शुक्र ग्रह से जुड़े 30 महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य | Venus Planet in Hindiशुक्र ग्रह सूरज के नजदीक स्थित दूसरा ग्रह है तथा सौर-परिवार का तीसरा सबसे छोटा ग्रह है। रात में चांद के बाद यह सबसे अधिक चमकने वाला खगोलीय पिंड है। इस ग्रह का चमकीलापन अपनी सबसे अच्छी अवस्था में सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के बाद पहुंचता है; इसलिए इसे भोर अथवा सांझ का तारा भी कहा जाता है।nawazuddin Siddiqui Kaun Hai? Nawazuddin Siddiqui Jada Famous Kab Hua?(Opens in a new browser tab)

 

 

 

 

यहां मैं नीचे दिए गये तथ्यों के माध्यम से आपको शुक्र ग्रह की संरचना, वायुमंडल, परिक्रमण, घूर्णन, भूगर्भ विज्ञान, चुम्बकीय क्षेत्र आदि के विषय में विस्तार से जानकारी दूंगा।Martin Cooper Kaun Hai ? Phone Ki Khoj Kisne ki?(Opens in a new browser tab)

 

#1. शुक्र एक स्थलीय ग्रह है; जिसका मतलब है कि पृथ्वी की तरह इसका भी निर्माण धातु से हुआ है और सतह चट्टानी है। इसे पृथ्वी की बहन (sister planet) भी कहा जाता है; क्योंकि शुक्र और पृथ्वी दोनों का आकार एवं आंतरिक संरचना काफी मिलती-जुलती हैं।

#2. शुक्र का वायुमंडल बहुत घना है, जो इसे सौर-मंडल का सबसे गर्म ग्रह बनाता है। दूसरा सबसे गर्म ग्रह Mercury (बुध) है।Duniya Me Sabse Jahrila Saap Kaunsa Hai?(Opens in a new browser tab)

#3. इस ग्रह का नाम रोम की प्यार और सुंदरता की देवी ‘Venus’ के नाम पर रखा गया है। आठों ग्रहों में यही एक ऐसा ग्रह जिसका नाम किसी औरत के नाम पर है। इसकी सतह के अधिकांश लक्षणों के नाम भी पौराणिक महिलाओं के नाम के साथ रखे गये हैं।Cashless Machine Kaise laye? Cashless Machine kitne ki hai?(Opens in a new browser tab)

 

 

 

 

 

Roman goddess and planet Venus

 

 

#4. इस ग्रह का व्यास 12,104 किलोमीटर है, जोकि पृथ्वी के व्यास से लगभग 640 किलोमीटर ही कम है। वही शुक्र का द्रव्यमान 4.867 × 1024 kg है, ये भी पृथ्वी के द्रव्यमान से केवल 1.105 × 1024 kg ही कम है।

#5. शुक्र सूर्य की वृत्ताकार कक्षा में औसतन 32.02 km/s की रफ्तार से परिक्रमा करता है। सूर्य की एक परिक्रमा करने में इसे 224.7 दिनों का समय लगता है।

 

 

#6. यह ग्रह सूर्य से 10,82,08,000 km और पृथ्वी से 26.1 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित है। शुक्र ग्रह 584 दिनों में एक बार पृथ्वी के सबसे करीब आता है। उस वक्त पृथ्वी से इसकी दूरी 3.8 करोड़ किलोमीटर होती है।

#7. वीनस अपनी धुरी पर 3 डिग्री झुका हुआ है। यह अन्य ग्रहों के विपरीत अपनी धुरी पर पूरब से पश्चिम की ओर धीमी गति से घुमता है। इसे धुरी पर एक पूरा चक्कर लगाने में 243 दिनों का समय लगता हैं।

 

#8. शुक्र का वायुमंडल बहुत सघन है, जो मुख्य रूप से कार्बन-डाईऑक्साइड और सल्फ्यूरिक एसिड की बूंदों के घने बादलों से बना हैं। वायुमंडल घना होने के कारण सूरज से प्राप्त गर्मी बाहरी अंतरिक्ष में प्रसारित नहीं हो पाती; जिससे सतह का तापमान 470°C तक पहुंच जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

#9. इसके दिन और रात के तापमान में बहुत अधिक परिवर्तन नहीं होता। शुक्र ग्रह की सतह में हालांकि हवा की गति बहुत कम होती है लेकिन वायुमंडल अत्यधिक सघन होने के कारण ये हवाएँ काफी अधिक बलशाली होती हैं और धूल और छोटे पत्थरों को भी उड़ा ले जाती हैं।

शुक्र के वायुमंडल में निम्न गैसें पाई जाती हैं-

कार्बन-डाइऑक्साइड 96.5%
नाइट्रोजन 3.5%
सल्फर-डाइऑक्साइड 0.015%
ऑर्गन 0.007%
जलवाष्प 0.002%
कार्बन-मोनोऑक्साइड 0.0017%
हीलियम 0.0012%
नियोन 0.0007%

 

 

 

 

 

#10. इसकी सतह पर वायुमंडलीय दाब पृथ्वी से 90 गुना अधिक है। आपको इसकी सतह पर उतना ही भारीपन महसूस होगा, जितना भारीपन समुद्र के 1.6 किलोमीटर अंदर जाने पर होता है।

#11. शुक्र ग्रह की आंतरिक संरचना पृथ्वी से मिलती-जुलती है। इसमें पृथ्वी की तरह एक कोर, एक मैन्टल और एक क्रस्ट है। इसके कोर का व्यास लगभग 6400 किलोमीटर है तथा पृथ्वी की तरह इसका कोर भी आंशिक रूप से द्रव रूप में है।

 

 

शुक्र ग्रह की आंतरिक संरचना

#12. इस ग्रह की सतह का लगभग 80 प्रतिशत भाग ज्वालामुखी निर्मित समतल मैदानों से बना हुआ है। शेष 20 प्रतिशत उच्च-स्थलीय महाद्वीपों से बना है जिसमें एक इस ग्रह के उत्तरी गोलाद्र्ध में तथा दूसरा इसकी भूमध्य रेखा के दक्षिण में स्थित है।

#13. इसके उत्तरी महाद्वीप को ‘इश्तार टेरा’ (Ishtar Terra) के नाम से संबोधित किया जाता हैं जो प्राचीन मेसोपोटामिया की एक देवी के नाम पर है। इसका आकार लगभग ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के बराबर है।

 

 

 

 

#14. दक्षिणी महाद्वीप को ‘एफ्रोडाईट टेरा’ (Aphrodite Terra) कहते हैं तथा इसका नाम भी यूनानी प्यार की देवी के नाम के साथ रखा गया है। इसका आकार अनुमानतः दक्षिण अमेरिका के बराबर है। इस महाद्वीप का अधिकांश भाग दरारों से ढका हुआ है।

#15. शुक्र ग्रह का सबसे ऊंचा पर्वत ‘मैक्सवेल मोंटेस’ (Maxwell Montes) है जो इश्तार टेरा में ही स्थित है तथा इसकी चोटी की ऊंचाई शुक्र ग्रह की सतह से 11 km है, जोकि पृथ्वी के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट से भी 2 km ऊंचा है। मैक्सवेल मोंटेस का नाम विश्व विख्यात वैज्ञानिक जेम्स क्लर्क मैक्सवेल के नाम पर रखा गया है।

 

 

 

 

 

 

 

#16. शुक्र ग्रह पर अनेक इम्पैक्ट क्रेटर, पहाड़ और घाटियां भी हैं जोकि इस चट्टानी ग्रह की संरचना को दर्शाते हैं। साथ-साथ इस ग्रह में कुछ विचित्र प्रकार की ज्वालामुखी आकृतियां भी हैं जिन्हें ‘फरा’ (farra) कहते हैं। ये आकृतियां 20-50 कि.मी. क्षेत्र में समतल रूप में फैली होती है।

#17. इस ग्रह पर 167 विशाल ज्वालामुखी हैं जो 100 कि.मी. क्षेत्र में फैले हुए हैं। इस प्रकार का ज्वालामुखी समूह पृथ्वी पर हवाई द्वीप है।

 

#18. शुक्र ग्रह में लगभग 1000 इम्पैक्ट क्रेटर हैं। जो लगभग समान रूप से फैले हुए हैं। शुक्र ग्रह के क्रेटर 3 कि.मी. से 280 कि.मी. व्यास क्षेत्र में फैले हुए हैं।

#19. शुक्र ग्रह का चुंबकीय फील्ड पृथ्वी की तुलना में कमजोर और छोटा है।

 

#20. शुक्र ग्रह तथा किसी भी ग्रह के लिए प्रथम अंतरिक्ष मिशन ‘वेनेरा-1‘ प्रोब था, जिसका प्रमोचन 12 फरवरी 1961 को किया गया लेकिन 7 दिन बाद इस स्पेसक्राफ्ट का संपर्क टूट गया। संपर्क टूटने के वक्त यह स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी से 20 लाख किलोमीटर दूर था। यह मिशन सोवियत संघ द्वारा भेजा गया था।

 

 

 

 

 

#21. अमेरिका का भी पहला शुक्र ग्रह मिशन मैरिनर-1 असफल हुआ था: venus planet kids लेकिन उसका venus planet kids दूसरा मिशन मैरिनर-2 सफल सिद्ध venus planet kids हुआ। 14 दिसंबर, 1962 को शुक्र की venus planet kids कक्षा में 109 दिन तक रहने के venus planet kids बाद यह विश्व का प्रथम सफल अंतरतारकीय मिशन था जो शुक्र की सतह के ऊपर 34,833 कि.मी. की ऊंचाई से गुजरा था।

 

‘#22. सोवियत संघ का वेनेरा-3 प्रोब 1 मार्च, 1966 को शुक्र ग्रह की सतह पर लैंड करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। यह प्रथम मानव-निर्मित लैंडर था जिसने किसी अन्य ग्रह (पृथ्वी को छोड़कर) के वायुमंडल में प्रवेश किया तथा उसकी सतह को छुआ था। संचार तंत्र खराब हो जाने के कारण यह कोई डाटा नहीं भेज सका।

वर्ष 1966 से आज तक सोवियत संघ, अमेरिका तथा जापान द्वारा शुक्र ग्रह पर 25 से भी ज्यादा सफल मिशन भेजे जा चुके हैं।

#23. इस ग्रह के अध्ययन के लिए हाल venus the planet में भेजा गया मिशन जापान का ‘अकात्सुकी’ (Akatsuki) है। venus the planet इसे 20 मई, 2010 को लाॅन्च किया गया था, जो इस समय भी शुक्र का चक्कर लगा रहा है। venus the planet यह लगभग वर्ष 2021 के अंत तक कार्य करता रहेगा।

 

 

 

 

 

 

अकात्सुकी स्पेसक्राफ्ट / Source: The Japan Aerospace Exploration Agency (JAXA)

#24. पश्चिम देशों में टेलीस्कोप venus the planet की खोज से पहले शुक्र ग्रह को ‘भटकनेवाला तारा’ (wandering star) के नाम से जाना जाता था।

#25. 490 ईसा पूर्व तक शुक्र venus the planet ग्रह की विभिन्न आकृतियों – ‘मॉर्निंग स्टार’ और ‘इवनिंग स्टार’ को दो अलग-अलग आकाशिय पिंड माना जाता था लेकिन पहली बार ग्रीक गणितज्ञ पाइथागोरस ने यह पता लगाया था कि माॅर्निंग और इवनिंग स्टार एक ही पिंड है, दो अलग-अलग पिंड नहीं हैं।

 

 

 

 

#26. बुध की तरह ही planet venus facts शुक्र का भी planet venus facts अपना कोई चंद्रमा नहीं है।

#27. शुक्र की सतह का planet venus facts गुरुत्वाकर्षण planet venus facts बल 8.87 m/s² है, जोकि पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण शक्ति का 90% है। planet venus facts अगर पृथ्वी पर आपका वजन 60 kg है तो शुक्र की सतह पर आपका वजन 55 kg होगा।

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