एक अभिभावक के रूप में आप हमेशा अपने बच्चे को बेस्ट देना चाहते हैं. इसमें अगर उसे पढ़ाई के लिए विदेश भेजना भी शामिल है तो इसकी तैयारी जितनी जल्दी शुरू कर सकें, उतना ही बेहतर होगा. अगर आपका बच्चा अभी छोटा है, तो आप उसकी पढ़ाई के पैसे आराम से जोड़ सकते हैं. लेकिन अगर आपका बच्चा एक-दो साल में ही विदेश जाने वाला है तो आपको यह ध्यान रखने की जरूरत है कि उसे किन-किन चीजों की जरूरत पड़ सकती है. foreign languages education यहां हम आपको बता रहे हैं कि आप बच्चे को विदेश भेजने से पहले किन बातों का ध्यान रखें कब प्लानिंग शुरू करें
विदेश में पढ़ाई करने के लिए जाने में कई बातें हैं. foreign languages education हर कदम के बारे में पहले से योजना बनाकर चलना बेहतर कदम हो सकता है. जल्द योजना बनाने से हर कदम की बेहतर तरीके से तैयारी हो पायेगी.आम तौर पर बच्चे 11 वीं या 12 वीं क्लास में इस बारे में सोचना शुरू करते हैं.
इसके बाद उन्हें लगता है कि अब तो काफी देर हो चुकी है. foreign languages education अगर आपका बच्चा आपसे यह 9वीं क्लास में बता दे कि उसे बेहतर पढ़ाई के लिए विदेश जाना है, foreign languages education तो आपको काफी आसानी हो सकती है.
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किसी मेंटर की तलाश करें.अगर कोई वहां पढ़ने वाला या पढ़ चुका व्यक्ति मिल जाये तो उसे आपको सही स्थिति की जानकारी मिल सकती है. काउंसिलिंग सेशन में भी एप्टीच्यूड, कोर्स, कॉलेज, एप्लिकेशन प्रोसेस, बेस्ट ऑप्शंस, वीजा संबंधी औपचारिकताएं, डिपार्चर से पहले के वर्कशॉप और फाइनल डिपार्चर आदि के बारे में जानकारी मिल सकती है. इन सबमें हालांकि 8 -10 महीने का समय लगता है, इससे बच्चे को तैयारी में काफी मदद मिलती है. यह ध्यान रखें कि कुछ काउंसिलर बच्चे को किसी खास कोर्स की तरफ खींचने की कोशिश करते हैं, वे किसी खास यूनिवर्सिटी के लिए भी जोर देते हैं, क्योंकि इसमें उनकी रूचि होती है. उनसे बात करने से पहले सारी तैयारी रखें. अपना सवाल भी रखें और हर समय काउंसिलर की बात ही न सुनें.
आपकी प्राथमिकता अलग हो सकती हैं. कोर्स चुनना, किस देश में जाना है और आखिर में किस यूनिवर्सिटी में दाखिल लिया जाय, यह फैसला लंबी अवधि में बच्चे के लिए फायदेमंद हो सकता है. कुछ केस में हो सकता है कि बेस्ट यूनिवर्सिटी में ही कोर्स करना चाहे, इसमें वही डेस्टिनेशन कंट्री बन जाती है. यूनिवर्सिटी कनेक्शन की फाउंडर, डाइरेक्टर एवं मेंटर चारुशीला ने कहा, ‘एक तरफ जहां ग्लोबलाइजेशन का ट्रेंड बढ़ रहा है, छात्रों को क्या पढ़ना है के बाद किस देश में पढ़ना है, का विकल्प चुनना चाहिए. इसके लिए उस देश में काम करने संबंधी वीजा के नियम, रिसर्च की संभावनाएं, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स सैटिस्फेक्शन सूचकांक, रहने का खर्च आदि पर विचार करना चाहिए.’
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यूनिवर्सिटी में लगातार नए कोर्स लांच किये जाते हैं, हालांकि यह हर जगह उपलब्ध नहीं होते. स्पेसिएलाइजेड कोर्स के लिए पहले ही संपर्क करें, जो आपका बच्चा करना चाहता है. आप शुरुआत में ही कोर्स सेलेक्ट कर अपना समय बचा सकते हैं.
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एक बार कोर्स चुनने के बाद आपको वह देश चुनना चाहिए जहां आप पढ़ाई करना चाहते हैं. हर देश में किसी कोर्स के लिए आवेदन काने के नियम अलग हो सकते हैं. कुछ देशों में एक से अधिक कॉलेज के लिए भी एक ही आवेदन काफी होता है, जबकि कई देशों में आपको हर कॉलेज में अलग से आवेदन करना होता है.
इस बीच आपको सामाजिक और सांस्कृतिक चुनौतियों से भी जूझना पड़ता है. मसलन आपने पढ़ाई के लिए किसी देश को चुना और आपके परिवार के लोग चाहते हैं कि आप वहां ना जाएं.यह भी ध्यान रखें हर देश में आपको पढ़ाई के बाद काम करने के लिए वीजा नहीं मिलता.
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आप अपने बजट और यूनिवर्सिटी के रेपुटेशन के हिसाब से इसका चयन कर सकते हैं. आप वहां के फैकल्टी और प्लेसमेंट रिकॉर्ड को भी देख सकते हैं. पांच-दस कॉलेजों की एक लिस्ट तैयार करें और सावधानी से किसी एक कॉलेज को चुनें.
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आखरी समय में आपको फंड की समस्या नहीं होनी चाहिए. खासतौर पर जब आपका बच्चा पढ़ाई के लिए विदेश जाने को बिलकुल तैयार हो. इसके लिए आप ब्रेक-अप तैयार करें और खर्च का अनुमान लगाते समय सही खर्च जोड़ें. अमेरिका में पढ़ाई के लिए भेजने में सालाना 25 -50 लाख रूपये का खर्च आ सकता है. दूसरे कई देशों में हालांकि यह सस्ता है.
इंटरनेशनल स्टडीज के मामले में काउंसिलिंग सेशन का खर्च प्रति सेशन 5000 रूपये आ सकता है. अगर ऑल इनक्लूसिव पैकेज की बात करें तो यह 75000 -100000 लाख रूपये के बीच आता है.
चारुशीला ने कहा, ‘यूनिवर्सिटी कनेक्शन की वजह से हम बेसिक काउंसिलिंग सुविधा 4000 रूपये में उपलब्ध कराते हैं. हम छात्रों के साथ उन्हें हर तरीके से तैयार करने के लिए 9 वीं क्लास से ही ट्रेंड करते हैं. इंटरनेशनल या कॉलेज एजुकेशन के हिसाब से कम्युनिकेशन,रिसर्च और क्रिटिकल थिंकिंग जैसे बेसिक स्किल्स इसी समय से सिखाये जाते हैं. ऑल इनक्लूसिव हैंड होल्डिंग का खर्च उस देश पर निर्भर करता है, जहां बच्चा पढ़ाई के लिए जाना चाहता है.’
औसत रूप से हर कॉलेज के लिए एप्लिकेशन फीस करीब 75 डॉलर होती है और आपको एक बार में 5 -10 कॉलेज में आवेदन करना पड़ सकता है. इसके अलावा रहने, खाने और आने-जाने का खर्च शामिल है.
अगर कोई बच्चा स्कॉलरशिप लेना चाहता है और इसके जरिये पढ़ाई करने में रूचि ले रहा हो तो इससे ट्यूशन फीस कम रखने में काफी मदद मिलती है. कुछ स्कॉलरशिप में ट्यूशन फीस का कुछ हिस्सा कवर होता है, जबकि कई में पूरी फीस शामिल होती है. जितना हिस्सा स्कॉलरशिप से मिल जाये, उसके बाद बची रकम अभिभावक या बैंक लोन से पूरी की जा सकती है.
मौद्रिक उतार-चढ़ाव
इंटरनेशल एजुकेशन के मामले में ज्यादातर चीजें डॉलर में पूरी होती हैं. जब रुपया डॉलर की तुलना में कमजोर होता है तो विदेश में पढ़ाई महंगी हो जाती है.
साल 2013 में जब डॉलर 62 रूपये पर था और अब जब यह 68 रूपये पर है, फीस और बाकी चीजें महंगी हो गयी हैं. यह अंतर करीब 10 फीसदी का हो गया है. अगर यहां से रुपया और कमजोर होता है तो चार साल के एक कोर्स में आपको फीस और रहने-खाने के खर्च के रूप में ज्यादा रकम की जरूरत होगी.
इस लिहाज से सालाना खर्च और फीस के बारे में डॉलर के रेट के हिसाब से गणना करें. इस तरह के उतार चढ़ाव से बचने के लिए आप किसी विदेश के किसी बैंक में बच्चे के नाम से एकाउंट खोलकर पैसे जमा कर दें और हेजिंग के रूप में इसका प्रयोग करें.
निष्कर्ष
इंटरनेशनल स्टडीज के masters in foreign language education online लिए masters in foreign language education online प्लान करने से masters in foreign language education online पहले करियर masters in foreign language education अपॉर्च्युनिटी के बारे में अच्छे से रिसर्च करें. foreign language education grants देश में और विदेश में इस कोर्स को पूरा करने के बाद क्या संभावनाएं बनती हैं, इसका ध्यान रखें. अंडर foreign language education grants ग्रेजुएट और foreign language education grants पोस्ट ग्रेजुएट foreign affairs education कोर्स में जॉब foreign affairs education की संभावना अलग-अलग होती हैं. foreign affairs education देश के राजनीतिक माहौल का भी इस पर काफी foreign affairs education असर पड़ता है. foreign language education grants अगर ठीक से प्लान किया जाय तो इंटरनेशनल एजुकेशन महंगा होने के साथ बेहतरीन रिजल्ट देने वाला भी साबित होता है.
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