Napoleon Biography in Hindi
नेपोलियन बोनापार्ट (जन्म नाम नेपोलियोनि दि बोनापार्टे) फ्रान्स की क्रान्ति में सेनापति, ११ नवम्बर १७९९ से १८ मई १८०४ तक प्रथम कांसल के रूप में शासक और १८ मई १८०४ से ६ अप्रैल १८१४ तक नेपोलियन १ के नाम से सम्राट रहा। वह पुनः २० मार्च से २२ जून १८१५ में सम्राट बना। वह यूरोप के अन्य कई क्षेत्रों का भी शासक था। इतिहास में नेपोलियन विश्व के सबसे महान सेनापतियों में गिना जाता है। उसने एक फ्रांस में एक नयी विधि संहिता लागू की जिसे नेपोलियन की संहिता कहा जाता है। वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से एक था। उसके सामने कोई रुक नहीं पा रहा था। जब तक कि उसने १८१२ में रूस पर आक्रमण नहीं किया, जहां सर्दी और वातावरण से उसकी सेना को बहुत क्षति पहुँची। नैपोलियन कार्सिका और फ्रांस के एकीकरण के अगले वर्ष ही १५ अगस्त १७६९ ई॰ को अजैसियों में पैदा हुआ था। उसके पिता चार्ल्स बोनापार्ट एक चिरकालीन कुलीन परिवार के थे। उनका वंश कार्सिका के समीपस्थ इटली के टस्कनी प्रदेश से संभूत बताया जाता है। चार्ल्स बोनापार्ट फ्रेंच दरबार में कार्सिका का प्रतिनिधित्व करते थे। उन्होंने लीतिशिया रेमॉलिनो (Laetitia Ramolino) नाम की एक उग्र स्वभाव की सुंदरी से विवाह किया था जिससे नैपोलियन पैदा हुआ। चार्ल्स ने फ्रेंच शासन के विरुद्ध कार्सिकन विद्रोह में भाग भी लिया था, किंतु अंतत: फ्रेंच शक्ति से साम्य स्थापित करना ही श्रेयस्कर समझा।(Napoleon Biography in Hindi )
फ्रेंच गवर्नर मारबिफ (Marbeuf) की कृपा से उन्हें वर्साय की एक मंत्रणा में सम्मिलित होने का अवसर भी मिला। चार्ल्स के साथ उसकी द्वितीय पुत्र नैपोलियन भी था। नेपोलियन स्वयं कहता था कि- ”जब मैं पैदा हुआ था, तो मेरा देश मौत की घड़ियां गिन रहा था ।” नेपोलियन का पिता कार्लो बोनापार्ट आलसी और निरूत्साही व्यक्ति था, जबकि उसकी माता अत्यन्त साहसी, विदुषी महिला थी । बचपन से ही नेपोलियन की माता लिटेजिया ने उसकी पढ़ाई-लिखाई में बहुत अधिक रुचि ली ।
वे उसे बचपन से ही वीरों की कहानियां सुनाया करती थी । इसके विपरीत नेपोलियन अत्यन्त ही उद्दण्ड, पढ़ाई से दूर भागने वाला, क्रान्तिकारी स्वभाव वाला बालक था । उसके इस व्यवहार के कारण उसके पिता ने उसे एक सैनिक स्कूल में भरती करवा दिया, जहां उसने 1784 में तोपखाने से सम्बन्धित विषयों का अध्ययन करने के लिए पेरिस के एक कॉलेज में प्रवेश लिया । उसकी प्रतिभा को देखकर फ्रांस के राजकीय तोपखाने में उसे सबलेफ्टिनेन्ट की नौकरी मिल गयी थी ।
उसे ढाई सिलिंग का प्रतिदिन का वेतन मिला करता था, जिससे वह अपने 7 भाई-बहिनों का पालन-पोषण करता था । उसके व्यक्तिगत गुण और साहस को देखकर फ्रांस के तत्कालीन प्रभावशाली नेताओं से उसका परिचय प्रगाढ़ होता चला गया । अब उसे आन्तरिक सेना का सेनापति भी नियुक्त किया गया । इसी बीच 9 मार्च 1796 को जोसेफाइन से उसका विवाह हो गया ।
अपनी योद्धा प्रवृत्ति के कारण वहा सेना में भर्ती हो गये और 1792 में उन्होंने टूलों का विद्रोह सफलतापूर्वक दबाकर अपनी योग्यता का परिचय दिया। 1796 में उन्होंने इटली के राज्यों को परास्त किया और यही से उनके उद्भव की कहानी प्रारंभ होती है, उनकी प्रसिध्द उक्ति है, ’असंभव शब्द मूर्खो के शब्द कोष में पाया जाता है।’ फ़्रांस में उनकी निरंतर बढ़ती लोकप्रियता एवं शक्ति से आशंकित हो तत्कालीन सरकार ने उन्हें 1798 में मिस्र भेज दिया था।
1799 ने वो फ़्रांस लौटे और त्रिसदस्यीय मंत्रिपरिषद का अंग बना दिया गया। फिर नेपोलियन ने स्वयं को दस वर्ष के लिए प्रथम कौंसल घोषीत करके अन्ततः 1804 में सम्राट की उपाधि धारण कर ली। फ़्रांस का सम्राट बनने के पूर्व वह अनेक युध्दों में विजय प्राप्त कर चुके थे। 2 दिसंबर, 1805 में आस्ट्रिया और रूस पर विजय प्राप्त करने के बाद 14 अक्तुबर,1806 को उन्होंने प्रशा को पराजित किया इससे लगभग संपूर्ण युरोप पर उसका आधिपत्य हो गया। नेपोलियन ‘टिलसित की संधि’(1807) के समय शिखर पर था।
‘सिविल कोड’, ‘लीजियन ऑफ़ ऑनर’, ‘इम्पीरियल बैक’, ‘कॉन्काड्रेट’, ‘राइन संघ’आदि नेपोलियन की ही अमर दें है। अपने अनेक सफल अभियानों को पूरा करने के बाद महानायक नेपोलियन को ब्रिटिश सेनापति ‘नेल्सन’ से मात खानी पड़ी। ‘वॉटरलू की लड़ाई’, 1815 ई. में नेपोलियन की पराजय हुई। इस निर्णायक पराजय ने उसके विराट सपने को, जो उसने देखा था, सदा के लिए भंग कर दिया। पराजय के उपरांत नेपोलियन को बन्दी बना लिया गया और उसे ‘सेन्ट हैलेना द्वीप’ पर भेज दिया गया।
फ़्रांस एक नये संकट से झुझ रहा था जब आस्ट्रिया व् रूस , ब्रिटन के साथ मैत्री कर चुके थे | उधर तरफ नेपोलियन पेरिस लौट आ ये थे जहा सरकार संकट में थी | 1799 में नेपोलियन को उनको फ़्रांस का वाणिज्यदूत चुना गया और 1804 में नेपोलियन को फ़्रांस का सम्राट घोषित किया गया |अब सरकार में आते ही नेपोलियन ने सरकार के केन्द्रीकरण , बैंक ऑफ़ फ्रांस के निर्माण , रोमन कैथोलिक धर्म की पुन: प्रतिष्ठा और कोड नेपोलियन की सहायता से कानून व्यस्व्स्था को दुरुस्त किया था |
1800 में नेपोलियन ने आस्ट्रिया को पराजित कर दिया था | उन्होंने एक जनरल यूरोपीयन शान्ति समझौता किया जिससे पुरे महाद्वीप पर फ्रेच सत्ता स्थापित हो गयी थी | 1803 में ब्रिटेन ने फ़्रांस से युद्ध छेड़ दिया , फिर रूस और आस्ट्रिया भी ब्रिटेन के साथ शामिल हो गये | Napoleon Bonaparte नेपोलियन ने ब्रिटेन को छोडकर पहले रूस और आस्ट्रिया से युद्ध किया जिसमे वो विजय रहे |
इस युद्ध से काफी लाभ हुआ और यूरोप उनके नियन्त्रण में आ गया | पवित्र रोम साम्राज्य का विघटन हुआ , हॉलैंड और वेस्टफलिया बने , अगले पाँच वर्षो में हॉलैंड ,वेस्टफालिया , इटली ,नेपल्स ,स्पेन एवं स्वीडन में नेपोलियन संबंधी एव शुभचिंतक नेता बने | 1810 में उन्होंने आस्ट्रिया सम्राट की पुत्री से विवाह कर लिया क्योंकि पहले विवाह से उनकी कोइए सन्तान नही हुयी थी | एक वर्ष बाद उनके यहाँ पुत्र का जन्म हुआ |
सारे यूरोप का स्वामी हो जाने पर अब नेपोलियन ने इंगलैंड को हराने के लिए एक आर्थिक युद्ध छेड़ा। सारे यूरोप के राष्ट्रों का व्यापार इंगलैंड से बंद कर दिया तथा यूरोप की सारी सीमा पर एक कठोर नियंत्रण लागू किया। ब्रिटेन ने इसके उत्तर में यूरोप के राष्ट्रों का फ्रांस के व्यापार रोक देने की एक निषेधात्मक आज्ञा प्रचारित की। ब्रिटेन ने अपनी क्षतिपूर्ति उपनेवेशों से व्यापार बढ़ा कर कर ली, किंतु यूरोपीय राष्ट्रों की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी और वे फ्रांस की इस यातना से पीड़ित हो उठे।
सबसे पहले स्पेन ने इस व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह किया। परिणामस्वरूप नैपोलियन ने स्पेन पर चढ़ाई की और वहाँ की सत्ता छीन ली। इस पर स्पेन में एक राष्ट्रीय विद्रोह छिड़ गया। नेपोलियन इसको दबा भी नहीं पाया था कि उसे ऑस्ट्रिया के विद्रोह को दबाना पड़ा और फिर क्रम से प्रशा और रूस ने भी इस व्यवस्था की अवज्ञा की। रूस का विद्रोह नेपोलियन के लिए विनाशकारी सिद्ध हुआ।
उसके मॉस्को अभियान की बर्बादी इतिहास में प्रसिद्ध हो गयी है। पेरिस लौटकर नेपोलियन ने पुन: एक सेना एकत्र की किंतु लाइपजिग ) में उसे फिर प्रशा, रूस और आस्ट्रिया की संमिलित सेनाओं ने हराया। चारों ओर राष्ट्रीय संग्राम छिड़ जाने से वह सक्रिय रूप से किसी एक राष्ट्र को न दबा सका तथा 1814 ई॰ में एल्बा द्वीप भेज दिया गया।
मृत्यु :
नेपोलियन बोनापार्ट की मौत को लेकर तरह-तरह की बातें कही जाती हैं। अधिकांश इतिहासकार ये मानते हैं कि उसकी मौत पेट के कैंसर की वजह से हुई थी। ‘वॉटरलू की लड़ाई’ में हार जाने के बाद नेपोलियन को 1821 में ‘सेन्ट हैलेना द्वीप’ निर्वासित कर दिया गया था, जहाँ 52 साल की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई, लेकिन सन 2001 में फ़्राँसीसी विशेषज्ञों ने नेपोलियन के बाल का परीक्षण करके पाया कि उसमें ‘आर्सनिक’ नामक ज़हर था। यह माना जाता है कि संभवत सेन्ट हैलेना के तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर ने फ़्राँस के काउंट के साथ मिलकर नेपोलियन की हत्या की साज़िश रची थी।
लेकिन अमरीकी वैज्ञानिकों ने बिल्कुल ही अलग व्याख्या की है, उन्होंने कहा कि नेपोलियन की बीमारी का जो उपचार किया गया था, उसी ने उसे मार दिया। नेपोलियन को नियमित रूप से ‘पोटेशियम टार्ट्रेट’ नामक ज़हरीला नमक दिया जाता था, जिससे वह उल्टी कर सके और ऐनिमा लगाया जाता था। इससे नेपोलियन के शरीर में पोटेशियम की कमी हो गई, जो कि हृदय के लिए घातक होती है। नेपोलियन को उसकी आंतों की सफ़ाई के लिए 600 मिलिग्राम मरक्यूरिक क्लोराइड दिया गया और दो दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो गई।
विचार :
• अनजानी राहोँ पर वीर ही आगे बढ़ा करते हैं कायर तो परिचित राह पर ही तलवार चमकाते हैं।
• अवसर के बिना काबिलियत कुछ भी नहीं है।
• जो अत्याचार पसंद नहीं करते, उनमे से कई ऐसे होते हैं जो अत्याचारी होते हैं।
• संविधान छोटा और अस्पष्ट होना चाहिए।
• यदि आप 100 शेरो की एक सेना बनाते है जिसका सेनापति एक कुत्ता है तो युद्ध में सारे शेर कुत्तों की मौत मारे जाएंगे। लेकिन यदि आप 100 कुत्तों की एक सेना बनाते है जिसका सेनापति एक शेर है तो सारे कुत्ते युद्ध में शेर की तरह लड़ेंगे।
• शेर द्वारा संचालित भेड़ों की सेना, भेड़ द्वारा संचालित शेरो की सेना से हमेशा जीतेगी।
• साहस, प्यार के समान है दोनों को आशा रूपी पोषण आवशयकता होती है।
• एक लीडर आशा का व्यापारी होता है।
• जितनी मुझे फ्रांस की ज़रुरत नहीं है उससे ज्यदा फ्रांस को मेरी ज़रुरत है।
• पिरामिडों की इन ऊंचाइयों से चालीस सदियाँ हमे देख रही है।
• जिसे जीत लिए जाने का भय होता है उसकी हार निश्चित होती है।
• वो जो प्रशंशा करना जानता है, अपमानित करना भी जानता है।
• मैं कभी लोमड़ी बनता हूँ तो कभी शेर। शाशन का पूरा रहस्य ये जानने में है कि कब क्या बनना है।
• किसी कार्य को खूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिये।
• राजनीति में कभी पीछे ना हटें , कभी अपने शब्द वापस ना लें…और कभी अपनी गलती ना मानें।
• ये कारण है , ना कि मौत ,जो किसी को शहीद बनाता है।
• असंभव शब्द सिर्फ बेवकूफों के शब्दकोष में पाया जाता है.
• कोई व्यक्ति अपने अधिकारों से ज्यादा अपने हितों के लिए लडेगा.
• हमेशा एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है.
• एक सिंघासन महज मखमल से ढंकी एक बेंच है।
• एक सच्चा आदमी किसी से नफरत नहीं करता।
• सारे धर्म इंसानों द्वारा बनाये गए हैं।
• एक सेना अपने पेट के बल पर आगे बढती है।
• मौत कुछ भी नहीं है , लेकिन हार कर और लज्जित होकर जीना रोज़ मरने के बराबर है।
• अगली दुनिया में हम सेनापतियों से ज्यादा चिकित्सकों को लोगों की जिंदगियों के लिए जवाब देना होगा।
• अब मैं आज्ञा का पालन नहीं कर सकता, मैंने आज्ञा देने का स्वाद चखा है, और मैं इसे छोड़ नहीं सकता।
• मैंने अपने सभी सेनापति कीचड से बनाये हैं।
• कल्पना दुनिया पर शासन करती है।
• मरने की तुलना में कष्ट सहने के लिए ज्यादा साहस चाहिए होता है।
• सम्पन्नता धन के कब्जे में नहीं उसके उपयोग में है।
• आमतौर पर सिपाही लड़ाइयाँ जीतते हैं; सेनापति उसका श्रेय ले जाते हैं।
• अपने वचन को निभाने का सबसे अच्छा तरीका है कि वचन ही ना दें। लेकिन वह काम कर दीजिये।
• निर्धन रहने का एक पक्का तरीका है कि ईमानदार रहिये।
• जब रात को आप अपने कपडे फेंकते हैं तो उसी वक़्त अपनी चिंताओं को भी फेंक दीजिये।
• वो सब कुछ करना जो आप कर सकते हैं , इंसान होना है। वो सब कुछ करना जो आप करना चाहते हैं , भगवान् होना है।
• जीत उसे मिलती है जो सबसे दृढ रहता है।
• एक सिपाही एक रंगीन रिबन के लिए दिलो जान से लडेगा.
• ताकत मेरी रखैल है . मैंने उसे पाने के लिए इतनी मेहनत की है कि कोई उसे मुझसे छीन नहीं सकता.
• धर्म आम लोगों को शांत रखने का एक उत्कृष्ट साधन है.
• सम्पन्नता धन के कब्जे मैं नहीं उसके उपयोग में है.
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