करें सागौन की उन्नत खेती और कमाएं मुनाफा
व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए आम तौर पर सागौन की अच्छी किस्म की खेती की जाती है जिसमें कम रिस्क पर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। Teak Wood Farming लगभग 14 सालों में अच्छी सिंचाई, उपजाऊ मिट्टी के साथ वैज्ञानिक प्रबंधन के जरिेए एक पेड़ से 10 से 15 क्यूबिक फीट लकड़ी हासिल की जा सकती है।
सागौन को इमारती लकड़ी का राजा कहा जाता है जो वर्बेनेसी परिवार से संबंध रखता है। इसका वैज्ञानिक नाम टैक्टोना ग्रांडिस है। इसका पेड़ बहुत लंबा होता है और अच्छी किस्म की लकड़ी पैदा करता है। यही वजह है कि इसकी देश और विदेश के बाजार में अच्छी डिमांड है। सागौन से बनाए गए सामान अच्छी क्वालिटी के होते हैं और ज्यादा दिनों तक टिकते भी हैं। इसलिए सागौन की लकड़ी से बने फर्नीचर की घर और ऑफिस दोनों जगहों पर भारी मांग हमेशा रहती है। पूरी दुनिया में सागौन लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए आम तौर पर सागौन की अच्छी किस्म की खेती की जाती है जिसमें कम रिस्क पर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। लगभग 14 सालों में अच्छी सिंचाई, उपजाऊ मिट्टी के साथ वैज्ञानिक प्रबंधन के जरिेए एक पेड़ से 10 से 15 क्यूबिक फीट लकड़ी हासिल की जा सकती है। इस दौरान पेड़ के मुख्य तने की लंबाई 25-30 फीट, मोटाई35-45 ईंच तक हो जाती है। आमतौर पर एक एकड़ में 400 अच्छी क्वालिटी के आनुवांशिक पेड़ तैयार किये जा सकते हैं। इसके लिए सागौन के पौधों के बीच 9/12 फीट का अंतराल रखना होता है।
भारत में सागौन के कई प्रकार हैं
नीलांबर (मालाबार) सागौन
दक्षिणी और मध्य अमेरिकन सागौन
पश्चिमी अफ्रीकन सागौन
अदिलाबाद सागौन
गोदावरी सागौन
कोन्नी सागौन
सागौन की खेती के लिए उपयुक्त मौसम
सागौन के लिए नमी और उष्णकटिबंधीय वातावरण जरूरी होता है। यह ज्यादा तापमान को आसानी से बर्दाश्त कर लेता है। लेकिन सागौन की बेहतर विकास के लिए उच्चतम 39 से 44 डिग्री सेंटीग्रेट और निम्नतम 13 से 17 डिग्री सेंटीग्रेड उपयुक्त है। 1200 से 2500 मिलीमीटर बारिश वाले इलाके में इसकी अच्छी पैदावार होती है। इसकी खेती के लिए बारिश, नमी, मिट्टी के साथ-साथ रोशनी और तापमान भी अहम भूमिका निभाता है।
सागौन खेती में मिट्टी की भूमिका
सागौन की सबसे अच्छी पैदावार जलोढ़ मिट्टी में होती है जिसमे चूना-पत्थर, शीष्ट, शैल, भूसी और कुछ ज्वालामुखीय चट्टानें जैसे कि बैसाल्ट मिली हो। वहीं, इसके विपरीत सूखी बलुवाई, छिछली, अम्लीय (6.0पीएच) और दलदलीय मिट्टी में पैदावार बुरी तरह प्रभावित होती है। सॉयल पीएच यानी मिट्टी में अम्लता की मात्रा ही खेती के क्षेत्र और विकास को निर्धारित करती है। सागौन के वन में सॉयल पीएच का रेंज व्यापक है, जो 5.0-8.0 के 6.5-7.5 बीच होता है।
सागौन खेती में कैल्सियम की भूमिका
कैल्सियम, फोस्फोरस, पोटैशियम, नाइट्रोजन और ऑर्गेनिक तत्वों से भरपूर मिट्टी सागौन के लिए बेहद मुफीद है। कई शोध परिणाम बताते हैं कि सागौन के विकास और लंबाई के लिए कैल्सियम की ज्यादा मात्रा बेहद जरूरी है। यही वजह है कि सागौन को कैलकेरियस प्रजाति का नाम दिया गया है। सागौन की खेती कहां होगी इसको निर्धारित करने में कैल्सियम की मात्रा अहम भूमिका निभाती है। साथ ही जहां सागौन की मात्रा जितनी ज्यादा होगी उससे ये भी साबित होता है कि वहां उतना ही ज्यादा कैल्सियम है। जंगली इलाकों में जहां नर्सरी स्थापित की जाती है वो बेहद ऊर्वरक होती है और उसमे अलग से खाद मिलाने की जरूरत नहीं होती है।
नर्सरी में सागौन पौधारोपन
सागौन की नर्सरी के लिए हल्की ढाल युक्त अच्छी सूखी हुई बलुई मिट्टी वाला क्षेत्र जरूरी होता है। नर्सरी की एक क्यारी 1.2 मीटर की होती है। इसमे0.3 मी.से 0.6मी की जगह छोड़ी जाती है। साथ ही क्यारियों की लाइन के लिए 0.6 से 1.6 मी. की जगह छोड़ी जाती है। एक क्यारी में 400-800 तक पौधे पैदा होते हैं। इसके लिए क्यारी की खुदाई होती है। इसे करीब 0.3 मी. तक खोदा जाता है और जड़, खूंटी और कंकड़ को निकाला जाता है। जमीन पर पड़े ढेले को अच्छी तरह तोड़ कर मिला दिया जाता है। इस मिट्टी को एक महीने के लिए खुला छोड़ दिया जाता है और उसके बाद उसे क्यारी में बालू और ऑर्गेनिक खाद के साथ भर दिया जाता है। नमी वाले इलाके में जल जमाव को रोकने के लिए जमीन के स्तर से क्यारी को 30 सेमी तक ऊंचा उठाया जाता है। सूखे इलाके में क्यारी को जमीन के स्तर पर रखा जाता है। खासकर बेहद सूखे इलाके में जहां 750 एमएम बारिश होती है वहां पानी में थोड़ी डूबी हुई क्यारियां अच्छा रिजल्ट देती है। एक मानक क्यारी से जो कि 12 मी. की होती है उसमे करीब 3 से 12 किलो बीज इस्तेमाल होता है। वहीं, केरल के निलांबुर में करीब 5 किलो बीज का इस्तेमाल होता है।
सागौन की रोपाई के तरीके
फैलाकर या छितराकर और क्रमिक या डिबलिंग तरीके से 5 से 10 फीसदी अलग रखकर बुआई की जाती है। क्रमिक या डिबलिंग तरीके से बुआई ज्यादा फायदेमंद होता है अच्छी और मजबूती से बढ़ने वाली होती है। आमतौर पर क्यारियों को उपरी शेड की जरूरत नहीं होती है। सिवा बहुत सूखे इलाके के जहां सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसे हालात में यहां खर-पतवार भी नहीं पनप पाता है।
सागौन रोपन में जगह का महत्व
सागौन का रोपन 2m x 2m, 2.5m x 2.5m या 3m x 3m के बीच होना चाहिये। इसे दूसरी फसलों के साथ भी लगाया जा सकता है, लेकिन उसके लिए 4m x 4m या 5m x 1m का गैप या अंतराल रखना जरूरी है।
सागौन रोपन में जमीन की तैयारी और खेती एवं सावधानियां
सागौन के पौधारोपन के लिए जगह चौरस या फिर हल्की ढलान वाला हो (जिसमे अच्छे से पानी निकलने की व्यवस्था हो)। शैल और शीस्ट से युक्त मिट्टी सागौन के लिए अच्छा होता है। सागौन की अच्छी बढ़त के लिए जलोढ़ मिट्टी वाला क्षेत्र बहुत अच्छा माना जाता है। वहीं, लैटेराइट या उसकी बजरी, चिकनी मिट्टी, काली कपासी मिट्टी, बलुई और बजरी सागौन के पौधे के लिए अच्छा नहीं होता है। पौधारोपन के लिए पूरी जमीन की अच्छी जुताई, एक लेवल में करना जरूरी होता है। पौधारोपन की जगह पर सही दूरी पर एक सीध में गड्ढा खुदाई जरूरी होता है। सागौन रोपन के लिए कुछ जरूरी बातें-
पूर्व अंकुरित खूंटी या पॉली पॉट का इस्तेमाल करें
45 cm x 45 cm x 45 cm की नाप के गड्ढे की खुदाई करें। मिट्टी में मसाला, कृषि क्षेत्र की खाद और कीटनाशक को दोबारा डालें। साथ ही
बजरी वाले इलाके के खोदे गए गड्ढे में ऑर्गेनिक खाद teak wood doors युक्त अच्छी मिट्टी डालें।
पौधारोपन के दौरान गड्ढे में 100 ग्राम खाद मिलाएं teak wood doors और उसके बाद मिट्टी की ऊर्वरता को देखते हुए अलग-अलग मात्रा में खाद मिलाते रहें
सागौन की खेती के लिए सबसे अच्छा मौसम मॉनसून का होता है, teak wood doors खासकर पहली बारिश का वक्त
पौधे की अच्छी बढ़त के लिए बीच-बीच में मिट्टी की निराई-गुड़ाई teak wood doors का भी काम करते रहना चाहिए, पहले साल में एक बार, teak wood doors दूसरे साल में दो बार और तीसरे साल में एक बार पर्याप्त है।
पौधारोपन के बाद मिट्टी की तैयारी को अंतिम रुप दें और जहां जरूरी है teak wood doors वहां सिंचाई की व्यवस्था करें।
शुरुआती साल में खर-पतवार को हटाने का काम करना सागौन की teak wood doors अच्छी बढ़त को सुनिश्चित करता है।
खर-पतवार का नियंत्रण
सागौन के पौधारोपन के शुरुआती दो-तीन सालों teak wood sofa set में खर-पतवार नियंत्रण पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। teak wood sofa set नियमित अंतराल पर खतर-पतवार हटाने का अभियान चलाते रहना चाहिए। teak wood sofa set पहले साल में तीन बार, दूसरे साल में दो बार और तीसरे साल में एक बार ये अभियान अच्छी तरह चलाना आवश्यक है। teak wood sofa set यहां ध्यान रखनेवाली बात ये है teak wood sofa set कि सागौन ऐसी प्रजाति का पेड़ है जिसकी वृद्धि और विकास के लिये सूर्य की पर्याप्त रोशनी जरूरी है।
सागौन खेती में सिंचाई की तकनीक
शुरुआती दिनों में पौधे की वृद्धि के लिए सिंचाई बेहद अहम है। teak wood sofa set खर-पतवार नियंत्रण के साथ-साथ सिंचाई भी चलती रहनी चाहिए जिसका अनुपात 3,2,1है। इसके साथ ही मिट्टी का भी काम चलते रहना चाहिए। teak wood sofa set अगस्त और सितंबर महीने में दो बार खाद डालना चाहिए। लगातार तीन साल तक प्रत्येक पौधे में 50 ग्राम एनपीके (15:15:15) डाला जाना चाहिए। नियमित तौर पर सिंचाई और पौधे की छंटाई से तने की चौड़ाई बढ़ जाती है। ये सब कुछ पौधे के शीर्ष भाग के विकास पर निर्भर करता है teak wood sofa set जैसे कि प्रति एकड़ वृक्षों की संख्या में कमी। दूसरे शब्दों में अधिक ऊंचाई वाले पौधे लेकिन कम संख्या या फिर कम ऊंचाई वाले पौधे लेकिन संख्या ज्यादा। सिंचाई सुविधायुक्त सागौन के पेड़ तेजी से बढ़ते हैं लेकिन वहीं, रसदार लकड़ी की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे में पौधे का तना कमजोर हो जाता है और हवा से इसे नुकसान पहुंचता है। ऐसे में पौधे में पानी के फफोले बनने लग जाते हैं। ऐसे पेड़ बाहर से दिखने में मजबूत दिखते हैं लेकिन पानी के जमाव की वजह से पैदा हुए फंगस की वजह से अंदर से खोखला हो जाता है।
सागौन की खेती में पौधे आमतौर पर 13 से 40 डिग्री तापमान के बीच अच्छी तरह से बढ़ते हैं। प्रत्येक साल 1250 से 3750 एमएम की बारिश इसकी खेती के लिए पर्याप्त है। वहीं, अच्छी गुणवत्ता वाले पेड़ के लिए साल में चार महीना सूखा मौसम चाहिए और इस दौरान 60 एमएम से कम बारिश ही अच्छी होती है। पेड़ के बीच अंतर, तने की काट-छांट की टाइमिंग से पौधे के विकास पर फर्क पड़ता है। कांट-छांट में अगर देरी की गई या फिर पहले या ज्यादा कांट-छांट की जाती है तो इससे भी इसकी खेती पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सागौन की खेती में कटाई-छंटाई का महत्व
आमतौर पर सागौन के पौधे की कटाई-छटाई पौधा रोपन के पांच से दस साल के बीच की जाती है। इस दौरान जगह की गुणवत्ता और पौधों के बीच अंतराल को भी ध्यान में रखा जाता है। वहीं अच्छी जगह और नजदीकी अंतराल (1.8×1.8 m और 2×2) वाले पौधे की पहली और दूसरी कटाई-छंटाई का काम पाचवें और दसवें साल पर की जाती है। दूसरी बार कटाई-छंटाई के बाद 25 फीसदी पौधे को विकास के लिए छोड़ दिया जाता है।
सागौन पौधारोपन के बीच अंतर फसल
शुरुआती दो साल के दौरान सागौन की खेती के बीच में अंतर फसल उगाई जाती है खासकर वहां जहां कृषि योग्य भूमि है। एक बार जब भूमि को पट्टे पर दे दिया जाता है तो पट्टेदार भूमि की सफाई, खूंटे जलाना और पौधारोपन का काम शुरु कर देता है। सागौन की खेती के बीच में आमतौर पर गेहूं, धान, मक्का, तिल और मिर्च के साथ-साथ सब्जी की खेती की जाती है। कुछ फसल जैसे कि गन्ना, केला, जूट, कपास, कद्दू, खीरा की खेती नहीं की जाती है।
सागौन की खेती में समस्याएं
निष्पत्रक और दीमक जैसे कीट बढ़ रहे सागौन के पौधे को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। सागौन के पौधे में आमतौर पर पॉलिपोरस जोनालिस लग जाता है जो पौधे की जड़ को गला देते हैं। गुलाबी रंग का फंगस पौधे को खोखला कर देते हैं। ओलिविया टेक्टोन और अनसिनुला टेक्टोन की वजह से पाउडर जैसे फफूंद पैदा हो जाते हैं जिससे असमय पत्ता झड़ने लगता है। इसके बाद पौधे के सुरक्षा के लिए रोगनिरोधी उपाय करना जरूरी हो जाता है। केलोट्रोपिस प्रोसेरा, डेट्यूरा मेटल और अजादिराचता इंडिका के ताजा पत्तों के रस इन रोगों से लड़ने में बेहद कारगर साबित होते हैं। जैविक और अकार्बनिक खाद के मुकाबले इससे हानिकारक कीट को अच्छी तरह से खत्म किया जाता है और साथ ही यह पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाता है।
नोट-
पौधे में लगे मौजूदा कीट, बीमारी और उस पर नियंत्रण करने में teak wood price कितना खर्च आयेगा इसके तकनीकी मूल्यांकन के लिए कृपया अपने नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क करें।
सागौन की कटाई में teak wood price ध्यान रखने वाली बातें-
काटे जाने वाले पेड़ पर चिन्ह लगाएं teak wood farming और सीरियल नंबर लिखें
मुख्य क्षेत्रीय वन अधिकारी के पास teak wood farming इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज कराएं
क्षेत्रीय वन विभाग जांच के teak wood price लिए अपने teak wood farming अधिकारी भेजकर रिपोर्ट तैयार करवाएगा
काट-छांट या कटाई के बारे में teak wood farming स्थानीय वन अधिकारी को रिपोर्ट भेजना
अनुमति मिलने के बाद काट-छांट या कटाई की प्रक्रिया शुरु की जाती है
सागौन की पैदावार
14 साल के दौरान एक सागौन का पेड़ 10 से 15 क्यूबिक फीट लकड़ी देता है। teak wood price सागौन का मुख्य तना आमतौर पर 25 से 30 फीट ऊंचा होता है teak wood price और करीब 35 से 45 इंच मोटा होता है। एक एकड़ में उन्नत किस्म के करीब 400 सागौन का पेड़ पैदा होता है।teak wood price इसके लिए पौधारोपन के दौरान 9/12 फीट का अंतराल रखना जरूरी होता है। teak wood price
सगौन की मार्केटिंग
सागौन के लिए बाजार में बेहद मांग है teak wood farming और इसे बेचना भी बेहद आसान है। teak wood farming इसके लिए बाय बैक योजना teak wood price के अलावा स्थानीय टिंबर मार्केट भी होते हैं। teak wood farming घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेहद मांग होने की वजह से सागौन की खेती बेहद फायदेमंद है।