इलाज में किया जाता है। दोस्तों, जो नहीं जानते उन्हें यह जानकर थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन यह सत्य है की गुड़हल के फूल से चाय भी बनाया जाता है।

Hibiscus Flower in Hindi

डॉक्टर्स की माने तो हेल्थ के लिए गुड़हल की चाय काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है। इस फूल की विभिन्न प्रजातियों में विभिन्न रंग  पाए जाते है, इन्हें सुखाकर पीसकर इसका पाउडर निर्माण किया जाता है ताकि इसे मेडिसिन बनाने में उपयोग किया जा सके। तो आइए जानते हैं गुड़हल फूल के बारे में सभी महत्वपूर्ण डिटेल्स।

गुड़हल फूल के लाभ

हमारे शरीर के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या होता है सही मात्रा में आयरन जी हां हमारे शरीर में उचित मात्रा में आयरन का होना जरूरी है। और आयरन उचित मात्रा में गुड़हल के फूल में पाया जाता है।

आयरन की बात करें तो ये किसी व्यक्ति के शरीर में एनीमिया जैसी बीमारी होने से बचाता है।

इसके अलावा यह व्यक्ति के बॉडी में स्टेमिना को भी बढ़ाने में मददगार साबित होता है। एनीमिया जैसी बीमारी आयरन की कमी से ही होती है।

Hibiscus Flower in Hindi

 

 

 

 

 

 

 

 

 

आप चाहे तो 40 से 50 गुड़हल के फूल की छोटी छोटी कलियो को पीसकर कर उस में से उसका रस निकाल सकते हैं।

लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि आपको इस रस को किसी बेहतर डब्बे में बंद करने की आवश्यकता होती है। आप जिस भी डब्बे में इस रस को रखेंगे ध्यान रहे उसमे हवा ना जा सके। क्योंकि यदि डब्बे में हवा गई तो रस पूरी तरह से खराब हो जाएगी और आपकी मेहनत मिट्टी में मिल जाएगी।

यदि आपको भी एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी है तो आप इस रस को हर रोज दूध में मिलाकर पिएंगे तो आप इस बीमारी से जल्द ही छुटकारा पा सकते हैं।

कैसे उगाए गुड़हल के पौधे 

जैसे हम बाकियों के पौधे को उगाते हैं उसी प्रक्रिया को फॉलो कर हम गुड़हल के पौधे को भी उगा सकते हैं।

गुड़हल के पौधे दो तरीकों से उगा सकते हैं। पहला तरीका आप बीजों के माध्यम से इस पौधे को उगा सकते हैं। और दूसरा तरीका आप कटिंग के जरिए भी उगा सकते हैं।

कटिंग से गुड़हल को उगाना ही आसान और एक प्रचलित विधि है । कलम लगाने की कई विधियाँ हैं जो आप सीखकर कोई भी कटिंग लगा सकते हैं ।

इसकी कटिंग तो अगर आप पानी मे भी भिगो कर रख दें तो आसानी से लग जाती है ।

Hibiscus Flower in Hindi

इस पौधे की देखरेख कैसे करें

यदि आप गुड़हल के पौधे को घर के भीतर या बाहर उगाते हैं तो इसकी देखरेख करना काफी सरल होता है। आपको इसकी देखरेख करने के लिए विभिन्न बातों को ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है।

धूप Sunlight

सबसे पहले तो आप जहां भी अपने पौधे को लगाएं वहां धूप आना चाहिए। यदि आप सर्दियों के मौसम में इसे घर के बाहर लगाएंगे जहां धूप आती हो तो आपका गुड़हल का पौधा मानसून के सीजन में भी बिलकुल सेफ रहेगा।

गुड़हल के पौधे को आप हमेशा धूप वाली जगह पर ही रखें, क्योंकि इस पौधे को यदि छाया में रखा जाए तो यह जल्दी बढ़ते नहीं है और फूल उगने नही है।

पानी Watering

गर्मी का सीजन चल रहा है और आपने गुड़हल के फूल को किसी गमले में रखा है तो आपको इस पौधे में प्रतिदिन पानी डालने की आवश्यकता होती है।

और वहीं यदि आपका पौधा काफी पुराना हो चुका है और आपने उसे घर के बाहर भूमि में उगाया है तो फिर आपको हर रोज पानी डालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

Hibiscus Flower in Hindi

खाद Fertlizers

जब भी आपके पौधे में फूल आना शुरू हो जाता है तब आपको उसपर अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है। क्योंकि जब फूल आने लगते हैं तब उसमें अधिक पोषण की जरूरत होती है।

इस समय इसे सल्फर और माइग्निशियम जैसे तत्वों की जरूरत पड़ती है इसलिए इस समय आप इसे एपसम साल्ट और सरसों खली का इस्तेमाल कर सकते हैं ऐसा करने से फूल अच्छे खिलते है।

मिट्टी Potting Soil

जो मिट्टी सबसे अधिक पानी सोखती हो आपको उसी मिट्टी में गुड़हल फूल को लगाने की आवश्यकता है। आप चाहे तो पौधो को लगाते वक्त उसमें नदी की रेत भी मिला सकते हैं। इस तरह बड़ी सरलता से आप गुड़हल फूल के पौधे को लगा सकते हैं।

एक अच्छा pottting मिक्स तैयार करने के लिए आप इसमे गार्डेन सॉइल , नदी की रेत और गोबर की खाद बराबर मात्रा मे मिला सकते हैं ।

गुड़हल फूल से इन बातों पर सावधानी बरतें  

दोस्तों, जैसे हर चीज की यदि लाभ होती हैं तो दूसरी तरफ उसकी हानी भी होती है। ठीक ऐसे ही यदि मैंने आपको गुड़हल फूल के लाभ के बारे में बताया तो इसके हानि के बारे में भी जरूर बताएंगे। जो कि कुछ इस प्रकार है :-

  • यदि आपको गुड़हल फूल के चाय का सेवन करने से अधिक नींद आती हैं, तो आप इस चाय का सेवन ना करें।
  • यदि आप या कोई भी महिला गर्भ धारण की है तो वो भी इस चाय का सेवन नहीं कर सकती। क्योंकि गर्भवती महिलाओं के सेहत के लिए ये चाय हानीकरण हो सकता है।
  • यदि आप कही जाने से पहले इस चाय का सेवन करते हैं, तो ये आपके लिए नुक्सानदायक हो सकता है। कही भी जाने से पहले इसका सेवन ना करें।

 

 

 

 

 

 

 

Hibiscus Flower in Hindi

  • देखा जाए तो महिलाओं को इस चाय से सतर्कता बरतनी चाहिए क्योंकि ये सबसे ज्यादा महिलाओं को ही हानि पहुंचती है।
  • हार्डप्रेसर जैसी समस्या को गुड़हल फूल के चाय का सेवन कर इसे कम कर सकते हैं। यदि आपको कोई बीमारी नही है तो आप इस चाय का सेवन ना करें। क्योंकि इसका सेवन करने से आपका रक्त अधिक कम और चाप हो सकता है। इस वजह से आपको काफी परेशानी भी हो सकता है।

Sage Plant की जानकारी in Hindi

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आज हम एक ऐसे पौधे के बारे में बात करेंगे। जो अपनी पत्तियों के लिए सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। जिसका नाम सेज का पौधा है। इस लेख में हम सेज के पौधे Sage Plant in Hindi और पत्तियों Sage Leaves की जानकारी के बारे में जानेगे। सेज का उपयोग ज्यादातर मसाले के रूप में किया जाता है। अगर किसी भी सब्जी में मसाले को ना डाला जाएँ, तो इससे खाना स्वादिष्ट नहीं बनता है। अगर आपको खाना बनाना पसंद है, तो आपको इस मसाले के बारे में जरूर जानना चाहिए। इसके अलावा हम इस लेख में Sage Leaves Meaning in Hindi यानी की सेज की पत्तियों और पौधे का क्या अर्थ होता है। यह भी जानेगे। तो चलिए जानते है, सेज के बारे में सभी जानकारी हिंदी में –

 

 

 

 

Sage Plant in HIndi

सेज के पौधे की जानकारी Sage Plant in Hindi 

सेज एक बारहमासी पौधा है, जिसके तेज पत्ता के नाम से भी जाना जाता है। सेज का वैज्ञानिक नाम Scientific Name – साल्विया ऑफिसिनैलिस (Salvia Officinalis) है। अंग्रेजी में इसे सेज Sage कहते है। यह एक औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग जड़ी बूटियों में भी किया जाता है। सेज Mint परिवार से सम्बंधित है। इसकी व्यापक रूप से खेती की जाती है। यह सबसे ज्यादा भूमध्यसागरीय क्षेत्र में पाया जाता है, इसके अलावा सेज को और भी कई अन्य देशो में उगाया जाता है।

सेज के पौधे की पत्तियां खाने योग्य होती है। इस पौधे के ऊपर नीले, सफ़ेद और बैंगनी रंग के फूल खिलते है। इसकी खेती पूरी दुनिया के सभी हिस्सों में की जाती है। सेज की खेती करने वाले कुछ प्रमुख देशो में पुर्तगाल, स्पेन, अल्बानिया, तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली, यूगोस्लाविया, कनाडा, ब्रिटेन, और भारत शामिल है।

सेज की पत्तियों की जानकारी Sage Leaves in Hindi 

Sage Leaves in Hindi

सेज के पौधे की पत्तियों का आकर लगभग दो से चार इंच लम्बा और एक से डेढ़ इंच चौड़ा होता है। जिसके बीचो बिच में एक हलकी गहरी रेखा होती है। इन पत्तियों की बनावट तिरछी होती है, तथा इनका रंग हल्का भूरा और बैंगनी होता है। यह बहुत मखमली और मुलायम होती है। इन पत्तियों की निचली सतह पर हलके रोयेदार बाल होते है, जिसके कारण यह भूरे रंग की नजर आती है।

सेज के फूलों का रंग प्रजाति के अनुसार अलग अलग होता है। लेकिन सामान्यतौर पर सेज के फूल नीले, सफ़ेद, और बैंगनी होते है। जो बहुत ही आकर्षक होते है। यह फूल गर्मियों के मध्य से लेकर सर्दियों तक खिलते है। इन फूलों का उपयोग कई जड़ी बूटियों में भी किया जाता है। इनके अंदर समृद्ध मात्रा में पोषक तत्व, और मिनिरल्स पाए जाते है।

सेज पौधे का इतिहास History of Sage Plant in Hindi

सेज का उपयोग प्रचीनल काल से ही औषिधीय और खाना बनाने के लिए किया जा रहा है। सेज के पौधे का बहुत पुराना इतिहास है। एक समय था, जब फ्रांसीसी लोग सेज की व्यावसायिक रूप से खेती किया करते थे। उस समय सबसे ज्यादा चाय के रूप में इसका सेवन किया जाता है। 812 ईस्वी के दौरान सेज के पौधे को सभी लोग जानने लगे थे। यह इतना ज्यादा महत्वपूर्ण हो चूका था, की शारलेमेन ने जर्मन इंपीरियल खेतों पर इसकी खेती कराई।

प्राचीन रोम में सेज एक मात्र ऐसा पौधा हुआ करता था। जिसमे इतने अधिक चिकित्सा गुण पाए जाते थे। चीन के लोगो ने सेज का उपयोग कई रोगो में किया है। 10 वीं शताब्दी के दौरान रोम के लोगो का ऐसा मानना था, की उनकी बढ़ती उम्र का रहस्य सेज या ऋषि का पौधा है। इसके इन सारे गुणों को देखते हुए सन 2001 में सेज के पौधे को “हर्ब ऑफ द ईयर” के खिताब से सम्मानित किया गया था।

Sage Plant, Leaves Called in Hindi

सेज के पौधे को हिंदी में ऋषि या तेजपत्ता का पौधा कहते है। और इसकी पत्तियों को तेज पत्ते के नाम से भी जाना जाता है। ये एक प्रकार की ख़ास पत्तियां होती है। जिन्हे मसाले और अन्य खाद्य पदार्थो में उपयोग किया जाता है।

सेज के प्रकार Types of Sage Plant in Hindi

Types of Sage Plant in Hindi

सेज के पोधो की एक बड़ी श्रृंखला है। यह पौधे कई प्रकार के होते है। प्रत्येक पौधे का रंग और आकार प्रजाति के अनुसार अलग होता है। इनमे से कुछ पौधे बारहमासी और कुछ वार्षिक होते है। लेकिन सामान्यतौर पर ज्यादातर पौधे बारहमासी होते है। इनमे से कुछ मुख्य प्रजाति वाले पौधे बहुत लोकप्रिय होते है, जिनमे गोल्डन सेज, बैंगनी सेज, और नील फूलों वाली Russian Sage मुख्य है। आइये जानते है, सेज के पौधे के कुछ प्रकार के बारे में –

  • ऑटम सेज – इस प्रजाति में सेज की शाखाएं लाल रंग की होती है, साथ ही इसके फूलों का रंग भी लाल होता है। इसकी खेती सबसे ज्यादा दक्षिणी कैलिफोर्निया में होती है।
  • दक्षिणी अफ्रीकन सेज – जैसा की इसके नाम से ही आप जान सकते है, यह दक्षिण अफ्रीका में पायी जाने वाली एक सेज की प्रजाति है। इसके फूलों का रंग हल्का सफ़ेद होता है।
  • कैनरी आइलैंड सेज – इस सेज का अपना एक इतिहास है। यह सबसे पहले अफ्रीका के उत्तरी पश्चिमी तट देखी गयी थी। सेज के इस पौधे पर बैगनी रंग के फूल खिलते है।
  • गार्डन सेज – इस एक प्रकार की सामान्य सेज है। जिसका उपयोग जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है। इसके पत्ते बहुत ही कोमल और मुलायम होते है। इस प्रजाति के पोधो की पत्तियों का रंग हल्का भूरा होता है, जिन पर बैंगनी रंग के फूल खिलते है।
  • मैक्सिकन बुश सेज – इसका वानस्पतिक नाम Salvia Leucantha है। इस प्रजाति के पौधे मध्यम से बड़े झाड़ीदार आकार के होते है। इस पौधे की पत्तियों का रंग गहरा भूरा होता है। मैक्सिकन बुश सेज पर मध्य गर्मियों से लेकर सर्दियों तक फूल खिलते है। इन फूलों का रंग बैंगनी होता है। इस प्रजाति की दक्षिणी कैलिफोर्निया में व्यापक रूप से खेती की जाती है।
  • वुडलैंड सेज – इसका वैज्ञानिक नाम साल्विया नेमोरोसा है। वुडलैंड सेज एक बारहमासी बढ़ने वाला पौधा है। इसकी ऊंचाई एक फिट से ज्यादा नहीं होती है। इसके पत्तो का रंग भूरे हरे रंग का होता है। जब इसके ताजा पत्तो को तोड़ा जाता है, तो इनके अंदर से आकर्षक सुगंध आती है। इसके स्पाइक्स नील और बैंगनी रंग के छोटे फूलों से ढके हुए होते है। इस पौधे पर गर्मियों की शुरुआत में फूल खिलते है। इस पौधे को धुप की ज्यादा आवश्यकता होती है।
  • साल्विया ब्रांडेगी – इस प्रजाति के पौधे सांता रोसा आइलैंड और कैलिफोर्निया में सबसे ज्यादा पाए जाते है। इन पोधो पर आसमानी रंग के फूल खिलते है।

Sage Plant, Leaves Meaning in Hindi

सेज एक प्रकार का पौधा है। जिसकी पत्तियों को मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। इसकी हरी और ताज़ी पत्तियों सुगन्धित होती है। इसके अलावा सेज के पौधे को जड़ी बूटियों (Herb) में भी उपयोग किया जाता है। इस पौधे का रंग हल्का भूरा और हरा होता है। सेज की व्यापक रूप से बारहमासी खेती की जाती है।

सेज के फायदे Benefits of Sage in Hindi

Benefits of Sage in Hindi

सेज एक औषधीय पौधा है, जिसके अंदर कई ऐसे गुण पाए जाते है। जो की हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते है। आइये जानते है, सेज के कुछ फायदे के बारे मैं।

त्वचा के लिए फायदेमंद सेज – सेज के एंटीऑक्सीडेंट, और एंटी बैक्टीरियल गुणों से समृद्ध होता है। जो त्वचा को स्वस्थ रखने में बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा सेज के तेल से बने कई प्रोडक्ट का उपयोग भी त्वचा के लिए किया जाता है।

सेज कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करने में बहुत फायदेमंद होता है। यह शरीर से ख़राब कोलेस्ट्रोल को कम करके अच्छा कोलेस्ट्रोल स्तर बढ़ता है। इसके लिए आप सेज से बनी चाय का सेवन कर सकते है। इसके अलावा सेज हृदय सम्बन्धी बिमारियों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

सेज हमारे मस्तिष को मजबूत बनाने में भी बहुत सहायक होता है। इसके अंदर पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी बैक्टीरियल, और एंटीऑक्सीडेंट मस्तिष सम्बंधी बीमारियाँ को दूर करने में बहुत सहायक होते है। यह तनाव को दूर करता है, और मन को शांत करता है। जिसकी वजह से हमारा मस्तिष सक्रीय रहता है। इसके लिए आप सेज के अर्क से बनी कुछ हर्बल दवाइयों का उपयोग कर सकते है। सेज से बनी किसी भी दवाई को लेने से पहले किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर ले।

सेज की पत्तियों में बैक्टीरिसाइड गुण पाए जाते है। इसके उपयोग से मुँह और दातों को स्वस्थ रखा जा सकता है। यह हमारे मुँह के अंदर के बैक्टीरिया को नष्ट करते है। इसके अलावा सेज की चाय के सेवन से गले की समस्यां भी ठीक होती है।

सेज के अंदर समृद्ध मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जो की शरीर की फालतू चर्बी को कम करने के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। कुछ शोध के मुताबिक ऐसा माना जाता है, की फाइबर हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है, और यह खाना पचने की प्रक्रियां को धीरे कर देता है। जिसकी वजह से भूख कम लगती है। जिसकी वजह से वजन कम करना बहुत आसान हो जाता है। अगर आप अपना वजन कम करना चाहते है, तो सेज के पत्तो का सेवन जरूर करें।

सेज के उपयोग How to Use of Sage Leaves in Hindi

  • सेज की पत्तियों का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
  • सेज की पत्तियों को सब्जी में डाला जाता है, जिससे खाना स्वादिष्ट हो जाता है।
  • इसकी पत्तियों की चाय भी बनाकर पी सकते है, जो की स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है।
  • सेज की पतियों का उपयोग सूप बनाने के लिए भी किया जाता है।
  • सेज के पत्तो को सैंडविच के बिच में अन्य सामग्रियों के साथ रखकर भी खाया जा सकता है।
  • सेज की पत्तियों का उपयोग कई सौन्दर्य उत्पादों में भी किया जाता है।

सेज में पाए जाने वाले पोषक तत्व

सेज पोषक तत्वों से भरपूर औषधीय पौधा है। Sage Herb in Hindi सेज में पाए जाने वाले पोषक तत्व कुछ इस प्रकार है –

  • पानी
  • ऊर्जा
  • प्रोटीन
  • कार्बोहाइड्रेट
  • फाइबर, टोटल डाइटरी
  • टोटल लिपिड (फैट)
  • कैल्शियम
  • आयरन
  • मैग्नीशियम
  • फास्फोरस
  • पोटैशियम
  • सोडियम
  • जिंक
  • विटामिन बी
  • विटामिन ए
  • विटामिन के
  • विटामिन सी
  • राइबोफ्लेविन
  • विटामिन ई

सेज के नुकसान Side Effects of Sage Leaf in Hindi

  • सेज के उपयोग और सेवन के कुछ नुक्सान भी हो सकते है। अगर इसका ज्यादा सेवन किया जाता है, तो इससे चाकर आना, ज्यादा गर्मी लगना जैसी समस्यां हो सकती है।
  • अगर आपको किसी भी तरह की कोई बीमारी है, तो सेज का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिये।
  • डॉक्टर की सलाह के बिना कभी भी सेज से बने प्रोडक्ट का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे आपको नुक्सान हो सकते है।
  • आप सेज के फायदे पढ़कर इसके सेवन का उपयोग करने के बारे में सोच रहे होंगे। लेकिन आपसे निवेदन है, की बिना डॉक्टर की सलाह के सेज से बनी किसी भी चीज का सेवन ना करें।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

सेज की खेती की जानकारी

सेज की खेती करने के लिए ज्यादा देखभाल करने की जरुरत नहीं होती है। लेकिन शुरुरात में इसकी अच्छी तरह से देखभाल करनी होती है। जिस खेत में सेज की खेती करनी हो। वहां की मिटटी का उपजाऊ होना बहुत ही आवश्यक है। आइये जानते है, सेज की खेती के बारे में कुछ सामान्य जानकारी।

भूमि का चुनाव – सेज या किसी भी तरह की खेती करने से पहले भूमि का चुनाव करना बहुत जरुरी होता है। वैसे तो सेज की खेती किसी भी तरह की भूमि में की जा सकती है। लेकिन भूमि की मिट्टी उपजाऊ होना बहुत जरुरी है। अगर आपके खेत की मिटटी उपजाऊ नहीं है, तो आप इसके लिए किसी कृषि सलाहकार से मदद ले सकते है। इसके अलावा आप अपने खेत में गोबर की खाद डालकर उसके कई बार जुताई करके उपजाऊ बना सकते है। इस तरह की मिटटी में सेज की खेती बहुत आसानी से की जा सकती है।

जलवायु कैसी होनी चाहिए – सेज का पौधा किसी भी प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है। इसके लिए कोई एक जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है। इस पौधे को माध्यम तापमान पसंद होता है।

पौधा लगाने का समय – सेज के पौधों की पौध बनाने के लिए बीजारोपण का समय जुलाई से अगस्त के महीनो का होता है। जब बीजो से पौधे अंकुरित हो जाते है, तो इसके बाद इन पोधो को लगाने का सबसे अच्छा समय अगस्त से अक्टूबर का माना जाता है। इस दौरान यह पौधे बहुत अच्छी बढ़वार करते है।

पौधा लगाने का तरीका – सेज का पौधा लगाने के लिए आपको खेत में लगभग पांच से आठ इंच गहरा गड्डा करना चाहिए। इसके बाद पौधे को गड्डे में लगा दें। और ऊपर से मिटटी पौधे की जड़ में मिटटी डाल दें। इसी तरह से आप प्रत्येक पौधे के बिच में आधा मीटर की दुरी रखकर पौधा लगा सकते है।

सिचाई कैसे करें – सेज की खेती को हल्का हल्का पानी देते रहना चाहिए। पौधे लगाने के बाद पुरे खेत में पानी भर देना चाहिए। इसके बाद जब भी खेत की मिटटी सूखने लगे, तो इसे पानी से भर देना चाहिए। खेत में हलकी नमी हमेशा बनाये रखनी चाहिए। इसे पोधो की बढ़वार अच्छी होती है।

Sage Plant FAQ

सेज के पत्ते किस के लिए लाभदायक है?

सेज स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक जड़ी बूटियों में से एक है। इसके अंदर उच्च एंटीऑक्सिडेंट गन पाए जाते है। जो की मस्तिष्क और कोलेस्ट्रॉल जैसी चीजों में यह बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा सेज का उपयोग मसाले के रूप में भी किया जाता है। सेज का सेवन चाय के रूप में भी किया जा सकता है।

क्या सेज के पत्तो को खाया जा सकता है?

जी हाँ, सेज के पत्तो का उपयोग खाने के लिए किया जा सकता है। सेज के पत्तो का उपयोग खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसके पत्तो को सुगन्धित चीजे बनाने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। क्योकिं इसके अंदर से एक आकर्षक सुगंध आती है।

क्या बगीचे में सेज को लगाया जा सकता है?

सेज का पौधा अपनी सुगन्धित खुशबू और तेल के लिए अधिक लोकप्रिय है। इसके अलावा यह मसाले के लिए रसोई में भी बहुत लोकप्रिय है। अगर आप अपने बगीचे में सेज को किसी अच्छी जगह पर लगते है, तो यह कई वर्ग मीटर में फेल सकता है। वसंत के मौसम में आप सेज को लगा सकते है।

क्या सेज के पौधे हर साल फिर से उग जाते है?

सेज की कुछ प्रजातियां बारहमासी होती है, जो की प्रत्येक साल वापस उग जाती है। यह झाड़ीदार आकर में एक बड़े वर्ग में फैलती है।

क्या सेज के पौधों को धुप और छाया की आवश्यकता होती है?

सेज के पौधे हलकी धुप में भी बहुत आसानी से उग सकते है। इसके अलावा इन पोधो को घर के अंदर इंडोर भी लगाया जा सकता है। घर के अंदर जिस जगह पर पौधे लगाया जाए, वजहें पर खिड़की से हलकी धुप जरूर आनी चाहिए।

Magnolia Flower की जानकारी in Hindi

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Magnolia Flower – आज हम एक ऐसे फूल के बारे में जानेगे, जिसे पेड़ पर लगे हुए पहचानना बहुत मुश्किल होता है। इस फूल का नाम मैगनोलिया का फूल है। (Magnolia Flower in Hindi) मैगनोलिया का फूल और पेड़ दोनों ही बहुत शानदार होते है।  इन फूलों को प्राचीन कल से ही पौराणिक माना गया है। इसके अलावा मैगनोलिया के फूल को Sampangi Flower भी कहते है।  यह फूल पेड़ पर खिलता है। दक्षिण अमेरिका में सफेद मैगनोलिया फूल का बहुत महत्त्व है, इसलिए इसे दक्षिण अमेरिका में फूल का गुलदस्ता बनाकर दुल्हन को भी भेट किया जाता है। आइये जानते है, मैगनोलिया के फूल और पौधे Plant की जानकारी।

 

 

 

Magnolia Flower Information in Hindi मैगनोलिया फूल की जानकारी

मैगनोलिया के फूल को चंपा के नाम से भी जाना जाता है। यह फूल प्राचीन काल से ही हमारे बीच सुंदरता का प्रतिक रहा है। मैगनोलिया दक्षिण-पूर्वी एशिया के भारत, चीन तथा मलाया द्वीपसमूह में पाया जाता है।

यह फूल दक्षिण अमेरिका का मूल निवासी है। मैगनोलिया की खेती व्यावसायिक रूप से की जाती है, इसका उपयोग सजावटी फूलों के रूप में किया जाता है। पूरी दुनिया में इसकी लगभग 250 से अधिक प्रजातियां पायी आती है।

जिस समय यह फूल पेड़ पर खिलते है, तो ऐसे लगते है, जैसे की गुलाबी पक्षियों का एक समूह पेड़ पर बैठा है। मैगनोलिया के पेड़ की फूलों से लदी तस्वीर वास्तव में अद्भुत होती है।

यह फूल प्रजाति के अनुसार अलग अलग रंगो में पाया जाता है, जिनमे सफ़ेद, गुलाबी, पीला और नरगी मुख्य है। यह फूल खूबसूरत होने के अल्वा बहुत सुगन्धित भी होते है। इन फूलों पर लगभग 7 से 10 पंखुड़ियां होती है। इन पंखुड़ियों का आकर भी प्रजाति के अनुसार अलग होता है।

Magnolia Flower Meaning in Hindi

मैगनोलिया का फूल स्त्री की सुंदरता के लिए प्रतिनिधित्व करता है, जिसका अर्थ है, की वह स्त्री इस फूल की तरह सुन्दर है। इसके अलावा यह प्राकृतिक सुंदरता, और लम्बी उम्र का भी प्रतिक है। इसका शादियों में शुद्धता और गरिमा के प्रतिनिधित्व के लिए भी किया जाता है, इसके लिए सफ़ेद मैगनोलिया के फूलों का गुलदस्ता भेट किया जाता है। इसका नाम 17 वीं शताब्दी के फ्रांसीसी वनस्पतिशास्त्री पियरे मैग्नोल के सम्मान में “मैगनोलिया” रखा गया था।

Magnolia Flower Color Meaning in Hindi

मैगनोलिया फूल की जानकारी Magnolia Flower Information in Hindi 

मैगनोलिया के फूल को चंपा के नाम से भी जाना जाता है। यह फूल प्राचीन काल से ही हमारे बीच सुंदरता का प्रतिक रहा है। मैगनोलिया दक्षिण-पूर्वी एशिया के भारत, चीन तथा मलाया द्वीपसमूह में पाया जाता है। यह फूल दक्षिण अमेरिका का मूल निवासी है।

मैगनोलिया की खेती व्यावसायिक रूप से की जाती है, इसका उपयोग सजावटी फूलों के रूप में किया जाता है। पूरी दुनिया में इसकी लगभग 250 से अधिक प्रजातियां पायी आती है। जिस समय यह फूल पेड़ पर खिलते है, तो ऐसे लगते है, जैसे की गुलाबी पक्षियों का एक समूह पेड़ पर बैठा है।

मैगनोलिया के पेड़ की फूलों से लदी तस्वीर वास्तव में अद्भुत होती है। यह फूल प्रजाति के अनुसार अलग अलग रंगो में पाया जाता है, जिनमे सफ़ेद, गुलाबी, पीला और नरगी मुख्य है। यह फूल खूबसूरत होने के अल्वा बहुत सुगन्धित भी होते है। इन फूलों पर लगभग 7 से 10 पंखुड़ियां होती है। इन पंखुड़ियों का आकर भी प्रजाति के अनुसार अलग होता है।

मैगनोलिया पेड़ की जानकारी Magnolia Tree in Hindi

मैगनोलिया का पेड़ सुगन्धयुक्त होता है। इसके फूलों से एक मीठी सुगंध आती है। इन पेड़ो का आकर लगभग 10 से 12 मीटर तक होता है, और यह 15 से 18 मीटर के व्यास में फैलते है। मैगनोलिया के पेड़ और छोटे पौधे आसानी से सड़को के किनारे या बगीचों में नजर आ जाते है। यह पेड़ झाड़ीदार होते है।

इस पेड़ को पूरी तरह बढ़ने में लगभग दस साल तक का समय लग जाता है। लेकिन इस पेड़ की शुरुआत से अच्छी देखभाल और कटाई, छटाई की जाए तो यह बहुत जल्दी बड़े हो जाते है। मैगनोलिया के पेड़ का जीवन काल कितना होता है? मैगनोलिया का पेड़ अगर अच्छी मिटटी में लगाया जाए, तो यह लगभग 100 साल से ज्यादा दिन तक जीवित रह सकता है।

मैगनोलिया फूल के रंगो का मतलब Magnolia Flower Color Meaning in Hindi

कई फूल अलग अलग रंगो में आते है, जिनके प्रतीक रंग का अलग अर्थ होता है। जैसे की गुलाब के फूल के रंगो का मतलब या और भी कई फूल। इसी तरह से मैगनोलिया के फूल का भी अपना अलग अर्थ है। अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने जाते है, जिससे की आप प्यार करते है, तो उन्हें रंगो के अनुसार फूल गिफ्ट करें। इससे सामने वाले व्यक्ति को आपकी गहरी भावनाओ को समझने में मदद मिलती है। आइये जानते है।

सफेद मैगनोलिया

सफ़ेद मैगनोलिया का फूल मासूमियत, पवित्रता, और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। इस फूल को उन लोगो को भेट किया जाता है, जिससे आप प्यार करते है, या फिर दया का सन्देश देना चाहते है। यह आपके जीवन की यादों को मजबूत करता है।

बैंगनी मैगनोलिया

बैंगनी रंग का मैगनोलिया वफादारी, भावना का प्रतिक होता है। इस फूल को आप किसी भी व्यक्ति को उपहार के रूप में दे सकते है।

पीला मैगनोलिया

पीले रंग के मैगनोलिया के फूल दोस्ती और खुसी का प्रतिक होते है। इन फूलों का गुलदस्ता आप अपने ऐसे दोस्त को भेंट कर सकते है, जिससे आप सबसे ज्यादा चाहते है। इससे उसे प्यार और स्नेह का करने का एहसास होता है।

लाल मैगनोलिया

लाल मैगनोलिया का फूल प्यार, रोमांस, और जूनून का प्रतिक है। लाल रंग के फूल प्रत्येक व्यक्ति का ध्यान आकर्षित करते है। लाल रंग के फूल हमेशा से एक मजबूत रिश्ते का प्रतिक रहे है।

गुलाबी मैगनोलिया

गुलाबी रंग का मैगनोलिया प्यार और स्त्रीत्व का प्रतिक होता है। यह फूल आपके प्यार करने के स्नेह को दर्शाता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Magnolia Flower Information in Hindi

Uses of Magnolia in Hindi

  • मैगनोलिया के फूल और छाल में कई ऐसे तत्व पाए जाते है, जो की मानव शरीर के मसूड़ो के लिए फायदेमंद होते है। यह मसूड़ो में होने वाली समस्यांओ के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
  • चीनी परम्पराओं के अनुसार मैगनोलिया से बनी आयुर्वेदिक ओषधियाँ खांसी और कफ की समस्यांओ को दूर करने में फायदेमंद होती है।
  • मैगनोलिया त्वचा सम्बन्धी रोगो के लिए भी फायदेमंद होता है।
  • मैगनोलिया पाचन तंत्र को मजबूत करने में भी फायदा करता है।

Magnolia Flower FAQ

मैगनोलिया का फूल कितने दिन तक ताज़ा रह सकता है?

यह फूल पौधे से तोड़ने के बाद बहुत नाजुक हो जाते है, अगर आप इन्हे संभल का या सावधानी से उठाते है। और एक ऐसी जगह पर रखते है, जहाँ का तापमान नियंत्रित हो, तो ऐसे में यह फूल लगभग सात से नौ दिन तक ताज़ा रह सकते है।

मैगनोलिया के फूल कहां उगते हैं?

मैगनोलिया के फूल ज्यादातर पूर्वी उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, दक्षिण-पूर्वी एशिया, मध्य अमेरिका, और कैरिबियन के शीतोष्ण, उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगते है। इसकी लगभग 250 से अधिक प्रजातियां पायी जाती है। लेकिन वर्तमान में यह दुनिया के सभी देशो में उगाये जाते है।

एक वर्ष में कितनी बार मैगनोलिया के पेड़ पर फूल खिलते है?

मैगनोलिया के पेड़ पर फूल गर्मियों के अंत से लेकर सर्दियों तक खिलते है। इसके अलावा स्टार मैगनोलिया प्रजाति में फूल अप्रेल के अंत से मार्च के अंत तक खिलते है, यह गर्म मौसम में ज्यादा खिलते है। मई और जून के महीनो में दक्षिणी मैगनोलिया को भी खिलता हुआ देखा जा सकता है, इन फूलों की पंखुड़िया चौड़ी और कप की तरह खुली होती है।

क्या मैगनोलिया को उगाना आसान है?

मैगनोलिया की आसानी से उगने वाली दो प्रजातियां मानी जाती है, जिनमे विंटर ब्लूमिंग मैगनोलियास, स्प्रिंग ब्लूमिंग मैगनोलियास शामिल है। इन पेड़ो का रखरखाव बहुत कम होता है।

क्या मैगनोलिया के पेड़ों को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है?

मैगनोलिया के पेड़ को शुरूआती दिनों में सफ्ताह में दो बार पानी की आवश्यकता होती है। अगर पेड़ रेतीली मिटटी में लगाया गया है, तो उसे कम मात्रा में नियमित रूप से पानी देना चाहिए। अगर वह किसी अन्य मिटटी में है, तो ऐसे में सफ्ताह में एक बार पानी की आवश्यकता होती है।

क्या मैगनोलिया के पेड़ पालतू जानवरो के लिए ज़हरीला हैं?

मैगनोलिया का पेड़ तकनिकी रूप से पालतू जानवरो जैसे कुत्तो, बिल्ली, और अन्य के लिए ज़हरीला नहीं है। लेकिन अगर इस पेड़ के किसी भी हिस्से को ज्यादा मात्रा में खाया जाए, तो इससे समस्यां हो सकती है।

Lavender Flower की जानकारी in Hindi

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आज के लेख में हम एक ऐसे फूल के बारे में जाएंगे, जिसे आपने देखा और सुना तो होगा लेकिन इसकी जानकारी आपको नहीं पता होगी है। इस फूल का नाम है, लैवेंडर का फूल Lavender Flower In Hindi इसके अलावा इसके पौधे की जानकारी भी जानेगे (Lavender Plant In Hindi) इस फूल का उपयोग कई आयुर्वेदक औषिधियों में भी किया जाता है। तो चलिए जानते है, लैवेंडर फूल की जानकारी

 

Lavender Flower Information In Hindi

लैवेंडर का फूल की जानकारी

  1. लैवेंडर फूल लैमिआसे प्रजाति से सम्बंधित है, इस प्रजाति में लगभग 39 फूल देने वाले पौधे पाए जाते है, इनमे पुदीना भी शामिल है। इस प्रजाति के पौधे झाड़ियों के रूप में उगते है, और इनका उपयोग ज्यादातर जड़ी-बूटियों के लिए किया जाता है।
  2. लैवेंडर का फूल अरब और रूस का मूल निवासी माना जाता है, इसके अलावा यह फ्रीका महाद्वीप, दक्षिण पश्चिम एशिया, पश्चिमी ईरान और दक्षिण पूर्व भारत में अधिक मात्रा में पाए जाते है।लैवेंडर के पौधे की ऊंचाई लगभग 2 से 4 फिट तक होती है। पौधे की पत्तियाँ का आकर लम्बा और संकीर्ण होता है, जो की हरे रंग की होती है।
  3. लैवेंडर के पौधे की जड़ से बहुत सारी अलग अलग शाखाएं निकलती है, यह शाखाएं लम्बी होती है, जिसके ऊपर लैवेंडर का फूल खिलता है। लैवेंडर के फूल का रंग सामान्यतौर पर नीला, और बैंगनी होता है। लेकिन यह अलग अलग प्रजातियों के अनुसार गुलाबी और पीले रंग में भी पाया आता है। एक पौधे पर लगभग 1 से 10 तक या इससे ज्यादा संख्यां में फूल खिलते है।
  4. लैवेंडर के फूल की कुछ लोकप्रिय प्रजातियां – Spanish Lavender, English Lavender, Hidcote, English Lavender, Impress Purple, Hybrid, Egyptian Lavender, और French Lavender है।
  5. लैवेंडर के पौधे को उगाने के लिए एक उपजाऊं मिटटी और धुप की आवश्यकता होती है। शुरूआती दिनों में इसकी थोड़ी देखभाल करना जरुरी होता है। जब पौधा बड़ा हो जाता है, तो उसके बाद यह कम पानी में भी अच्छी बढ़वार करता है।
  6. लैवेंडर की खेती व्यावसायिक रूप से की जाती है। इसका सबसे ज्यादा उपयोग तेल निकलने के लिए किया जाता है। लैवेंडर का तेल भाप विधि द्वारा तैयार किया जाता है, सूरजमुखी का फूल के तेल की तरह ही आवश्यक तेलों में से एक है।
  7. प्राचीनकाल में मिस्रवासी मृत शरीरो की ममी बनाने से पहले मृत शरीर पर लैवेंडर का इत्र उपयोग करके दफनाते थे।
  8. लैवेंडर का फूल शुद्धता और शांति का प्रतिक है। इसके अलावा इस फूल की खुशबु बहुत सुगन्धित होती है, जो की तनाव कम करे में लाभदायक होती है। आपको अपने घर या बगीचे में लैवेंडर को जरूर लगाना चाहिए।
  9. लैवेंडर में कई एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते है, यह शरीर के लिए बहुत फयदेमंद होता है। लैवेंडर शब्द की उत्पत्ति “Lavare” शब्द से हुई है जिसका मतलब For Washing या धोने के लिए होता है। इसलिए ऐसा भी माना जाता है, की नहाने से पहले पानी में एक या दो बून्द लैवेंडर की डालकर नहाने से कई बिमारियों से छुटकारा मिलता है।
  10. लैवेंडर एक बारहमासी पौधा है, जिसकी आयु लगभग 15 साल तक होती है।

Benefits of Lavender Oil in Hindi

लैवेंडर तेल के फायदे Benefits of Lavender Oil in Hindi

  • लेवेंडर का तेल कई प्रकार से फायदेमंद होता है। यह कीड़ा काटने पर भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा इस का तेल दर्द से भी रहत दिआलता है, आइये जाते है, लैवेंडर के तेल के कुछ फायदे।
  • अगर आपको नींद नहीं आती है, तो लैवेंडर का तेल आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इस तेल से एक खास प्रकार की सुगन्धित खुशबु निकलती है, जो की हमारे दिमाग को शांत करती है। जो अच्छी नींद लेने के लिए बहुत लाभदायक है।
  • लैवेंडर के तेल में एंटी-एंग्जायटी गुण पाए जाते है, जो की तनाव को दूर करने में बहुत ज्यादा लाभदायक होते है। इसके लिए लैवेंडर के तेल की कुछ बूंदो को डिफ्यूज़र में रखकर उसे चालू कर दे। यह पुरे कमरे का माहौल बदल देगा।
  • लैवेंडर का तेल घाव भरने के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। यह सूजन, और त्वचा के लालपन को भी ठीक करता है। लेकिन त्वचा के किसी भी हिस्से पर इस तेल को इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
  • लैवेंडर का तेल मांसपेशियों के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। अगर आपकी मांसपेशियों अकड़ती है। और दर्द होता है, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आप लैवेंडर के तेल का उपयोग कर सकते है। इसका उपयोग करने के लिए, जिस जगह पर दर्द है, वहां पर कुछ बुँदे डालकर मसाज करें।

 

 

 

 

 

 

 

 

Lavender Flower Information In Hindi

लैवेंडर की खेती के बारे में जानकारी

बीते कुछ दिनों से भारत में कई खुसबूदार फूलों और पोधो की खेती बढ़ती जा रही है। खुसबूदार फूलों की मांग लगातार विदेशो और देशो में बढ़ रही है। जिससे की किसानो के लिए एक अच्छा अवसर प्राप्त हो रहा है। इन्ही में से एक है, लैवेंडर का फूल जो की एक सुगन्धित और शानदार फूल है।

लैवेंडर की खेती के लिए ठन्डे स्थानों की आवश्यकता होती है। इसकी खेती 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छी होती है। हालाँकि यह 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी उगाया जा सकता है, लेकिन इस स्तिथि में फसल उतना ज्यादा बढ़वार नहीं करती है।

लैवेंडर की खेती करने के लिए एक ऐसी भूमि का चुनाव करना आवश्यक होता है, जिसमे पानी निकलने के लिए उचित स्थान हो। फसल लगाने के लिए कम से कम दो से तीन बार गोबर खाद डालकर खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए।

लैवेंडर की फसल लगाने का सही समय क्या है? लैवेंडर की फसल का सही समय नवंबर से दिसंबर के महीनो का होता है। इसके पोधो को कटिंग के माध्यम से भी तैयार किया जा सकता है। कटिंग वाले पोधो को तैयार होने में लगभग एक से दो साल का समय लगता है।

लैवेंडर की फसल को पानी समय समय पर मिटटी की नमी के अनुसार देना चाहिए। पहली सिचाई फसल लगाने के तुरंत बाद करनी चाहिए। शुरुआत में पानी की कम आवश्यकता होती है। सिचाई के समय एक बात का विशेष ध्यान रखे, की खेत में जल भराव ना हो।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Lavender Flower FAQ

लैवेंडर फूल किसके लिए अच्छा है?

लैवेंडर का फूल और पौधा एक प्रकार की जड़ी बूटियों के रूप में उपयोग किया जाता है। यह चिंता, तनाव, और अनिंद्रा के लिए भी उपयोग में लिया जाता है। लेकिन इसका अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, की यह किस के लिए सबसे बेहतर है।

लैवेंडर को भारत में क्या कहा जाता है?

लैवेंडर को भारत और अन्य भूमध्यसागरीय देशो में लवंडुला स्पीका कहा जाता है, यह एक प्रकार का सुगन्धित फूल है। जो की झाड़ी के रूप में उगता है। इसके ऊपर विभिन्न रंगो के फूल खिलते है, जिनमे नीले, गुलाबी, सफ़ेद, और बैंगनी शामिल है। लैवेंडर प्लांट को बगीचों में सजावट के लिए लगाया जाता है।

क्या लैवेंडर को उगाना आसान है?

लैवेंडर को उगाना आसान है, इसके लिए आप किसी भी बगीचे या गमले में पौधे को ऊगा सकते है। लैवेंडर को उगाने के लिए सामान्य मिटटी, और पूर्ण सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। शुष्क जलवायु में लैवेंडर बारहमासी पौधे के रूप में बहुत जल्दी बढ़वार करता है।

क्या लैवेंडर के पौधे हर साल फिर से उग आते हैं?

लैवेंडर बारहमासी पौधा है, जो की प्रत्येक साल बढ़ता है। लेकिन वसंत के दिनों में इसकी ज्यादा देखल करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए इसी कटाई छटाई पर ध्यान देना आवश्यक है। इस तरह से कई वर्षो तक बगीचे में ऊगा रहेगा।

क्या लैवेंडर तेल का उपयोग सीधे त्वचा पर कर सकते हैं?

जी हाँ, लैवेंडर तेल को त्वचा पर सीधे उपयोग किया जा सकता है। यह त्वचा सम्बन्धी कई रोगो के लिए लाभदायक है। लेकिन जिन लोगो की त्वचा सेंसेटिव होती है, उन्हें इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए। अन्यथा समस्या हो सकती है।

Tuberose Flower के बारे में जानकारी in Hindi

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Tuberose Flower in Hindi – आज हम जानेगे रजनीगंधा के फूल की जानकारी Tuberose Flower Information in Hindi । रजनीगंधा का फूल जैसे ही हमारे मन में आता है, हमें सुगन्धित फूलों की यादे आने लगती है। यह कई लोकप्रिय सुगन्धित फूलों में से एक है। और इसका उपयोग कई सुगन्धित उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है।आज हम इस लेख में रजनीगंधा के फूल और पौधे के बारे में जाएंगे, जिसमे रजनीगंधा को कैसे उगाया जाता है? ऐसे कई जानकारी इस लेख में शामिल है। अगर आप इस लेख को पूरा पढ़ते है, तो मुझे उम्मीद है। आपको इससे सम्बंधित सभी जानकारियां मिल जायेगी।

 

 

 

 

Tuberose Flower Information in Hindi

 

 

 

 

 

Tuberose Flower Meaning in Hindi

रजनीगंधा का फूल सुख समृद्धि, और जूनून का प्रतिक है। इसकी सुगन्धित मीठी खुशबु के कारण रोमांच का प्रतिक भी माना जाता है। जिस व्यक्ति से आप ज्यादा प्रेम करते है, जैसे माता पिता, भाई बहन, और प्रेमी प्रेमिका आदि को आप रजनीगंधा का गुलदस्ता भेंट कर सकते है। इसके अलावा शादियों में भी इसका उपयोग उपहार के रूप में देने के लिए किया जाता।

रजनीगंधा फूल की जानकारी Rajnigandha Flower in Hindi

रजनीगंधा का फूल आकर्षाक और सुगन्धित होता है, यह सामान्यतौर पर सफ़ेद रंग का पाया जाता है। रजनीगंधा का वानस्पतिक नाम Polianthes Tuberosa) है। इसके अंग्रेजी भाषा में Tuberose Flower कहते है। रजनीगंधा की उत्पाती मैक्सिको देश में हुई थी। वर्तमान में यह भारत में भी व्यावसायिक रूप से उगाया जा रहा है, जिनमे कर्नाटक, तामिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, और महाराष्ट्र मुख्य है।

रजनीगंधा के फूल लम्बे समय तक ताजा रहते है। इसलिए इनका उपयोग माला बनाने के लिए, फूलदान सजाने, और गुलदस्ते के रूप में किया जाता है। इन फूलों से तेल भी निकला जाता है, इसके रजनीगंधा तेल कहते है। बाजार में सुगन्धित प्रोडक्ट और इत्र की मात्रा बढ़ती जा रही है, इसलिए रजनीगंधा की खेती को और भी ज्यादा व्यापक रूप में किया जा रहा है।

रजनीगंधा के पौधों की लम्बाई 23 से 45 इंच तक होती है। जिसमे 5 से 10 पत्तियां होती है, इन पत्तियाँ की लम्बाई 10 से 15 इंच होती है। पत्तियों का रंग हरा, और चमकीला होता है। रजनीगंधा के फूलों का रंग सफ़ेद होता है, जिस समय यह कली के रूप में होता है, तो इसका रंग हल्का हरा होता है, खिलने के बाद यह शुद्ध सफ़ेद रंग में बदल जाता है। इस फूल में 15 से 18 पंखुड़ियां होती है। जब फूल पूरी तरह से खिल जाते है, तो इनसे भीनी भीनी मीठी सुगंध आती है।

 

 

 

 

 

 

Tuberose Flower Information in Hindi

रजनीगंधा की प्रजातियां

रजनीगंधा पोलियानथ्स का जीनस जिसके अंदर कुल पंद्रह प्रजातियाँ होती है। जिनमे से बारह प्रजातियां मध्य अमेरिका और मेक्सिको में पायी जाती है। इनमे से दो प्रजातियों में लाल फूल होते है, एक मे सफ़ेद और लाल बाकि नौ प्रजातियों में सफ़ेद फूल खिलते है।

रजनीगंधा का पौधा कैसे लगाएं How To Grow Tuberose Plant

  • रजनीगंधा का पौधा लगाने के लिए आपको सबसे पहले इसके अच्छे और स्वस्थ बल्ब की आवश्यकता होती है।
  • बल्ब लेने के बाद आपको एक अच्छी और उपजाऊ मिटटी का चयन करना चाहिए।
  • मिटटी बनाने के लिए आपको 80% सामान्य मिटटी 10% बालू और 10% वर्मीकम्पोस्ट को अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए।
  • मिटटी को तैयार करने के बाद, एक बड़ा सा गमला ले, जिसके निचे केंद्र में छेद होना जरुरी है।
  • बिना छेद वाले गमले में कभी भी कोई भी पौधा नहीं लगाना चाहिए।
  • गमला लेने के बाद उसमे मिटटी को भर कर अच्छी तरह से दबा दें, जिससे की मिटटी के अंदर किसी भी तरह की हवा ना रह जाए।
  • इसके बाद आपको अपने रजनीगंधा के बल्ब को गमले में लगा देना चाहिए।
  • बल्ब लगते समय एक बाद का विशेष ध्यान रखना चाहिए, की बल्ब का ऊपरी हिस्सा मिटटी से लगभग एक इंच ऊपर रहना चाहिए।
  • गमले में बल्ब लगाने के बाद भरपूर मात्रा में पानी भर दें।
  • जब तक बल्ब के अंदर से पौधा निकलना शुरू नहीं हो जाता है, तब तक गमले को किसी छाया वाली जगह पर रखे।
  • लगभग एक महीने में पौधा उग जाएगा, और इसके ऊपर दो महीने में फूल आना शुरू हो जाते है।

रजनीगंधा के पौधे की देखभाल कैसे करें

  • रजनीगंधा के पौधे को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है।
  • इस पौधे को हमेशा उपजाऊ मिटटी में लगाना चाहिए।
  • शुरुआत में पानी भरपूर मात्रा में देना चाहिए।
  • महीने में दो बार रजनीगंधा के पौधे में एक चम्मच यूरिया खाद को एक लीटर पानी में मिलकर पौधे की जड़ में डालना चाहिए।
  • इसके अलावा अगर पौधे की पत्तियों पर किसी भी तरह की बीमारी लग जाती है, तो इसके लिए नीम के तेल को पानी में मिलकर स्प्रे करना चाहिए।

Tuberose Flower Information in Hindi (2)

रजनीगंधा फूल के बल्ब को कैसे सुरक्षित रखे

  • जब रजनीगंधा के पौधे पर फूल आना बंद हो जाते है, तो इसके ऊपर की पत्तियां मुरझाने लगती है।
  • जब पौधे की पत्तियां मुरझाने लगे, तो आपको सभी पत्तियों को जमीन से लगभग एक इंच छोड़कर काट देना चाहिए।
  • पत्तियों को काटने के बाद, सभी बल्ब को मिटटी से बहार निकल ले।
  • बल्ब को मिटटी से बहार निकलने के बाद, इन्हे किसी जालीदार बर्तन या किसी टोकरी में रखकर छाया में सुखना चाहिए।
  • कुछ दिन बाद सभी राजनीगंधी के बीज यानी की बल्ब बिलकुल साफ़ हो जाएंगी इसके आस पास की जड़े सुखकर हट जाएगी।
  • जब बल्ब से सभी जड़े सुखकर टूट जाए, तो आप इन्हे संभाल कर अगले साल पौधा लगाने के लिए रख सकते है।

Croton Plant के बारे में जानकारी in Hindi

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Croton Plant Information in Hindi: आज हम एक ऐसे लोकप्रिय पौधे के बारे में जानेगे जिसका उपयोग सबसे ज्यादा घरो, बगीचों और ऑफिस के अंदर लगाने के लिए किया जाता है। आप में से कई लोगो ने इस पौधे को घरो में या फिर बगीचे में जरूर देखा होगा, लेकिन इसका नाम सभी को नहीं पता होता है। जिस पौधे के बारे में आज हम बात करने वाले है, उसका नाम क्रोटन (Croton Plant in Hindi) है। क्रोटन के पौधे की पत्तियों का रंग बहुत ही सुन्दर और कई रंगो में होता है। तो चलिए इस खूबसूरत पौधे के बारे में सभी जानकारी जानते है।

 

 

 

 

 

Croton Plant Information in Hindi

 

 

 

 

Croton Plant Meaning in Hindi

क्रोटन एक प्रकार का सजावटी पौधा है, जिसे सबसे ज्यादा घरो के अंदर Indoor में एक सजावटी पौधे के रूप में लगाया जाता है। इस पौधे की पत्तियां चमकीली होती है, और यह कई रंगो में प्रजाति के अनुसार पाया जाता है। क्रोटन का वानस्पतिक नाम Scientific Name – Codiaeum Variegatum है।

Information About Croton Plant in Hindi

क्रोटन का पौधा दिखने में बहुत सुन्दर और आकर्षक होता है, यह एक मध्यम आकर का प्लांट है। इसकी पत्तियों का रंग प्रजाति के अनुसार अलग अलग होता है। इसका उपयोग ज्यादातर घरो के अंदर तथा बालकोनी में लगाने के लिए किया जाता है। अगर आप इस ऐसे प्लांट की तलाश में है, जिसके किसी भी प्रकार का रोग नहीं लगता है, और दिखने में सुन्दर और आकर्षक हो तो Croton Plant आपके लिए एक अच्छा विकल्प है।

क्रोटन के पौधे को रुश्फ़ोइल प्लांट के नाम से जाना जाता है, यह “स्परेज” परिवार का पौधा है। इस प्रजाति में ज्यादातर रगीन पत्तियों वाले पौधे उगते है। इन पौधों को जॉर्ज एबर्ड रम्फियस द्वारा कई सौ साल पहले यूरोपीय लोगों के लिए पेश किया गया था। क्रोटन का वानस्पतिक नाम Codiaeum Variegatum है। क्रोटन का नाम ग्रीक भाषा के ότρicο k (krótos) शब्द से आया है, जिसका अर्थ “टिक” होता है। यह कुछ प्रजातियों के पौधों के बीजो के आकर को भी दर्शाता है।

Croton Plant Information in Hindi

क्रोटन प्लांट की प्रजातियां

क्रोटन प्लांट की लगभग 100 से अधिक प्रजातियां पायी जाती है। प्रजाति के अनुसार पत्तियों का आकर और रंग अलग अलग होता है। शारद ऋतू के दौरान क्रोटन के सभी पौधे अच्छी बढ़वार करते है। इस मौसम में बढ़ने वाले पौधों की पत्तियों का रंग हरा, लाल, पीला, ब्राउन, भूरा, गुलाबी, और हल्का बैंगनी होता है। क्रोटन के प्लांट की कुछ लोकप्रिय प्रजातियाँ इस प्रकार है।

S. N. Croton Plant Varieties Botanical Name
1 Magnificent Croton Codiaeum Varigatum ‘Magnificent’
2 Zanzibar Croton Codiaeum Varigatum ‘Zanzibar’
3 Florida Select Croton Codiaeum Varigatum ‘Florida Select’
4 Gold Dust Croton Codiaeum Variegatum ‘Gold Dust’
5 Oakleaf Croton Codiaeum Variegatum ‘Oak Leaf’
6 Mother and Daughter Croton Codiaeum ‘Mother and Daughter’
7 Petra Croton Codiaeum Variegatum ‘Petra’
8 Victoria Gold Bell Croton Codiaeum ‘Victoria Gold Bell’
9 Superstar Croton Codiaeum Variegatum ‘Superstar’
10 Mrs. Iceton Croton Codiaeum Variegatum ‘Mrs. Iceton’
11 Bush on Fire Croton Codiaeum Variegatum ‘Bush on Fire’
12 Eleanor Roosevelt Croton Codiaeum Variegatum ‘Eleanor Roosevelt’
13 Lauren’s Rainbow Croton Codiaeum Varigatum ‘Lauren’s Rainbow’
14 Gold Star Croton Codiaeum Varigatum ‘Gold Star’
15 Mammy Croton Codiaeum Varigatum ‘Mammy’
16 Red Iceton Croton Codiaeum ‘Red Iceton’
17 Sunny Star Croton Codiaeum Varigatum ‘Sunny Star’
18 Yellow Iceton Croton Codiaeum Variegatum ‘Yellow Iceton’

क्रोटन के पौधे की पत्तियों का आकर लगभग 2 से 7 इंच लम्बा होता है। इन पत्तियों की लम्बाई और चौड़ाई ज्यादातर इनकी प्रजाति पर निर्भर करती है। सामान्यतौर पर इनकी पत्तियां अंडाकार और घूमी हुई होती है। क्रोटन के पौधों को उगाने के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे अच्छी होती है। इन पौधों को हल्का गर्म मौसम पसंद होता है। यह पौधे 13 से 27 डिग्री सेल्सियस के तापमान में बहुत अच्छी तरह बढ़ते है। अगर तापमान इससे निचे या ऊपर जाता है, तो इन पौधों की पत्तियां ख़राब होना शुरू हो जाती है।

क्रोटन के फायदे और उपयोग Croton Plant Uses / Benefits in Hindi

  • क्रोटन का उपयोग घर की शोभा बढ़ने के लिए भी किया जाता है।
  • क्रोटन एक Air Purifying Plants है। जो घर की हवा को शुद्ध करता है।
  • क्रोटन का उपयोग आयुर्वेदिक औषिधियों में भी किया जाता है।
  • इसके पौधे से तेल भी निकला जाता है।

How to Grow Croton Plants From Cuttings in Hindi

How to Grow Croton Plants From Cuttings in Hindi

अभी तक हमने क्रोटन के बारे में सभी सामान्य जानकारी जान ली है। अब जानते है, की क्रोटन प्लांट कैसे लगाएं? क्रोटन के पौधे को कई प्रकार से लगाया जाता है। ज्यादातर लोग इसे कटिंग के माध्यम से लगते है। लेकिन इसकी कुछ प्रजातियों के पौधे पत्तियों से भी उगाये जाते है।

क्रोटन प्लांट लगाने का सही समय क्या है? क्रोटन प्लांट को हमेशा जुलाई, अगस्त, और सितम्बर के महीने में लगाना चाहिए। इन दिनों यह बहुत ही आसानी से उग जाते है। अब जानते है, क्रोटन प्लांट को लगाने की पूरी जानकारी –

  • क्रोटन प्लांट को कटिंग से लगाने के लिए, सबसे पहले 5 से 6 लम्बी कटिंग काट लें। यह सभी कटिंग नरम होनी चाहिए।
  • इसके बाद आपको किसी बर्तन या गमले का चयन करना है, जिसमे लगभग 4 से 5 क्रोटन कटिंग आसानी से लग जाएँ।
  • गमला हमेशा ऐसा चुने जिसके निचे छेद होना बहुत जरुरी है।
  • इसके बाद गमले के अंदर रेत और थोड़ी बजरी दोनों को अच्छी तरह से मिलकर भर लें।
  • गमले में मिटटी का मिश्रण भरने के बाद इसमें अच्छी तरह से पानी दें।
  • जब गमले की रेत पूरी तरह से नम हो जाए, तो उसके अंदर किसी लकड़ी से कटिंग की गिनती के अनुसार गड्डे कर दें।
  • अपनी सभी क्रोटन की कटिंग के निचे के दो पत्तो को हटा दें, और ऊपर से भी पत्तियों को आधा काट दें।
  • इसके बाद आपको सभी कटिंग का निचला हिस्सा लगभग 2 पानी में डुबोकर उस पर रूटिंग हार्मोन पाउडर लगाएं।
  • रूटिंग हार्मोन पाउडर कटिंग में जड़े निकलने में बहुत ज्यादा फायदा करता है।
  • सभी कटिंग पर रूटिंग हार्मोन पाउडर लगाने के बाद, गमले में किये गए गड्डो में कटिंग को लगा दें।
  • इसके बाद फिर से गमले में भरपूर मात्रा में पानी डाल दें।
  • इन सभी कटिंग में से जड़े निकलने में लगभग एक महीने का समय लग सकता है।
  • जब तक पौधे से जड़े निकलना शुरू नहीं हो जाती तब तक समय समय पर गमले में पानी डालते रहे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

How to Care Croton Plant in Hindi

  • क्रोटन प्लांट को हमेशा एक ऐसी जगह पर रखे, जहाँ पर हलकी धुप आती हो। अगर पौधे को बिलकुल भी धुप नहीं लगती है, तो इससे इसकी पत्तियों का रंग हल्का हो जाता है।
  • जब भी क्रोटन का पौधा लगाएं या फिर नर्सरी से लाये, तो इसकी मिटटी का हमेशा ख्याल रखे है। इस पौधे को रेतीली मिटटी ज्यादा पसंद होती है। Croton Plant Information in Hindi अगर आपने अपना पौधा चिकनी मिटटी में लगाया है, तो आपको इसकी मिटटी बदलनी चाहिए।
  • पौधा लगते समय एक बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए, की जिस गमले में आप अपना क्रोटन प्लांट लगा रहे है, उसके नीचे पानी निकलने के लिए छेद होना बहुत ही जरुरी है।
  • इन पौधों को ज्यादा फर्टीलिज़ेर की आवश्यकता नहीं होती है। Croton Plant Information in Hindi आप 4 से 5 महीने में एक बार भी अगर गमले में खाद डालते है, तो इसके लिए यह काफी है।
  • क्रोटन के पौधे को कभी भी ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। जब तक गमले की मिटटी लगभग एक सुख ना जाए तब तक पौधे को पानी नहीं देना चाहिए। ज्यादा पानी देने से इसकी जड़े ख़राब होने लगती है।
  • कुछ लोगो का सवाल होता है, की How to Care for Croton Plant Indoors यानि की घर के अंदर अगर यह प्लांट लगाया हुआ है, तो उसकी देखभाल कैसे करें। तो आपको बता दे, की चाहे आप क्रोटन को घर के अंदर लगाएं या बहार इसकी देखभाल करने के लिए बताई गई जानकारी दोनों के लिए है।

Tree Names in Hindi And English

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Tree Names in Hindi And English: पेड़ के बारे में तो सभी जानते है, पेड़ हमारे पर्यावरण का एक मुख्य हिस्सा है। जब बच्चे छोटी Class में होते है, तो उन्हें पर्यावरण और प्राकृतिक के बारे में सीखने के लिए Calss में बहुत सी चीजों के नाम पूछे जाते है। जिनमसे से पेड़ों के नाम भी एक है (Trees Name in Hindi and English) अगर आपसे कभी यह सवाल पूछा गया है, की पेड़ों के नाम बताइए हिंदी में या अंग्रेजी में, तो शायद आपने कुछ पेड़ के नाम बता भी दिए हों। लेकिन क्या आप सभी पेड़ो के बारे में जानते है, जैसे की पेड़ों के Scientific Name क्या होते है, सबसे ज्यादा ऑक्सीज़न देने वाला पेड़ कौन सा है? और भी कई पेड़ो से जुड़े महत्पूर्ण और रोचक सवाल जो आपको जानने चाहिए। अभी आपके मन में एक सवाल चल रहा होगा, की यह सभी जानकारी आपको कहाँ से मिलेगी, तो आपकी किसी भी तरह की चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है। आज आपको इस लेख में कई ऐसे पेड़ो के बारे में बताया जाएगा, जिनमे फूल देने वाले पेड़ों के नाम, छायादार पेड़ों के नाम, औषिधीय पेड़ों के नाम, और फल देने वाले पेड़ों के नाम सही कई जानकरियां इस लेख में शामिल है। मुझे पूरी उम्मीद है, की अगर आप इस लेख को ध्यानपूर्वक पूरा पढ़ते है, तो आपको फिर पेड़ों के नाम की जानकारी के लिए किसी और लेख को पढ़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। तो आइये जानते है, (List of Trees Name in English and Hindi) पेड़ों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में –

 

 

 

 

पेड़ों के नाम अंग्रेजी और हिन्‍दी में - Names of Trees in English and Hindi  | Learn To Speak English - लर्न टू स्‍पीक इंग्लिश

 

 

 

 

10 Trees Name in Hindi and English With Pictures | पेड़ों के नाम हिंदी और इंग्लिश में 

पेड़ मनुष्य की जरूरतों को पूरा करता है। अगर वह अपना घर बनता है, तो पेड़ों से लकड़ी काटकर घर के लिए फर्नीचर तैयार करता है। भूख लगने पद पेड़ से फल तोड़कर खा लेता है। पेड़ पृथ्वी के वातावरण को शुद्ध रखते है। इनसे हमें ऑक्सीज़न मिलती है। तो आइये जानते है, पेड़ों के नाम Tree Name in Hindi और इनके बारे में पूरी जानकारी –

1. आम का पेड़ (Mango Tree)

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आम का पेड़ आकर में बहुत बड़ा होता है, आम एक रसीला फल है, इसे भारत में फलों का राजा कहते है। आम का Scientific Name – Mangifera Indica है। शुरुआत में इसकी प्रजाति सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में ही मिलती थी। लेकिन धीरे धीरे यह पूरी दुनिया फेल गया। वर्तमान समय में भी सबसे ज्यादा आम का उत्पादन भारत में ही होता है। दूसरे नंबर पर आम का उत्पादन करने वाला देश चीन है।

2. बरगद का पेड़ (Banyan Tree)

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बरगद का पेड़ बहुत ही विशाल होता है। इसके पेड़ को English में Banyan Tree कहते है, इसके अलावा इसे वटवृक्ष या बड़ का पेड़ भी कहते है। इसका Scientific Name – Ficus Benghalensis है। इस पेड़ का तना बहुत कठोर और मजबूत होता है। जब यह पेड़ बड़ा हो जाता है, तो इसकी शाखाओं पेड़ की जड़ें निकलना शुरू हो जाती है। और यह हवा में लटकने लगती है। जब बरगद के पेड़ से कोई पत्ती या शाखाओं को तोड़ता है, तो इसके Plant में से एक दूध जैसा पदार्थ निकलता है, जिसे लेक्टस अम्ल कहते है।

3. नीम का पेड़ (Nim or Margosa Tree)

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नीम का पेड़ भारत का मूल निवासी है, यह एक औषिधीय पेड़ है। इसका English नाम Margosa Tree और Scientific Name – Azadirachta Indica है। यह एक पर्णपाती पेड़ है। यह पेड़ भारतीय महाद्वीप के इलाको में आमतौर पर पाया जाता है, लेकिन पिछले 150 सालो में यह भारतीय उपमहाद्वीप से निकलकर अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, और उप-उष्ण कटिबन्धीय देशों में भी पहुँच चुका है। इसका वर्णन Indian Ayurvedic Science में पढ़ने को मिलता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

4. कटहल का पेड़ (Jackfruit Tree)

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कटहल का पेड़ फालदार वृक्ष है, हालाकिं यह एक मत है, की कटहल एक फल है, या सब्जी। कटहल के पेड़ का English नाम Jackfruit है, और इसका Scientific Name – Artocarpus Altilis है। यह आमतौर पर क्षिण एशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया का मूल निवासी है। कटहल का फल पेड़ पर लगने वाले फलों में संसार का सबसे बड़ा फल होता है। इसके फल की बहरी सतह पर छोटे छोटे कांटे होते है। इसका उपयोग कच्चा खाने और सब्जी बनाकर खाने के लिए किया जाता है।

5. गुलमोहर का पेड़ (Gulmohar Tree or Delonix Regia or Royal Poinciana)

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गुलमोहर का पेड़ फूलदार वृक्षों की सूचि में आता है, यह फूलदार और छायादार दोनों तरह के पेड़ो की List में आता है। इसके ऊपर लाल रंग के सुन्दर और आकर्षक फूल लगते है, इसका अंग्रेजी नाम – Royal Poinciana और Scientific Name – Delonix Regia है। गुलमोहर का पेड़ मेडागास्कर का मूल निवासी माना जाता है। कुछ किवदंतियों के अनुसार ऐसा मानना है, की सर्वप्रथम मेडागास्कर में इसे पुर्तगालियों ने देखा था। इस पेड़ को Royal Poinciana के अलावा Flam Tree के नाम से भी जाना जाता है। गुलमोहर के पेड़ को गुलमोहर नाम फ्रांसीसियों ने दिया था। क्योकिं गुलमोहर शब्द का मतलब उनकी भाषा में स्वर्ग का फूल होता है।

6. अमलतास (Golden Shower Tree, Purging Cassia, or Indian Laburnum)

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अमलतास का पेड़ भारत के सभी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पेड़ ज्यादा ऊँचे नहीं होते है, इसके तने लगभग 4 – 5 फुट तक ही अपनी परिधि बनाते है। अमलतास को Golden Shower के नाम से भी जाना जाता है, और इसका Scientific Name – Cassia Fistula है। गर्मियों के दिनों में अप्रैल से मई के महीने में पूरा फूल पीले सुन्दर और आकर्षक फूलों से भरा होता है। इसके फूल लम्बे लम्बे गुच्छों में आते है। सर्दियों के दिनों में इस पर लम्बी लम्बी काले रंग की बेलनाकार फली भी लगती है।

7. अशोक का पेड़ (Saraca Asoca Tree)

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अशोक का पेड़ आमतौर पर घरों, स्कूलों, और सड़को के किनारे पर सुंदरता बढ़ाने के लिए लगाया जाता है। इसका Scientific Name – Saraca Asoca होता है। अशोक का पेड़ देवदार के पेड़ की प्रजाति का होता है। इसके पत्तों का आकर आम के पत्तों की तरह होता है।

8. मेपल का पेड़ (Maple Tree)

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मेपल का पेड़ का पेड़ बहुत ही सुन्दर और आकर्षक होता है। इसका Scientific Name – Acer है। मेपल के पेड़ की पुरे विश्व में लगभग 132 प्रजातियां पायी जाती है। इसके अलावा मेपल कई प्रकार का होता है, जिनमे मेपल के कुछ मुख्य प्रकार ये है – Japanese Maple, Red Maple, Acer Freemanii, Sugar Maple, और Norway Maple आदि। मेपल के पेड़ से एक ख़ास किस्म का सिरप निकला जाता है, जिसका उपयोग खाने के लिए किया जाता है।

9. खुबानी का पेड़ (Apricot Tree or Armenian Plum)

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खुबानी का पेड़ एक फलदार वृक्ष है। इसका फल में गुठली होती है। यह बहुत मीठा होता है। खुबानी उत्तर भारत और पकिस्तान में बहुत ज्यादा उगाया जाता है, इसे उत्तर भारत में बहुत ही महत्त्व दिया जाता है। खुबानी के बारे में कुछ कृषि वैज्ञानिको का मानना है, की यह फल भारत में लगभग पिछले 5000 वर्षो से लगातार उगाया जा रहा है। इसकी कई प्रजातियां होती है। इसमें समृद्ध मात्रा में विटामिन और फाइबर पाए जाते है। इसका Scientific Name – Prunus Armeniaca है।

10. नागकेसर का पेड़ (Ceylon Ironwood or Mesua Ferrea Tree)

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नागकेसर का पेड़ एक सदाबहार वृक्ष है, इसे नागचम्पा भी कहते है। यह देखने में बहुत सुन्दर और सीधा सरल होता है। इसकी पत्तियां बहुत पतीली और घनी होती है। नागकेसर के पेड़ के निचे गर्मियों के दिनों में बहुत छाया रहती है। इसके फूलों का उपयोग मसाले और ओषिधि बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा नागकेसर की लकड़ी से भी कई प्रकार के रोगो की दवाइयां बनाई जाती है।

List of Trees Name in English and Hindi (पेड़ों के नाम हिंदी और इंग्लिश में)

S. N. Trees Name in Hindi Tree Name in English
1 बेर का पेड़ Indian Jujube
2 मीठा नीम Curry Tree
3 पीपल Bodhi Tree
4 अमरुद का पेड़ Guava Tree
5 ईमली का पेड़ Tamarind Tree
6 अनार का पेड़ Pomegranate Tree
7 नारियल का पेड़ Coconut Tree
8 अंजीर का पेड़ Common Fig Tree
9 जायफल का पेड़ Nutmeg Tree
10 सेब का पेड़ Apple Tree
11 सुपारी का पेड़ Areca Palm, Pinang Palm Tree
12 चन्दन पेड़ Sandal Tree
13 चमेली का पेड़ Pagoda Tree
14 खैर का पेड़ Acacia Tree
15 जंगली बादाम Wild Almond Tree
16 आंवले का वृक्ष Amla Tree
17 अखरोट का पेड़ Walnut Tree
18 नीम का पेड़ Nim Or Margosa Tree
19 कटहल का पेड़ Jackfruit Tree
20 महुआ का पेड़ Mohwa Tree
21 अशोक का पेड़ Saraca Asoca Tree
22 सागौन का पेड़ Teak, Indian Oak Tree
23 पपीता का पेड़ Papaya Tree
24 सहजन का पेड़ Drum stick / Moringa Tree
25 कचनार का पेड़ Bauhinia Variegata Tree
26 बलूत का पेड़ Oak Tree
27 नीलगिरी का पेड़ Eucalyptus Tree
28 साल वृक्ष Sal Tree
29 ताड़ / बेंत का पेड़ Jaggery Palm, Wine Palm Tree
30 पीपल का पेड़ Ficus Religiosa Tree
31 गुलमोहर का पेड़ Royal Poinciana, Peacock’s Flower Tree
32 पलाश /ढाक का पेड़ Flame Of The Forest Tree
33 अशोक का पेड़ Sorrowless Tree
34 सेमल का पेड़ Red Silk Cotton Tree
35 जामुन का पेड़ Java Palm, Indian Allspice Tree
36 चमेली का पेड़ Jasmine Tree, Frangipani Tree
37 आम का पेड़ Mango Tree
38 अमलतास का पेड़  Golden Shower, Purging Fistula, Indian Laburnum Tree
39 खजूर का पेड़ Wild Date Palm Tree
40 नागफनी का पेड़ Cactus Tree
41 शीशम का पेड़ Dalbergia Sissoo, Sheesham Tree
42 बबूल का पेड़ Babul, Indian Gum Arabic Tree
43 महुआ का पेड़ Mohwa, Indian Butter Tree
44 चीड़ का पेड़ Pine Tree
45 देवदार का पेड़ Cedrus Deodara, Himalayan Cedar Tree
46 केला का पेड़ Banana Tree
47 अर्जुना का पेड़ Queen’s Crepe Myrtle, Pride Of India
48 कटहल का पेड़ Jackfruit Tree
49 चीकू का पेड़ Sapodilla Tree
50 बांस का पेड़ Bamboo Tree

 

ऊपर दिए गए पेड़ों के नाम को हमने इंग्लिश और हिंदी में पढ़ा है, अब जानते है, 10 फलदार वृक्षों के नाम और छायादार पेड़ो के नाम –

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

10 फल देने वाले पेड़ों के नाम (10 Fruits Tree Name)

  1. Apple Tree – सेब का पेड़
  2. Orange Tree – नारंगी, संतरा का पेड़
  3. Papaya Tree – पपीता का पेड़
  4. Peach Tree – आडू का पेड़
  5. Apricot Tree – खूबानी का पेड़
  6. Banana Tree – केला का पेड़
  7. Coconut Tree – नारियल का पेड़
  8. Guava Tree – अमरुद का पेड़
  9. Mango Tree – आम का पेड़
  10. Mulberry Tree – शहतूत का पेड़

10 छायादार पेड़ों के नाम

  1. नीम का पेड़
  2. पीपल का पेड़
  3. पिलखन का पेड़
  4. शीशम का पेड़
  5. आम का पेड़
  6. जामुन का पेड़
  7. देवदार का पेड़
  8. गुलमोहर का पेड़
  9. साल का पेड़
  10. बकाइन का पेड़

Conclusion

यह लेख पेड़ों के नाम (List of Trees Name in English and Hindi) के बारे में था। जिसमे आपको पेड़ों के नाम हिंदी और इंग्लिश में बताएं गए है। अगर आपका इस लेख से सम्बंधित कोई भी सवाल है, तो कमेंट करके जरूर बताइएं। अगर यह पेड़ों के नाम आपको अच्छे लगे, तो कृपया इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें, धनयवाद।

Banyan Tree की जानकारी in Hindi

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Banyan Tree in Hindi – आज हम एक ऐसे विशाल पेड़ के बारे में जानेगे। जो की दुनिया के सबसे बड़े पेड़ों में से एक है, जिसे भारत में बरगद का पेड़ Bargad Ka Ped या वट वृक्ष के नाम से जाना जाता है। बरगद के पेड़ कई ऐसे रोचक तथ्य है, जो की हमारी जानकारी से दूर है। जिनके बारे में आज हम जानने वाले है। इसके अलावा बरगद के फायदे और नुक्सान के बारे में भी जानेगे। Banyan Tree Meaning in Hindi भारत में पाए जाने वाला एक विशाल पेड़ जिसे वट वृक्ष या बरगद का पेड़ कहते है। जिसकी जड़े शाखाओं से निकलती है, और यह धीरे धीरे बड़ी होकर जमीन को छूने लगती है। जमीन में आने के बड़ यह जड़े एक स्तम्भ के रूप में पेड़ के साथ जुड़ जाती है, और एक नए तने को विकसित करती है।

 

 

 

 

 

 

Banyan Tree in Hindi

 

 

 

 

 

 

बरगद का पेड़ की जानकारी

बरगद का पेड़ एक विशाल और बड़ी शकाओं वाला वृक्ष है। कुछ लोगो को यह नहीं पता होता है, की भारत का राष्ट्रीय वृक्ष क्या है? बरगद का पेड़ भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है।

बरगद को सन 1950 में भारतीय वृक्ष बनाया गया था। यह भारत के सभी हिस्सों में पाया जाता है। इस पेड़ की छाया बहुत ही ठंडी होती है। गर्मियों के दिनों में लोग इसकी छाया में बैठना पसंद करते है।

कुछ पुरानी किवदंतियो के अनुसार, यह पेड़ इतना बड़ा हो सकता है, की इसके चारो और लगभग 80000 से 10000 लोग बहुत आसानी से बैठ सकते है। बरगद के पेड़ को अंग्रेजी भाषा में Banyan Tree कहते है।

कुछ लोगो का ऐसा मानना है, की इस पेड़ का नाम बनिया इस लिए पड़ा क्योकिं पुराने समय में भारत के व्यापारी गर्मियों के दिंनो में रास्ते में इस पेड़ की छाया में आराम करने के लिए बैठा करते थे।

बरगद का पेड़ भारत के अलावा इसके नजदीकी देशो पाकिस्तान, बांग्लादेश, और म्यांमार के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी पाया जाता है।

bargad ka ped

Banyan Tree Information in Hindi

बरगद का पेड़ स्थलीय द्विबीजपत्री एंव सपुष्पक पेड़ है, जिसकी ऊंचाई लगभग 20 से 25 मीटर या इससे अधिक भी जा सकती है। यह वृक्ष सामान्यतौर पर दूसरे बड़े पेड़ो के ऊपर भी उग जाते है। बरगद का अर्थ फिकस बेंगालेंसिस होता है। बरगद की लकड़ी कठोर और मजबूत होती है। जिसका उपयोग फर्नीचर या अन्य उपयोगी वस्तुए बनाने के लिए किया जाता है।

बरगद के पेड़ की जड़े मजबूत होती है, और यह पेड़ की शाखाओं से निचे की और लटकती है। यह वृक्ष के चारो से लटकर हवा में झूलती रहती है। जैसे जैसे पेड़ पुराना पुराना होता जाता है। वैसे वैसे इसकी जड़े बड़ी होकर जमीन को छूने लगती है, और यह जमीन के सहारे एक स्तम्भ बना लेती है।

बरगद का तना सीधा और कठोर होता है। जब इसकी कुछ जड़े पेड़ से लटकर जमीन में घुस जाती है, तो पौधा और भी तेजी से बड़ा होने लगता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योकिं इसकी अन्य जड़े भी जमीन से पोषक तत्वों को सोखती है।

बरगद के पत्तो का आकर अंडाकार होता है। जो की बड़े और मोटी चमड़ी वाले होते है। इन पत्तो की ऊपरी सतह चमकदार होती है, और निचला हिस्सा थोड़ा खुरदुरा होता है। इन पत्तो की लम्बाई लगभग 5 इंच से 7 इंच तक होती है। बरगद के पत्तो का शुरूआती रंग लाल होता है। जब पत्ता अपना पूरा आकर ले लेता है, तो यह हरा हो जाता है। जब बरगद के पत्ते को तोड़ा जाता है, तो इसके अंदर से सफ़ेद रंग का दूध जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता है।

बरगद के पेड़ पर फल भी लगते है, इसके फलों का आकर गोल होता है, यह छोटे होते है। इन फलों का रंग लाल होता है, जिसके अंदर छोटे छोटे बीज पाए जाते है। बरगद के पेड़ का जीवनकाल कितना होता है? बरगद के पेड़ का जीवनकाल लगभग एक हजार साल या इससे भी अधिक होता है। हालांकि इसका निर्धारण करना मुश्किल है। इसकी आयु का रहस्य इसकी जड़ो में छिपा होता है।

बरगद के पेड़ को हिन्दू धर्म में बहुत ज्यादा महत्त्व दिया गया है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिमूर्ति की बरगद के अलावा पीपल, और नीम भी हिन्दू धर्म के महत्ता वाले वृक्ष है। अनेक व्रत और त्योहारों पर वट वृक्ष को पूजा जाता है।

Name of Banyan Tree Called of Different Languages Hindi, Punjabi, Marathi Etc.

Languages Names
Hindi बरगद, बट, बर, बरगट
English Banyan, ईस्ट इण्डियन फिग ट्री
Punjabi बरगद (Bargad), बर (Bar)
Kannada मरा (Mara), अल (Al), अला (Ala)
Bengali बडगाछ (Badgach), बर (Bar), बोट (Bot)
Oriya बरो (Boro)
Tamil अला (Ala), अलम (Alam)
Arabic तईन बनफलिस (Taein banfalis), जतुलेजईब्वा (Jhatulejaibva)
Sanskrit वट वृक्ष, न्यग्रोध, स्कन्धज, ध्रुव, क्षीरी, वैश्रवण, वैश्रवणालय, बहुपाद, रक्तफल, शृङ्गी, वास
Urdu बर्गोडा (Bargoda)
Gujarati वड (Vad), वडलो (Vadlo)
Malayalam अला (Ala), पेरल (Peral)
Konkani वड (Vad)
Nepali बर (Bar)
Marathi वड (Wad), वर (War)
Persian दरखत्तेरेशा (Darakhteresha)
Telugu र्री (Marri), वट वृक्षी (Vati)

Benefits of Banyan Tree in Hindi

बरगद के पेड़ के फायदे Benefits of Banyan Tree in Hindi

बरगद का पेड़ औषिधीय गुणों से भरपूर है। इसके कई फायदे होते है। हम आपको इस लेख में इसके अंदर पाए जाने वाले तत्वों के बारे में बताएँगे और यह किस लिए फायदेमंद होता है। आईये जानते है बरगद के पेड़ के फायदे।

जोड़ों के दर्द में बरगद के फायदे

कुछ शोधो के मुताबिक पता चला है, की जोड़ो का दर्द शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से होता है। बरगद में कई ऐसे तत्व पाए जाते है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होते है। बरगद की पत्तियों में क्लोरोफॉर्म, ब्यूटेनॉल, और जल की मात्रा पायी जाती है। यह सभी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है। इसके अलावा बरगद में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते है, जो की सूजन को कम करने में सहायक होते है।

त्वचा की फुंसियों में मददगार – बरगद की जड़ त्वचा सम्बन्धी विकारो में लाभदायक होती है। इसके अंदर कई ऐसे गुण पाए जाते है, जो फुंसियों को ठीक करते है।

दांतो और मसूड़ों को रखे स्वस्थ

बरगद के पेड़ का प्रत्येक अंग उपयोगी होता है। इसके अंदर मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल मुँह के अंदर होने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करते है। बरगद की जड़ नरम जड़ को मंजन की तरह उपयोग करने से मुँह से जुड़ी कई समस्यांए दूर हो जाती है।

बालों को स्वस्थ रखे बरगद

जैसा की आपको ऊपर बताया गया है, की बरगद में एंटी-माइक्रोबियल गुण पाए जाते है। जो की बैक्टीरियल इन्फेक्शन को ख़त्म करने में मददगार होते है। बरगद की छाल और पेड़ की पत्तियों को एक साथ मिलकर लेप बना लें। इस लेप को बालों पर लगाने से बाल स्वस्थ हो जाते है।

बरगद के पेड़ के नुकसान

बरगद के पेड़ के अभी तक किसी भी तरह के नुक्सान नहीं देखे गए है। फिर हमें इसका उपयोग करते समय एक नियंत्रित मात्रा का उपयोग करना चाहिए। बरगद के उपयोग करे से पहले आपको इन बातो का ध्यान रखना बहुत जरुरी है।

त्वचा सम्बन्धी या फिर बालों में बरगद का किसी भी तरह से उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए, जिससे की आपको किसी भी तरह की समस्यां का सामना ना करना पड़ें।

बरगद की पत्तियों और जड़ो में एक दूध जैसा पदार्थ निकलता है। अगर आपको इस दूध से किसी भी तरह की एलर्जी या अन्य समस्यां होती है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। या फिर इसका उपयोग करना बंद कर देना चाहिए।

सबसे पुराना बरगद का पेड़ कहां है

बरगद का दुनिया में सबसे पुराना पेड़ आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डेन कोलकाता (भारत) में स्तिथ है। यह पेड़ दुनिया का सबसे बड़ा बरगद का पेड़ है, इसे 1787 में इस गार्डन में लगाया गया था।

वर्तमान में यह पेड़ इतना फेल चुका है, की इसकी जड़ो से एक बड़ा जंगल तैयार हो गया है। अगर आप इस वट वृक्ष को वास्तव में देखते है, तो आपको विश्वास नहीं होगा की यह एक ही पेड़ है। यह पेड़ 14,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसकी ऊंचाई लगभग 22 से 24 मीटर है।

जिसके ऊपर से लगभग चार हजार जड़े जमीन को छू चुकी है। इसकी बढ़ती लोकप्रियता की वजह से इस पेड़ को दुनिया का सबसे चौड़ा पेड़ भी केते है। इस पेड़ पर कई तरह के पक्षियां रहते है। अगर इनकी प्रजातियों की बात की जाए तो यह लगभग 80 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियों का घर है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

बरगद के पेड़ के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

बरगद के पेड़ के बारे में क्या खास है?

बरगद का पेड़ अंजीर की तरह से अपनी कलियों को दो बड़ी पत्तियों से ढक लेता है। जब इसकी नई पत्तियां निकलती है, तो इनका शुरूआती रंग लाल होता है। पुराने बरगद का पेड़ अपनी जड़ो को हवा में लटका लेता है, और जैसे जैसे यह पुराना होता रहता है, यह जड़े मोटी और मजबूत होने लगती है।

बरगद के पेड़ पवित्र क्यों हैं?

हिन्दू धर्म में बरगद के पेड़ को पवित्र माना जाता है, क्योकिं इसके अंदर भगवन का वास माना जाता है। इसके अलावा ऐसा मानना भी है, की बरगद के आस पास पूर्वजो और देवताओं का वास होता है। यह वृक्ष आध्यात्मिक ऊर्जा का उत्सर्जन करता है।

क्या हम बरगद के पेड़ के फल खा सकते हैं?

बरगद का पका हुआ फल लाल रंग का होता है, और इसके अंदर किसी भी तरह का विष नहीं होता है। लेकिन इन्हे खाना मुश्किल है, क्योकिं इसका स्वाद अजीब होता है। लेकिन बरगद की पत्तियों को खाने योग्य समझा जाता है, इसकी पत्तियों का उपयोग खाना खाने वाली पत्तल बनाने के लिए भी किया जाता है।

क्या पीपल और बरगद एक ही वृक्ष है?

इन दोनों वृक्षों का परिवार एक है, दोनों वृक्ष मोरसेए Moraceae परिवार के है। लेकिन इनकी प्रजातियां अलग अलग है। जबकि बरगद का वानस्पतिक नाम फिकस बेंथालेंसिस है, और पीपल के पेड़ का वानस्पतिक नाम फिकस धर्मियोसा है।

बरगद के पेड़ की पहचान कैसे करें?

बरगद के पेड़ पर लगने वाले फलों के बीज पक्षी अन्य पेड़ो पर जाकर रख देते है। जिसकी वजह से यह दूसरे पेड़ की शाखाओं पर भी उगने लगता है। इसके अलावा बरगद के पेड़ को हवा में लटकती इसकी जड़ो से भी पहचाना जा सकता है, और इसकी शुरूआती पत्तियों का रंग लाल होता है। यह वट वृक्ष की कुछ मुख्य पहचान है।

बरगद के पेड़ का बोन्साई कैसे उगाते है?

बरगद की बोन्साई बनाने के लिए, एक छोटे पौधे की आवश्यकता होती है। इस पौधे को शुरुआत से ही बोन्साई का आकर दिया जाते है। इसके लिए इसे अलुमिनियम के तार की मदद से आकर दिया जाता है। इसकी जड़ो को पौधे के चारो और फैलाया जाता है। जिससे की एक अच्छे बोन्साई का आकर मिल सके। इस तरह से वट वृक्ष का बोन्साई तैयार कर सकते है।

बाघ के बारे में जानकारी in Hindi

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इस लेख में हम एक जानेगे बाघ के बारे में जानकारी (Information About Tiger In Hindi) बाघ एक खूबसूरत और खतरनाक जानवर है। यह बहुत ताकतवर होता है, यह भोजन में मांस खाता है। बाघ एक संरक्षित जानवर है, इनकी संख्या कम होने की कगार पर है। ज्यादातर बाघों की संख्या भारत, बंगलादेश, रूस, थाईलैंड, इंडोनेशिया, भूटान, सुमात्रा, मलेशिया, और नेपाल में है। जहाँ पर इन्हे संरक्षित करने के लिए कई नेशनल पार्क भी बनाये गए है। जिसके कारण बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। बाघ के बारे सभी लोग जानना चाहते है, इसकी शानदार और आकर्षक बनावट के कारण यह लोगो को अपनी और आकर्षित करता है, हालाकिं आप इसको जंगल में नहीं देख सकते है, क्योकिं यह इंसानो पर हमला कर देता है। लेकिन आप किसी भी नेशनल पार्क की सफारी कर सकते है, जहाँ पर आपको सफारी के दौरान बाघ देखने का अवसर मिलता है। तो आइये जानते है, टाइगर के बारे में जानकारी हिंदी में –

 

 

 

 

 

बाघ पर निबंध – Tiger Essay in Hindi Language - Bagh par Nibandh

 

 

 

Information About Tiger In Hindi | बाघ के बारे में जानकारी

बाघ एक मांसाहारी, स्तनधारी जानवर है। यह बिल्ली की प्रजाति का पशु है, जो की इस प्रजाति का सबसे बड़ा, फुर्तीला और ताकतवर जानवर है। बाघ का अंग्रेजी नाम टाइगर (Tiger) और वैज्ञानिक नाम Scientific Name: Panthera Tigris है। यह एशिया महाद्वीप में श्रीलंका, अंडमान निकोबार द्वीप-समूह, और श्री लंका को छोड़कर एशिया के सभी क्षेत्रों में पाया जाता है। बाघ के शरीर की त्वचा का रंग लाल और पीले रंग की होती है, तथा इसके ऊपर काले रंग की धारियां पायी जाती है।

बाघ के पैर और अंदर के वक्ष का रंग सफ़ेद होता है। बाघ की लम्बाई 12 से 13 फिट, ऊंचाई 70 से 120 सेंटीमीटर तथा इसका वजन 300 किलो होता है। दुनिया में सबसे ज्यादा बाघ भारत में पाए जाते है, बाघ को पुरातन काल से ही अलग अलग धर्मों और सम्प्रदायों में अराध्य जीवों के प्रतिक माना गया है। बाघ को दुनिया के कई देशो के झंडो पर भी प्रदर्शित किया गया है, इसके अलावा यह कई संगठनों के झंडों पर भी प्रदर्शित है। बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है, इसके अलावा यह क्षिण कोरिया, बांग्लादेश, और मलेशिया कब ही राष्ट्रीय पशु है।

बाघ की Scientific Classification जानकारी (About Tiger in Hindi)

बाघ का वैज्ञानिक नाम (Scientific Name) Panthera Tigris
अंग्रेजी नाम Tiger
हिंदी नाम बाघ
जाति P. Tigris
कुल फ़ेलिडाए (Felidae)
वंश पैन्थेरा (Panthera)
वर्ग स्तनपायी पशु
निवास स्थान वन, दलदली क्षेत्र तथा घास के मैदान
मूल निवासी मध्य चीन
लम्बाई 12 से 13 फिट
ऊंचाई 70 से 120 सेंटीमीटर
वजन 300 किलो तक
गर्भकाल 93 से 112 दिन
आयु 8 से 10 वर्ष

 

बाघ की जीवन शैली और भोजन के बारे में जानकारी

बाघ का मुख्य भोजन जंगली जानवर और मनुष्य द्वारा पाले जाने वाले पशु है, जिसमे हिरण, सांभर, नील गाय, जंगली सूअर, भैसें, बकरी आदि शामिल है। टाइगर को घास के मैदान, दलदली क्षेत्र, और वनो में रहना पसंद है। इसके सूँघने की क्षमता अति तीव्र होती है, यह अपने शिकार को 1 किलोमीटर या इससे अधिक की दुरी से भी आसानी से सूंघ सकता है। बाघ अपने बड़े आकर और शरीर पर काली धारियों के कारण आसानी से पहचानने में आ जाता है। यह अपने शिकार पर ज्यादातर पीछे की और से हमला करता है।

जब टाइगर अपने शिकार पर हमला करता है, तो यह किसी झाड़ी के पीछे चिप जाता है, जिससे की शिकार की नजर उस पर नहीं पड़ती है। यह अपना शिकार एकाग्रता और धीरज से करता है। आपको बता दें, की बाघ अपने बड़ी शरीर की वजह से बहुत जल्दी थक जाता है, हालाकिं इसके भागने की गति 49 से 65 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, लेकिन यह अपने शिकार के पीछे ज्यादा दूर तक नहीं भाग पाता है। लेकिन यह आमतौर पर शिकार के इतनी करीब होता है, की उसे पहली बार में ही दबोच लेता है।

अगर टाइगर अपने शिकार को पहली बार में नहीं दबोच पाता है, तो फिर यह उसे छोड़ देता है। आपको बता दें, की बाघ अगर बीस बार शिकार करने की कोशिश करता है, तो वह तब जाकर एक बार अपना शिकार करने में सफल हो पाता है। बाघ दिन के समय जंगली सूअर, हिरण, और चीतल का शिकार करता है। बाघ आमतौर पर अकेले रहना पसंद करते है, और प्रत्येक बाघ का अपना एक निश्चित क्षेत्र होता है, जिसमे वह अपना शिकार करता है, और रहता है।

बाघ सिर्फ प्रजननकाल के दौरान ही मादा के साथ मिलता है। मादा बाघ का गर्भकाल साढ़े तीन महीने से चार महीने का होता है। यह एक बार में 2 से 3 बच्चो को जन्म देती है, बाघ के बच्चो को शावक कहते है। जन्म के बाद बाघिन अपने बच्चो को अपने साथ रखती है, और बच्चे अपनी माँ से ही शिकार की कला सीखते है। लगभग ढाई से तीन साल बाद यह स्वतंत्र रूप से रहने लगते है, बाघ की आयु लगभग 15 से 19 वर्ष होती है।

बाघ संरक्षण की जानकारी

बाघ के संरक्षण के लिए कई नेशनल पार्क बनाये गए है। क्योकिं बाघ एक अत्यंत संकटग्रस्त पशु है, इन पर हमेशा अवैध शिकार का संकट बना रहता है, क्योकिं इनकी खाल से कई प्रकार की कीमती चीजे बनायीं जाती है। वर्तमान समय में पुरे विश्व में बाघों की लगभग 6000 हजार से भी कम संख्या है, जिसमे से 4000 के लगभग भारत में है। भारत में पाए जाने वाले बाघों की प्रजाति पेंथेरा टाइग्रिस टाइग्रिस है।

बाघ की नो प्रजातियां पायी जाती थी, जिनमे से अभी तीन प्रजातियां पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी है, ज्ञात प्रजातियों में रायल बंगाल टाइगर उत्‍तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर भारत के सभी हिस्सों में पाया जाता है, इसके अलावा यह भारत के पड़ोसी देश में भी पाए जाते है, जिनमे भूटान, बांग्लादेश, और नेपाल शामिल है। लगातार घाट रही बाघों की संख्या की वजह से भारत सरकार द्वारा अप्रैल 1973 में बाघ परियोजना को शुरू किया गया है, जिसके दौरान अब तक 27 बाघ आरक्षित क्षेत्रों की स्थापना की गयी है।

बाघ का इतिहास (History of Tiger in Hindi)

कुछ शोधकर्ताओं के मुताबिक बाघ के पूर्वजो के रहने के निशान चीन में पाए गए है। हाल ही में शोध के दौरान एक विलुप्त बाघ की प्रजाति के DNA से ऐसा पता चला है, की बाघ के पूर्वज भारत में मध्य चीन से आये थे। जिस रास्ते से भारत आये थे उस रस्ते को कई शताब्दियों के बाद रेशम मार्ग के नाम से जाना जाने लगा। अमेरिका में एनसीआई लेबोरेट्री ऑफ जीनोमिक डाइवर्सिटी और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिको की शोध के मुताबिक जो प्रजातियां 1970 में विलुप हुई थी, जिनमे रूस के सुदूर पूर्व में मिलने वाले साइबेरियाई या एमुर बाघ और मध्य एशिया के कैस्पियन बाघ दोनों एक जैसे दिखाई देते थे।

आक्सफोर्ड के वाइल्ड लाइफ रिसर्च कंजरवेशन यूनिट के मुताबिक शोधकर्ताओं का ऐसा मानना है, की विलुप्त कैस्पियन और आज के साइबेरियाई बाघ दोनों की प्रजातियों में नजदीकी सम्बन्ध है, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है, की कैस्पियन बाघ कभी विलुप्त ही नहीं हुए थे। एशिया में पाए जाने वाले बाघ, मध्य एशियाई बाघ के पठारी बाघों दिखने में अलग है। लेकिन अध्यन के मुताबिक ऐसा मन जाता है, की लगभग 10 हजार साल पहले बाघ चीन से होकर ही भारत आये थे। जिस रास्ते से बाघ भारत आये थे उस रस्ते को कई हजार साल के बाद व्यापारिक सिल्क रूट का नाम दिया गया।

बाघ कितने प्रकार के होते हैं (How Many Types of Tigers Are There)

जैसा की आपको ऊपर बताया गया है, की बाघों की नौ प्रजातियां थी। लेकिन हाल ही मैं इनमे से 3 प्रजातियां पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी है। बाघ एक सुन्दर और आकर्षक जानवर है, जिसका अवैध तरीके से शिकार किया जा रहा है, हालाकिं अब यह एक संरक्षित पशु है, इस लिए आने वाले समय मैं इनकी संख्या मैं वृद्धि हो सकती है। तो आइये जानते है, बाघ कितने प्रकार के होते हैं –

1. बंगाल टाइगर

बंगाल टाइगर एक सबसे लोकप्रिय प्रजाति है, जिसका नाम सभी लोग जानते है, इस प्रजाति के बाघ भारत और दक्षिण एशिया पाए जाते है। बंगाल टाइगर की एक विशेषता है, की इनमे से कुछ बाघ के बच्चे सफ़ेद फर के पैदा होते है, जिनकी आँखे नीली और शरीर पर गहरे भूरे रंग की धाररियाँ होती है। सबसे बड़े बंगाल टाइगर नर का वजन लगभग 400 किलो तक देखा गया था।

2. सुमित्रन बाघ

सुमित्रन बाघ की प्रजाति सुमात्रा द्वीप पर पायी जाती है, यह बाघ बंगाल टाइगर की अपेक्षा छोटे होते है, लेकिन यह बहुत खतरनाक और आक्रामक होते हैं। यह बाघ विलुप्त होने की कगार पर है, इसका मुख्य उद्देश्य है, की द्वीप का बिगड़ता वातावरण, इसलिए सुमात्रा की सरकार द्वारा द्वीप को संरक्षित करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है।

3. अमूर बाघ

अमूर बाघ की प्रजाति के टाइगर को उस्सुरी या साइबेरियन के नाम से भी जाना जाता है। यह ज्यादातर रूसी सुदूर पूर्व में पाए जाते है, इसके अलावा यह कम मात्रा में चीन और कोरिया के उत्तर में भी पाए जाते है। यह बाघ आकर में बड़ा होता है, इसका फर बड़ा और मोटा होता है। इसके शरीर पर मौजूद धारियां छोटी होती है। यह बाघ ठंडी जलवायु में रहना पसंद करते है, इनके कान छोटे होते है।

4. मलय बाघ

मलायण बाघ सभी प्रजातियों की अपेक्षा सबसे छोटा होता है, यह पश्चिमी मलेशिया के क्षेत्रों में पाया जाता है। यह बाघ आबादी के अनुसार तीसरे स्थान पर आता है।

5. इंडोचाइनीज बाघ

इंडोचाइनीज बाघ अपना जीवन गुप्त तरीके से बिताते है, यह जंगल में अकेला रहना पसंद करते है, यह बाघ इतने अज्ञात है, की इनके रहने – सहने के तरीके के बारे में बहुत कम जानकारियां है। इस प्रजाति में बाघों का रंग गहरा होता है।

10 Lines on Tiger in Hindi | 10 Sentences About Tiger in Hindi

10 Lines on Tiger in Hindi – अभी तक आपने टाइगर के बारे सभी महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ी है। जैसा की आपको बताया गया है, की बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है, इसलिए बाघ के बारे में कई छोटी कक्षाओं में निबंध आदि लिखने को आते है, यहाँ पर हम अब बाघ पर निबंध हिंदी में लिखेंगे, इसके अलावा बाघ के बारे में 5 वाक्य हिंदी में भी आपको निचे बताएँगे जायेंगे। जहाँ से आप अपनी जरुरत के अनुसार यहाँ से याद कर सकते है तो आइये पहले टाइगर के बारे 10 Sentences About Tiger in Hindi के बारे में जान लेते है –

10 Lines on Tiger in Hindi

01. बाघ बिल्लियों की प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर है।

02. बाघ एक मांसहारी जानवर है, जो की हिरण, नील गाय, और जंगल सूअर आदि को अपना भोजन बनता है।

03. बाघ दलदली मैदानों, और वनो में रहना पसंद करता है।

04. बाघ का रंग नारंगी होता है, इसके बिच में काली धारियां बनी होती है।

05. एक मादा बाघ एक बार में 2 से 3 बच्चो को जन्म देती है।

06. बाघ के बच्चो को शावक कहते है।

07. बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है।

08. बाघ 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकता है।

09. बाघ का वजन 300 किलो तक होता है।

10. बाघ की आयु लगभग 15 से 19 साल होती है।

बाघ के बारे में रोचक जानकारी | Facts And Tiger Information in Hindi

1. जिस तरह से मनुष्य के फिंगरप्रिंट अलग अलग होते है, उसी तरह से प्रतियेक बाघ के शरीर की धारियां भी अलग अलग होती है।

2. बाघ के बच्चो की देखभाल जन्म के दो साल तक उनकी माँ करती है, और बाघ के बच्चे अपनी माँ से ही शिकार करने की कला को सीखते है।

3. एक बाघ के दहाड़ने की आवाज को लगभग 3 किलोमीटर दूर तक सुना जा सकता है।

4. बाघ मनुष्य की अपेक्षा रात के अँधेरे में छह गुना ज्यादा देख सकता है।

5. बाघ की हड्डियां बहुत मजबूत होती है। यह एक छलांग में लगभग 5 से 8 मीटर तक की ऊंचाई को पार कर सकता है।

6. बाघ के पिछले पैर आगे के पेरो से अधिक लम्बे होते है, जिससे की बाघ ज्यादा लम्बी छलांग लगा पाता है।

7. सफ़ेद बाघों की आँखे नीली होती है।

8. बाघ अपने शिकार को हमेशा गले से पकड़ता है।

9. बाघ के पैर बड़े और गद्देदार होते है, जो की शिकार के समय बहुत सहायक होते है। जिसकी वजह से बाघ शिकार को उसके पास होने का एहसास भी नहीं होने देता है, और एक झटके में शिकार को दबोच लेता है।

10. बाघ अक्सर पीछे से हमला करता है, अगर आप बाघ की तरफ देख रहे है, तो ऐसे में बहुत कम चांस होते है, की बाघ आप पर हमला करें।

11. भारत के कई ऐसे क्षेत्र है, जहाँ पर लोग अपने पीछे एक मनुष्य का मुखौटा पहनकर जंगल में घूमते है, जिससे की बाघ पीछे से हमला ना कर सकें।

12. बाघ अपना शिकार करने के बाद अपने बच्चो और मादा का इंतजार करता है, इसके बाद ही यह खुद खाता है।

13. बाघ पानी में बहुत अच्छी तरह से तेर सकते है, यह बड़ी से बड़ी नदी को भी आसानी से पर कर सकते है।

14. बाघ पर अगर नदी पार करते समय मगरमच्छ का हमला हो जाता है, तो ऐसे में बाघ मगरमच्छ के निचे हिस्से पर हमला करता है।

15. एक व्यस्क बाघ एक समय में लगभग 40 किलो तक मांस खाता है, और इसके बाद यह लगभग 4 दिन तक शिकार नहीं करता है।

Note – इस लेख में आपको टाइगर के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गयी है, इसके अलावा इस लेख में बाघ पर निबंध (Essay on Tiger in Hindi) और बाघ के बारे में रोचक तथ्य आदि मौजूद है। अगर आपको यह लेख Information About Tiger in Hindi अच्छा लगा तो कृपया कमेंट करके जरूर बताएं साथ ही इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, धन्यवाद।

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