Home History टोल टैक्स Kya है? Fastag Kaise Use Kare in Toll TAX?

टोल टैक्स Kya है? Fastag Kaise Use Kare in Toll TAX?

1644
1

यातायात कर / टोल टैक्स, सड़को और राजमार्गो पर लगाया जाता है टोल टैक्स : सड़कें तथा राजमार्ग किसी भी देश की संपत्ति होती है। अतः इनका रखरखाव भी देश की अन्य संपत्ति  जितना ही महत्वपूर्ण है। देश की अन्य सम्पत्तियों की तरह, सड़को, राजमार्गो  को बनाने और संभाले रखने में अधिकतम  धनराशि की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि इन्ही सड़को के माध्यम से लोग एक शहर से दूसरे शहर या एक नगर से दूसरे नगर आसानी ने आ जा सकते हैं। इसके साथ साथ राजमार्गो  पे होने वाली चोरी- डकैती से बचने के लिए एक प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था भी अनिवार्य हो जाता है , जिसके लिए भी सरकार को पैसे की ज़रुरत होती है।  ऐसे में सरकार, सड़को  तथा राजमार्गो  से जुड़ी  इन सभी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए यात्रियों से सड़क कर / रोड टैक्स (Road Tax) वसूलती है , ये सड़क कर / रोड टैक्स (Road Tax) भी कई तरह के होते है जिनका विभाजन राज्यों के अंतर्गत होता है, उन सब में से सबसे सामान्य कर, यातायात कर / टोल टैक्स ( Toll Tax ) कहलाता है।

 
यातायात कर / टोल टैक्स, सड़को और राजमार्गो  के अलावा, शहरों में अधिकतम इस्तेमाल होने वाले चौक (Plaza) पर भी लगाया जाता है, यह कर अन्य किसी भी कर की तरह ही अनिवार्य है।  हर राज्य , क्षेत्र में इसका दर अलग होता है और VIP तथा कुछ मुख्य अधिकारियों को छोड़कर  हर वो  नागरिक जो सड़को या राजमार्गो का इस्तेमाल करता है, उसे ये कर चुकाना पड़ता है।  राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क की नीतियों के अंतर्गत यातायात कर / टोल टैक्स ( Toll Tax) के दर में हर साल बदलाव किया जाता है और हर वर्ष १ अप्रैल को इससे जुड़े नए नियम और दर लागू किए जाते हैं। 
यातायात कर / टोल टैक्स इकठ्ठा करने की निति, राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम (National Highways Act), १९५६ साथ ही साथ राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (National Highways Fee) के नियमों के आधार पर बनाई गई है। २०१६ के आंकड़ों के हिसाब से भारत के राष्ट्रीय राजमार्गो में अब तक ३९० टैक्स संग्रह शुल्क चौक (Plaza) मौजूद है। वर्तमान निति के अनुसार हर वो सड़क जिसमे ६ गालियां हो, और जहाँ ४ गालियां इस्तेमाल की जा रही हो, वह यातायात कर भरने के लिए बाध्य है, फिर चाहे वह राजमार्ग पूरी तरह बना हो या ना बना हो।

टोल टैक्स के नियम 2020 क्या हैं? Toll Rules in India

  • पीक आवर्स (Pick Hours) में कतार में 6 वाहन प्रति लेन से अधिक नहीं।
  • टोल लेन (Toll Lane)/ बूथों की संख्या इस प्रकार होगी कि पीक आवर फ्लो पर प्रति वाहन 10 सेकंड से अधिक का सेवा समय सुनिश्चित न हो।
  • यदि उपयोगकर्ताओं का अधिकतम प्रतीक्षा समय 3 मिनट से अधिक है, तो टोल लेन की संख्या बढ़ाई जाएगी।





टोल टैक्स छूट सूची

कोई भी वाहन जिसमें निम्नलिखित लोग हैं, को पूरे भारत में टोल टैक्स से छूट दी जाएगी:

  • भारत के राष्ट्रपति
  • भारत के प्रधान मंत्री
  • भारत के उपराष्ट्रपति
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश
  • भारत के किसी राज्य का राज्यपाल
  • लोक सभा के अध्यक्ष
  • संघ के कैबिनेट मंत्री
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
  • भारत के किसी राज्य का राज्यपाल
  • संघ के राज्य मंत्री
  • संसद के सदस्य

 

 

 

 

 

 

  • भारत में किसी भी केंद्र शासित प्रदेश के लेफ्टिनेंट गवर्नर
  • चीफ ऑफ स्टाफ एक पूर्ण सामान्य या समकक्ष रैंक रखता है
  • किसी राज्य की विधान परिषद के अध्यक्ष
  • भारत के किसी राज्य की विधान सभा के अध्यक्ष
  • एक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
  • एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
  • आर्मी कमांडर या वाइस-चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ और अन्य सेवाओं में समकक्ष
  • राजकीय यात्रा पर विदेशी गणमान्य
  • संबंधित राज्य के भीतर एक राज्य सरकार के मुख्य सचिव
  • भारत सरकार के सचिव
  • सचिव, राज्यों की परिषद
  • सचिव, लोक सभा

 

 

 

 

 

  • राज्य परिसर में एक राज्य की विधान सभा का एक सदस्य, पहचान प्रमाण के साथ
  • पहचान प्रमाण के साथ अपने संबंधित राज्य की सीमाओं में विधान परिषद का सदस्य
  • पर्याप्त पहचान प्रमाण के साथ निम्नलिखित मान्यता के पुरस्कार:
    • परमवीर चक्र, अशोक चक्र
    • महा वीर चक्र, कीर्ति चक्र
    • वीर चक्र
    • शौर्य चक्र

 

 

 

आपने टोल टैक्स और रोड टैक्स के बारे में सुना होगा। कई बार आपने ये टैक्स चुकाया भी होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि टोल टैक्स या रोड टैक्स क्यों लगता है। कहां—कहां हमें यह टैक्स देना पड़ता है। साथ ही इससे जुड़े प्रमुख नियम क्या हैं। आप कहां से इस टैक्स की सही जानकारी प्राप्त करेंगे या कैसे पता करेंगे कि कहां जाने में आपको कितना टोल टैक्स चुकाना पड़ेगा। आज हम आपको इन सारी विषयों की पूरी जानकारी दे रहे हैं।

क्यों लगता है टोल और रोड टैक्स 

सड़कें हमारे लिए बेहद जरूरी हैं। यह देश की संपत्ति होती है। साथ ही इसका रखरखाव भी उतना ही आवश्यक होता है। इसके रखरखाव में काफी खर्च आता है। साथ ही सड़कों तथा राजमार्गों पर किसी तरह की अव्यवस्था न हो उसके लिए सुरक्षा व्यवस्था की भी आवश्यकता होती है। इन सभी कार्यों के लिए सरकार द्वारा यात्रियों से टैक्स वसूली की जाती है। रोड टैक्स भी कई तरह के होते हैं। इसमें टोल टैक्स सबसे महत्वपूर्ण है। 

कहां लगता है टोल टैक्स 

वर्तमान निति के अनुसार हर 4 लेन और उससे अधिक लेन की सभी सड़के जिनका हम इस्तेमाल करते हैं, उसके लिए हमें टैक्स देना होता है। यहां तक की इस कैटेगरी की अंडर कंस्ट्रक्शन सड़कों पर भी हम ये टैक्स देने के लिए बाध्य होते हैं। टोल टैक्स सड़को और राजमार्गों के अलावा शहरों में अधिकतम इस्तेमाल होने वाले कई चौक पर भी लगाया जाता है। यह टैक्स भी अन्य किसी टैक्स की ही तरह अनिवार्य होता है। राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क की नीतियों के अंतर्गत यातायात कर यानी टोल टैक्स के दर में हर साल बदलाव किया जाता है और हर वर्ष 1 अप्रैल को इससे जुड़े नए नियम और दर लागू किए जाते हैं। टोल टैक्स इकठ्ठा करने की निति, राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 तथा राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क के नियमों के आधार पर बनाई गई है। वर्तमान में भारत के सड़कों तथा राष्ट्रीय राजमार्गों में अब तक 540 टोल टैक्स संग्रह केंद्र यानी टोल प्लाजा मौजूद हैं। वहीं बिहार में कुछ 20 टोल प्लाजा हैं।

रोड टैक्स क्या होता है 

आप शायद ही ये जानते होंगे fastag कि हम जब भी fastag कोई गाड़ी खरीदते हैं, तो शोरूम से बाहर आने के fastag पहले fastag ही हमें रोड टैक्स चुकाना पड़ता है। fastag गाड़ियों के हिसाब से रोड टैक्स अलग-अलग होता है। fastag रोड टैक्स आपकी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन fastag के साथ ही वसूल किया जाता है। fastag जितनी गाड़ी की कीमत होती है, उसका 6 प्रतिशत fastag हमें सरकार को रोड टैक्स के रूप में देना होता है। ये रोड टैक्स भी हमें इसलिए देना होता है fastag ताकि जब हम गाड़ी रोड पर चलाएंगे तो हमारे दिए रुपए से सरकार उस रोड का रखरखाव करेगी।

कितने तरह का होता है टोल टैक्स 

टोल टैक्स तीन प्रकार के होते हैं। सिंगल, मल्टीपल यानी डबल और मंथली पास। टोल प्लाजा से वाहन क्रॉस होते ही सिंगल ट्रिप वाली पर्ची की वैधता खत्म हो जाती है। वहीं, मल्टीपल ट्रिप की पर्ची 24 घंटे के अंदर आने-जाने के लिए मान्य होती है। मल्टीपल पर्ची का किराया सिंगल ट्रिप से करीब डेढ़ गुना अधिक होता है। वहीं मंथली पास महीने भर के आवागमन के लिए मान्य होता है।

कब तक लगता है टोल टैक्स 

ज्यादातर टोल टैक्स वसूली पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप से की जाती है। निजी कंपनियां राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के बड़े प्रोजेक्ट में निवेश करती हैं। बदले में उन्हें टोल वसूली का हक मिलता है। आपको याद दिला दें कि सिर्फ चार लेन या उससे ज्यादा लेन की सड़कों पर ही ये नीति लागू है। सरकार ने सड़क बनाने के लिए बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर नीति को अपनाया है। इस नीति के तहत सड़क बनाने वाला निवेशक 30 साल तक टोल वसूल सकता है। प्रोजेक्ट शुरू होते ही निवेश करने वाली कम्पनी को टोल वसूलने का हक मिल जाता है। 30 साल तक टोल टैक्स वसूली के बाद निवेशक, सड़क सरकार के हवाले कर देते हैं। मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे 5 दिसंबर 2008 से लागू हुए नियमों के तहत टोल टैक्स वसूली की अनुमति देता है। नेशनल हाईवे फीस नियम 2008 के संशोधनों के तहत ही टोल टैक्स की रकम तय होती है।

यहां से आपको मिलेगी टोल टैक्स की अपडेटेड जानकारी 

 

 

 

 

  • वेबसाइट ले सकते हैं जानकारी 
आप भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग toll payment प्राधिकरण यानी एनएचएआई के पोर्टल http://tis.nhai.gov.in पर जाकर टोल प्‍लाजा की सारी जानकारी ले सकते हैं। यहां आपको ताजा टोल टैक्‍स की दरें, स्ट्रैच की जानकारी, toll payment हाईवे की टोलेबल लंबाई, टोल रेट और toll tax टोल रेट को लागू होने की तारीख, छूट (अगर कोई हुई है तो), टोल प्लाजा के आस-पास toll tax की सुविधाएं, प्रतिबंधित वाहनों की सूची, मासिक जांच पिपोर्ट, अन्य जानकरी जैसे कि toll tax हेल्पलाइन नंबर, नजदीकी पुलिस स्टेशन, प्रोजेक्ट डायरेक्टर की कॉन्टेक्ट डिटेल, नजदीकी toll tax अस्पताल आदि सभी प्रकार की जानकारी आसानी से मिल जाएगी। इसके अलावा पोर्टल toll tax पर रोज का औसतन ट्रैफिक, सकल टोल राजस्व की भी जानकारी होती है। रेट एक निश्चित अंतराल पर बदलते रहते हैं। इसलिए जरूरी है कि बदलाव के बाद अपडेट किए गए रेट को चेक कर लें। toll tax आप कहीं भी टोल वसूली में या फिर ऑपरेशन संबंधित कोई भी शिकायत करना चाहते हैं तो एनएचएआई को आगाह करा सकते हैं। इसके लिए आप एनएचएआई के पोर्टल पर फीडबैक दे सकते हैं। या फिर एनएचएआई के टोल फ्री नंबर 1800-1160-62 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। एनएचएआई पोर्टल पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण में भ्रष्टाचार को उजागर करने पर आपको 25,000 रुपए नकद राशि का इनाम भी दिया जा सकता है।
  • मोबाइल एसएमएस से भी मिलेगी जानकारी 
एसएमएस के द्वारा टोल रेट को toll tax payment मोबाइल पर चेक करने के लिए आप 56070 पर एसएमएस भेज सकते हैं। toll tax payment साथ ही इन बातों का ध्यान रखें।
1. किसी राज्य के विशेष टोल toll tax payment प्लाजा की सूची और आईडी के लिए TIS < State Code> < NH No. > लिखें।
2. राज्य का कोड व्हिकल रजिस्ट्रेशन toll tax payment नंबर के आधार पर दो करैक्टर का होना चाहिए। जैसे कि बिहार के लिए BR, दिल्ली के लिए DL आदि।
3. इसके बाद आपके पास एसएमएस के toll tax payment जरिए टोल प्लाजा की पूरी सूची आईडी सहित आ जाएगी।
4. किसी विशेष टोल प्लाजा पर लागू टोल रेट के लिए  TIS < Toll Plaza ID लिखें। इसके बाद टोल प्लाजा के टोल रेट एसएमएस के जरिये आपके पास आ जाएंगे।

1 COMMENT

  1. […] दोस्तों आपको यह तो पता ही होगा कि भारत में बहुत बड़े बड़े राजमार्ग हैं और इन राजमार्गों पर दिन प्रतिदिन वाहनों की आवाजाही बढ़ती ही जा रही है और अगर इतने बड़े पैमाने पर वाहनों की आवाजाही होगी तो भारत सरकार के लिए उस पर निगरानी रखना मुश्किल हो जाएगा। […]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

error: Content is protected !!