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how to Compost All Type’s खाद at Home

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Compost

 

 

How to Compost Kitchen Waste India Hindi हम हर जगह चाहें टीवी हो या समाचार हम सुन रहें हैं की हमें हमारे शहर को स्वच्छ रखना चाहिए, हर जगह पेड़ पौधे लगाना चाहिए। जी हाँ यह बहुत जरूरी है की हम अपने पर्यावरण की देखभाल करें और स्वछता का पूरा ध्यान रखें। आज के दिन में रसोई के कचरे से खाद(compost) बनाना भी एक बहुत ही बेहतरीन तरीका हैं। इससे एक तो कचरा को इधर-उधर फैंक कर गंदगी नहीं फैलता है दूसरा तो इससे आपके पेड पौधों के लिए प्राकृतिक खाद मिलता है जो बिलकुल भी शरीर के लिए हानिकर नहीं होता हो।

 

 

 

 

भारत में प्रतिदिन शहरी क्षेत्रों में एक व्यक्ति 700-800 ग्राम ठोस कचरा फैंक देता है यानि की एक साल में लगभग 250-300 किलो। अगर आपके घर में 5 सदस्य रहते हैं तो सोचिये आपका परिवार एक वर्ष में लगभग 1500 किलो ठोस कचरा फैंक देते हैं। क्या आप जानते हैं आप घरपर ही उस कचरे से प्राकृतिक खाद बना सकते हैं।

रसोई के कचरे से खाद कैसे बनायें? How to Compost Kitchen Waste India Hindi

हम उस भोजन से बचे हुए कचरे को भी कागज़, प्लास्टिक और लोहे आदि चीजों के साथ मिला कर उसे Recyclable से बेकार बना देते हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम पर्यावरण को स्वयं के बल पर सुरक्षित और स्वच्छ रखें। नगर पालिका के ऊपर सब कुछ छोड़ने से कुछ नहीं होने वला है हमें स्वयं ही अपने पर्यावरण को  आगे बढ़ाना पढ़ेगा।

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खाद बनाना / सम्मिश्रण / कम्पोस्टिंग क्या है? What is Composting?

कम्पोस्टिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आर्गेनिक या कार्बनिक पदार्थ या खाद्य कूड़े को पानी, वायु की मदद से सूक्ष्मजीव खाद के रूप में परिवर्तित कर देते हैं। यह खाद घर में या खेतों में उगाने वाले पौधों के लिए ही अच्छा होता है और क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार का रासायनिक पदार्थ नहीं होता है यह हमारे मिटटी के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।

सूक्ष्मजीव कम्पोस्टिंग के लिए 4 चीजों का होना बहुत आवश्यक होता है –

1. सुखी पत्तियाँ, धुल-मिटटी, कागज़ की मदद से – कार्बोन

2. बचे खुचे फल और सब्जियों के कचरा से – नाइट्रोजन

3. हमारे वायुमंडल से – ऑक्सीजन

4. पानी की सही मात्रा जिससे की ऊपर के तीन चीजों को मिलाकर बना कचरा सड़ सके।

8 आसान स्टेप्स जिनकी मदद से आप अपने रसोई के कचरे से कम्पोस्ट बना सकते हैं Best 8 Steps to Make Compost at Home from Kitchen Waste

 

 

 

 

 

 

 

1. अपने रसोई घर के गीले कचरे जैसे बची खुची सब्जियां, खाना का बचा हुआ कचरे को अलग कूड़ेदान में रखें।

गीली हरी चीजें – इनमें नाइट्रोजन की भरी मात्रा होती है

2. सूखे पत्ते, और ठोस छोटे-मोटे कचरे को एक छोटे से एनी कूड़ेदान में रखें।How to Start Milk Dairy Farming Business Idea’s & Development in Hindi

3. एक बड़ा सा मिटटी का मटका या एक बाल्टी(Compost Bin) ले लीजिये। आप चाहें तो घर के पीछे एक छोटा गड्ढा भी खोद सकते हैं जिसे Compost Pit कहा जाता है। उसके बाद कम्पोस्ट बिन के चरों भाग में 4-5 छेद कर दें जिससे की उसमें रखने वाले कूड़े में हवा लग सके।

 

 

 

 

 

5. उस पात्र(Compost Bin) के नीचले भाग में थोडा सा मिटटी बिछा दें। उसके बाद गीले कचरे और सूखे कचरे को एक के ऊपर एक थोड़े-थोड़े परतों में उस पात्र में डालते जाएँ।

6. जब वह पात्र दोनों प्रकार सूखे और गीले कचरे के परतों से भर जाये तो उसे एक प्लास्टिक या लकड़ी के फट्टे से ढक दें। ढकने से पात्र के अंदर नमी या गीलापन बना रहता है।

7. कुछ-कुछ दिनों में देखते रहें। अगर पात्र के अन्दर मिश्रण ज्यादा सुखा हुआ है हांथों से हल्का-हल्का पानी का छिडकाव करें और दोबारा प्लास्टिक को ढक दें।

8. 2-3 महीने के बाद सुखा खाद बन्ना अपने आप शुरू हो जायेगा। जो दिखने में गाढ़ा भूरा और काला सा होता है और मिटटी की खुशबु उसमें होती है।

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रसोई के कचरे से खाद कैसे बनायें? How to Compost Kitchen Waste India Hindi

Kambhaरसोई के कचरे से खाद कैसे बनायें? How to Compost Kitchen Waste India Hindi

गोबर खाद

आशा करते हैं आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा होगा। हम सब को स्वछता की ओर अपना कदम बढ़ाना होगा और हमें जितना हो सके उतना अपने पृथ्वी को हरा भरा रखने का प्रयास करना होगा। इस पोस्ट को जितना हो सके उतना अपने मित्रों के साथ शेयर करें ताकि सभी पृथ्वी को स्वच्छ और सुरक्षित रखने में अपना योगदान दे सकें

खंड कृषि अधिकारी डा. महावीर सिंह मलिक ने बताया कि भूमि में लगातार आर्गेनिक कार्बन का स्तर गिरता जा रहा है। इसलिए कार्बनिक पदार्थो की पूर्ति के लिए कार्बनिक खाद के रूप में गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, कंचुआ खाद, हरी खाद, खेतों की परती रखना एवं फसलचक्र में दलहनी फसलों को शामिल करना जरूरी हो गया है।

गोबर खाद तैयार करने की नई विधि : गोबर के ढेर या कुरड़ी को सभी तरफ के किनारों को लगभग आधा या एक फुट ऊंचा उठाकर प्यालीनुमा बना लेते हैं। इसके बाद इसमें बाल्टियों या पाइप से इतनी मात्रा में पानी डाला जाता है कि सारा गोबर का ढेर ऊपर से नीचे तक गीला हो जाए। पानी से गच करने के लिए ढेर में जगह-जगह लकड़ी या सरिया से छेद बना देते हैं। इसके बाद इस ढेर पर सिर्फ काले रंग की पालीथीन या मोमजामा की शीट से पूरी तरह ढक दिया जाता है। इस दौरान सावधानी रखी जाए कि पालीथीन कटे या फटे नहीं और आवारा पशु ढेर पर न चढ़ सकें। थोड़े से समय में ही अच्छी खाद तैयार हो जाती है।

नई विधि की विशेषता : इस प्रकार से तैयार खाद पोषक तत्वों से भरपूर, 25 प्रतिशत नमी युक्त, भुरभुरी, सस्ती व दुर्गध रहित होती है। परंपरागत खाद तैयार करने में पांच से आठ माह लगते हैं, जबकि इस विधि से डेढ़ से दो माह में ही खाद तैयार हो जाती है। खाद में खरपतवारों के बीज गल सड़ कर नष्ट हो जाते हैं। पालीथीन से ढके होने से मिथैन गैस वायुमंडल में नहीं मिलती, जिससे पर्यावरण शुद्ध रहता है। खाद में दीमक भी नहीं लगती। उचित मात्रा में तापमान व नमी मिलने से सूक्ष्म जीवाणुओं की सक्रियता पुरानी विधि की तुलना में तीव्र रहती है। अच्छी तरह से गलने व सड़ने के कारण पोषक तत्व शीघ्र व संतुलित मात्रा में फसल को मिलते हैं।

कम्पोस्ट खाद

कम्पोस्ट, जी हां, पौधों के लिए कम्पोस्ट पोषक तत्त्वों से भरपूर होती है और ये बाजार में नहीं मिलती। यदि आपके पास खुला स्थान है तो घर पर ही आप पोषक तत्त्वों से भरपूर कम्पोस्ट तैयार कर सकते हैं।

पौधों के लिए पोषक तत्त्वों से भरपूर मिट्टी की बहुत आवश्यकता होती है। यहां की मिट्टी में पोटाश और फॉस्फेट अच्छी मात्र में मिल जाता है, परंतु पौधों की वृद्धि व विकास के लिए अत्यंत आवश्यक तत्त्व नाइट्रोजन कम होता है और नाइट्रोजन उसे कम्पोस्ट द्वारा संतुलित रूप में उपलब्ध होता है। मानव ही नहीं, पशु-पक्षी सभी अपना मुख्य भोजन वनस्पति जगत से ही प्राप्त करते हैं और वह मल-मूत्र मिट्टी में मिल कर भूमि को उपजाऊ बना देता है। यदि इसको सही रूप में तैयार कर लिया जाए तो हम कम्पोस्ट तैयार करके पौधों को अत्यंत संतुलित पोषक तत्त्व प्रदान कर सकते हैं। भोजन का यह चक्र ही वनस्पति जगत में संतुलन बनाए रखता है। बियाबान जंगलों व प्रदेशों में पत्तों के गिरने से सड़ने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है व वनस्पतियों को निरंतर पोषक तत्त्व उपलब्ध होते रहते हैं। प्रकृति में यह सड़ना व गलना बैक्टीरिया की सहायता से होता रहता है। यह भी देखा गया है कि यह बैक्टीरिया लगभग एक मीटर (3 फीट) की गहराई तक सुगमतापूर्वक चला जाता है। इसी के अनुसार हम कम्पोस्ट के लिए गड्ढा तैयार करते हैं। यह गड्ढा तीन फुट लंबा व तीन फुट चौड़ा होना चाहिए। अत: गड्ढे का सही आकार 37271 होना चाहिए। गड्ढे में पहले चारों तरफ पानी का छिड़काव करके उसे नम कर लें और उसमें पत्ते, पौधे, रसोई व घर का अन्य गलने योग्य कचरा 30 से.मी. ऊंचाई तक भर दें। इस पर एक तह गोबर की बिछा दें। यदि गोबर न हो तो यूरिया की तह फैला दें। इसके बाद पुन: पानी का छिड़काव करके आप कूड़ा-कचरा, पत्ते आदि भर दें। गोबर खाद में बैक्टीरिया पैदा करता है, जिसमें सड़ने-गलने की प्रक्रिया में तेजी आ जाती है। इसके बाद पूरे गड्ढे को पांव से दबा दें और उस पर पर्याप्त पानी डाल दें। ये नमी कचरे को गलने व सड़ने में तेजी लाती है।

इस प्रकार गड्ढे को भरपूर भर कर मिट्टी से अच्छी तरह बंद कर दें और समय-समय पर पानी डालते रहें। इस प्रक्रिया से तीन-चार महीने में आपके लिए पोषक तत्त्वों से भरपूर कम्पोस्ट तैयार हो जाएगी और घर के कूड़े-कचरे का सदुपयोग भी हो जाएगा। ये देखने में एक काले रंग के पाउडर के समान होगी। इसमें किसी किस्म की गंध भी नहीं मिलेगी।

 

 

 

 

 

 

कैसे करें खाद तैयार

कम्पोस्ट के लिए गड्ढा खोदें, जो तीन फुट लंबा व तीन फुट चौड़ा होना चाहिए। गड्ढे में पहले चारों तरफ पानी का छिड़काव कर उसे नम कर लें और उसमें पत्ते, पौधे, रसोई व घर का अन्य गलने योग्य कचरा 30 से.मी. ऊंचाई तक भर दें। इस पर एक तह गोबर की बिछा दें। इसके बाद पुन: पानी का छिड़काव करके कूड़ा-कचरा, पत्ते आदि भर दें। इसके बाद पूरे गड्ढे को पांव से दबा दें और उस पर पर्याप्त पानी डाल दें। इस प्रकार गड्ढे को भरपूर भर कर मिट्टी से अच्छी तरह बंद कर दें और समय-समय पर पानी डालते रहें। इस प्रक्रिया से तीन-चार महीने में आपके लिए पोषक तत्त्वों से भरपूर कम्पोस्ट तैयार हो जाएगी और घर के कूड़े-कचरे का सदुपयोग भी हो जाएगा।

जैविक खाद

घर का कचरा जब परेशानी बनने लगा तो उसके समाधान के लिए दिमाग को दौड़ाया। सोचते हुए आइडिया आया कि क्यों वाणी मुरथी की तरह घर पर ही जैविक खाद तैयार किया जाए और उसी खाद से घर के गमलों में फूलों के अलावा सब्जियां भी उगाई जाएं। इसी सोच के तहत आरके पुरम की एक गृहिणी ने घर के गीले वेस्ट से जैविक खाद बना डाली। आज वह इसी खाद ने अपने गमलों में लगे फूल सब्जियों के पौधों को पोषण दे रही हैं।

आरकेपुरम वासी गृहिणी रमेश दहिया को स्वच्छता diy compost bin और हरियाली से विशेष लगाव है। उसे घरेलू कूड़े कचरे को सड़क पर फेंकना diy compost bin अच्छा नहीं लगता है। इसलिए उसने घर से निकलने वाले कचरे को दो भागाें में बांटा हुआ है। diy compost bin एक डस्टबिन में वह गीला कचरा और दूसरे में सूखा कचरा डालती हैं। diy compost bin इस तरह कचरे से डस्टबिन भरा जाता था, लेकिन कचरा उठाने वाला कर्मी कई-कई diy compost bin दिनों तक नहीं आता था। इस स्थिति में डस्टबिन में पड़े कचरे में दुर्गंध पैदा हो जाती थी।diy compost bin  जब परेशानी बढ़ने लगी तो उन्होंने इस समस्या का हल ढूंढने का diy compost bin प्रयास किया। इसी तरह परिवार में अपने बच्चों के साथ बैठकर सोचते हुए diy compost bin आइडिया निकलकर सामने आया कि क्यों बंगलुरू के पर्यावरणविद वाणी diy compost bin मुरथी की तरह घर के फलों सब्जियों के छिलके वेस्ट से जैविक खाद तैयार की जाए। diy compost bin इसके लिए उनके बेटे मोहित ने नेट से उन्हें वाणी मुरथी की वीडियो भी दिखाई। इस वीडियो से प्रेरित होकर उन्होंने घर से निकलने वाले वेस्ट से जैविक खाद बनाना तैयार किया।

 

 

 

 

 

 

सफाई पसंद गृहिणी रमेशcompost tumbler दहिया बड़ी सहजता से compost tumbler घर से निकलने वाले कचरे का compost tumbler प्रबंधन कर रही हैं। उन्हें सफाई कर्मी की compost tumbler इंतजार रहती हैं और घर में कूड़े की वजह से दुर्गंध और मक्खी-मच्छरों का भय है।

^तीन तरह की जैविक खाद compost tumbler होती है। compost tumbler गोबर, वर्मी compost tumbler कंपोस्ट सिटी कंपोस्ट। उक्त महिला जिस तरहcompost tumbler  से खाद तैयार कर रही है, compost tumbler यह compost tumbler विधि सिटी कंपोस्ट की है। compost tumbler इसमें मैटीरियल के सड़ने गलने से खाद तैयार होती है। खाद में भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने वाले सभी 16 तत्व compost tumbler विद्यमान होते हैं। -डॉ. सुनीलबजाड़, एसडीएओ

बैंगन और टमाटर, पपीते की पौध हो रही तैयार

इसजागरूक गृहिणी ने अपने घर पर तैयार किए गए जैविक खाद की सहायता से घर पर ही गमलों में बैंगन टमाटर उगा रखे हैं। यह सभी पौधे अच्छे हैं, जिसका कारण वे स्वयं द्वारा तैयार की गई जैविक खाद को मानती हैं। महिला का कहना है कि गमलों पुराने टब अथवा छत पर पॉलीथीन बिछाकर उपर मिट्टी डालकर बैंगन, भिंडी, टमाटर, मटर, फली, घीया, लौकी जैसी सब्जियों को आसानी से उगाया जा सकता है।

ऐसे तैयार करती हैं जैविक खाद

 

 

 

 

रमेशदहिया उसके बेटे मोहित ने बाजार से मिट्टी के compost toilet तीन घड़े मंगवाए। जैविक खाद बनाने के लिए वे केंचुए भी लाए, लेकिन घड़ों के अंदर केंचुए compost toilet अधिक दिनों तक जीवित नहीं रह सकें। उन्होंने महसूस किया कि बैगर गोबर के केंचुओं का जिंदा रहना मुश्किल है। compost बाद में उन्होंने बिना केंचुए ही खाद बनाना शुरू किया। compost toilet घड़े में घर के फल-सब्जियों का छिलका और वेस्ट डाला। उन्होंने उसे उपर से compost toilet जाली लगाकर ढक लिया। इसमें वे पेड़ों के गिरे पत्ते इत्यादि भी डालते हैं। compost toilet प्राकृतिक तौर पर इस वेस्ट में कीड़े पैदा होते हैं, जो खाद को तैयार करने में अहम रोल अदा करते हैं। compost toilet इसके अलावा घर में पड़े वेस्ट को बीच-बीच में डंडे से घुमाया भी जाता है। compost toilet इस तरह से एक माह में देखा कि जैविक खाद बनकर तैयार है। compost toilet अब उन्होंने खाद के लिए तीन घड़े लगा रखे हैं, जिनको कचरा डालने के साथ compost toilet कुछ-कुछ दिनों के अंतराल में compost toilet उपर नीचे किया जाता है। जिस घड़े का जैविक खाद तैयार होता है उसे एक मोटी छलनी से छान लिया जाता है और छलनी के उपर रह गए मैटीरियल को फिर से घड़े में डाल दिया जाता है।

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